वह मैं नहीं हूं!

4,607 बार देखा गया

“भले ही सभी अन्य लोग धोखा खाते हैं, लेकिन मैं कभी भी धोखा नहीं खाता!” हो सकता है कि कम से कम एक बार आपने खुद को ऐसा आश्वासन दिया होगा। टीवी देखते समय या इंटरनेट का उपयोग करते समय जब आप अश्लील या हिंसक दृश्यों जैसी हानिकारक चीजों को देखते हैं, तब आप ऐसा सोच सकते हैं कि ऐसी चीजें दूसरों पर बुरा प्रभाव लाएंगी, लेकिन मुझ पर नहीं। इसे ‘तृतीय–व्यक्ति प्रभाव’ कहा जाता है। यह विचार ऐसे आत्मविश्वास से पैदा होता है कि, ‘दूसरे लोग तो आसानी से मास–मीडिया की बुरी सामग्रियों से प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन मेरी निर्णय–शक्ति दूसरों से बेहतर है।’

इसके विपरीत, आप ऐसा सोच सकते हैं कि लोकहित के विज्ञापन जैसी मास–मीडिया की सकारात्मक और अच्छी सामग्रियां दूसरों से ज्यादा आप पर अधिक प्रभाव डालती हैं। इसे ‘प्रथम–व्यक्ति प्रभाव’ कहा जाता है। आप शायद सोचेंगे, ‘मुझे तो यह अच्छी तरह से समझ में आया है, लेकिन क्या इस विज्ञापन के द्वारा दूसरों का रवैया बदल सकता है?’

कृपया ध्यान रखें कि कि ‘दूसरे लोग बुरी चीजों से प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन मैं केवल अच्छी चीजों से प्रभावित होता हूं,’ इस तरह का विचार आपके विवेक को कमजोर करने का एक शॉर्टकट हो सकता है।