एथलीटों की मजबूत मांसपेशियों का निर्माण एक दिन में नहीं होता। शारीरिक शक्ति को मजबूत बनाने और कौशल सुधारने के लिए वे लगातार खुद को प्रशिक्षित करते हैं। जब वे मांसपेशियों की सबसे ऊपरवाली सीमा पर काबू पाते हैं, तब उन्हें अपने प्रयासों का फल दिया जा सकता है। मांसपेशियों की सबसे ऊपरवाली सीमा तक पहुंचने का समय वह समय है जब आप अपनी शक्ति का और अधिक उपयोग नहीं कर सकते। जब आप मांसपेशियों की सबसे ऊपरवाली सीमा तक पहुंचें, तब मांसपेशियों के ऊतक, जो कसकर एक साथ बांधे गए हैं, ढीले पड़ जाते हैं या दर्द से फट जाते हैं। लेकिन फटी हुई मांसपेशियां थोड़े समय में ठीक हो जाती हैं। यदि हम ठीक हुई मांसपेशियों का फिर से उपयोग करें, तो वे फिर से फटती हैं और फिर से फटी हुई मांसपेशियां ठीक होती हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा, उनकी सबसे ऊपरवाली सीमा धीरे–धीरे बढ़ती है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति जो मुश्किल से 10 पुश अप मार सकता है, वह अगले दिन 12 बार कर सकता है, परसों 15 बार कर सकता है, और कुछ दिनों के बाद 17 बार कर सकता है। अपनी मांसपेशियों को अधिक भार देकर, हम थोड़ा–थोड़ा करके सबसे ऊपरवाली सीमा को बढ़ा सकते हैं। इसलिए हमें दर्द को पीड़ा मानने की जरूरत नहीं है।
हमारे मनों की भी सबसे ऊपरवाली सीमा होती है। जब हम सीमा को महसूस करें जहां हम हृदयविदारक दुख को और अधिक बर्दाश्त नहीं कर सकते, तब हमें निराश या हताश होने की जरूरत नहीं है। यह इसलिए है क्योंकि हमारे मन उतने अधिक कठोर बनेंगे जितने हम चोट खाते हैं, और आनेवाले कल की सीमा आज की तरह नहीं होगी।