
Tयाकूब और यूहन्ना की माता यीशु के पास पहुंची और उसने झुककर प्रणाम किया।
“तू क्या चाहती है?”
“मेरे दो पुत्रों को आपके राज्य में एक आपके दाहिनी ओर और दूसरा आपके बाईं ओर बैठने दीजिए।”
यह सुनकर बाकी दस चेले याकूब और यूहन्ना पर क्रुद्ध हुए। तब यीशु ने उन्हें अपने पास बुलाकर कहा,
“तुम जानते हो कि संसार के हाकिम लोगों पर प्रभुता करते हैं और अपनी शक्ति दिखाना चाहते हैं। लेकिन तुम्हारे बीच ऐसा नहीं होना चाहिए। जो कोई प्रधान होना चाहे, वह अपने आपको दास बनाओ। मैं भी सेवा कराने नहीं; बल्कि सेवा करने और बहुतों के छुटकारे के लिए अपने प्राण देने आया है।”
चेले चाहते थे कि परमेश्वर के राज्य में वे प्रधान बनें, और इस कारण वे आपस में लड़ रहे थे। तब यीशु ने उनसे कहा कि जो कोई प्रधान होना चाहे, उसे भाई–बहनों की सेवा करनी चाहिए। यीशु ने अपनी सेवकाई के दौरान नम्रता से अपने आपको दीन किया और वह इतने आज्ञाकारी रहे कि उन्होंने अपना जीवन बलिदान किया। इससे उन्होंने हमें इस वचन का उदाहरण दिखाया।
आइए हम अपने अंदर झांककर देखें और सोचें कि अब क्या हम स्वर्ग के नागरिकों के रूप में मसीह की शिक्षा और उदाहरण के अनुसार भाई–बहनों की सेवा कर रहे हैं?
क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा। लूक 14:11