मानव जाति का भविष्य हमारे हाथों में है

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इन दिनों, समाचार पत्र और टेलीविजन जैसे जनसंपर्क साधन हर रोज चौंकानेवाले और निराशाजनक समाचार देते हुए अंधकारमय भविष्य का पूर्वानुमान लगाते हैं। युद्ध, अकाल, विविध बीमारियां, असामान्य जलवायु परिवर्तन, विश्व अर्थव्यवस्था का पतन, और मानवता की कमी जैसी समस्याओं के संचय के कारण दिन प्रतिदिन अंधकारमय होते जा रहे मनुष्य के भविष्य को लेकर, हर क्षेत्र के विशेषज्ञ बहुत चिंतित हैं। और वे इनका उपाय खोजने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह आसान नहीं है।

वास्तव में, मानव जाति का भविष्य हमारे हाथों में है। हम में से कुछ शायद इस बात को लेकर शंका कर सकते हैं कि हम वास्तव में इतना बड़ा कार्य कर सकेंगे या नहीं, लेकिन यह तो परमेश्वर की इच्छा है। परमेश्वर ने हमें संकट में पड़ी मानव जाति को बचाने का और संसार का भाग्य तय करने का ऐतिहासिक कार्य सौंपा है। यह परमेश्वर की इच्छा है कि सिय्योन के लोग शीघ्रता से उन लोगों के पास जाकर जो अपना भविष्य न जानते हुए जी रहे हैं, और उन्हें अनन्त जीवन और उद्धार पाने का रास्ता बताकर, सभी मानव जाति को एक उज्ज्वल और महिमामय भविष्य की ओर ले जाएं।

वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की सुनें

आइए हम धनी पुरुष और लाजर के दृष्टांत के द्वारा यह जानें कि परमेश्वर द्वारा हमें सौंपा गया कार्य कितना महान और महत्वपूर्ण है।

… ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुंचाया। वह धनवान भी मरा और गाड़ा गया, और अधोलोक में उसने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाईं, और दूर से अब्राहम की गोद में लाजर को देखा। तब उसने पुकार कर कहा, ‘हे पिता अब्राहम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं।’ परन्तु अब्राहम ने कहा, ‘हे पुत्र, स्मरण कर कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएं ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएं: परन्तु अब वह यहां शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है…’ उसने कहा, ‘तो हे पिता, मैं तुझ से विनती करता हूं कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज, क्योंकि मेरे पांच भाई हैं; वह उनके सामने इन बातों की गवाही दे, ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएं।’ अब्राहम ने उससे कहा, ‘उनके पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, वे उनकी सुनें।’ लूक 16:19–29

यीशु के ऊपर के दृष्टांत में अब्राहम हमारे आत्मिक पिता परमेश्वर को दर्शाता है। धनी पुरुष नरक की पीड़ा में था, और उसने परमेश्वर से विनती की कि आत्मिक दुनिया में परिस्थिति कैसी है यह उसके भाइयों को बताने के लिए जो पृथ्वी पर रहते थे, वह लाजर को वापस पृथ्वी पर भेजें, ताकि वे नरक में न आ जाएं। तब परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने उन्हें वचन सुनाने के लिए मूसा और भविष्यद्वक्ताओं को पहले से भेजा है, इसलिए उन्हें उन्हीं की बात सुननी चाहिए।

बाइबल कहती है कि शारीरिक मृत्यु के बाद एक आत्मिक दुनिया होती है जो दो भागों में विभाजित है: स्वर्ग और नरक। जो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा प्रचार किए गए परमेश्वर के वचनों को नहीं सुनते, वे अंत में धनी पुरुष के समान नरक की अनन्त आग में जाएंगे।

इसी कारण से मानव जाति को उद्धार के मार्ग का प्रचार करने के लिए, परमेश्वर ने हमें भविष्यद्वक्ता का कार्य सौंपा है। हालांकि, लोग इसे नहीं समझते और उसके बारे में जानने की कोशिश भी नहीं करते, क्योंकि उन्होंने कभी इसका अनुभव नहीं किया है।

इस परिस्थिति में, हमें इसके बारे में सोचना चाहिए कि, हमारे लिए जिनके पास मानव जाति का भविष्य निर्धारित करने का बड़ा अधिकार है, क्या चुप रहना उचित है। यदि भविष्यद्वक्ता अपना मुंह बंद करके चुप हो जाएं, तो मानव जाति नरक की सजा से कैसे बच सकेगी? यदि हम अपने कार्य की उपेक्षा करें, तो मानव जाति का भविष्य अंधकारमय और आशाहीन होगा, लेकिन यदि हम अपना कार्य अपने पूरे मन और प्राण से करें, तो मानव जाति का भविष्य उज्ज्वल हो जाएगा।

परमेश्वर के बुलाए लोगों को सौंपा गया कार्य

उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।” गलील की झील के किनारे फिरते हुए उस ने दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछवे थे। यीशु ने उन से कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊंगा।” वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। वहां से आगे बढ़कर, यीशु ने और दो भाइयों अर्थात् जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा। वे अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधार रहे थे। उसने उन्हें भी बुलाया। वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। मत 4:17–22

यीशु ने अपने चेलों को मानव जाति का भविष्य सौंपने के लिए बुलाया और उन्हें प्रेरितों का कार्य पूरा करने दिया। जिन्हें मानव जाति का भविष्य सौंपा गया था, वे केवल पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना नहीं थे। हमें जो ऐसे पवित्र आत्मा के युग में जी रहे हैं जिसमें आखिर मानव जाति का भविष्य निश्चित होनेवाला है, परमेश्वर ने अंतिम भविष्यद्वक्ता का कार्य सौंपा है।

यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।” मत 28:18–20

“जीवन के सत्य और नई यरूशलेम माता के सुसमाचार का प्रचार करना,” इसका मतलब यह नहीं है कि हमें लोगों को सिर्फ इसकी जानकारी देना है, लेकिन यह है कि हमें लोगों को उन व्यावहारिक मामलों के बारे में बताना है जो उनकी आत्माओं से और साथ ही मानव जाति के भविष्य से सीधा संबंध रखते हैं।

इस संसार में तीन प्रकार के कार्य होते हैं, वह जो हमें करना ही चाहिए, वह जो हम कर भी सकते हैं और नहीं भी, और वह जो हमें कदापि नहीं करना चाहिए। सुसमाचार का प्रचार करना वह कार्य है जो परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए और भेजे गए लोगों को अवश्य ही करना चाहिए, और वह इस संसार में सबसे महान कार्य है।

जब परमेश्वर ने योना से कहा कि वह नीनवे जाकर वहां के लोगों को मन फिराने के लिए कहे, पहले तो वह डर गया, लेकिन अंत में उसने वह कार्य किया और नीनवे के बहुत से लोगों को बचाया। इससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सका।(योना 3:1–10) इस युग में, हम सामरिया और पृथ्वी की छोर तक सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं; हम योना की तरह कार्य कर रहे हैं।

हमें न केवल प्रचार करने का कार्य सौंपा गया है, बल्कि दुनिया का भाग्य भी सौंपा गया है। चूंकि हमारे हाथों में इतना बड़ा कार्य रखा गया है, अगर हम चुप रहें तो मानव जाति का भविष्य निराशाजनक हो जाएगा, लेकिन यदि हम पिता और माता की महिमा की ज्योति प्रकट करें और जोर से उसकी घोषणा करें तो मानव जाति का भविष्य परमेश्वर की महिमा की ज्योति के साथ उज्ज्वल हो जाएगा। हमें हर रोज परमेश्वर से आशीर्वाद और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य मांगनी चाहिए ताकि सुसमाचार दुनिया के सभी देशों और क्षेत्रों में प्रचार किया जा सके।

बाइबल में पहले से बताया गया मानव जाति का भविष्य

परमेश्वर ने मानव जाति के भविष्य को बाइबल की बहुत सी आयतों के द्वारा एक ही ढंग से भविष्यवाणी की है।

यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है; यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहां वीर दु:ख के मारे चिल्लाता है। वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और विनाश का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा। वह गढ़वाले नगरों और ऊंचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूंकने और ललकारने का दिन होगा। मैं मनुष्यों को संकट में डालूंगा, और वे अन्धों के समान चलेंगे, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; उनका लहू धूलि के समान, और उनका मांस विष्ठा के समान फेंक दिया जाएगा। यहोवा के रोष के दिन में, न तो चांदी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उसका अन्त कर डालेगा। सपन 1:14–18

बाइबल ने बहुत समय पहले से ही चेतावनी दी है कि धधकते भट्ठे का सा दिन आएगा और सब कुछ आग में जलकर नष्ट हो जाएगा।(मला 4:1–3; 2पत 3:8–13) चूंकि यह दिन आ रहा था, इसलिए यीशु ने मानव जाति को बचाने के लिए अपने चेलों को मनुष्यों के मछुओं का कार्य सौंपा, और इस युग में भी इससे पहले कि वह संकट और सकेती का दिन आ पड़े, उन्होंने हमें लोगों के पास जाकर उन्हें अनन्त स्वर्गीय राज्य की आशा और उद्धार का सुसमाचार देने का आशीर्वादित कार्य सौंपा है।

हे निर्लज्ज जाति के लोगो, इकट्ठे हो! इससे पहले कि दण्ड की आज्ञा पूरी हो और बचाव का दिन भूसी के समान निकले, और यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, तुम इकट्ठे हो। हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के माननेवालो, उसको ढूंढ़ते रहो; धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ। सपन 2:1–3

अब शायद हमारे पास मानव जाति को बचाने के लिए ज्यास समय नहीं है, इसलिए हमें उन्हें अभी बचाना चाहिए। इससे पहले कि परमेश्वर उन बातों को कार्यान्वित करें जिनकी उन्होंने चेतावनी दी थी, परमेश्वर ने हमें संसार की पश्चाताप और उद्धार की ओर अगुआई करने का एक पवित्र कार्य सौंपा है। लेकिन वास्तव में यह कोई आसान कार्य नहीं है; क्योंकि ज्यादातर लोग बाइबल की विश्वसनीय भविष्यवाणियों को परिकल्पना मानते हैं और पहले कभी उनका अनुभव न करने के कारण उन्हें नहीं समझते। बहुत से लोग उद्धार के उन हाथों से मुंह फेर लेते हैं जो हम उनकी ओर बढ़ाते हैं, और कुछ लोग तो हम सुसमाचार प्रचार करनेवालों की हंसी उड़ाते हैं और हमसे घृणा करते हैं।

हालांकि, हमें, जिन्हें इतना महान कार्य सौंपा गया है, दुनिया के लोगों पर दया करनी चाहिए और बेखटके निर्भय होकर उनके पास जाना चाहिए। यदि योना ने परमेश्वर की इच्छा का पालन न किया होता और अंत तक चुप रहा होता, तो नीनवे के 1,20,000 लोगों का क्या हुआ होता? क्या वे परमेश्वर को जान सके होते और उद्धार पा सके होते?

मानव जाति बच सकती है या नहीं, यह बात हम पर निर्भर है; हम लोगों को जितना प्रचार करते हैं उसके हिसाब से ज्यादा लोग बचाए जा सकते हैं या नहीं बचाए जा सकते। चूंकि परमेश्वर ने मानव जाति का भाग्य हमें सौंपा है, इसलिए हमें अपने कार्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

परमेश्वर की सामर्थ्य को पहनकर, सुसमाचार के प्रचारक का कर्त्तव्य पूरा करो

एक महत्वपूर्ण कार्य किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को दिया जाता है। किसी युद्धभूमि में एक सेनापति किसी ऐसे व्यक्ति को अत्यंत महत्वपूर्ण और त्वरित संदेश भेजने का कार्य नहीं सौंपेगा जो धीरे–धीरे चलता हो। और वह किसी ऐसे व्यक्ति को शत्रु की हर एक चाल पर नजर रखने का कार्य नहीं सौंपेगा जिसकी आंखों की दृष्टि कमजोर हो। उसी तरह से, परमेश्वर भी ऐसे व्यक्ति को कार्य नहीं सौंपते जो उसे करने के लिए अयोग्य हो। इस तथ्य से कि परमेश्वर ने मानव जाति को बचाने के महान कार्य के लिए हमें बुलाया है, हम समझ सकते हैं कि परमेश्वर हमें कितना मूल्यवान और महत्वपूर्ण मानते हैं।

… पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं, और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं। 1थिस 2:3–4

एलोहीम परमेश्वर की सन्तान के रूप में, हम स्वर्गीय पिता और माता पर पूर्ण रूप से विश्वास करते हैं, और हमारे पास परमेश्वर की तरह आत्मा भी है। इसी कारण से परमेश्वर ने हमें यह महान कार्य सौंपा है। इसलिए प्रेम और बलिदान देनेवाले परमेश्वर के सदृश बनने के लिए हमें पूरा प्रयास करना चाहिए। चूंकि बाइबल कहती है कि हम परमेश्वर के द्वारा सुसमाचार सौंपे जाने के योग्य ठहराए गए हैं, आइए हम उचित मानसिकता के साथ सुसमाचार के प्रचार का कार्य करते हुए, एक आत्मा को बचाने से शुरुआत करके पूरे संसार को बचाने के लिए एक–एक कदम उठाएं।

परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, और उसके प्रगट होने और राज्य की सुधि दिलाकर मैं तुझे आदेश देता हूं कि तू वचन का प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना दे और डांट और समझा। क्योंकि ऐसा समय आएगा जब लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे, पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुत से उपदेशक बटोर लेंगे, और अपने कान सत्य से फेरकर कथा–कहानियों पर लगाएंगे। पर तू सब बातों में सावधान रह, दु:ख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर, और अपनी सेवा को पूरा कर। 2तीम 4:1–5

“प्रचारकों की सेवा को पूरा कर और सुसमाचार प्रचार का काम कर।” परमेश्वर की यह सख्त आज्ञा केवल प्रथम चर्च के संतों को नहीं, लेकिन परमेश्वर की उन सभी सन्तानों को दी गई है जो अनन्त स्वर्ग के राज्य में उद्धार पाएंगी।

जब परमेश्वर हमें कुछ कार्य देते हैं, तो वह हमें सामर्थ्य भी देते हैं। हमें ऐसा सोचते हुए अपने आपको नीचा नहीं समझना चाहिए कि हम नौकरी करने वाले साधारण लोग हैं, हम कमजोर स्त्रियां हैं, या हम बहुत जवान या बहुत बुजुर्ग हैं, इसलिए हम इस महान कार्य को करने में असमर्थ हैं। परमेश्वर ने दीन मछुओं को मानव जाति को बचाने का कार्य सौंपा था और उन्हें वह कार्य करने के लिए सामर्थ्य भी दी थी। परमेश्वर के लिए, हमारी उम्र कोई समस्या नहीं है। परमेश्वर ने शमूएल को तब बुलाया था जब वह बहुत छोटा था, छोटे दाऊद ने उस गोलियत को हराया था जिससे वयस्क लोग भी डरते थे, और मूसा 80 वर्ष की आयु का होकर इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लेकर आया और जंगल में 40 सालों की लंबी यात्रा के दौरान उनकी अगुआई करता रहा। चाहे वे युवा थे या बूढ़े, पवित्र आत्मा का कार्य निश्चित रूप से हुआ था।

प्रचार करने में, प्रचार के तरीके से ज्यादा जो चीज मायने रखती है, वह हमारी मानसिकता है, और परिणाम इस बात पर निर्भर रहता है कि हम परमेश्वर की इच्छा का पालन कैसे करते हैं और कैसे उसे अभ्यास में लाते हैं। चूंकि परमेश्वर ने हमें मानव जाति के भविष्य को निर्धारित करने का बड़ा अधिकार दिया है, इसलिए वह हमें मूसा को दी गई सामर्थ्य से भी बड़ी सामर्थ्य देंगे, और चाहे कोई लड़का हो, फिर भी परमेश्वर उसे शमूएल और दाऊद को दी गई शक्ति से भी महान शक्ति देंगे।

परमेश्वर ने हमें लोगों को यह सिखाने का कार्य सौंपा है कि वे बिना देर किए जल्दी सिय्योन में आएं और यरूशलेम माता को ग्रहण करें। इसलिए हमें केवल चुपचाप बैठकर ऐसी आशा नहीं करनी चाहिए कि उद्धार का कार्य अपने आप ही पूरा हो जाए, लेकिन हमें जब तक सभी मानव जाति सत्य को ग्रहण न कर लेती तब तक हर तरह के प्रयास करने चाहिए। यीशु मसीह के जैसे जो मानव जाति के लिए क्रूस के दु:ख भी उठाने के लिए तैयार थे, हमें भी किसी तरह का प्रयास और बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यही वह सही रवैया है जो हमें संसार को बचाने देता है।

जीवन में एक सच्चा उद्देश्य बनाओ

इस पृथ्वी पर ईमानदारी से और मेहनत से जीवन जीना जरूरी है, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि हमारा ईमानदारी से जीवन जीना आखिर किसके लिए जरूरी है। सबसे पहले यह समझकर एक सच्चा उद्देश्य बनाना चाहिए। किसी उद्देश्य के बिना जीवन जीना अर्थहीन है। हालांकि, ज्यादातर लोग अपने जीवन में केवल उन्हीं चीजों के लिए उद्देश्य बनाते हैं जो उनके सामने पड़ी हुई होती हैं, और वे जीवन का कोई जवाब न पाते हुए अंधे होकर अपना जीवन जीते हैं। बहुत से लोग खुद के लिए या अपने परिवार के लिए संसार के धन और महिमा पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उनके सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। जीवन में धन, उच्च पद या महिमा एक सच्चा उद्देश्य नहीं हो सकता।

यहां तक कि सिकंदर महान भी, जो दुनिया में एक बड़ा शूरवीर कहलाया जाता है, यह पूछे जाने पर कि सब कुछ जीत लेने के बाद वह क्या करेगा, “मृत्यु” के अलावा और कोई उत्तर नहीं दे सका। हमारे बारे में क्या है? इस दुनिया से और भी ज्यादा अर्थपूर्ण दुनिया हमारी प्रतीक्षा कर रही है। इसलिए हमें इस पृथ्वी पर सिर्फ रोजी–रोटी चलाने के लिए नहीं, लेकिन अनन्त स्वर्ग के राज्य में जीने के लिए उद्देश्य बनाने चाहिए। परमेश्वर के पृथ्वी पर आने का कारण भी मानव जाति को उद्धार देना ही है, और परमेश्वर ने कहा है कि एक आत्मा को बचाना संसार को बचाना है। आइए हम अपने परिवारजनों और पड़ोसियों से आरम्भ करके बहुत सी आत्माओं की उद्धार की ओर अगुआई करें और एक सच में अर्थपूर्ण और आशीर्वादित जीवन जीएं। और आइए हम इस पृथ्वी पर भी अपना जीवन ईमानदारी से जीकर दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण छोड़ते हुए बहुत से अच्छे फल पैदा करें और पिता और माता को प्रसन्नता और महिमा दें।

एलोहीम परमेश्वर, जिनके पास स्वर्ग में और पृथ्वी पर सभी अधिकार है, हमें मानव जाति के भविष्य को तय करने का अधिकार दिया है और हमें जाने के लिए कहा है। उन्होंने हमसे यह कहते हुए कि, “मत डर, मैं तेरे साथ हूं और तेरी सहायता करूंगा,” हमें हिम्मत भी दी है। अभी भी ऐसे बहुत से देश और लोग हैं जिन्होंने अभी तक परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं सुना है। आइए हम सब उन्हें सुसमाचार का प्रचार करें, ताकि वह महिमामय दिन जल्दी से आ सके जब सारी मानव जाति उद्धार पाएगी। इस युग में सौंपे गए कार्य को एक बार फिर ध्यान में रखते हुए, आइए हम एलोहीम परमेश्वर की सन्तान के रूप में नई यरूशलेम की महिमा पूरे संसार में प्रकट करें, ताकि सारी मानव जाति स्वर्गीय माता की बांहों में उद्धार पा सके और अनन्त स्वर्ग के राज्य में सब मिलकर प्रवेश कर सके।