पिता परमेश्वर, माता परमेश्वर

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परमेश्वर ने सारे मानव को सुसमाचार सुनने और इसे महसूस करके उद्धार पाने का मौका दिया है। उस अनुग्रह के द्वारा ही, विश्व में सुसमाचार का प्रचार करने का कार्य आश्चर्य रूप से सफल हो रहा है, और पूरे विश्व में हर क्षेत्रों से बहुतेरी आत्माएं पश्चात्ताप करते हुए परमेश्वर की गोद में वापस आ रही हैं।

लोग जिन्होंने यह सुसमाचार सुना है, उनके लिए सब से ज़्यादा अचंभित करने वाला सत्य स्वर्गीय माता है। यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ओशिनिया, एशिया, अफ्रीका, आदि किसी भी देश में स्वर्गीय माता के सत्य के सामने सुसमाचार सुनाने के लिए द्वार खुल जाता है। इससे हमें पता चलता है कि देश-देश के लोग स्वर्गीय माता के उद्धार के लिए बहुत तरसते रहे हैं।

आइए हम माता परमेश्वर के बारे में, जो पिता परमेश्वर के साथ हमारा उद्धार पूरा करती है, बाइबल की शिक्षा की जांच करें, और परमेश्वर की इस इच्छा को फिर से मन से लगाएं कि पूरे विश्व में स्वर्गीय माता की महिमा प्रकट हो जाए।

अनन्त जीवन देने वाले परमेश्वर के ज्ञान को यत्न से ढूंढें

परमेश्वर ने कहा है कि परमेश्वर को जानना सब से बड़ी बुद्धि और समझ है। यह कहकर उसने हम से चाहा है कि हम सब से अधिक परमेश्वर को जानें। क्योंकि उद्धार परमेश्वर को जानने से पाया जाता है।

“यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र को जानना ही समझ है।” नीत 9:10

“ “आओ, ज्ञान की खोज करें, वरन् यहोवा के ज्ञान को यत्न से ढूंढ़ें। उसका प्रकट होना भोर के समान निश्चित है; वह वर्षा के समान, हां, बसन्त की वर्षा के समान जो धरती को सींचती है हम पर आएगा।” … क्योंकि मैं बलिदान से नहीं पर निष्ठा से, और होमबलि से नहीं परन्तु इस से प्रसन्न होता हूं कि परमेश्वर का ज्ञान रखा जाए।” हो 6:3-6

हमें परमेश्वर को जानना है। नहीं तो, हम न तो अनन्त जीवन की, न ही स्वर्ग की और न ही उद्धार की आशा कर सकते हैं। इसलिए जब यीशु 2 हज़ार वर्ष पहले धरती पर आया, उसने कहा, “अनन्त जीवन यह है कि वे तुझे जो एकमात्र सच्चा परमेश्वर है और यीशु मसीह को जानें जिसे तू ने भेजा है”(यूह 17:3)

परमेश्वर बाइबल के 66 ग्रंथों के द्वारा स्वयं को, जो मानव जाति को अनन्त जीवन और उद्धार देता है, हमें प्रकट करना चाहता है। बाइबल में लिखित परमेश्वर के नियम, व्यवस्थाएं और कानून भी अवश्य हमारे उद्धार से बहुत निकट से संबंधित हैं और महत्वपूर्ण हैं। लेकिन ये केवल परमेश्वर को जानने और उसे पूरी तरह से पूजने और उसका आदर करने के लिए साधन ही हैं, परमेश्वर को जाने बिना ये बेकार हैं।

“तुम पवित्रशास्त्रों में ढूंढ़ते हो क्योंकि तुम सोचते हो कि उनमें अनन्त जीवन मिलता है, और ये वे ही हैं जो मेरे विषय में साक्षी देते हैं।” यूह 5:39

बाइबल में अनन्त जीवन पाने का और स्वर्ग जाने का मार्ग है। यीशु ने कहा, “ये(बाइबल) वे ही हैं जो मेरे विषय में साक्षी देते हैं”, इसलिए बाइबल पढ़ते समय, हमें बाइबल के द्वारा ये तथ्य जानना चाहिए कि हम किसके ज़रिए अनन्त जीवन पा सकते हैं और हमें कौन स्वर्ग जाने का मार्ग दिखाता है। क्योंकि हम तब अनन्त जीवन पाकर स्वर्ग जा सकते हैं जब हम जानें कि परमेश्वर कौन है।

परमेश्वर को जाने बिना हम कभी उद्धार की आशा नहीं कर सकते। हमें यीशु के इस वचन को सम्पूर्ण रूप से महसूस करना है, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूं।”(यूह 14:6)

अन्तिम हव्वा, माता परमेश्वर जीवन है

कुछ लोग केवल यहोवा या यीशु को परमेश्वर मानते हैं। लेकिन बाइबल साक्षी देती है कि परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में मौजूद है, और केवल यहोवा और यीशु को ही नहीं, बल्कि हमें इस युग के उद्धारकर्ता परमेश्वर को भी निश्चय ही जानना चाहिए।

परमेश्वर ने अपनी जानकारी देने के लिए विभिन्न व्यक्तियों को बाइबल में प्रकट कराया। वह कभी मलिकिसिदक बनकर, कभी दाऊद बनकर, कभी आदम बनकर लोगों को अपनी जानकारी सरलता से हासिल कराता आया। तब उनमें से, आइए हम आदम के बारे में भविष्यवाणी पर ध्यान दें।

“तथापि मृत्यु ने आदम से लेकर मूसा तक शासन किया, उन पर भी जिन्होंने आदम के अपराध के समान पाप नहीं किया था; आदम उसका प्रतीक था जो आने वाला था।” रो 5:14

“स्वाभाविक दशा में बोई जाती है और आत्मिक दशा में जिलाई जाती है। जबकि स्वाभाविक देह है तो आत्मिक देह भी है। इसलिए यह भी लिखा है, “पहला मनुष्य, आदम, जीवित प्राणी बना,” और अन्तिम आदम जीवनदायक आत्मा।” 1कुर 15:44-45

बाइबल में ‘आने वाला’ दूसरी बार आने वाले यीशु को दर्शाता है। ऊपर की भविष्यवाणी का अर्थ है कि दूसरी बार आने वाला यीशु अन्तिम आदम के रूप में आकर हमें बचाएगा।

तब इसमें अवश्य ही कारण है कि क्यों परमेश्वर ने अन्तिम युग में उद्धारकर्ता की तुलना आदम से की है। क्योंकि परमेश्वर का गुप्त रहस्य आदम के द्वारा ही खुलता है।

“ … आदम के योग्य कोई सहायक न मिला। अत: यहोवा परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो रहा था तो उसने उसकी एक पसली निकालकर उसके स्थान में मांस भर दिया। तब यहोवा परमेश्वर, आदम में से निकाली गई उस पसली से एक स्त्री की रचना करके, उसे आदम के पास ले आया। और आदम ने कहा, “यह तो मेरी हड्डियों में की हड्डी, और मेरे मांस में का मांस है: अत: यह नारी कहलाएगी, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।” उत 2:20-23

आदम के प्रकट होने के बाद ही, उसके साथ एक तन होती हव्वा प्रकट हुई। हव्वा पहले आदम के एक अंग के रूप में उसके अन्दर रहती थी। लेकिन आदम के सोने के बाद, वह आदम से बाहर निकल कर प्रकट हुई। जबकि आदम दूसरी बार आने वाले मसीह को दर्शाता है, तब हव्वा, जो पहले आदम के अन्दर छिपी हुई थी, पर बाद में प्रकट हुई, किसको दर्शाती है?

“तब आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा, क्योंकि पृथ्वी पर जीवित सब मनुष्यों की आदिमाता वही हुई।” उत 3:20

हव्वा नाम का अर्थ ‘जीवन’ है।(उत 3:20) यह एक भविष्यवाणी है कि वह जीवन, जो अन्तिम आदम, दूसरी बार आने वाले मसीह के अन्दर था, अन्तिम हव्वा के रूप में प्रकट होगा।

जैसे हव्वा(जीवन), जो आदम के अन्दर थी, प्रकट हुई थी, वैसे ही जीवन, जो परमेश्वर के अन्दर था, हम पर प्रकट हुआ है। वह जीवन ही हमारी माता है। जिस तरह बाइबल में हव्वा जीवित सब मनुष्यों की आदिमाता कहलाई थी, उसी से इसकी साक्षी होती है कि माता परमेश्वर का अस्तित्व है जो अन्तिम दिनों में उद्धार पाने वालों को अनन्त जीवन देती है।

माता परमेश्वर जो सारी रचनाओं में प्रत्यक्ष होती है

परमेश्वर ने केवल बाइबल के व्यक्तियों के द्वारा नहीं, पर सारी रचनाओं के द्वारा, जिनकी सृष्टि उसने की, अपने अस्तित्व को प्रकट किया है।

“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा, आदर और सामर्थ्य के योग्य है, क्योंकि तू ने ही सब वस्तुओं को सृजा, और उनका अस्तित्व और उनकी सृष्टि तेरी ही इच्छा से हुई।” प्रक 4:11

जिस तरह परमेश्वर ने अपनी पूर्व योजना के अनुसार सारे जीवों के पास पिता और माता रखा, वह हमें परमेश्वर की यह इच्छा ज्ञात करता है कि हम सारी रचनाओं के द्वारा अदृश्य परमेश्वरत्व को महसूस करके पिता और माता परमेश्वर को जानें और कोई भी माता परमेश्वर का इनकार न कर पाए।

“परमेश्वर से सम्बन्धित ज्ञान मनुष्यों पर प्रकट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रकट किया है … क्योंकि जगत की सृष्टि से ही परमेश्वर के अदृश्य गुण, अनन्त सामर्थ्य और परमेश्वरत्व उसकी रचना के द्वारा समझे जाकर स्पष्ट दिखाई देते हैं, इसलिए उनके पास कोई बहाना नहीं।” रो 1:18-20

परमेश्वर की सृष्टि की योजनाओं में एक समानता है। समुद्र में मछलियां, आकाश में पक्षी, मैदान पर दौड़ने वाले पशु और यहां तक कि छोटे-छोटे कीड़ों के पास भी पिता और माता हैं जो उन्हें जीवन देते हैं। अवश्य ही, हम, मानव जाति की स्थिति भी वैसी ही हैं। जब परमेश्वर ने सृष्टि की, परमेश्वर ने सारे जीवों को दोनों, माता-पिता के द्वारा, जीवन पाने दिया। इस सृष्टि की योजना के द्वारा, परमेश्वर की सारी रचनाओं में यह तथ्य हमें स्पष्ट दिखाई देता और समझाता है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर केवल पिता परमेश्वर नहीं, पर उसके साथ माता परमेश्वर भी हैं।

“फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं। और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलू पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगनेवाले जन्तु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें।” और परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में सृजा। अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसको सृजा। उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की।” उत 1:26-27

जब परमेश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की, ऐसा नहीं कहा, “मैं बनाऊंगा” बल्कि कहा, “हम बनाएं”, और अपने स्वरूप के अनुसार नर और नारी को बनाया। इसमें यह प्रत्यक्ष होता है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर एक नहीं है, पर नर के स्वरूप में पिता परमेश्वर और नारी के स्वरूप में माता परमेश्वर हैं।

इस कारण से हमें परमेश्वर के ज्ञान को यत्न से ढूंढ़ना चाहिए। जिस प्रकार सभी जीवित प्राणी माता के द्वारा शारीरिक जीवन पाते हैं, उसी प्रकार हम माता परमेश्वर के द्वारा आत्मिक जीवन पाते हैं। दूसरे शब्द में हमें अनन्त जीवन पाने के लिए पिता परमेश्वर के साथ अवश्य ही, माता परमेश्वर पर विश्वास करना है।

जो दोनों, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को, सम्पूर्ण हृदय से स्वीकार करते और विश्वास करते हैं, वे ही सचमुच सही रूप से परमेश्वर को जान कर विश्वास करने वाले हैं। चाहे कोई मसीही जीवन बिताने के लिए संघर्ष करता हो, यदि वह माता परमेश्वर को नहीं जानता, तब उसका विश्वास निष्फल है, क्योंकि वह अनन्त जीवन नहीं पा सकता।

यीशु ने कहा, “प्रत्येक जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु! कहता है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, मगर जो पिता की इच्छा पर चलता है, वही प्रवेश करेगा।” पिता की इच्छा तो बहुत सारी हैं, उनमें से माता परमेश्वर पर, जो पिता ने लंबे समय से हम पर प्रकट करना चाहता था, सम्पूर्ण रूप से विश्वास करके उसका पालन करना ही, इस ज़माने में पिता की सच्ची इच्छा है।

फिलहाल संसार के अनेक क्षेत्रों में बहुतेरे लोगों को यरूशलेम स्वर्गीय माता के सत्य पर बहुत आश्चर्य होता है और वे माता के नाम को स्वीकार कर रहे हैं। जो पहले सुसमाचार का बंजर स्थान था, वह माता की महिमा के प्रसारित होने के द्वारा ही, फलदायक स्थान में बदल रहा है। यह आश्चर्यकर्म मनुष्य की सामर्थ्य से सम्भव नहीं हो सकता। जीवन, जो पहले परमेश्वर के अन्दर था, वह इस ज़माने में माता परमेश्वर के रूप में प्रकट हुआ है। इस पर विश्व के लोग, जो केवल पिता परमेश्वर पर विश्वास करते आए थे, ज़्यादा अचंभित होकर सत्य की ओर आ रहे हैं।

जीवन का जल देने वाली माता परमेश्वर

यदि कोई पिता परमेश्वर के साथ माता परमेश्वर पर विश्वास न करे, वह अनन्त जीवन बिल्कुल नहीं पा सकेगा। परमेश्वर ने बाइबल के 66 ग्रंथों के द्वारा इसके बारे में हमें शिक्षाएं दी हैं। परमेश्वर ने बाइबल के आरंभिक ग्रंथ, उत्पत्ति ग्रंथ में आदम द्वारा हमें अन्तिम आदम को दिखाया है जो जीवनदायक आत्मा है, और हव्वा के द्वारा अन्तिम हव्वा को दिखाया है जो अन्तिम आदम के अन्दर जीवन और सब जीवितों की माता है। और परमेश्वर ने बाइबल के अन्तिम ग्रंथ, प्रकाशितवाक्य ग्रंथ में हमें जीवन देने वाले पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में स्पष्ट साक्षी दी है।

“आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुनने वाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो, वह आए। जो चाहता है, वह जीवन का जल बिना मूल्य ले।” प्रक 22:17

जीवन का जल अनन्त जीवन के लिए उमड़ने वाला सोता है।(यूह 4:10-14 संदर्भ) वह जो हम, मनुष्यों को अनन्त जीवन दे सकता है, परमेश्वर के अलवा कोई नहीं है। इस अनन्त जीवन का जल आत्मा और दुल्हिन पूरे मानव–जाति को दे रहे हैं। आत्मा तीन रूपों के परमेश्वर में पवित्र आत्मा परमेश्वर है, और दुल्हिन पवित्र आत्मा की पत्नी, यरूशलेम माता है। अर्थात् पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर ही सन्तान को अनन्त जीवन दे रहे हैं।

इसलिए हम एलोहीम परमेश्वर को सम्पूर्ण रूप से महसूस करके विश्वास करने से अनन्त जीवन पा सकते हैं। संसार में अनेक लोग बाइबल जानने का दावा करते हैं, मगर वे माता परमेश्वर के अस्तित्व को नहीं जान सकते। क्योंकि माता परमेश्वर सिर्फ सिय्योन में रहती है, जो पिता परमेश्वर ने स्थापित किया, और जहां नियत पर्व मनाए जाते हैं। परमेश्वर उसी सिय्योन से जीवन का जल देता है और सिय्योन की सन्तान को अनन्त जीवन व उद्धार देता है।

अब भी, संसार के अनेक क्षेत्रों में बहुतेरे लोग माता परमेश्वर के उद्धार का समाचार नहीं सुन पाए हैं। जैसा कि लिखा है, ‘राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा कि सब जातियों पर साक्षी हो’(मत 24:14) हमें उन्हें स्वर्गीय पिता और माता के उद्धार का समाचार जल्दी से जल्दी सुनाना चाहिए, कि परमेश्वर की यह भविष्यवाणी पूरी हो जाए, ‘चारों दिशाओं में आकाश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक, चुने हुओं को एकत्रित करेंगे’। आशा है कि आप, सिय्योन की सन्तान, सुसमाचार की तुरही और बलपूर्वक फूंकें, जिससे कि पूरा संसार साथ मिल कर स्वर्गीय यरूशलेम माता परमेश्वर की महिमा की स्तुति करने का और सदा के नए आकाश और नई पृथ्वी में हमारे स्वर्गीय पिता और माता के साथ अनन्त जीवन की आशीष पाने का महिमामय दिन जल्दी निकट आ सके।