भाग्य

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“वे घटनाएं जो भविष्य में एक निश्चित व्यक्ति या चीज के साथ आवश्य घटित होंगी, या भविष्य में होनीवाली चीज को नियंत्रित करनेवाली गूप्त उर्जा।”

यह भाग्य की व्याख्या है। सीधे शब्दों में कहें तो यह किसी चीज को सूचित करता है जो मानव शक्ति से परे है।

एक भिखारी के पास जीवन का एक निराशावादी दृष्टिकोण था। उसने सोचा उसका भाग्य अमीर या महान लोगों से अलग था। उसने एक ज्ञानी आदमी से पूछा, “मेरा भाग्य क्यों उनके भाग्य से अलग है?”

उस ज्ञानी आदमी ने उससे उत्तर दिया, “तुम्हारा भाग्य उनके भाग्य से अलग नहीं है। उनका जन्म तुम्हारे जैसे भाग्य के साथ हुआ।”

उसकी बातों से, उस भिखारी को थोड़ा सा आशा होने लगी। वह अपने जीवन में बदलाव की प्रतिक्षा करते हुए जिया। फिर वह मर गया।

भिखारी के मर जाने के बाद, उस ज्ञानी आदमी के चेलों ने उससे पूछा,

“वह एक भिखारी के रूप में ही मर गया। आपने उसे यह क्यों कहा कि उसके पास अमीर या महान लोगों का ही भाग्य है?”

“हर एक का भाग्य एक समान है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। वे सभी मर जाते हैं, है न?”

इस संसार में जो कोई भी जन्म लेता है वह मृत्यु के भाग्य से बच नहीं सकता। बाइबल भी सिखाती है कि मृत्यु हर किसी का भाग्य है।

और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है…इब्र 9:27

तब, मनुष्य के लिए मरना क्यों नियुक्त है?

देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं… इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।यहेज 18:4

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है…रो 6:23

मनुष्य स्वर्ग में किए पापों के कारण मरने के लिए नियुक्त है। पाप की मजदूरी मृत्यु है। हम स्वयं की क्षमता से इसे बदल नहीं सकते। लेकिन, परमेश्वर ने इन दयनीय प्राणियों का भाग्य बदल दिया। हमें मृत्यु से दण्डित किया जाना था, पर परमेश्वर ने हमारा भाग्य बदल दिया है ताकि हम सदा के लिए जी सकें।

और जिसकी उसने हमसे प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है।1यूह 2:25

परमेश्वर ने हम से अनंत जीवन की प्रतिज्ञा की जो मरने के लिए नियुक्त थे। उन्होंने सब वस्तुएं अपनी इच्छा से सृजीं ताकि हम सरलता से समझ सकें कि हम उस प्रतिज्ञा को कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गईं।”प्रक 4:11

सभी जीवित प्राणी अपनी माताओं से जीवन पाते हैं। यह परमेश्वर की इच्छा है। हम अपना आत्मिक जीवन अपनी माता से पा सकते हैं।

पर ऊपर(स्वर्ग) की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है… हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं… हम दासी के नहीं परन्तु स्वतंत्र स्त्री की सन्तान हैं।गल 4:26-31

हम स्वर्गीय माता से परमेश्वर के अनंत जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। हमारा भाग्य को मृत्यु से अनंत जीवन में बदलने की कुंजी स्वर्गीय माता के पास जाना है।

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।प्रक 22:17