हमें परमेश्वर को क्या देना चाहिए?

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संसार में जीते हुए हमारे पास कुछ विशेष दिन होते हैं, जैसे कि जन्मदिवस, एडमिशन और गे्रजुएशन दिवस, शादी की सालगिरह इत्यादि। इन दिनों का परिवार के सदस्यों के लिए खास अर्थ होता है। इसलिए जब परिवार के सदस्यों में से एक सदस्य के पास कोई एक विशेष दिन होता है, तो परिवार के बाकी सदस्य यह सोचते हुए उत्सुक होते हैं कि उसके लिए क्या उपहार तैयार करें।

फिर, जब हम अपने आत्मिक घर स्वर्ग वापस जाएं, तब हमें अपने आत्मिक माता–पिता, यानी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को क्या देना चाहिए? परमेश्वर के लिए सबसे मनपसंद उपहार क्या है? हमने परमेश्वर की संतानों के रूप में अब तक सिर्फ परमेश्वर से पाया है; जीवन, प्रेम और बाकी सब कुछ पाया है। अब से हमें इसके बारे में सोचना चाहिए कि हम परमेश्वर को क्या दे सकेंगे और कैसे उन्हें प्रसन्न कर सकेंगे, और हमें उसे अमल में लाने लायक परिपक्व विश्वास रखने की जरूरत है।

परमेश्वर किससे प्रसन्न होते हैं

माता–पिता अपने बच्चों की हर चीज से प्रसन्न होते हैं। जब आप अपने माता–पिता के लिए राष्ट्रीय छुट्टी या उनके जन्मदिवस के उपहार तैयार करते हैं, तब आप सावधानी से यह सोचते हैं कि वे किससे सबसे अधिक प्रसन्न होंगे। बाइबल भी परमेश्वर की संतानों को यह परखने के लिए कहती है कि परमेश्वर किससे प्रसन्न होते हैं।

… और यह परखो कि प्रभु को क्या भाता है। अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो। इफ 5:6–11

“मैं क्या लेकर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहनेवाले परमेश्वर के सामने झुकूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक एक वर्ष के बछड़े लेकर उसके सम्मुख आऊं? क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, या तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा?…” हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? मी 6:6–8

यदि हम सच में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, तो हमें अवश्य ही यह सोचना चाहिए कि परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए हम क्या कर सकते हैं। मीका नबी हमें बताता है कि परमेश्वर हजारों मेढ़ों से या तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न नहीं होते, लेकिन वह तब प्रसन्न होते हैं जब हम न्याय से काम करें, कृपा से प्रीति रखें और उनके साथ नम्रता से चलें।

क्या हम परमेश्वर को सोने और चांदी जैसे बहुमुल्य रत्नों के खजाने से प्रसन्न कर सकते हैं, जिन्हें संसार के लोग मूल्यवान मानते हैं? ऐसी चीजें परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकतीं। पृथ्वी हमें बहुत विशाल और बड़ी दिखाई देती है क्योंकि हम उस पर रहते हैं। लेकिन पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखा जाए, तो यह पृथ्वी सिर्फ एक अत्यंत छोटा सा बिन्दु है जो मुश्किल से दिखता है। भले ही हम परमेश्वर को इस पृथ्वी की कुछ बहुत मूल्यवान चीज दें, लेकिन वह परमेश्वर के लिए कुछ नहीं है जिन्होंने पूरे अंतरिक्ष को बनाया है और उस पर शासन करते हैं।

परमेश्वर तभी प्रसन्न होते हैं जब हम उनके साथ नम्रता से चलें। परमेश्वर किसी भी चीज से अधिक हमसे यही चाहते हैं। आइए हम बाइबल के द्वारा परमेश्वर के साथ चलने और उनके कार्य में सहभागी होने का मार्ग खोजें।

परमेश्वर के इस पृथ्वी पर आने का कारण

यीशु ने कहा, “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं स्वयं भी काम करता हूं(यूह 5:17)।” आइए हम यह सही तरह से जानें कि इस पृथ्वी पर आने के बाद परमेश्वर ने खुद को किस चीज में समर्पित किया, ताकि हम परमेश्वर के साथ चल सकें और उन्हें प्रसन्न कर सकें।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है। लूक 19:10

“… क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।” मत 9:13

यीशु ने स्वयं कहा कि उनके इस पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में आने का कारण है, खोए हुओं को ढूंढ़ना और उनका उद्धार करना। और साथ ही उन्होंने कहा कि वह पापियों को बुलाने आए। यीशु के वचनों का विचार करके हम देख सकते हैं कि लूका के 19वें अध्याय में “खोए हुए लोग” पापियों को दर्शाते हैं जिन्हें स्वर्ग में परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने के परिणामस्वरूप इस पृथ्वी पर गिरा दिया गया था। परमेश्वर नीचे इस पृथ्वी पर अपनी उन संतानों को बचाने के लिए आए जो पाप के कारण स्वर्ग से खो गए थे।

मैं तुम से कहता हूं कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानबे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं। लूक 15:7

यीशु के इस वचन के द्वारा स्पष्ट रूप से हम यह जान सकते हैं कि परमेश्वर सबसे अधिक किससे प्रसन्न होते हैं। यीशु ने कहा, “किसी एक मन फिराने वाले पापी के लिए, उन निन्यानबे धर्मी पुरुषों से, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं है, स्वर्ग में कहीं अधिक आनन्द मनाया जाएगा।” इसलिए जो चीज हमें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए देनी चाहिए, वह पापियों की अगुवाई मन फिराव की ओर करना है। परमेश्वर उस समय सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं जब उनकी संतान जिन्हें भोर के चमकनेवाले तारे, उषाकाल के पुत्र से भरमाए जाने के कारण इस पृथ्वी पर फेंक दिया गया था, फिर से पश्चाताप करती हैं और स्वर्गीय घर वापस आती हैं। और परमेश्वर की आंखों में इससे सुन्दर और कुछ नहीं है कि उनकी संतान जिन्होंने पश्चाताप किया है, उनके साथ नम्रता से चलें।

प्रचार, पापियों के लिए अपना पश्चाताप पूरा करने का मार्ग

परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए, हमें पहले अपने पापों से पश्चाताप करना चािहए, और फिर हमें दूसरे पापियों की अगुवाई मन फिराव की ओर करने का प्रयास करने की जरूरत है। आइए हम खोजें कि पश्चाताप करने में उनकी मदद करने के लिए हमें क्या करना चाहिए।

… इसलिए कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिए उदार है। क्योंकि, “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? और प्रचारक बिना कैसे सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैंॐ!” परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया: यशायाह कहता है, “हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है। परन्तु मैं कहता हूं, क्या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो अवश्य है; क्योंकि लिखा है, “उनके स्वर सारी पृथ्वी पर, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।” रोम 10:12–18

स्वर्ग के पापियों को पश्चाताप करवाने के लिए, एक व्यक्ति होना चाहिए जो उन्हें परमेश्वर के बलिदान का प्रचार करेगा और उन्हें बाइबल की शिक्षाएं सिखाएगा। बिना किसी प्रचारक के वे कैसे सुनेंगे, और जिसके विषय सुना नहीं उस पर वे कैसे विश्वास करेंगे? हमें दुनिया के सभी लोगों को, जो आत्मिक रूप से पापी हैं, परमेश्वर के प्रेम और बलिदान का प्रचार करना चाहिए और साथ ही उन्हें आत्मिक दुनिया के जीवन के बारे में जानने देना चाहिए जिसे वे पृथ्वी पर जीवन जीते हुए भूल गए हैं।

जैसे बाइबल कहती है, “उनके स्वर सारी पृथ्वी पर, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं,” अब 7 अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करने का आंदोलन दुनिया भर में चल रहा है। यदि जो यह महसूस करते हैं कि वे स्वर्ग से पाप करके निकाले गए स्वर्गदूत हैं, और जो ईमानदारी से परमेश्वर के सामने पश्चाताप करते हैं, उनकी संख्या एक से दो, दो से दस – इस प्रकार बढ़ती जाए, तो परमेश्वर को बड़ी प्रसन्नता प्राप्त होती रहेगी।

भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा। तब शमौन और उसके साथी उसकी खोज में गए। जब वह मिला, तो उससे कहा, “सब लोग तुझे ढूंढ़ रहे हैं।” उसने उनसे कहा, “आओ; हम और कहीं आसपास की बस्तियों में जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूं।” अत: वह सारे गलील में उनके आराधनालयों में जा जाकर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा। मर 1:35–39

यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस पृथ्वी पर प्रचार करने आए। प्रचार के माध्यम से परमेश्वर ने अपने खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनको उद्धार देने का अपना लक्ष्य पूरा किया। हमें इसे अपने मन में रखते हुए कि परमेश्वर उस समय सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं जब हम उनके साथ नम्रता से चलते हैं और उनका पालन करते हैं, परमेश्वर की संतानों के रूप में उनके साथ उनके कार्य में जुड़ना चाहिए।

उन्हें परमेश्वर की ओर से चिताना

कोरिया के जोसन राजवंश के समय गुप्त राजकीय निरीक्षक प्रणाली थी। गुप्त राजकीय निरीक्षक एक खुफिया अधिकारी था जिसे राजा ने स्थानीय सरकार के अधिकारियों की चुपके से जांच करने के लिए भेजा था कि वे राजा की प्रजाओं की अच्छे से देखभाल कर रहे हैं कि नहीं। वह राजा की आंखें और कान बनकर, अपनी पहचान छिपाने के लिए फटे–पुराने कपड़े पहनकर अपना भेष बदलता था, लेकिन वास्तव में उसके पास स्थानीय अधिकारियों को बर्खास्त करने और सरकार के गोदामों को सील करने की अत्यधिक शक्ति थी।

उसी तरह, परमेश्वर ने अपने साथ चलने वाले लोगों को एक बड़ा अधिकार प्रदान किया है। वह परमेश्वर की ओर से बोलने और कार्य करने का अधिकार है।

… यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, “हे मनुष्य के सन्तान, मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिए पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चिताना। जब मैं दुष्ट से कहूं, ‘तू निश्चय मरेगा,’ और यदि तू उसको न चिताए, और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिस से कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फंसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा। पर यदि तू दुष्ट को चिताए, और वह अपनी दुष्टता और दुष्ट मार्ग से न फिरे, तो वह तो अपने अधर्म में फंसा हुआ मर जाएगा; परन्तु तू अपने प्राणों को बचाएगा। फिर जब धर्मी जन अपने धर्म से फिरकर कुटिल काम करने लगे, और मैं उसके सामने ठोकर रखूं, तो वह मर जाएगा, क्योंकि तू ने जो उसको नहीं चिताया, इसलिये वह अपने पाप में फंसा हुआ मरेगा; और जो धर्म के कर्म उस ने किए हों, उनकी सुधि न ली जाएगी, पर उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा।” यहेज 3:16–20

परमेश्वर ने हमें सत्य के पहरुओं के रूप में नियुक्त किया है और हमें यह शानदार मिशन सौंपा है कि हम संसार को परमेश्वर की ओर से चिताएं। जब हम परमेश्वर के वचनों का प्रचार करें, तब जो उन्हें स्वीकार करते हैं और अपने पापों से फिरते हैं, वे जीवन पाएंगे, लेकिन जो नहीं फिरते या पश्चाताप नहीं करते, वे अन्त में उद्धार पाने का मौका खो देंगे। दूसरे शब्दों में परमेश्वर अपनी ओर से अपने अधिकार का उपयोग करने की अनुमति हमें देते हैं, जिस दौरान हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं।

इसलिए बाइबल कहती है कि सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन हर किसी को नहीं दिया गया है, बल्कि केवल उन्हें सौंपा गया है जो परमेश्वर के द्वारा योग्य ठहराए गए हैं(1थिस 2:4)।

“इसलिये, हे मनुष्य के सन्तान, मैं ने तुझे इस्राएल के घराने का पहरूआ ठहरा दिया है; तु मेरे मुंह से वचन सुन सुनकर उन्हें मेरी ओर से चिता दे। यदि मैं दुष्ट से कहूं, ‘हे दुष्ट, तू निश्चय मरेगा,’ तब यदि तू दुष्ट को उसके मार्ग के विषय न चिताए, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फंसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा। परन्तु यदि तू दुष्ट को उसके मार्ग के विषय चिताए कि वह अपने मार्ग से फिरे और वह अपने मार्ग से न फिरे, तो वह तो अपने अधर्म में फंसा हुआ मरेगा, परन्तु तू अपना प्राण बचा लेगा।” यहेज 33:7–9

परमेश्वर ने कहा, “उन्हें मेरी ओर से चिताना।” तो हमें अपने मन में यह रखना चाहिए कि प्रचार का काम सिर्फ दूसरों के साथ बाइबल का ज्ञान बांटने का कार्य नहीं है, लेकिन यह परमेश्वर के बदले उनका वचन सौंपने का कार्य है, इसलिए यह कार्य हमारे खुद के ज्ञान या क्षमता से नहीं किया जा सकता। प्रचार करना यह शुभ संदेश पहुंचाना है कि परमेश्वर अपनी संतानों को जिन्हें स्वर्ग से निकाल दिया गया, वापस स्वर्ग के राज्य में ले जाते हैं। जिस समय हम परमेश्वर की ओर से उनके वचन का प्रचार करते हैं, उसी समय हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़े होते हैं जो तय करता है कि हम एक आत्मा की अगुवाई जीवन के मार्ग में कर सकेंगे या नहीं।

मानवजाति को बचाने का महान कार्य हमें सौंपा गया है। परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी है कि हम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाएं और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दें और उन्हें सब बातें जो परमेश्वर ने आज्ञा दी है, मानना सिखाएं(मत 28:19–20)। क्या कोई चर्च है जो परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार सब्त का दिन और फसह का पर्व मनाता है और लोगों को पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देता है? अत: प्रचार का महान कार्य एक मिशन है जो चर्च ऑफ गॉड के द्वारा पूरा होना चाहिए जो मसीह की हर आज्ञा को सिखाता और उसका पालन करता है।

गुप्त राजकीय निरीक्षक की तरह जो राजा का विशेष आदेश पाकर काम करता था, हम परमेश्वर की आज्ञा पाकर और परमेश्वर का महिमामय अधिकार अपने पास रखकर नश्वर मनुष्यों को बचाने का बहुमूल्य मिशन पूरा कर रहे हैं। आइए हम परमेश्वर की ओर से प्रचार का काम करने पर गर्व करें और पृथ्वी की छोर तक सुसमाचार का प्रचार करने के लिए हर संभव प्रयास करें, ताकि बहुत सी आत्माएं पश्चाताप कर सकें और परमेश्वर के पास वापस आ सकें।

सुसमाचार के प्रचारकों के लिए आशीष

कभी–कभी सुसमाचार का प्रचार करते हुए हम कठिनाई और अत्याचार का सामना करते हैं। लेकिन परमेश्वर के हमें अपनी ओर से पापियों को चिताने की आज्ञा देने के पीछे उनकी एक इच्छा होती है। इसके द्वारा वह हमें सिर्फ दुख देना नहीं चाहते, बल्कि वह हमें स्वर्ग में राज–पदधारी याजक के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहते हैं।

परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, और उसके प्रगट होने और राज्य की सुधि दिलाकर मैं तुझे आदेश देता हूं कि तू वचन का प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना दे और डांट और समझा… पर तू सब बातों में सावधान रह, दु:ख उठा, सुसमाचार का प्रचार का काम कर, और अपनी सेवा को पूरा कर। क्योंकि अब मैं अर्घ के समान उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा, और मुझे ही नहीं वरन् उन सब को भी जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं… परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा और मुझे सामर्थ्य दी, ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो और सब अन्यजातीय सुन लें… 2तीम 4:1–18

प्रेरित पौलुस ने हमें सिखाया है कि हम हर समय वचन का प्रचार करने में लगे रहें और अपनी सेवा पूरा करें। पौलुस ने स्वयं सुसमाचार के प्रचारक का जीवन जिया; उसने परमेश्वर की ओर से संसार को चिताने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। इसलिए वह आत्मविश्वास से यह कह सका कि भविष्य में उसके लिए धर्म का मुकुट रखा हुआ है।

सुसमाचार का प्रचार करना हमेशा आसान नहीं है। एक आत्मा की प्रायश्चित्त की ओर अगुवाई करने के लिए, हमें खुद को नम्र बनाना चाहिए और धैर्य के साथ सभी प्रकार की कठिनाइयों को झेलना चाहिए। लेकिन ऐसी कठिनाइयों के जरिए हम स्वर्गीय पिता और माता के बलिदान और प्रेम को अधिक गहराई से महसूस कर सकते हैं जिन्होंने हमें बचाया है, और हमारा विश्वास भी निर्मल और परिपूर्ण बनता है। इसलिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब हम दुख उठाते हैं, तब हम और अधिक बड़ा अनुग्रह और आशीषें पाते हैं।

हमें परमेश्वर की ओर से बोलने और कार्य करने का महान अधिकार दिया गया है। लेकिन क्या होगा यदि हम पूरी तरह से हमें दिए गए इस अधिकार का उपयोग न करें? यह सच में अफसोसजनक बात है। हर एक बात का एक निश्चित समय है। चाहे कुछ चीज कितनी भी अच्छी क्यों न हो, लेकिन जब उसका निश्चित समय पूरा होता है, तब वह व्यर्थ होती है। दस कुंवारियों के दृष्टांत में पांच मूर्ख कुंवारियां तैयार नहीं थीं, और जब उन्होंने दूल्हे से मिलने जाने की खबर और पुकार को सुना, तभी उन्होंने जागकर हड़बड़ी में तेल तैयार करने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार द्वार बन्द किया गया, और वे विवाह भोज में प्रवेश नहीं कर सकीं(सभ 3:1; मत 25:1–13)। सारे संसार में परमेश्वर के वचन का प्रचार होने के बाद और परमेश्वर की सभी संतानों के खोजे जाने के बाद ही, यदि हम देर से अपने सुसमाचार के मिशन को महसूस करें और उसे करने की कोशिश करें, तो उसका क्या लाभ होगा?

धर्म का मुकुट और राज–पदधारी याजक का पद उनके लिए रखा गया है जो सुसमाचार की अपनी सेवा को पूरा करते हैं। अनन्त स्वर्ग के राज्य में वापस जाने से पहले, आइए हम और अधिक पापियों की मन फिराव की ओर अगुवाई करके परमेश्वर को प्रसन्न करें! आइए हम कड़ी मेहनत करें जब परमेश्वर हमें अवसर देते हैं। बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि परमेश्वर उस समय सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं जब उनकी संतान सुसमाचार के उनके कार्य में नम्रता से भाग लें। मैं सिय्योन के भाइयों और बहनों से कहना चाहूंगा कि परमेश्वर की ओर से संसार के लोगों को जागृत कीजिए और बहुत सी आत्माओं के साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए मन फिराव की ओर उनकी अगुवाई करके स्वर्गीय पिता और माता को बड़ी खुशी दीजिए।