“मुझे पता था!”

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भविष्य में होनेवाली चीज को पहले देखने की क्षमता को हम “पूर्व दृष्टि” कहते हैं।

इसके विपरीत, “पश्च दृष्टि” नामक एक मनोवैज्ञानिक घटना है। किसी चीज के घटित होने के बाद, यह पश्च दृष्टि रखने वाले लोगों को यह गलतफहमी हो जाती है कि उन्होंने उसके परिणाम को पहले से ही जान लिया है। भले ही वे एक रेस्तरां में पहली बार गए हों, लेकिन यदि उन्हें भोजन का स्वाद पसंद न हो, तो वे ऐसा कहेंगे, “मुझे पहले से लगा कि खाना अच्छा नहीं होगा।” और यदि कोई गलती करता है, तो वे कहते हैं, “मुझे पता था।” यदि एक बड़ी दुर्घटना होती है, तो मीडिया यह रिपोर्ट पेश करता है कि पहले से उस आपदा का पूर्वानुमान किया जा चुका है। इन्हें पश्च दृष्टि कहा जा सकता है।

दिलचस्प बात यह है कि किसी चीज के घटित होने से पहले, भले ही उन्होंने उसका जरा भी अनुमान नहीं किया या फिर उसके बिल्कुल विपरीत अनुमान किया, फिर भी वे सोचते हैं कि उन्हें उसके बारे में पहले से ही पता था। यदि उनके पास हर बात के प्रति ऐसा रवैया है, तो वे खुद के अनुमान पर बहुत ज्यादा भरोसा करके गलती कर सकते हैं कि उनके पास पूर्व दृष्टि है। चाहे कोई भी चीज हो, उसका परिणाम पूरी तरह सामने आने के बाद ही, हम सब कुछ स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। हमें पश्च दृष्टि के साथ विचार करने के बजाय अतीत से सबक सीखने के लिए नम्र मन रखने की जरूरत है।