आराधना परमेश्वर का भय मानने और उनकी उपासना करने के लिए महत्वपूर्ण कारक है, जिसे कभी छोड़ा नहीं जा सकता। आराधना के द्वारा परमेश्वर के लोग अपने सभी पापों की क्षमा और पवित्रता की आशीष प्राप्त करते हैं, और परमेश्वर के अधिक करीब हो सकते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि आराधना वह समय है जब लोग बस एक उपदेश सुनने के लिए चर्च जाते हैं। लेकिन, आराधना सिर्फ उपदेशक से धाराप्रवाह उपदेश सुनने की विधि नहीं है, लेकिन उसमें अवश्य एक आत्मिक अर्थ है जिसे हमें महसूस करना चाहिए। हर उपदेशक को सिर्फ परमेश्वर और परमेश्वर के लोगों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने और परमेश्वर के वचनों के द्वारा उन्हें परमेश्वर की इच्छा बताने की जरूरत है। बाइबल के द्वारा, आइए हम आराधना के महत्व और अर्थ फिर से पढ़ें जो हम परमेश्वर को चढ़ाते हैं।
पुराने नियम की व्यवस्था सिर्फ आनेवाली अच्छी वस्तुओं की छाया है; वह नए नियम की व्यवस्था को दर्शाती है जो वास्तविकता है(इब्र 10:1)। बलिदान जो इस्राएली पुराने नियम के समय में परमेश्वर को चढ़ाते थे, वे नए नियम के समय में आराधना में बदल गए हैं। इसलिए, जब हम पुराने नियम के बलिदानों के बारे में अध्ययन करें, तब हम आराधना का अर्थ समझ सकते हैं जो हम नए नियम में परमेश्वर को चढ़ाते हैं।
पुराने नियम के बलिदान विशेषता के अनुसार कई प्रकार में विभाजित किए जाते हैं। होमबलि यह है कि भेड़ या बकरी को जलाकर उस सुखदायक सुगन्ध के द्वारा बलिदान चढ़ाना, और अन्नबलि यह है कि अन्न पीसकर बनाई गई रोटी को भेंट के रूप में चढ़ाना। मेलबलि पाप की क्षमा के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए या परमेश्वर से विनती करने के लिए चढ़ाया जाता था। मेलबलि की एक विशेषता थी कि उसे चढ़ाने वाला याजक के साथ वह भेंट खा सकता था। पापबलि और दोषबलि जो होमबलि का एक प्रकार था, उनमें हर प्रकार के पाप से छुटकारे का अर्थ शामिल है, लेकिन उनके बीच थोड़ा सा अंतर था; जब कोई परमेश्वर के विरुद्ध पाप करता था, तब पापबलि चढ़ाया जाता था, और जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विरुद्ध पाप करता था यानी जब वह सामाजिक कानूनों का उल्लंघन करता था, तब दोषबलि चढ़ाया जाता था।
और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए। इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित्त करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।लैव 6:6–7
जैसे दोषबलि की विधियों में दिखाया गया है, इस्राएली परमेश्वर को बलिदान चढ़ाने के द्वारा उनके पापों की क्षमा प्राप्त करते थे। यदि परमेश्वर को चढ़ाने का कोई बलिदान नहीं होता, तो उस समय लोगों के पास परमेश्वर के द्वारा अपने पापों की क्षमा पाने का कोई तरीका नहीं होता।
इस तरह, आराधना लोगों को परमेश्वर से जोड़ने वाली एक डोरी है, और वह एक सीढ़ी के समान है जो स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ती है। यदि परमेश्वर ने हमें आराधना की व्यवस्था नहीं दी होती, तो कैसे स्वर्ग में परमेश्वर के विरुद्ध किए हमारे गंभीर पापों की क्षमा की जा सकी होती? और कैसे हम परमेश्वर को उनके अनुग्रह के लिए धन्यवाद दे सके होते? आराधना के द्वारा हमारे सभी पिछले पापों और अपराधों को पूरी तरह क्षमा करने के लिए हमें परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देनी चाहिए।
नियमित बलिदान निर्धारित दिन में नियत समय पर परमेश्वर को चढ़ाए जाते थे। “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना,” “परमेश्वर के पर्व जिनमें से एक एक के ठहराए हुए समय में तुम्हें पवित्र सभा करने के लिए प्रचार करना होगा वे ये हैं।” यह कहकर, परमेश्वर हमें आराधना में बुलाते हैं।
आराधना वह समय है जब हम परमेश्वर से मिलते हैं। आराधना के द्वारा परमेश्वर हमें अपने निर्देश देते हैं। परमेश्वर हमें सिखाते हैं कि उद्धार पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, और निस्संदेह हमें सामरिया और पृथ्वी की छोर तक जाकर परमेश्वर की ओर से सभी लोगों को उनकी सभी आज्ञा बताने को कहते हैं।
परमेश्वर के द्वारा आमंत्रित किए जाकर, हम हर सप्ताह पवित्र सब्त का दिन और तीसरे दिन की आराधना और पवित्र वार्षिक पर्व में भाग लेते हैं। हम परमेश्वर से मिलने और उन्हें हमारे सभी पिछले पापों को क्षमा करने और हमें आशीष देने के लिए धन्यवाद देने के लिए आराधना में भाग लेते हैं। इसलिए, हर आराधना महत्वपूर्ण है चाहे वह तीसरे दिन की आराधना हो या सब्त या फिर पर्व हो। यीशु ने हमें आराधना के महत्व के बारे में इस प्रकार सिखाया:
यीशु ने उससे कहा, “हे नारी, मेरी बात का विश्वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता की आराधना करोगे न यरूशलेम में। तुम जिसे नहीं जानते, उसकी आराधना करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसकी आराधना करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। परन्तु वह समय आता है, वरन् अब भी है, जिसमें सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूंढ़ता है।”यूह 4:21–23
परमेश्वर ने कहा कि वह ऐसे आराधकों को ढूंढ़ते हैं, जो आत्मा और सच्चाई से उनकी आराधना करते हैं। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की है कि वह अपने दूतों को भेजकर आकाश के इस छोर से उस छोर तक चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे(मत 24:31)। परमेश्वर उन लोगों को स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए ढूंढ़ रहे हैं, जो सही तरह से परमेश्वर की आराधना करते हैं।
वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर के आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा: “मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बांधी है!”भज 50:4–5
परमेश्वर उन लोगों को जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर परमेश्वर से वाचा बांधी है, इकट्ठा करते हैं। लोग जिन्होंने बलिदान यानी आराधना चढ़ाकर परमेश्वर से वाचा बांधी है, वे ही बचाए जाने वाले लोग हैं, जिन्हें परमेश्वर इकट्ठा कर रहे हैं।
पृथ्वी पर बहुत सारे लोग हैं जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं। परमेश्वर उनके हर एक कार्य को ध्यान से देख रहे हैं कि उनमें से कौन बाइबल के अनुसार ईमानदारी से परमेश्वर की आराधना करता है। आराधना के बिना, कोई भी परमेश्वर से जुड़ नहीं सकेगा और न्याय करने का मानक भी घायब हो जाएगा कि वे सचमें परमेश्वर पर विश्वास करते हैं या नहीं। इसलिए आराधना एक मानक बन जाती है जिससे यह पहचाना जा सकता है कि कौन बचाए जाने वाला है और कौन नहीं है।
इसलिए हमें परमेश्वर की आराधना करने के इस बहुमूल्य अवसर को कभी नहीं खोना चाहिए। इस युग में जब परमेश्वर चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा कर रहे हैं, हमें परमेश्वर के संत के रूप में आराधना को और अधिक महत्वपूर्ण मानना और पवित्रता से उसे मनाना चाहिए।
बहुत सारे अलग अलग प्रकार के चर्च और ईसाई संप्रदाय हैं, और वे उनके खुदके सिद्धांत पर हठ करते हैं और अपने ही तरीके से आराधना करते हैं। तब, किस प्रकार की आराधना परमेश्वर की ओर से है जिसमें परमेश्वर की वाचा शामिल है? यह हमारी आत्माओं के उद्धार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। आइए हम बाइबल के द्वारा देखें कि परमेश्वर ने किस प्रकार की आराधना के द्वारा हमसे वाचा बांधने की प्रतिज्ञा की है।
जब तुम उस देश में जिसे यहोवा अपने कहने के अनुसार तुम को देगा प्रवेश करो, तब वह काम किया करना। फिर तुम इस विधि को अपने और अपने वंश के लिये सदा की विधि जानकर माना करो। जब तुम उस देश में जिसे यहोवा अपने कहने के अनुसार तुम को देगा प्रवेश करो, तब वह काम किया करना। और जब तुम्हारे बच्चे तुम से पूछें, ‘इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है?’ तब तुम उनको यह उत्तर देना, ‘यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को छोड़कर हमारे घरों को बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है…’निर्ग 12:25–27
परमेश्वर ने इस्राएलियों को बलिदानों की व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताया, जिन्हें उन्हें परमेश्वर को चढ़ाना चाहिए। उनमें से सबसे प्रतिनिधिक परमेश्वर का पर्व, फसह है। परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से कहा, “यह यहोवा के लिए फसह का बलिदान है।” लोग जो फसह मनाते हैं, वे हैं जिन्होंने परमेश्वर से वाचा बांधी है, और परमेश्वर इन लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं।
फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा। वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।यिर्म 31:31–34
नबी यिर्मयाह ने भविष्यवाणी की कि परमेश्वर पुरानी वाचा के बलिदान को, जो उन्होंने तब बांधी थी जब उन्होंने इस्राएलियों को मिस्र से निकाला था, नई वाचा के बलिदान में बदलेंगे। नई वाचा में परमेश्वर ने वादा किया कि वह उनका परमेश्वर होंगे जिनके हृदय पर परमेश्वर की व्यवस्था लिखी है, और वे परमेश्वर के लोग होंगे। परमेश्वर ने यह कहते हुए कि ‘मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा,’ उन्हें पापों की क्षमा का अनुग्रह देने का भी वादा किया।
इस भविष्यवाणी के अनुसार, यीशु इस पृथ्वी पर आए और फसह के पर्व पर मरकुस की अटारी में नई वाचा को घोषित करते हुए लोगों को पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष दी। आज हम नई वाचा का फसह मनाकर परमेश्वर की आराधना करते हैं। यह साबित करता है कि हम स्वर्ग के लोग हैं जिन्हें परमेश्वर ढूंढ़ते हैं। हमें इस तथ्य पर गर्व करना चाहिए कि हम ही परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं जो सिय्योन में पर्व मनाते हैं।
कुछ लोग कहते हैं, “आराधना में जो महत्वपूर्ण है वह औपचारिकता नहीं, लेकिन मन है।” अवश्य ही, आराधना में हमारी मानसिकता महत्वपूर्ण है। लेकिन, बाइबल कहती है कि कर्म रहित विश्वास हमें नहीं बचा सकता और वह अपने स्वभाव में मरा हुआ है(याक 2:14–17)। विश्वास को जीवित रहने के लिए विश्वास के साथ कार्य भी होना चाहिए।
इसलिए हमें परमेश्वर की आराधना को हल्के से लोना या उसका तिरस्कार करना नहीं चाहिए। आइए हम कुछ बाइबल के किरदारों के द्वारा जो यहोवा की भेंट का तिरस्कार करके परमेश्वर से शापित हुए, आराधना के महत्व के बारे में सोचें।
इसलिये उन जवानों का पाप यहोवा की दृष्टि में बहुत भारी हुआ; क्योंकि वे मनुष्य यहोवा की भेंट का तिरस्कार करते थे।1शम 2:17
बाइबल में दर्ज है कि उनका पाप जिन्होंने परमेश्वर की भेंट का तिरस्कार किया, परमेश्वर की दृष्टि में बहुत भारी था। याजक एली के पुत्र, होप्नी और पीनहास ने परमेश्वर की भेंट का तिरस्कार करने का दुष्ट कार्य किया, और आखिर में वे शापित होकर मार डाले गए(1शम 2:12–34)। यह दिखाता है कि हमें आराधना का, जो हम परमेश्वर को चढ़ाते हैं, तिरस्कार कभी नहीं करना चाहिए।
क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा। जब मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला, दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है, तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पांवों से रौंदा और वाचा के लहू को, जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना है, और अनुग्रह के आत्मा का अपमान किया।इब्र 10:26–29
नर्ह वाचा की आराधना के द्वारा हमें उन पापों की क्षमा पाने का अवसर दिया जाता है, जो हमने अतीत में किए जब हम परमेश्वर को नहीं जानते थे। लेकिन, सत्य को ग्रहण करने के बाद यदि कोई परमेश्वर को छोड़कर फिर से पाप में भटके, तो उन पापों के लिए कोई बलिदान बाकी नहीं, लेकिन केवल न्याय और दण्ड बाकी है।
परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से मुक्त किया है जिन पापों की मजदूरी हम मृत्यु के अलावा किसी दूसरे से नहीं चुका सकते। फिर भी, यदि हम परमेश्वर के अनुग्रह को भूलें, और फिर से पाप करें, तो हम उनकी तरह हैं जो नई वाचा फसह के परमेश्वर के बहुमूल्य लहू का इनकार करते हैं। क्या उन्हें उद्धार दिया जा सकता है जो परमेश्वर को उनके उद्धार के अनुग्रह के लिए धन्यवाद देने के बजाय, अनुग्रह के आत्मा का अपमान करते हैं? बिल्कुल नहीं!
परमेश्वर को ग्रहण करने के बाद, हमारे जीवन के प्रति रवैया उस रवैये से अलग होना चाहिए, जो परमेश्वर को जानने से पहले हमारे पास था। हमें बुलाने की परमेश्वर की ईमानदार आवाज पर, आइए हम आत्मा और सच्चाई से आराधना करके जवाब देने वाली संतान बनें।
पुराने नियम के समय में, इस्राएली पूरे वर्ष परमेश्वर को लगातार बलिदान की भेंट चढ़ाकर उनकी संगति करते थे। हर सुबह और शाम को वे नित्य होमबलि चढ़ाते थे और साथ ही साप्ताहिक सब्त और तीन बार में सात पर्वों के अनुसार बलिदान चढ़ाते थे, इसलिए वे परमेश्वर से संपर्क कर सकते थे।
परमेश्वर ने पुराने नियम के बलिदान की जटिल प्रणाली को नए नियम के समय में नई वाचा की आराधना की सरल प्रणाली में बदल दिया। परिणाम स्वरूप, अब हम बिना किसी कठिनाई के आराधना के द्वारा परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा दे सकते हैं। फिर भी, यदि हम परमेश्वर की आराधना में सहभागी न हों, तो हम वह हैं जो परमेश्वर के अनुग्रह को भूल गए हैं, जिन्होंने हमें नाशवान पापों से बचाया है।
और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों–त्यों और भी अधिक यह किया करो।इब्र 10:24–25
प्रथम चर्च में ऐसे कुछ लोग थे जिनके पास एक दूसरे के साथ इकट्ठा होने को छोड़ने की बुरी आदत थी। प्रेरित पौलुस, जिसने पूरी तरह से मसीह की शिक्षाओं का पालन किया, ने प्रथम चर्च के सदस्यों से बार–बार आग्रह किया कि उन लोगों की बुरी आदतों का पालन न करें, लेकिन लगातार एक दूसरे के साथ इकट्ठे होने की कोशिश करें।
प्राकृतिक आपदा जैसे अपरिहार्य परिस्थितियों में, घर में आराधना रखने की अनुमति दी जाती है, लेकिन परमेश्वर की शिक्षा यह है कि इन मामलों के अलावा हमें हमेशा एक साथ इकट्ठे होकर आराधना रखनी चाहिए। परमेश्वर चाहते हैं कि हम ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखते हैं त्यों त्यों और भी अधिक एक साथ इकट्ठे हों और परमेश्वर को पवित्र आराधना चढ़ाकर आशीष पाएं। भविष्यवाणी किए गए न्याय का दिन आने से पहले, परमेश्वर यह कहते हुए कि नम्र लोग जो परमेश्वर के नियम मानते हैं, उस दिन में शरण पाएंगे, अपने लोगों से आग्रह करते हैं, “इकट्ठे हो”(सपन 2:1–3)।
परमेश्वर ने इतने सारे लोगों में से जो इस पृथ्वी पर आशा के बिना जी रहे हैं, हमें चुना है, और उन्होंने आराधना के द्वारा हमसे वाचा बांधी है और हमें स्वर्ग ले जाने की उनकी स्पष्ट इच्छा प्रगट की है। आइए हम सब परमेश्वर को पूरे मन से पवित्र आराधना चढ़ाएं और बहुतायत से परमेश्वर का अनुग्रह और आशीष पाएं। मुझे आशा है कि हमें अनुग्रहपूर्ण और सुंदर आराधना चढ़ाने की अनुमति देने के लिए हम सब एलोहीम परमेश्वर को अनन्त धन्यवाद और महिमा दें।