उसके हाथ सूर्यास्त तक स्थिर रहे

निर्गमन 17:8–16

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मिस्र से निकलने के बाद इस्राएली सीन की मरुभूमि से चल पड़े और रपीदीम पहुंचे, तब अमालेकियों ने आकर उन पर हमला किया। अमालेकियों के खिलाफ लड़ाई करने से पहले मूसा ने यहोशू से कहा,

“कुछ लोगों को चुनो और बाहर जाकर अमालेकियों से लड़ो। मैं कल परमेश्वर की लाठी हाथ में लिए हुए पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूंगा।”

मूसा की इस आज्ञा के अनुसार यहोशू इस्राएल के सैनिकों के साथ अमालेकियों से लड़ने लगा, और मूसा हारून और हूर को लेकर पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गया।

विजय मूसा के हाथों पर निर्भर थी। जब तक मूसा अपने हाथों को हवा में उठाता था, तब तक इस्राएल के लोग युद्ध जीत लेते थे। किन्तु जब मूसा अपने हाथों को नीचे करता था, तब इस्राएल के लोग युद्ध में हारने लगते थे। जब मूसा लंबे समय तक हाथ उठाने के कारण थक गया, तब हारून और हूर ने एक पत्थर लेकर मूसा के नीचे बैठने के लिए रख दिया, और फिर उन्होंने मूसा के दोनों ओर खड़े होकर मूसा के हाथों को हवा में पकड़े रखा।

इस तरह मूसा ने सूर्यास्त तक अपने हाथ ऊपर उठाए रखा। इसलिए यहोशू और उसके सैनिकों ने अमालेकियों को युद्ध में हरा दिया।

इस्राएलियों की विजय के लिए मूसा ने सूरज के डूबने तक अपने हाथ ऊपर उठाते हुए बलिदान किया। मूसा उन यीशु मसीह को दर्शाता है जिन्होंने क्रूस पर उठाए जाने के बलिदान के द्वारा परमेश्वर के लोगों का शैतान के विरुद्ध युद्ध में विजय पाने के लिए नेतृत्व किया। हमारे उद्धार के पीछे मसीह का बलिदान है जिन्होंने अपनी सन्तानों की आत्मिक विजय के लिए अपने प्राण तक बलिदान किया।

इस युग में भी परमेश्वर अपने हाथ उठाए हुए हैं। स्वर्गीय माता उन स्वर्गीय संतानों की अनन्त विजय के लिए जो दुष्ट आत्माओं के खिलाफ भयंकर लड़ाई कर रही हैं, दोनों हाथ जोड़कर ईमानदारी से प्रार्थना करती हैं। आज इस पल भी माता आंसुओं के साथ प्रार्थना कर रही हैं।