परमेश्वर और हमारे बीच संबंध

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परमेश्वर हमें “मेरी प्रजा”, “मेरी संतान” कहते हैं। इसका बड़ा महत्व है। मान लीजिए कि एक मछली है जो मछली की दुनिया में अन्य मछलियों पर एक अच्छा शासक बनने के लिए बुद्धिमान और उदार है। चाहे वह मछली कितनी भी प्रतिभाशाली क्यों न हो और उसके नेतृत्व के लिए उसका कितना ही सम्मानित और आदर क्यों न किया जाता हो, यह मानवीय दृष्टिकोण से निरर्थक है। उसी प्रकार, चाहे हम कितना भी उदार, प्रतिभाशाली और शिक्षित क्यों न हों, जब परमेश्वर के दृष्टिकोण से मानव दुनिया देखी जाए, तो जब तक हम परमप्रधान परमेश्वर से रिश्ता न रखें तब तक हम उनके लिए कुछ भी नहीं हैं।

परमेश्वर ने हम पर, जो कीड़े के समान हैं दया की है, और हमें वाचा, व्यवस्था और विधियों के माध्यम से अपनी प्रजा, यानी अपनी संतान होने दिया है। परिणाम स्वरूप, हमने उद्धार और अनन्त जीवन पाए हैं। हमें परमेश्वर के साथ मजबूत रिश्ता बनाए रखना चाहिए ताकि इस दुनिया में कोई भी हमें परमेश्वर से अलग न कर सके(अय 25:4-6; रो 8:35)।

“मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं”

जब एक देश में युद्ध छिड़ जाता है, तो अन्य देशों के लोग इस बात से ज्यादा चिंतित नहीं होते कि युद्ध में कितने लोग मारे जाते हैं, जब तक कि उनके परिवार के सदस्य या परिचित उस देश में न रहें। वे चिंतित नहीं हैं क्योंकि उनका युद्ध में लोगों के साथ कोई संबंध नहीं है। उसी प्रकार, चाहे एक मनुष्य कितना ही बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और बलवान क्यों न हो, यदि उसका परमेश्वर से कोई संबंध नहीं हो, तो वह परमेश्वर के लिए कुछ भी नहीं और स्वर्ग से दूर हो जाएगा।

इसलिए परमेश्वर से हमारा रिश्ते को बनाए रखना आवश्यक है। यीशु ने हमें सिखाया है कि परमेश्वर की व्यवस्थाओं का पालन करने के द्वारा हम परमेश्वर से रिश्ता बनाए रख सकते हैं।

तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पांव धोने और जिस अंगोछे से उसकी कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा। जब वह शमौन पतरस के पास आया, तब पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पांव धोता है?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो मैं करता हूं, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।” पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा!” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” शमौन पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, तो मेरे पांव ही नहीं, वरन् हाथ और सिर भी धो दे।” यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे पांव के सिवाय और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं, परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है…” यूह 13:5-10

फसह के पर्व पर, जब यीशु अपने चेलों के पांव धोने वाले थे, तब पतरस ने यीशु से सम्मान के साथ कहा, “तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसने सोचा कि किसी उच्च वर्ग के व्यक्ति का निम्न वर्ग के लोगों के पांव धोना उचित नहीं। परन्तु, यीशु ने सीधे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।”

“मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” ये सच में डरावने शब्द हैं। क्या होगा यदि पतरस का यीशु के साथ कोई साझा नहीं है? चाहे वह यीशु पर कितना भी उत्साहपूर्वक विश्वास क्यों न करे और सुसमाचार के लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करे, फिर भी उसका प्रयास परमेश्वर के राज्य के लिए की गई मेहनत नहीं होगी लेकिन वह केवल अपनी संतुष्टि के लिए की गई मेहनत होगी। इसलिए यीशु ने कठोर शब्दों से पतरस की गलती को सुधारा।

चाहे मछली जितनी भी मेहनत करे, मानव दुनिया से उसका कोई लेना-देना नहीं है। उसी प्रकार से, यदि परमेश्वर के साथ हमारा कोई साझा नहीं हो, तो हमारे विश्वास का जीवन और हमारे सभी प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे। यह दिखाता है कि परमेश्वर से हमारा रिश्ता महत्वपूर्ण है।

वाचा की नींव पर बनाया हुआ रिश्ता

परमेश्वर ने वाचा की मजबूत डोर से अपनी दुनिया को मानव दुनिया से जोड़ दिया है, जिसका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं था। परमेश्वर ने पुराने नियम के समय में पुरानी वाचा की डोर से और नए नियम के समय में नई वाचा की डोर से हमारे साथ रिश्ता बनाया है। आइए हम बाइबल से इसकी पुष्टि करें कि जो वाचा परमेश्वर ने स्थापित की है, वह हमें परमेश्वर से जोड़ती है।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है। सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है। हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी; और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी। वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर के आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा: “मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बांधी है!” भज 50:1-5

परमेश्वर कहते हैं कि उनके भक्त वे हैं जिन्होंने बलिदान, यानी आराधना चढ़ाकर परमेश्वर से वाचा बांधी है। हम परमेश्वर से उनकी विधि, व्यवस्था और आज्ञा से कसकर बांधे गए हैं। इसलिए, परमेश्वर द्वारा दी गई हर वाचा मूल्यवान है। नियत समय पर दैनिक प्रार्थना, साप्ताहिक सब्त और तीन बार में सात वार्षिक पर्व जैसी परमेश्वर की सारी वाचाएं और विधियां अति महत्वपूर्ण हैं।

मैं उनको मिस्र देश से निकालकर जंगल में ले आया। वहां उनको मैं ने अपनी विधियां बताईं और अपने नियम भी बताए कि जो मनुष्य उनको माने, वह उनके कारण जीवित रहेगा। फिर मैं ने उनके लिये अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिन्ह ठहरें; कि वे जानें कि मैं यहोवा उनका पवित्र करनेवाला हूं। यहेज 20:10-12

परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने अपने और हमारे बीच एक चिन्ह के रूप में सब्त दिया। यह दिखाता है कि हम सब्त के जरिए परमेश्वर से रिश्ता बनाए रख सकते हैं। सब्त और फसह समेत नई वाचा की व्यवस्थाएं और विधियां जिन्हें हम आज मनाते हैं, परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को साबित करने का अति विश्वसनीय प्रमाण हैं। इसलिए हमें परमेश्वर द्वारा दिए गए वाचा के वचनों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

नई वाचा के जरिए परमेश्वर ने हमें अपनी प्रजा बनाई है

परमेश्वर ने कहा है कि वह हमारे मन में नई वाचा की व्यवस्था समवाएंगे, और वह उन लोगों का परमेश्वर ठहरेंगे जिनके पास नई वाचा है। आइए हम परमेश्वर के प्रयोजन को देखें जो हमें वाचा के द्वारा आशीष देते हैं।

“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा… परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” यिर्म 31:31-34

विवाह से पहले पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए अजनबी हैं और उन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं होता। लेकिन, एक बार उनके बीच पति-पत्नी का रिश्ता बन जाता है, तब से वे एक-दूसरे के जीवन को अपने व्यक्तित्व, व्यवहार और अन्य सभी चीजों से प्रभावित करते हैं। वैसे ही, हम एक बार पाप के कारण परमेश्वर से अलग हो गए थे, परन्तु अब हम नई वाचा के सत्य के जरिए परमेश्वर से जुड़े हुए हैं; वह हमारे माता-पिता हैं और हम उनकी संतान हैं। नई वाचा के द्वारा, परमेश्वर से हमारा अटूट रिश्ता है: परमेश्वर हमारे पिता और माता बने हैं और हम उनकी संतान बने हैं। इसलिए, हम दुनिया में सबसे धन्य लोग हैं।

कुछ लोग मनुष्यों के नियम जिनका बाइबल में उल्लेख नहीं है मनाते हुए सोचते हैं कि उनका परमेश्वर से रिश्ता है। लेकिन, वह ही इसे अंगीकार करने से अलग नहीं है कि उनका परमेश्वर के साथ कोई साझा नहीं है। चूंकि वे परमेश्वर की वाचा नहीं परन्तु मनुष्य द्वारा बनाए गए नियम मनाते हैं, इसलिए यीशु उनसे कहते हैं, “मेरे साथ तुम्हारा कोई साझा नहीं है।”

जिन लोगों के पास नई वाचा नहीं है उनका परमेश्वर के साथ कोई साझा नहीं, और वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने परमेश्वर का मांस और लहू विरासत में नहीं पाया है। इसलिए, यद्यपि वे दिन-रात प्रार्थना करें और प्रत्येक आराधना में सम्मिलित हो जाएं, वे कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। यीशु उन्हें व्यवस्था का उल्लंघन करनेवाले कहते हैं और यह भी कहते हैं, “मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ”(मत 7:21-23)।

भले ही हम बाइबल का पालन करते हैं, लेकिन जो लोग इस तथ्य को महसूस नहीं करते वे हमें तुच्छ समझते हैं और हमारे विश्वास का उपहास करते हैं। यह वैसा ही है जैसे नशे में धुत एक व्यक्ति पुल पर चलते हुए पानी पर चंद्रमा का प्रतिबिंब देखता है और मूर्खता से सोचता है कि वह चंद्रमा से ऊंचे स्थान पर खड़ा है।

हम परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियां हैं जो वाचा के जरिए परमेश्वर से जुड़े हुए हैं, और वे जो व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं उनका परमेश्वर के साथ कोई साझा नहीं है। चाहे वे कुछ भी कहें, हमें विश्वास में डगमगाना नहीं चाहिए। इसके बजाय, हमें परमेश्वर की प्रतिज्ञा को अपने हृदय पर गहराई से उत्कीर्ण करना और नई वाचा के सत्य का साहस के साथ प्रचार करना चाहिए।

परमेश्वर के लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हैं

जो लोग मनुष्यों के नियम मनाते हैं, उनके पास उद्धार की कोई प्रतिज्ञा नहीं है, परन्तु जो लोग परमेश्वर की आज्ञाओं, व्यवस्थाओं और विधियों को मानते हैं, उनके लिए स्वर्ग के राज्य की आशीष तैयार की गई है। इसलिए बाइबल कहती है कि जो पवित्र आत्मा के युग में बचाए जाएंगे वे वही हैं जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हैं।

फिर मैं ने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हजार जन हैं, जिन के माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है। और स्वर्ग से मुझे एक ऐसा शब्द सुनाई दिया जो जल की बहुत धाराओं और बड़े गर्जन का सा शब्द था, और जो शब्द मैं ने सुना वह ऐसा था मानो वीणा बजानेवाले वीणा बजा रहे हों। वे सिंहासन के सामने और चारों प्राणियों और प्राचीनों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। उन एक लाख चौवालीस हजार जनों को छोड़, जो पृथ्वी पर से मोल लिए गए थे, कोई वह गीत न सीख सकता था। ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुंवारे हैं: ये वे ही हैं कि जहां कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं… पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं। प्रक 14:1-4, 9-12

प्रेरित यूहन्ना ने दर्शन में देखा कि पृथ्वी पर से मोल लिए गए संत सिय्योन पर्वत पर मेम्ने के साथ खड़े हैं और उसे दर्ज किया। उसने पवित्र आत्मा के युग में बचाए जाने वाले परमेश्वर के पवित्र लोगों का वर्णन, “जहां कहीं मेम्ना जाता है उसके पीछे-पीछे होने वाले” और “जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं” के रूप में किया। वे वही लोग हैं जो परमेश्वर द्वारा दी गई नई वाचा की डोर को अपने जीवन से भी मूल्यवान मानते हैं और उसे अंत तक थामे रहते हैं। बाइबल दिखाती है कि वे अनन्त उद्धार प्राप्त करने में सक्षम हैं क्योंकि वे दूसरी बार आए हुए यीशु के प्रति दृढ़ विश्वास के साथ परमेश्वर की आज्ञाओं को पूरी तरह से रखते हैं और जहां कहीं परमेश्वर उन्हें ले जाते हैं आज्ञाकारी होकर उनका पालन करते हैं।

दुनिया में बहुत से लोग सोचते हैं कि पृथ्वी पर उनका जीवन सब कुछ है, और वे पृथ्वी की चीजों पर आशा रखते हैं। लेकिन, हम अनन्त स्वर्ग के राज्य की आशा रखते हैं। इसलिए, जब तक हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करते, तब तक हमें परमेश्वर की आज्ञाओं और वाचाओं का पूरी तरह से पालन करना, उससे घृणा करना जिससे परमेश्वर घृणा करते हैं और उससे प्रेम रखते हुए जिससे परमेश्वर प्रेम रखते हैं उसे अपने जीवन में खुशी से अपनाना चाहिए, ताकि हम परमेश्वर से अविभाज्य आत्मिक रिश्ता बनाए रख सकें। पवित्र आत्मा के युग में भविष्यवाणी के नायक के रूप में, आइए हम जहां कहीं मेम्ना जाता है, अंत तक उसके पीछे हो लें।

परमेश्वर अपनी प्रिय संतानों को अनुशासित करते और उन्हें आशीष देते हैं

स्वर्ग में अपने किए हुए पापों के कारण, हम परमेश्वर से अलग किए गए। उनके और हमारे बीच के रिश्ते, यानी माता-पिता और संतानों के बीच के रिश्ते को बहाल करने के लिए परमेश्वर ने वाचा स्थापित की है। स्वर्गीय पिता और माता हमारे आत्मिक माता-पिता हैं और हम उनकी संतान हैं। चूंकि परमेश्वर के साथ हमारा ऐसा मजबूत रिश्ता है, हमें बाइबल के वचनों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

अगर कोई अजनबी अशिष्ट व्यवहार करता है या कुछ बुरा कहता है, तो लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, और वे बस उसके पास से गुजरते हैं। परन्तु यदि उनकी संतान वैसा करें, तो वे उन्हें अनुशासित करके या फटकार लगाकर उनके गलत व्यवहार को सुधारने का प्रयास करेंगे। पहले हमारे लिए पापों के कारण मरना नियुक्त किया गया था और परमेश्वर से हमारा कोई रिश्ता नहीं था। लेकिन, अब नई वाचा के जरिए परमेश्वर के साथ हमारा साझा है। चूंकि हम परमेश्वर की संतान हैं, जब हम उनके वचनों का पालन नहीं करते तब परमेश्वर हमें अनुशासित करते हैं जैसा उन्होंने पतरस के साथ किया था, तथा जब हम उनके वचनों का पालन करते हैं, तो वह हमारी सराहना करते और हमें महान आशीष देते हैं।

यदि दुनिया में अविश्वासी परमेश्वर के तरीकों और शिक्षाओं के अनुसार न जीएं, तो परमेश्वर अंतिम न्याय के दिन तक उनके सभी बुरे कामों के लिए उन्हें दंडित करने को टालते हैं। लेकिन क्या होगा यदि हम उद्धार की अभिलाषा से सत्य का नगर, सिय्योन में वापस आते हुए भी भटक जाएं या झूठ से भरमाए जाएं? तब परमेश्वर हमें सही रास्ते पर वापस आने का अवसर देने के लिए अनुशासित करते हैं(इब्र 12:5-9)। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से, हम अपने जीवन में बदलाव ले आते हैं; हम पहले शरीर से बंधे हुए थे, परन्तु अब हम स्वर्ग की अभिलाषा करते हैं। लेकिन परमेश्वर उन लोगों की कोई परवाह नहीं करते परन्तु उन्हें छोड़ देते हैं, जो परमेश्वर के बहुत से अवसर देने पर भी अपने दुष्ट मार्ग से नहीं फिरते। यह उनकी आत्माओं के लिए सबसे खतरनाक क्षण है।

परमेश्वर हमें अपनी आज्ञा और व्यवस्था का पालन करने को कहते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह हमें अनुशासन के नियमों के रूप में उनका अंधाधुंध पालन करवाना चाहते हैं। सब कुछ जो परमेश्वर ने स्थापित किया है, चाहे वह एक आज्ञा हो या वाचा, उसमें हमारे प्रति परमेश्वर का गहरा प्रेम समाया हुआ है। हमें परमेश्वर का अति आभारी होना चाहिए जिन्होंने हमें बचाने के लिए आज्ञा, व्यवस्था और विधि प्रदान की और वाचा में रहने की अनुमति दी है।

सामरिया और पृथ्वी की छोर तक, पूरी दुनिया भर में केवल हम ही ऐसे लोग हैं जिनका वाचा के जरिए परमेश्वर से रिश्ता है। दुनिया में अभी भी बहुत से लोग हैं जिनका परमेश्वर से कोई रिश्ता नहीं है। आइए हम उनकी उद्धार के मार्ग पर अगुवाई करें, ताकि वे भी मसीह के मांस और लहू से अपने आत्मिक माता-पिता के साथ अपना रिश्ता बहाल कर सकें। ऐसा करते हुए जितना शीघ्र हो सके, आइए हम यरूशलेम माता को एक शुभ खबर बताएं कि विश्व सुसमाचार का कार्य आखिरकार पूरा हो चुका है।