
जीवन एक बहती हुई नदी के समान है। एक नदी समतल भूमि पर शांत और मृदु होती है, लेकिन जब वह एक जलप्रपात से मिलती है, तो पानी का प्रवाह तेज हो जाता है, और वह अथाह सीधी चट्टान से नीचे गिरती है। उसी तरह से, हमारा जीवन भी आराम से चलता है लेकिन कभी-कभी वह किसी अनपेक्षित ढलान से मिलता है।
नायग्रा परिस्थिति का लक्षण(Niagara Syndrome) भी वही है जहां जीवन के संकटकाल को एक बड़े जलप्रपात से तुलना किया जाता है। यह ऐसी परिस्थिति को सुचित करता है जिसमें लोग स्पष्ट उद्देश्यों और विचारधारा के बिना संसार के प्रवाह में चलते हुए अचानक आनेवाले संकटकाल में छटपटाते और संघर्ष करते हैं।
जीवन किसी तालाब के समान नहीं जो अपनी जगह पर स्थायी रहता है, इसलिए हम अपने जीवन के छोटे और बड़े संकटकाल को टाल नहीं सकते। हालांकि, यदि हम जीवन के अर्थ को जान लें, एक उद्देश्य बनाएं, और उसकी ओर दौड़ लगाएं, तो उससे हमें ऐसी शक्ति मिलेगी जो हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानने देगी। यदि हम किसी कठोर और टेढ़े मार्ग पर भी विजयी होने के लिए तैयार हैं, तो एक जलप्रपात कोई डरने की वस्तु नहीं रहेगा, लेकिन केवल एक द्वार बन जाएगा जिसमें से होकर हम अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे।