दाख की बारी में मजदूरों का दृष्टान्त

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परमेश्वर के दिए गए नीचे के दृष्टान्त में भी हमारी एकता के विषय में परमेश्वर की इच्छा जाहिर होती है।

“स्वर्ग का राज्य उस स्वामी के समान है जो सुबह इसलिए निकला कि मजदूरों को अपनी दाख की बारी में काम करने के लिए लगाए। उसने प्रति मजदूर एक रुपया प्रतिदिन ठहराकर उन्हें अपनी दाख की बारी में भेजा। फिर सुबह लगभग नौ बजे जब वह बाहर आया तो दूसरों को बाजार में बेकार खड़े देखा, और उनसे कहा, ‘तुम भी दाख की बारी में जाओ। जो ठीक है वही मैं तुम्हें दूंगा।’ और वे चले गए। फिर बारह बजे और तीन बजे के लगभग उसने बाहर निकलकर वैसा ही किया। लगभग पांच बजे फिर बाहर निकलकर… ‘तुम भी दाख की बारी में जाओ।’ सन्ध्या होने पर दाख की बारी के स्वामी ने प्रबंधक को बुलाकर कहा, ‘मजदूरों को बुला और अन्त में आने वालों से आरम्भ करके पहिले आने वालों तक सब को मजदूरी दे दे।’ लगभग पांच बजे सन्ध्या समय जो मजदूरी पर लगाए गए थे, जब वे आए तो उन्हें एक एक रुपया मिला। जब पहले लगाए गए मजदूर आए… तो वे यह कहकर स्वामी से बुड़बुड़ाने लगे, ‘ये जो बाद में आए, इन्होंने तो एक ही घंटा काम किया और तू ने उन्हें हमारे ही बराबर कर दिया जिन्होंने दिन भर का भार उठाया और कड़ी धूप सही।’ पर उसने उनमें से एक को उत्तर दिया, ‘मित्र, मैं तेरे साथ कोई अन्याय नहीं कर रहा हूं। क्या तू ने मेरे साथ एक रुपया मजदूरी तय नहीं की थी? जो तेरा है उसे ले और चला जा। यह मेरी इच्छा है कि जितना तुझे दिया है उतना ही इस बाद में आने वाले को भी दूं।’…” मत 20:1–16(आइ.बी.पी. बाइबल)

इस दृष्टान्त में दाख की बारी के स्वामी ने उन सब को जो बाहर कुछ भी काम न करते हुए बेकार खड़े थे, अपनी दाख की बारी में काम करने का मौका दिया। वे दिन के अलग अलग समय में मजदूरी पर लगाए गए थे; कुछ भोर के समय लगाए गए थे, और कुछ सुबह 9 बजे, कुछ दोपहर 12 बजे, कुछ दोपहर 3 बजे, तो कुछ शाम 5 बजे मजदूरी पर लगाए गए थे।

हालांकि, उन सब ने एक समान वेतन पाया। मनुष्य के विचार में यह स्वाभाविक लगता है कि जिन्होंने लम्बे समय तक काम किया है उन्हें ज्यादा वेतन मिलना चाहिए, हालांकि, दाख की बारी के स्वामी, यानी परमेश्वर ने सब से आखिर में काम पर लिए गए मजदूर से लेकर सबसे पहले काम पर लिए गए मजदूर तक सबको एक समान वेतन दिया।

परमेश्वर न्यायी हैं।(व्य 32:4) वह हर एक को उसके कार्यों के अनुसार बदला देते हैं।(प्रक 22:12) परमेश्वर ने जो न्यायी हैं, सभी मजदूरों को एक समान वेतन दिया, फिर चाहे उन्होंने एक घंटे के लिए काम किया हो या पूरे दिन के लिए। यह हमें इस निष्कर्ष पर ले आता है कि चाहे उन्होंने दिन के अलग अलग समय पर काम शुरू किया हो, अंत में तो उनके कार्यों की मात्रा एक समान थी।