आम तौर पर लोग सोचते हैं, ‘मैं इसलिए हंसता हूं, क्योंकि मैं खुश हूं; मैं इसलिए कांपता हूं, क्योंकि मैं डरा हुआ हूं; मैं इसलिए नाक–भौं सिकोड़ता हूं, क्योंकि मैं थका हुआ हूं।’ लेकिन इससे विपरीत दावा किया गया। अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स और डैनिश मनो वैज्ञानिक कार्ल लैंग ने लगभग एक ही समय में जेम्स–लैंग सिद्धांत पेश किया। इस सिद्धांत के अनुसार, आप खुश होने के कारण नहीं हंसते या उदास होने के कारण नहीं रोते, लेकिन आप हंसने के कारण खुश होते हैं और रोने के कारण उदास होते हैं। दूसरे शब्दों में, भावनाओं से शारीरिक क्रियाएं शुरू नहीं होतीं, परन्तु शारीरिक क्रियाओं से भावनाएं शुरू होती हैं।

इस मनोवैज्ञानिक सिद्धांत को समझना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन यह आज आधुनिक समाज में तनावपूर्ण जीवन जी रहे लोगों के लिए उपयोगी तरीका है, क्योंकि वे इससे अपने क्रोध को नियंत्रित कर सकते हैं। यदि आपको गुस्सा आए, तो इससे पहले कि आप गुस्से में आकर भड़क उठें, गहरी सांस लीजिए, अपने लाल और गर्म चेहरे को शांत कीजिए, और अपने दिल की तेज धड़कनें कम होने का इंतजार कीजिए। एक बार क्रोध से होने वाली शरीर की प्रतिक्रिया गायब हो जाए, तो उस स्थिति में आपके लिए क्रोधित होना मुश्किल होगा।
बाइबल ने कहा है कि हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की संतान हैं। इसहाक का मतलब है, “हंसी”(गल 4:28; उत 17:19)। भले ही अब कुछ नहीं है जो हमें इसी वक्त हंसाता हो, लेकिन आइए हम पहले हंसने की कोशिश करें ताकि परमेश्वर के द्वारा हमें दिए गए नाम के योग्य बन सकें।
आइए हम अपनी सामान्य दिनचर्या में पहले अपने चेहरे पर खुशी की मुस्कान लाएं। तब ही, आपको महसूस होगा कि आपका हृदय खुशी से उछलने लगा है और आपके भीतर धन्यवाद की भावना उमड़ आ रही है।