परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर हुई

नहे 2:1–20

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जब नहेम्याह ने यह सुना कि यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुई है, तब वह बहुत व्याकुल था। कुछ दिनों तक प्रार्थना करने के बाद, उसे अपने राजा अर्तक्षत्र का पूरा समर्थन मिला, और वह यरूशलेम मंदिर का पुनर्निर्माण करने का सपना लेकर यहूदा में लौट आया।

नहेम्याह यरूशलेम में पहुंचा, और उसने यरूशलेम की टूटी पड़ी हुई शहरपनाह को देखा और यहूदियों को बुलाकर कहा,

“आप सब जानते हैं कि अब हम कैसी दुर्दशा में हैं। यरूशलेम उजाड़ पड़ा है तथा उसके फाटक आग से जले हुए हैं। आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह का फिर से निर्माण करें। इससे हमें भविष्य में फिर कभी लज्जित नहीं रहना पड़ेगा।”

जब नहेम्याह ने लोगों से यह कहा कि परमेश्वर की कृपादृष्टि उस पर हुई है और इससे राजा उनकी सहायता करता है, तब यहूदियों का मन प्रेरित हुआ।

“ठीक है! आओ, अब हम उसका पुनर्निर्माण शुरू करें।”

लेकिन जब होरोन के सम्बल्लत, अम्मोनी के अधिकारी तोबिय्याह और अरब के गेशेम ने यह सुना कि यरूशलेम की शहरपनाह का फिर से निर्माण किया जा रहा है, तो उन्होंने बहुत भद्दे ढंग से इस्राएलियों का मजाक उड़ाया और अपमान किया।

“यह तुम क्या कर रहे हो? क्या तुम राजा के विरुद्ध बलवा करोगे?”

उनसे नहेम्याह ने निडरता से कहा,

“हमें उसका पुनर्निर्माण करने में स्वर्ग का परमेश्वर हमारी सहायता करेंगे। परन्तु यरूशलेम में न तो तुम्हारा कोई भाग होगा, न कोई अधिकार और न कोई स्मारक।”

आत्मविश्वास से भरा व्यवहार विश्वास से आता है। यदि हमारा विश्वास हिल जाए, तो हम कुछ बेहद मामूली सी बातों से भी गिर सकते हैं।

यरूशलेम का ठट्ठा करने वाले लोगों की बातों से भी नहेम्याह जरा भी नहीं डगमगाया। क्योंकि उसने दृढ़ता से विश्वास किया कि यरूशलेम का पुनर्निर्माण करने के मिशन को पूरा करने के लिए परमेश्वर की कृपादृष्टि उस पर होगी।

नहेम्याह ने परमेश्वर की सहायता पर पूरा भरोसा किया और वह दुश्मनों की बाधाओं से भी बिल्कुल भी नहीं डगमगाया। नहेम्याह का यह साहस हम लोगों को जगाता है जिनके पास इस युग में सुसमाचार का कार्य पूरा करने का मिशन है। आइए हम परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास करें जो हर दिन हमारे साथ रहते हुए हमारी पूरी मदद करते हैं, और साहसपूर्वक आगे बढ़ें।