हम प्रकाशितवाक्य में देखते हैं कि एक पुस्तक जिसमें हर व्यक्ति के अपने जीवनकाल में किए गए कार्यों का अभिलेख है, न्याय के सिंहासन के सामने खोली जाएगी जब परमेश्वर मानवजाति का न्याय करेंगे। जो कुछ उस पुस्तक में लिखा है उसके अनुसार, परमेश्वर जांचेंगे कि क्या उसने धर्म का काम किया है या अधर्म का काम किया है, और क्या उसने परमेश्वर की इच्छानुसार भला काम किया है या दुष्ट काम किया है; इस तरह परमेश्वर इस पृथ्वी पर हमारे जीवन के पूरे पाठ्यक्रम के द्वारा हमें जांचेंगे और हमारे कामों के अनुसार हमारा न्याय करेंगे।
इसलिए हर पल जो हमें हर दिन दिया जाता है, बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिनके कार्यों का अभिलेख दुष्ट कामों से भरा है, उनका न्याय परमेश्वर उनके दुष्ट कामों के अनुसार करेंगे और सजा देंगे। हमें हर दिन में हर एक पल को सुंदर कार्यों से भरना चहिए, ताकि स्वर्ग में हमारे कार्यों का अभिलेख अच्छे कार्यों से भरा हो।
इन दिनों अपराधियों की गिरफ्तारी की दर दक्षिण कोरिया में भी बढ़ती जा रही है। यह इसलिए है कि बहुत स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सीसीटीवी जो कुछ हो रहा है उसकी निगरानी करता है और उसे रिकॉर्र्ड करता है। यह लड़ाई में घूंसे चलाने या आवाज ऊंची करने जैसी छोटी–छोटी बातों को भी रिकॉर्ड करता है। इसलिए जो व्यक्ति अपराध करता है, वह सीसीटीवी में कैद तस्वीरों को देखने के बाद तुरंत अपना अपराध स्वीकार करता है।
इस पृथ्वी पर ऐसे सीसीटीवी में हर व्यक्ति के कार्य ठीक–ठीक दर्ज होते हैं, तो स्वर्ग में परमेश्वर के सामने हमारे कार्य कितनी ठीक रीति से दर्ज हो रहे होंगे?
फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उसको, जो उस पर बैठा हुआ है, देखा; उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिये जगह न मिली। फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई; अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसा उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया। मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए। यह आग की झील में डाले गए; यह आग की झील दूसरी मृत्यु है; और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया। प्रक 20:11–15
ऊपर का वचन कहता है कि हर व्यक्ति का जो उसने किया है उसके अनुसार न्याय किया जाएगा। माता ने भी हाल ही में हुई पदधारी सदस्यों की शिक्षा सभा में इसके बारें में बताया। उन्होंने कहा कि परमेश्वर के सामने हमारा हर एक विचार और कार्य उजागर होगा और दर्ज किया जाएगा।
वास्तव में माता हमेशा हमें इसके बारे में शिक्षा देती हैं, लेकिन उस दिन जब मैंने इसे सुना, मुझे पहले से ज्यादा खास अनुभव हुआ। जब हम स्वर्ग वापस जाएंगे, हम अपने कार्यों के अभिलेखों में कौन सा कार्य लिखा पाएंगे।
बाइबल में हम कार्यों के बारे में बहुत से वचन ढूंढ़ सकते हैं। मत्ती सहित सुसमाचार की चार पुस्तकों में मरियम के सुंदर कार्य दर्ज हैं।
जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर में था, तो एक स्त्री संगमरमर के पात्रा में बहुमूल्य इत्र लेकर उसके पास आई, और जब वह भोजन करने बैठा था तो उसके सिर पर उंडेल दिया। यह देखकर उसके चेले रिसियाए और कहने लगे, “इसका क्यों सत्यानाश किया गया? इसे तो अच्छे दाम पर बेचकर कंगालों को बांटा जा सकता था।” यह जानकर यीशु ने उनसे कहा, “स्त्री को क्यों सताते हो? उसने मेरे साथ भलाई की है। कंगाल तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदैव न रहूंगा। उसने मेरी देह पर जो यह इत्र उंडेला है, वह मेरे गाड़े जाने के लिये किया है। मैं तुम से सच कहता हूं, कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा।” मत 26:6–13
मरियम ने संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के सिर पर उंडेल दिया। तब यहूदा इस्करियोती बहुत क्रोधित हो गया और कहा कि यह इत्र अच्छे दाम पर बेचकर कंगालों को बांटा जा सकता था। यह बात उसने इसलिए नहीं कही कि उसे कंगालों की चिन्ता थी, लेकिन इसलिए कि वह इत्र बेचकर मुनाफा कमाना चाहता था। इसलिए बाइबल उसे एक चोर के रूप में बताती है।(यूह 12:1–8) मरियम ने जो किया यीशु ने उसके लिए उसे नहीं फटकारा, लेकिन बजाए इसके यह कहते हुए उसकी प्रशंसा की, “सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा।”
मान लीजिए कि मरियम ने जो यीशु के लिए सुंदर कार्य किया वह स्वर्ग में उसके कार्यों के अभिलेख में दर्ज किया गया है। ठीक–ठीक कहें तो असल में जो उसने किया वह स्वर्ग में दर्ज किया गया है। यदि आपको मरियम का उसके अभिलेख के अनुसार न्याय करने का अधिकार दिया जाए, तो आप उसका न्याय कैसे करेंगे? क्या आप उसे स्वर्ग में भेजेंगे या नरक में भेजेंगे? यीशु ने पहले ही से निर्णय किया कि जो उसने किया वह एक अच्छा कार्य है और जहां कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां बताया जाएगा।
बाइबल दिखाती है कि जबकि अच्छे कार्यों के अभिलेख हैं, दुष्ट कार्यों के अभिलेख भी हैं।
तुम जानते हो कि दो दिन के बाद फसह का पर्व है, और मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाया जाएगा। तब प्रधान याजक और प्रजा के पुरनिए काइफा नाम महायाजक के आंगन में इकट्ठे हुए, और आपस में विचार करने लगे कि यीशु को छल से पकड़कर मार डालें। मत 26:2–4
तब यहूदा इस्करियोती ने, जो बारह चेलों में से एक था, प्रधान याजकों के पास जाकर कहा, “यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूं, तो मुझे क्या दोगे?” उन्होंने उसे तीस चांदी के सिक्के तौलकर दे दिए। और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा। मत 26:14–16
यहूदा इस्करियोती ने उन दुष्टों का साथ दिया जिन्होंने यीशु को पकड़वाने और मारने की कोशिश की, और उनसे यीशु की जान की कीमत को लेकर सौदेबाजी की, और वह यीशु को उनके हाथ पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा। आखिरकार वह यीशु को मारने वाला अगुवा बन गया।
वह यह कह ही रहा था कि यहूदा जो बारहों में से एक था आया, और उसके साथ प्रधान याजकों और लोगों के पुरनियों की ओर से बड़ी भीड़, तलवारें और लाठियां लिए हुए आई। उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह संकेत दिया था: “जिसको मैं चूम लूं वही है; उसे पकड़ लेना।” और तुरन्त यीशु के पास आकर कहा, “हे रब्बी, नमस्कार!” और उसको बहुत चूमा। यीशु ने उससे कहा, “हे मित्र, जिस काम के लिये तू आया है, उसे कर ले।” तब उन्होंने पास आकर यीशु पर हाथ डाले और उसे पकड़ लिया। मत 26:47–50
जो स्वर्ग में कार्यों के अभिलेखों में लिखे गए हैं उनके कुछ भाग को हम अब बाइबल के माध्यम से देख सकते हैं। यहूदा इस्करियोती का, जिसने ऐसा दुष्ट कार्य किया था, एक दुखद अंत हुआ।
हे भाइयो, अवश्य था कि पवित्रशास्त्र का वह लेख पूरा हो जो पवित्र आत्मा ने दाऊद के मुख से यहूदा के विषय में, जो यीशु के पकड़नेवालों का अगुवा था, पहले से कहा था। क्योंकि वह तो हम में गिना गया, और इस सेवकाई में सहभागी हुआ।(उसने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया, और सिर के बल गिरा और उसका पेट फट गया और उसकी सब अन्तड़ियां निकल पड़ीं। इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए, यहां तक कि उस खेत का नाम उनकी भाषा में ‘हकलदमा’ अर्थात् ‘लहू का खेत’ पड़ गया।) भजन संहिता में लिखा है, ‘उसका घर उजड़ जाए, और उसमें कोई न बसे,’ और ‘उसका पद कोई दूसरा ले ले।’ प्रे 1:16–20
इसके द्वारा यहूदा इस्करियोती बारह प्रेरितों के शानदार पद से निकाला गया, और मत्तियाह नाम के एक व्यक्ति ने उसकी जगह ले ली।(प्रे 1:21–26) यहूदा इस्करियोती का जीवन बस यीशु को धोखा देकर समाप्त हो गया। उसका विश्वासघात उसे धन जमा करने में या आरामदायक जीवन जीने में मदद नहीं कर पाया। दुष्ट व्यक्ति का अंत इस तरह होता है। दुष्टों का उनके गलत कामों के अनुसार इस धरती पर सबसे पहले न्याय किया जाता है, और साथ ही अनंत दुनिया में भी जैसा स्वर्ग में उनके कार्यों के अभिलेखों में लिखा है, वैसे ही उनके कामों के अनुसार उनका न्याय किया जाएगा।
यदि आप यहूदा इस्करियोती के कार्यों के अभिलेख को देखें, तो क्या आप उसे स्वर्ग में भेजने का निर्णय कर सकते हैं? यीशु ने यहूदा के बारे में कहा कि “यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता, तो उसके लिये भला होता।” यीशु के शब्दों को देखते हुए, हम निश्चित रूप से जान सकते हैं कि उसका अंतिम गंतव्य कहां है।
केवल यहूदा इस्करियोती और मरियम ही ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिनके पास अपने कार्यों के अभिलेख हैं। बाइबल कहती है कि जैसा पुस्तकों में लिखा है, वैसे ही हर एक का उसके कामों के अनुसार न्याय किया जाएगा।
यदि हमारा हर एक कार्य स्वर्ग में कार्यों के अभिलेखों में दर्ज किया जाता है, तो हमें यह सोचना चाहिए कि हमें स्वर्ग में अपने कार्यों के अभिलेखों को सुन्दर कार्यों से भरने के लिए अपने दैनिक जीवन में क्या करना चाहिए। कृपया ध्यानपूर्वक इसके बारे में सोचें कि क्या आपको परमेश्वर से दिया गया सुसमाचार का कार्य टालना चाहिए या फिर सुसमाचार में एक जोशीला विश्वास रखना चाहिए, और क्या आपको भाई–बहनों के साथ झगड़ा करना चाहिए या फिर दूसरों के प्रति विचारशील होते हुए सुन्दर ढंग से एकजुट होना चाहिए।
चाहे अभी तक हमने अपरिपक्व कार्य ही किए हों और वे हमारे कार्यों के अभिलेखों में लिखे गए हों, अब से आइए हम अपने कार्यों के अभिलेखों को परिपक्व और फलप्रद कार्यों से भरें। आइए हम कार्यों के विषय में एक और वचन देखें।
वह यरीहो में प्रवेश करके जा रहा था। वहां जक्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेनेवालों का सरदार था और धनी था। वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कोन सा है? परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर क पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था। जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि करके उससे कहा; “हे जक्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।” वह तुरन्त उतरकर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। यह देखकर सब लोग कुड़कुड़ाकर कहने लगे, “वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है।” जक्कई ने खड़े होकर प्रभु से कहा; “हे प्रभु, देख, मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं।” तब यीशु ने उससे कहा, “आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है।” लूक 19:1–9
जक्कई इससे बहुत खुश था कि यीशु उसके घर में आए, और उसने कहा कि वह अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देगा, और यदि उसने किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर दे देगा। यीशु भी खुश थे कि जक्कई ने उनका आनन्द से स्वागत किया, और उसे उद्धार से आशीषित किया।
जिन्होंने जक्कई के समान यीशु का आदर किया और भले कार्य किए, उन सभी लोगों के कार्य स्वर्ग में उनके कार्यों के अभिलेखों में पूरी तरह लिखे गए हैं। इस पल भी, स्वर्गदूत हमारे कार्यों के अभिलेखों में हमारे कार्यों को मेहनत से लिख रहे हैं।
जब हम राजवंशीय काल के इतिहास की जांच करते हैं, हम देख सकते हैं कि राजकुमार भी जिसे राजा का खून विरासत में मिला, बिना शर्त के राजा होने के लिए नियुक्त नहीं किया जाता था। यदि वह बुरी तरह से व्यवहार करता, उसे राजपद से हटाया जाता था। उसी प्रकार चाहे हम स्वर्ग की सन्तान हैं जिन्हें परमेश्वर का मांस और लहू विरासत में दिया गया है, यदि हमारे कार्यों के अभिलेख इस संसार के लोगों से भी अधिक दुष्ट कार्यों से भरे हैं, तो परमेश्वर हमें धर्मियों से अलग करेंगे और बचाए जाने वालों से निकाल देंगे।(मत 13:47–50) यदि परमेश्वर ऐसा न करते, तो हमें प्राण देने तक विश्वासी रहने या सही विश्वास के मार्ग पर चलने की कोई आवश्यकता न होती।
अगर आप सोच रहे हैं कि आप संसार के लोगों के समान संसार के सुखों में लिप्त होकर भी बचाए जाएंगे, तो आप बहुत गलत सोच रहे हैं। परमेश्वर हम में से हर एक का जो हमने किया उसके अनुसार न्याय करेंगे।
बाइबल में विस्तृत रूप से वह सब दर्ज किया गया है जो इस्राएलियों ने 40 सालों तक जंगल में घूमने के दौरान किया। परमेश्वर ने वह सब कुछ देखा जो इस्राएलियों ने फसह का पर्व मनाकर मिस्र से निकलने के बाद कनान की यात्रा करने के दौरान किया। उन्होंने यह जानने के लिए उन्हें कई मुश्किल परिस्थितियों में रखा कि वे परमेश्वर के वचनों का पालन करते हैं या नहीं, और उनके मन में परमेश्वर का भय है या नहीं। इस तरह परमेश्वर ने हर समय उनकी परीक्षा की और उन्हें परखा।
“जो जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं उन सभों पर चलने की चौकसी करना, इसलिये कि तुम जीवित रहो और बढ़ते रहो, और जिस देश के विषय में यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाई है उसमें जाकर उसके अधिकारी हो जाओ। और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा या नहीं। उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है। इन चालीस वर्षों में तेरे वस्त्र पुराने न हुए, और तेरे तन से भी नहीं गिरे, और न तेरे पांव फूले। फिर अपने मन में यह तो विचार कर, कि जैसा कोई अपने बेटे को ताड़ना देता है वैसे ही तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को ताड़ना देता है। इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करते हुए उसके मार्गों पर चलना, और उसका भय मानते रहना। क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है… व्य 8:1–10
परमेश्वर ने इस्राएलियों को 40 सालों तक बहुत सी कठिनाइयों से गुजरने दिया, ताकि वह यह जान सकें कि उनके मन में क्या है, और वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेंगे या नहीं। परमेश्वर ने कभी उन्हें नम्र बनाया और कभी भूखा या प्यासा होने दिया। तब जो कुछ उनके मन में था, वह पूरी तरह प्रकट हो गया। कुछ लोग मूर्तिपूजा में लग गए, कुछ व्यभिचार में लिप्त हो गए, कुछ परमेश्वर को परखने लगे, और कुछ कुड़कुड़ाने लगे। इससे वे सब अंत में नष्ट हो गए।(1कुर 10:1–12) यहोशू और कालेब को छोड़कर, बीस वर्ष के या उससे अधिक आयु के छ: लाख इस्राएलियों में से ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जिसके कार्य परमेश्वर की दृष्टि में इतने सुन्दर थे कि वे कनान में प्रवेश कर सकें। इसके परिणामस्वरूप, उस पीढ़ी में सिर्फ यहोशू और कालेब ही बचे, और उन दोनों ने कनान देश में प्रवेश किया।
परमेश्वर ने हमसे कहा कि उन लोगों के समान मत बनो जो जंगल में नष्ट हो गए। परमेश्वर चाहते हैं कि हम उनके कार्यों के अभिलेखों से शिक्षा लेते हुए अपने कार्यों के अभिलेखों को अधिक सुंदर कार्यों से भरें।
आज, इस पल आइए हम अपने आप की जांच करें कि हम परमेश्वर की व्यवस्थाओं और नियमों के आज्ञाकारी होकर जीवन जी रहे हैं या फिर हम परमेश्वर से ज्यादा किसी और चीज का भय मानते हैं और परमेश्वर से अपना ध्यान हटाकर किसी और काम में लग रहे हैं। परमेश्वर हमें विभिन्न स्थितियों में रखते हैं, और वह उन्हें चुनते हैं जो एहसास करते हैं कि वे मौत की सजा पाने की कतार में स्वर्ग के पापी हैं, और जो सब परिस्थितियों में परमेश्वर को अपने बलिदान से उन्हें क्षमा करने के लिए और अनन्त घर स्वर्ग जाने के लिए शानदार रास्ता खोलने के लिए धन्यवाद देते हुए पछतावे का जीवन जीते हैं।
आत्मिक रूप से हम सभी पापी हैं। तो आइए हम पूरी तरह अपने पापों से पश्चाताप करें और हम जहां कहीं भी हों वहां मेहनत से प्रचार करें; विद्यार्थी अपने स्कूलों में, काम करने वाले अपनी नौकरी के स्थान में, और गृहिणियां अपने पड़ोस में मेहनत से प्रचार करें, चूंकि परमेश्वर ने हमें संसार के सभी लोगों की पछतावे की ओर अगुवाई करने के लिए सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन दिया है। मुझे आशा है कि हम सब अपनी परिस्थितियों में सुंदर “नए प्रेरितों के काम” को लिखने में सक्षम हो जाएं, जिससे कि हमारे कार्यों के अभिलेख अनुग्रहपूर्वक लिखे जा सकें।
यहूदा इस्करियोती को किस प्रकार का न्याय मिलना है? और मरियम को किस प्रकार की आशीष और पुरस्कार मिलना है? सिर्फ मरियम और यहूदा इस्करियोती के कार्य ही नहीं, बल्कि 3,500 वर्ष पहले किए गए इस्राएलियों के कार्य भी स्वर्ग में कार्यों के अभिलेखों में लिखे गए हैं, और इस युग में हमारे कार्य भी स्वर्ग में कार्यों के अभिलेखों में दर्ज हो रहे हैं। कुड़कुड़ाने के बजाय, आइए हम हमेशा वो चीजों को खोजने का प्रयत्न करें जिनसे हम आभारी हो सकें, परमेश्वर का भय मानते हुए उनकी आज्ञाओं और व्यवस्थाओं का पालन करें, और जहां कहीं भी मेमना जाता है वहां उनका पालन करें, ताकि हमारे कार्यों का अभिलेख अनुग्रहपूर्ण कामों से भर जा सके। परमेश्वर ने हमसे कहा कि संसार के नमक और ज्योति बनो, इसलिए आइए हम संसार के लोगों का सही पथ पर नेतृत्व करें और समय या असमय हमेशा सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन उठाने का प्रयास करते हुए पूरे संसार को बचाएं। ऐसा करके आइए हम अपने स्वर्गीय अभिलेखों को सुंदर कार्यों से भर दें।