अमेरिका के इतिहास में “अंडरग्राउंड रेलरोड(Underground Railroad)” के मार्गदर्शकों को नायकों के रूप में देखा जाता है। इसका कारण यह है कि उन्होंने बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना शुद्ध मन और प्रेम भाव से गुलामों को आजाद करने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी ।
1600 के दशक से 1865 तक अमेरिका में काले लोगों को गुलाम बनाकर रखने की प्रथा थी। 1800 के दशक में अमेरिका के उत्तरी राज्यों में गुलामी की प्रथा को गैरकानूनी घोषित किया गया, लेकिन दक्षिण राज्यों के कानून में गुलामी की प्रथा को मान्यता प्राप्त थी। इस अवधि के दौरान, बहुत से गुलामों ने आजादी से जीने के लिए उत्तरी राज्यों की ओर भागने की कोशिश की, लेकिन ऐसा करना अत्यधिक कठिन था। इन गुलामों को आजादी दिलाने में सहायता करने के लिए, बहुत से आजाद सफेद और काले लोगों ने “अंडरग्राउंड रेलरोड” कहा जाने वाला एक संगठन बनाया और एक साथ मिलकर काम किया। अंडरग्राउंड रेलरोड एक गोपनीय संगठन था जो गुलामों को सुरक्षित रूप से उत्तरी राज्यों की ओर भागने में मदद देता था। वे गुलामों के भागने के मार्ग को “ट्रेल्स(trails)” कहते थे, गुलामों को छिपाने के मकान को “स्टेशन(station)” कहते थे और उत्तर की ओर सुरक्षित रूप से गुलामों के समूह का मार्गदर्शन करने वाले लोगों को “कंडक्टर(conductor)” कहते थे।
यह काम बेहद खतरनाक था, इसलिए रेलरोड के मार्गदर्शक गुलामों को आजादी दिलाने के लिए कई बार अपनी जान तक खतरे में डालते थे। वे गुलाम, जो पहले उत्तर की ओर भागकर बच निकले थे, दुबारा गुलाम बनने या मारे जाने का खतरा उठाते हुए भी अन्य गुलामों को आजाद करने के लिए दक्षिण में वापस आते थे।
उन “मार्गदर्शकों” में से हैरिएट टबमैन सबसे प्रसिद्ध और सबसे सम्मानित मार्गदर्शक के रूप में माना जाता है। वह भी पहले एक गुलाम थी जो उत्तर की ओर भाग गई थी। वह वहां बिना किसी परेशानी के आराम से अपनी बाकी जिन्दगी बिता सकती थी। हालांकि, वह स्वेच्छा से दूसरे लोगों को आजाद करने के लिए जोखिमों से रूबरू होते हुए दर्जनों बार दक्षिण को लौट आई। हैरिएट को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर इनाम राशि 40,000 डॉलर रखी गई थी, इसलिए दक्षिण के सफेद लोग उसको तलाश रहे थे। इससे हैरिएट ने अपने जीवन को खतरे में बार बार डाला। इस तरह के खतरों ने भी उसको धीमा पड़ने नहीं दिया। उसने लोगों की आजादी की ओर अगुवाई करने के मिशन को मेहनत और ईमानदारी से उठाया।
ऐसा लगता है कि गुलाम अपने जीवन और आजादी की जितनी परवाह करते थे, उससे बढ़कर टबमैन उनकी परवाह करता था। गुलामों को उत्तर की ओर ले जाने के दौरान जब उनके अंदर एक डर की भावना घर कर जाती थी, और जब वे अपने मालिक के पास और अपनी गुलामी के जीवन में वापस लौट जाना चाहते थे, तब वह उन्हें फटकारती थी या जोर–जबर्दस्ती आगे रवाना करती थी, और आखिरकार वह उन्हें आजादी का आनंद पाने देती थी। यद्यपि गुलामों के पास सिर्फ “धन्यवाद” शब्द के अलावा उसे वापस देने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन उसने अपनी सारी पूंजी भी उनकी आजादी के लिए लगा दी। उसके बलिदान के कारण 300 से भी अधिक गुलाम स्वतंत्रता प्राप्त कर सके।
सिर्फ हैरिएट टबमैन ही नहीं, परंतु बहुत से लोगों ने गुलामों को आजादी दिलाने के लिए जोखिमों से रूबरू होते हुए अपना जीवन समर्पित किया और अपनी खुद की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। वे अब सभी लोगों के द्वारा नायकों के रूप में माने जाते हैं।
जब मैं इस इतिहास के बारे में सीख रही थी, मैं स्वर्गीय पिता और माता के बारे में सोचने को विवश हुई। पिता स्वेच्छा से हम आत्मिक गुलामों को पाप और मृत्यु से आजादी देने के लिए स्वर्ग की महिमा छोड़कर इस पृथ्वी पर आए। यद्यपि पिता स्वयं आजाद थे और किसी भी दायित्व के अधीन नहीं थे, फिर भी वह अपनी जान का जोखिम उठाते हुए दूसरी बार भी आए। पिता को इस पृथ्वी पर आने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उन्हें स्वर्ग में रहना चाहिए था और बिना मुश्किलों के, कठिनाइयों के या किसी भी दर्द को सहे बिना आरामदायक जीवन जीना चाहिए था। लेकिन पिता ने हमारी छुड़ौती के लिए अपने प्राण दे दिए ताकि हम मृत्यु से आजाद हो सकें।
जिस प्रकार बाइबल कहती कि, “तुम्हारा छुटकारा चांदी–सोने अर्थात् नाशवान वस्तुओं के द्वारा नहीं हुआ पर निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने, अर्थात् मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ है,” पिता ने हमें छुटकारा देने के लिए पैसे नहीं चुकाए। बजाए इसके, उन्होंने अपना जीवन देकर हमें मृत्यु से आजाद किया। वह स्वतंत्र व्यक्ति कौन होगा जो स्वेच्छा से एक गुलाम को बचाने के लिए अपना जीवन दे दे?
आज अमेरिका में अंडरग्राउंड रेलरोड के मार्गदर्शकों को नायकों के रूप में माना जाता है और प्रशंसा और सम्मान दिया जाता है। हालांकि, जब स्वर्गीय पिता हमें बचाने के लिए पृथ्वी पर आए, तब कौन था जिसने हमारे नायक के प्रति आदर और आभार प्रदर्शित करते हुए उनका स्वागत किया? क्या कुकर्म करने वालों ने पिता पर झूठा आरोप और दोष नहीं लगाया जैसा कि उन्होंने कुछ गलत किया हो? पिता के साथ उपेक्षापूर्ण बर्ताव किए जाने के बावजूद पिता ने कभी शिकायत नहीं की, लेकिन धैर्य और मेहनत से हम आत्मिक पापियों को पाप से आजाद करने का प्रयास किया। स्वर्गीय माता भी जो स्वतंत्र हैं, चाहे वह किसी बंधन से बंधी हुई नहीं हैं, लेकिन सिर्फ अपनी उन सन्तानों की आजादी के लिए जो पाप के गुलाम बन गए हैं, पापी का वस्त्र पहनते हुए सभी कठिनाइयों और पीड़ाओं को सह रही हैं। पिता और माता के ऐसे बलिदान के कारण, बहुत सी आत्माएं जो मृत्यु की ओर जा रही थीं, आजादी पा सकीं।
हम उन परमेश्वर को जिन्होंने हमें आजाद किया है, “धन्यवाद” देने के अलावा कुछ नहीं दे सकते। भले ही परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से आजाद किया है, लेकिन हम कभी–कभी शर्मनाक तरीके से पिछले पाप के दासत्व में वापस लौट जाने की आशा करते हुए वापस दुनिया की ओर देखना जारी रखते हैं। हालांकि, हमारे आजाद होने की परवाह हमसे भी कहीं ज्यादा करते हुए, पिता अपनी सत्य की पुस्तकों में छोड़े गए अनंत जीवन के बहुमूल्य वचनों के द्वारा हमारा ध्यान रखते हैं, और माता भी अपने जीवन के वचनों के साथ हमें प्रोत्साहन और साहस देती हैं।
परमेश्वर ने मृत्यु के लिए नियत की गई अनेक आत्माओं को अपने असीम बलिदान के द्वारा मुक्त किया है। अब मैं परमेश्वर को जो हमें बचाने के लिए पृथ्वी पर आए हैं, पर्याप्त धन्यवाद न दे पाने की अपनी कमी को पूरा करना चाहती हूं। मैं वापस पीछे मुड़कर इस दुनिया को अब और अधिक नहीं देखूंगी, लेकिन स्वर्गीय राज्य की ओर जाने के लिए जोर दूंगी। मैं पिता की इच्छा के अनुसार स्वर्गीय माता का पालन करूंगी और अपने स्वर्गीय घर आजादी की दुनिया में वापस जाने के दिन तक, हमेशा खुश होते हुए और धन्यवाद करते हुए यत्न से सुसमाचार का प्रचार आनंद से करूंगी। स्वर्गीय पिता और माता! आप सचमुच हमारे नायक हैं। कृपया हमारी ओर से अनंत धन्यवाद और प्रशंसा ग्रहण कीजिए!