
सदी के एक महान आविष्कारक थॉमस एडिसन का मरणोपरांत स्मरण करने के लिए पूरे अमेरिका के लोगों ने एक मिनट तक बिजली के बल्ब को बन्द किया। इसके पीछे यह मकसद था कि लोग बल्ब के आविष्कार का फायदा महसूस करें और उसके लिए धन्यवाद दें।
तब, क्या हमने कभी परमेश्वर को स्वर्ग की और धरती पर की सब सृजी हुई वस्तुओं का संचालन करने के लिए धन्यवाद दिया है? एक लीडिंगडॉक्यूमेंट्री चैनल के द्वारा बनाए गए एक वर्चुअल सिनेरियो के अनुसार, यदि 1,600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी धुरी पर घूमनेवाली पृथ्वी पूरी तरह रुक जाए, तो छह महीनों तक दिन रहेगा, और रात भी छह महीनों तक रहेगी। दिन के समय जब सूरज की तेज रोशनी पृथ्वी की सतह पर सीधे पड़ेगी, तो दिन को तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ेगा, और रात को तापमान शून्य से 55 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिरेगा। हम सिर्फ एक उदाहरण से ही जान सकते हैं कि यदि पृथ्वी सिर्फ थोड़ी देर तक चलने से रुक जाए, तो उसका परिणाम सिर्फ असुविधा होने मात्र से खत्म नहीं होगा। मानवजाति का बचना असंभव होगा।
बहुत बार, हम उसे भूल जाते हैं जो आंखों से दिखाई नहीं देता। लेकिन हमें पृथ्वी के लिए धन्यवाद देना चाहिए जो हर दिन बिना किसी त्रुटि के व्यस्ततापूर्वक घूमती रहती है। दिन प्रतिदिन हमें परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने अंतरिक्ष की सभी चीजों को बनाया है, और जो मानवजाति की मृत्यु और जीवन को अपने हाथ में रखते हैं और सिर्फ हमारी आत्माओं के उद्धार के लिए आज भी बिना आराम किए काम करते हैं।
“(परमेश्वर का धन्यवाद करो जिन्होंने) दिन पर प्रभुता करने के लिए सूर्य को बनाया, उसकी करुणा सदा की है; और रात पर प्रभुता करने के लिए चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।”भज 136:8-9