
जब जड़ी–बूटियां हवा में लहरती हैं, या फिर जब आप उन्हें अपने हाथ से छूते हैं, वे एक तीव्र सुगंध छोड़ती हैं जिसे लोग पसंद करते हैं। परन्तु, वास्तव में उनका सुगंध छोड़ देना एक प्रकार का अपने आप को बाहरी आक्रमण के खिलाफ रक्षा करने का तरीका है। देवदार की इल्ली देवदार के पत्तों पर जीवित रहती है, और गोभी का कीड़ा गोभी के पत्तों पर जीवित रहता है। परन्तु, देवदार के पत्ते और गोभी के पत्ते भी आसानी से अपने आपको कीड़े–मकोड़ों को नहीं दे देते। जब एक देवदार की इल्ली की ओर से हमला होता है, वे अपने घावों से एक प्रकार का रसायन छोड़ते हैं। उसी वक्त पीला ततैया उसकी गंध को सूंघकर, देवदार की इल्ली का शिकार करने के लिए तीर के समान उड़कर चला आता है। आलू के अंकुर में मौजूद एक विषाक्त पदार्थ भी और वह एलीसिन भी जो लहसुन की तीखी गंध है, अपने आप को बचाने का एक रासायनिक पदार्थ है।
उस तरह, भले ही पौधे मनुष्यों या प्राणियों की तरह खुद की रक्षा के लिए कार्रवाई नहीं कर सकते, लेकिन हमला किए जाने पर वे रासायनिक स्राव के साथ अपने आपकी रक्षा करते हैं। जीवन की रक्षा के साधन के रूप में वे अपनी जड़ों या पत्तियों से रसायनों को छोड़ते हैं। इन रसायनों को ‘आल्लेलोकेमिकल’ कहा जाता है। हर पौधे का अपना आल्लेलोकेमिकल होता है। नाजुक प्रतीत होनेवाले पौधों के पास भी अपने जीवन की रक्षा करने के लिए मजबूत जीवन शक्ति होती है।