
“व्यक्ति जिसके पास जिम्मेदारी की भावना है, वह स्वामी है और जिनके पास नहीं है, वह मेहमान है।”
विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए नए सत्र के शुभारंभ अवसर पर आराधना में, कोरियाई स्वतंत्रता सेनानी आन चांग हो के शब्द मेरे कानों में गूंजते रहे। चाहे मैं कुछ भी करूं, यदि मैं जिम्मेदारी की भावना के साथ ईमानदारी से करूं, तो मुझे अच्छा परिणाम मिलेगा। इस विचार पर, मेरा मन अचानक उत्साह और उम्मीद से भर गया; वास्तव में, कैंपस का जीवन शुरू करने से पहले मुझे आधी चिंता थी और आधा उत्साह था।
जैसा कि नया सत्र शुरू हुआ, मैंने कई करीबी दोस्त बनाया, और इसलिए मेरे पास सत्य का प्रचार करने के कई मौके थे। इसके अलावा, सिय्योन मेरे कॉलेज के ठीक सामने था, इसलिए जब भी मैं अपने दोस्तों के साथ वहां से गुजरता था, मैं उनसे कहता था, “मैं उस चर्च में जाता हूं,” और अक्सर बाइबल के वचन बताता था, लेकिन उनमें से अधिकतर को बाइबल में दिलचस्पी नहीं थी। मैं जानता था कि फल पैदा करना आसान नहीं है, लेकिन चूंकि लंबे समय तक कोई फल पैदा नहीं हुआ, मैं धीरे-धीरे निराश हो जाने लगा।
लेकिन यदि मैं आसानी से हार मान लूं, तो मैं नहीं कह सकता कि मेरे पास स्वामी का मन है जिसके पास जिम्मेदारी की भावना है। मैंने विश्वास किया कि यदि मैं परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना प्रयास करना जारी रखूं, तो परमेश्वर मुझे सुसमाचार का फल फलने की अनुमति देंगे। मैंने अपने दोस्तों को बाइबल सेमिनार में आमंत्रित किया या उन्हें संक्षेप में परमेश्वर के वचन बताया। कक्षा समाप्त होने के बाद, मैंने सिय्योन के सदस्यों के साथ उम्सुकता से अप्य कॉलेज के छात्रों को सत्य का प्रचार किया।
क्या ऐसा नहीं कहा जाता कि धैर्य का फल मीठा होता है? “जैसे ही मैंने निराश हुए बिना सुसमाचार का प्रचार किया, परमेश्वर ने मुझे फल फलने की अनुमति दी,” यह घटना जो मैं केवल सिय्योन की खुशबू के जरिए सुनता था, मेरे साथ भी हुआ। लोग जिन्होंने पहले मुझसे सुसमाचार सुना था, एक-एक करके परमेश्वर की संतान बने। मेरे दोस्तों में से एक, जिसने पहले कहा था कि उसे बाइबल में कोई दिलचस्पी नहीं है, बाइबल सेमिनार में आया और उसने फसह की आशीष को महसूस करके आज्ञाकारी भेड़ की तरह सत्य को ग्रहण किया। यहां तक कि मेरे जान-पहचान वालों में से एक जिसने 3 साल तक परमेश्वर की आशीष प्राप्त करने से इनकार किया था, आखिरकार अपना मन खोलकर परमेश्वर की बांहों में आया। और एक भाई ने सड़क पर सब्त के दिन के बारे में सुना और परमेश्वर की इच्छा को महसूस करके नए जीवन का वादा प्राप्त किया, तब से वह ईमानदारी से सब्त के दिन की आराधना मना रहा है।
उपदेश के वचनों में से जो मैंने नए सत्र के शुभारंभ अवसर पर आराधना के दौरान सुना, यह वचन मेरे दिमाग में आया, “यदि इस युग में पूरी होने वाली भविष्यवाणी है, तो कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो उस भविष्यवाणी को पूरी करेगा।” मुझे लगता है कि जो भविष्यवाणी को पूरी करता है, वह ऐसा व्यक्ति है जिसके पास स्वामी का मन है, और स्वामी के मन का मतलब, कभी भी हार नहीं मानने की भावना है। यद्यपि मुझ में बहुत सी कमियां हैं, लेकिन यदि मैं हार नहीं मानते हुए परमेश्वर पर भरोसा करके प्रयास करूं, तो ऐसा कुछ भी नहीं होगा जिसे मैं पूरा नहीं कर सकता।
एक और चीज जिसे मैंने गहराई से महसूस किया, वह एकता की शक्ति थी। मैं हार माने बिना अंत में परमेश्वर की आशीष का अनुभव कर सकता था क्योंकि मेरे पास भाई और बहनें थे जिन्होंने एक साथ प्रार्थना करके मुझे प्रोत्साहित किया। यहां तक कि जब मैं प्रयास करना छोड़ने वाला था, तब भी उन्होंने मुझे यह कहते हुए शक्ति दी, “आइए हम इसे एक साथ करें!” एक जान-पहचान वाला, जिसने 3 साल तक परमेश्वर की आशीष प्राप्त करने से इनकार किया था, उसका अनुग्रहमय परिणाम भी इसलिए हो सकता था क्योंकि एक भाई ने मुझे एक बार फिर से उसे वचन का प्रचार करने की सलाह दी थी।
ऐसा लगता है कि मेरा विश्वास बढ़ाने के लिए जो अभी अभी युवा वयस्क सदस्य बन गया, परमेश्वर ने मुझे थोड़े समय में बहुत सी चीजों को सीखने और महसूस करने की अनुमति दी। मैं परमेश्वर की इच्छा को न भूलकर स्वामी के मन के साथ सुसमाचार का प्रचार करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। मैं सिय्योन के सदस्यों के साथ एकजुट रहूंगा। मैं विश्वास करता हूं कि यदि मैं कैंपस में जहां मैं अपने दिन का ज्यादातर समय बिताता हूं, वचन का प्रचार करने का प्रयास करूं, तो किसी दिन मैं भविष्यवाणी का नायक बन जाऊंगा, जो पूरी दुनिया के सुसमाचार के कार्य को पूरा करेगा।