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बाइबल में याजक के दो प्रकार के दल(रीति) हैं: हारून की रीति और मलिकिसिदक की रीति।
1. हारून की रीति
हारून की रीति एक याजक के दल की रीति है, जिसमें याजक पुरानी वाचा के नियम और विधियों के अनुसार परमेश्वर को बलिदान चढ़ाते थे। हारून लेवीय गोत्र का था, इसलिए हारून की रीति को लेवीय याजक पद(लेवियों की रीति) भी कहा जाता है।
अब्राहम से, जो विश्वास का पूर्वज था, इसहाक उत्पन्न हुआ, इसहाक से याकूब उत्पन्न हुआ, और याकूब से 12 पुत्र उत्पन्न हुए। याकूब और उसकी पत्नी लिआ का तीसरा बेटा लेवी था।
जब याकूब का बेटा यूसुफ मिस्र का शासक बन गया, तब याकूब और उसका परिवार मिस्र में चले गए, और उन्होंने 430 सालों के बाद मिस्र देश छोड़ा। याकूब के लाखों वंशज अपने नेता मूसा का पालन करते हुए कनान की ओर निकले। लाल समुद्र पार करने के बाद, इस्राएलियों ने जंगल में प्रवेश किया, और जब मूसा ने सीनै पर्वत पर दस आज्ञाओं को प्राप्त किया, तब उन्होंने दस आज्ञाएं रखने के लिए तम्बू बनाया। उस समय, मूसा का बड़ा भाई हारून एक महायाजक था, जिसका मुख्य कार्य तम्बू में परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाना था, और पूरे लेवीय गोत्र को, जिसमें मूसा और हारून थे, मंदिर में सेवकाई का दायित्व सौंपा गया।
जब लेवीय याजक लोगों के पापों के लिए परमेश्वर को बलिदान चढ़ाते थे, तब वे मेम्ना या बकरी का बलिदान करते थे। हारून के समय से लेकर यीशु के नई वाचा स्थापित करने तक, लगभग 1,500 साल सभी लेवी के वंशजों(लेवीय गोत्र) ने सांसारिक पवित्रस्थान में हारून की रीति के अनुसार याजक के रूप में सेवा करना जारी रखा।
2. मलिकिसिदक की रीति
हारून की रीति के अलावा, बाइबल में “मलिकिसिदक की रीति” के उल्लेख भी हैं; “मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक” के रूप में मसीह का वर्णन किया गया है।
… परदे के भीतर तक पहुंचता है, जहां यीशु ने मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बनकर, हमारे लिये अगुआ के रूप में प्रवेश किया है। इब्र 6:19–20
तो, आइए हम मलिकिसिदक का पहले अध्ययन करें। मलिकिसिदक एक व्यक्ति था जो यीशु के इस पृथ्वी पर आने से 2,000 साल पहले अब्राहम के समय के दौरान रहता था। वह मसीह को दर्शाता है। मलिकिसिदक का उल्लेख पुराने नियम में सिर्फ दो बार किया गया है; उसे अब्राहम के समय में रहनेवाले “शालेम के राजा” के रूप में वर्णित किया गया है। कोई पक्का उल्लेख नहीं है कि वह कैसे याजक बना या “शालेम” कहां स्थित है।
जब अब्राहम अपने भतीजे लूत को बचाने के लिए राजाओं और उनकी सेनाओं को जीतकर लौट आया, तब यह रहस्यमय व्यक्ति, मलिकिसिदक उसे आशीष देने के लिए रोटी और दाखमधु ले आया। बाइबल मलिकिसिदक को “परमप्रधान ईश्वर का याजक” कहती है।
जब वह कदोर्लाओमेर और उसके साथी राजाओं को जीतकर लौटा आता था… तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान ईश्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया। और उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया, “परमप्रधान ईश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो। और धन्य है परमप्रधान ईश्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वश में कर दिया है।” तब अब्राम ने उसको सब वस्तुओं का दशमांश दिया। उत 14:17–20
अब्राहम के समय में, पशु का बलिदान हाबिल के बलिदान की परम्परा के अनुसार परमेश्वर को चढ़ाया जाता था। हालांकि, मलिकिसिदक ने परमेश्वर को रोटी और दाखमधु को बलिदान के रूप में चढ़ाया।
प्रेरित पौलुस ने मलिकिसिदक के बारे में बहुत विस्तार से बताया। उसने कहा कि, “वह धर्म का राजा और शान्ति का राजा है और परमेश्वर के पुत्र के स्वरूप ठहर कर सदा के लिए याजक बना रहता है।” उसने यह भी विस्तार से लिखा कि लेवीय लोगों ने जो इस्राएल के हर एक गोत्र से दसवां अंश लेते थे, और लेवी ने भी जो लेवी के गोत्र का पिता था, अब्राहम के द्वारा मलिकिसिदक को दसवां अंश दिया, और मसीह को परमेश्वर की ओर से शपथ के साथ मलिकिसिदक की रीति पर याजक नियुक्त किया गया, जबकि सांसारिक पवित्रस्थान में दूसरे याजक बिना शपथ के ठहराए गए थे। (इब्र 7:1–28)
3. मसीह जिन्होंने मलिकिसिदक की रीति का पालन किया
यीशु के इस पृथ्वी पर आने के लगभग 1,100 साल पहले, दाऊद ने पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर भविष्यवाणी की कि प्रभु(मसीह) मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक के रूप में आएंगे।
मेरे प्रभु से यहोवा की वाणी यह है, “तू मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूं।” तेरे पराक्रम का राजदण्ड यहोवा सिय्योन से बढ़ाएगा… यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा: “तू मलिकिसिदक की रीति पर सर्वदा का याजक है।” भजन 110:1–4
यीशु ने व्याख्या की कि दाऊद ने भजन संहिता की पुस्तक में जिस “प्रभु” का उल्लेख किया, वह “मसीह” है।
जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उन से पूछा, “मसीह के विषय में तुम क्या सोचते हो? वह किसका पुत्र है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद का।” उसने उनसे पूछा, “तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है? ‘प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा, मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के नीचे न कर दूं।’ भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे ठहरा?” मत 22:41–45
दाऊद ने भविष्यवाणी की कि मसीह मलिकिसिदक की रीति पर एक महायाजक होंगे, और यहोवा ने शपथ के साथ वादा किया कि वह अवश्य ही उसे पूरा करेंगे।
जैसे मलिकिसिदक ने अब्राहम को रोटी और दाखमधु से आशीष दी, वैसे यीशु ने मानव जाति को फसह के पर्व की रोटी और दाखमधु से आशीष दी।
फसह तैयार किया… जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर… “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” मत 26:17–28
क्यों आवश्यकता थी कि परमेश्वर ने 1,500 वर्षों से चली आ रही हारून की रीति के बजाय उससे अलग रीति, यानी मलिकिसिदक की रीति से दूसरे याजक को उभारा? जैसे ऊपर कहा गया है, हारून की रीति के अनुसार चढ़ाए गए बलिदान उसकी एक छाया और प्रतिबिम्ब है, जिसे मसीह बाद में स्थापित करेंगे। क्योंकि हारून की रीति से हमें पापों की क्षमा प्राप्त नहीं हो सकती।
यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि प्राप्त हो सकती… तो फिर क्या आवश्यकता थी कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए? इब्र 7:11
जो दसवां अंश अब्राहम ने मलिकिसिदक को दिया, वह हमारी भेंट को दर्शाता है, जो उन मसीह को दी जाती है जो मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक के रूप में आए। जैसे अब्राहम ने उस समय मलिकिसिदक को दसवां अंश दिया जब मलिकिसिदक ने उसे रोटी और दाखमधु से आशीष दी, ठीक वैसे ही परमेश्वर के लोग मसीह को दसवां अंश देते हैं, क्योंकि उन्होंने उन्हें मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक के रूप में फसह के रोटी और दाखमधु से अनन्त जीवन की आशीष दी है।
4. निष्कर्ष
हारून की रीति एक याजक के दल की रीति थी, जिसमें याजक परमेश्वर को पशु के लहू के द्वारा बलिदान चढ़ाते थे। लेकिन मलिकिसिदक की रीति एक याजक के दल की रीति थी, जिसमें रोटी और दाखमधु के द्वारा बलिदान चढ़ाया जाता है।
प्रथम चर्च के संत संपूर्ण पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते थे जब वे मसीह पर, जो मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक हैं , विश्वास करते थे और नई वाचा के पर्व मनाते थे। हालांकि, यीशु के स्वर्ग जाने के बाद और सभी प्रेरितों की मृत्यु के बाद, शैतान ने चर्च में घुसपैठ कर ली और नई वाचा के सभी पर्वों को नष्ट किया; नई वाचा का फसह 325 ई. को नष्ट किया गया। फसह के पर्व को नष्ट करना उस बलिदान को नष्ट करने जैसा था, जिसे उस मलिकिसिदक की रीति के अनुसार चढ़ाया जाता है जो रोटी और दाखमधु से हमें अनन्त जीवन की आशीष देती है। अंतत: चूंकि मलिकिसिदक की रीति के अनुसार चढ़ाया जाने वाला बलिदान नष्ट किया गया, इसलिए कोई भी अनन्त जीवन की आशीष को प्राप्त नहीं कर सका।
अब जगत का अन्त आ रहा है। इस अन्तिम समय में, कौन बच सकता है जब तक मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक प्रकट न हो? इसलिए इन दिनों में, मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक को फसह की रोटी और दाखमधु को लेकर आना चाहिए, जो मलिकिसिदक का चिन्ह है।
सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसा भोज तैयार करेगा जिसमें भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा… वह मृत्यु का सदा के लिये नाश करेगा… उस समय यह कहा जाएगा, “देखो, हमारा परमेश्वर यही है, हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है… यश 25:6–9