
पौलुस और बरनबास लुस्त्रा में पहुंचे, और वे सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं।
वहां एक व्यक्ति था जो लंगड़ा था और चल नहीं पाता था। वह पौलुस की बातों को ध्यान से सुन रहा था। पौलुस ने उस पर दृष्टि गड़ाई और देखा कि चंगा हो जाने का विश्वास उसमें है, तो उसके पास जाकर उसने ऊंचे शब्द से कहा,
“अपने पैरों पर सीधा खड़ा हो जा!”
तब वह तुरन्त उठकर चलने–फिरने लगा।
जब लोगों ने पौलुस का यह काम देखा, तब वे बहुत हैरान हुए और पुकार कर कहने लगे,
“देवता हमारे बीच मनुष्यों का रूप धारण करके उतर आए हैं!”
मंदिर के याजक ने बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाए, और वह लोगों के साथ पौलुस और बरनबास के लिए बलिदान चढ़ाना चाहता था।
तब पौलुस और बरनबास बहुत हैरान होकर ऊंचे स्वर में यह कहते हुए भीड़ में घुस गए,
“हे लोगो, आप क्या कर रहे हैं? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे आप हैं। यहां हम आपको सुसमाचार सुनाने आए हैं ताकि आप इन व्यर्थ की बातों से मुड़कर उन जीवते परमेश्वर की ओर लौटें, जिन्होंने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की।”
यह कहकर पौलुस और बरनबास ने लोगों को बड़ी मुश्किल से रोका कि वे उनके लिए बलिदान न करें।
ऐसा कोई नहीं है जिसे अपनी तारीफ और प्रशंसा सुनना पसंद नहीं होता है। लेकिन प्रेरित पौलुस और बरनबास किसी भी परिस्थिति में परमेश्वर को महिमा देना नहीं भूलते थे। क्योंकि वे जानते थे कि सभी कार्य परमेश्वर के द्वारा किए जाते हैं।
जब परमेश्वर का कार्य हमारे माध्यम से दिखाया जाता है, तब हम अनजाने में घमण्डी बन सकते हैं। घमण्ड तभी आता है जब हम भ्रम में पड़कर ऐसा सोचते हैं कि, “यह मैंने किया है।” यह विनाश की ओर जाने का शॉर्टकट है।
आइए हम हर बात में परमेश्वर को महिमा दें। वह महिमा कभी गायब नहीं हो जाएगी, बल्कि हमारे पास लौट आएगी।
“जब हम परमेश्वर को महिमा देते हैं, महिमा हमारे पास लौट आती है।” माता की शिक्षाओं में से