पिछली गर्मियों में, मैंने यूरोप में स्थित चर्च ऑफ गॉड का दौरा किया। वहां मैं बहुत भाइयों और बहनों से मिल सका, जिन्होंने परमेश्वर की इच्छा का पालन करते हुए बड़े जोश के साथ सुसमाचार के लिए दिन–रात कड़ी मेहनत की। उन्होंने मुझे बहुत सी चीजों का मार्मिक एहसास कराया है।
अगर मैं यूरोप के दौरे के दौरान प्राप्त अनुभूत भाव को संक्षेप में कहूं, तो यूरोप अंधेरी जगह थी जहां सत्य की ज्योति अभी तक पूरी तरह से नहीं चमकी है। चूंकि वह गहरे अंधेरे में था, बाइबल का सत्य प्रदूषित और विकृत किया गया। लेकिन लोगों ने उसे बिल्कुल भी महसूस नहीं किया। एक बड़े पुराने चर्च के बाहर दर्जनों मूर्तियां लगी थीं, और वहां पर लोग उद्धार का सत्य नहीं खोज सकते थे। फिर भी, लोग इसके बारे में परवाह नहीं करते थे; वे परमेश्वर से बहुत दूर रहते थे।
एलोहीम परमेश्वर इस पृथ्वी पर आए हैं, तो यहां ऐसी अंधेरी जगह नहीं होनी चाहिए। परमेश्वर हमें “जगत की ज्योति” कहते हैं, इसलिए हमें पूरे संसार में परमेश्वर की महिमा की ज्योति को चमकाना चाहिए; पिता और माता की आज्ञा का पालन करते हुए, अगर हम सामरिया और पृथ्वी की छोर तक जाएंगे, तो जल्दी ही सारी जातियों में सुसमाचार का प्रचार किया जाएगा और सिर्फ यूरोप ही नहीं पर पूरा संसार परमेश्वर की ज्योति के साथ उज्ज्वल बनेगा। अब आइए हम सोचें कि संसार की ज्योति और नमक बनने के लिए हमारा रवैया कैसा होना चाहिए।
मैं आपको एक मजेदार कहानी बताना चाहूंगा, जो मैंने फ्रांस में तीसरे दिन की आराधना के बाद एक भाई से सुनी थी। यह कहानी खासकर दक्षिण फ्रांस के लोगों पर व्यंग्य करती है, जो सुस्त और आलसी माने जाते हैं। चूंकि फ्रांस में समाज कल्याण बहुत विकसित किया गया है, इसलिए बहुत से लोग कड़ी मेहनत करने के लिए अनिच्छुक होते हैं। यह हास्य कहानी फ्रांस में इस प्रकार की सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन करती है।
दक्षिण फ्रांस में दो आलसी भाई रहते थे। एक दिन, उनके घर में एक बिजली की बत्ती खराब हो गई, और उन्हें छत से लटके बिजली के बल्ब को बदलने की जरूरत थी। बड़े भाई ने, जिसे काम करने का ख्याल जरा भी नहीं था, अपने छोटे भाई से बल्ब बदलने के लिए कहा, पर वह भी यह कहते हुए नहीं हिला, “तुम मुझसे लंबा हो, इसलिए तुम स्वयं इसे बदलो और मुझे मत कहो।” क्योंकि वे दोनों ऐसे आलसी थे, वे सिर्फ एक दूसरे को बल्ब बदलने के लिए कहते रहे और उसे करने को इच्छुक नहीं थे। हालांकि, जैसे वह कमरा अंधेरा हो रहा था, उनके लिए वहां पर बिना बिजली के रहना असुविधाजनक हो गया। आखिरकार, वे एक साथ बल्ब बदलने के लिए सहमत हुए।
बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को अपने कंधे पर बिठाया, ताकि वह बिजली के बल्ब को जो ऊंचाई पर था, बदल सके। छोटे भाई को सिर्फ वह बिजली का बल्ब घुमाना था और उसे निकालकर नया बल्ब लगाना था। बड़ा भाई अपने छोटे भाई के बल्ब घुमाने और उसे बदलने का इंतजार कर रहा था, पर हैरत की बात थी, कि ऊपर से कोई आवाज नहीं आ रही थी। तब बड़े भाई के, जिसने अपने भाई को अपनी पूरी शक्ति के साथ ऊपर थामे रखा था, धीरज का अंत हो गया, और बड़े भाई ने अपने छोटे भाई से जल्दी करने के लिए कहा। तब उसके छोटे भाई ने कुछ नाराजगी भरी आवाज में कहा,
“तुम स्वयं घुम सकते हो। तो क्यों तुम मुझसे बल्ब घुमाने के लिए कह रहे हो?”
यह कहानी सिर्फ दक्षिण फ्रांस के लोगों पर व्यंग्य नहीं करती, पर यह हमें अपना निरीक्षण करने में भी मदद करती है कि इस युग में हम क्या कर रहे हैं। परमेश्वर के द्वारा सौंपा गया मिशन पूरा करते समय, अगर हम अपने कत्र्तव्य को एक–दूसरे पर टालेंगे, तो हम उन आलसी भाइयों के समान हैं जो एक–दूसरे को सिर्फ यह कहते रहे, “तुम उसे करो,” “नहीं, तुम करो।” हालांकि परमेश्वर ने हमें सब कुछ दिया है, लेकिन अगर हम कोई प्रयास न करते हुए आलस करेंगे, तो हम उस भाई की तरह होंगे, जिसने कहा, “तुम स्वयं घुम सकते हो। क्यों तुम मुझसे बल्ब घुमाने के लिए कह रहे हो?”
हमें संसार की ज्योति और नमक बनने का मिशन सौंपा गया है। यह मिशन ऐसा काम नहीं है, जिसे सिर्फ छोटे भाई या बड़े भाई को करना चाहिए, लेकिन हम सभी को करना चाहिए। पिता और माता ने हमें बिजली का बल्ब दिया है और हमारे लिए सब कुछ तैयार करके रखा है, और जो हमें करना है, वह सिर्फ बल्ब को घुमाना ही है। फिर भी, अगर हम सिर्फ किसी दूसरे के काम करने का इंतजार करें, तो दुनिया का मिशन पूरा होने में असीमित देरी होगी और हमारी आशीष भी चली जाएगी। हमें इस तथ्य को मन में रखना चाहिए।
संसार अभी इंतजार कर रहा है कि कोई परमेश्वर के वचन का प्रचार करे। सिय्योन के लोगों को दुनिया भर में जाकर, झूठ क्या है और सत्य क्या है, यह बताने का मिशन सौंपा गया है। परमेश्वर ने हमें निम्न वचन के द्वारा यह सिखाया कि हमें इस दुनिया में जीवन जीते हुए किस प्रकार का मिशन करना चाहिए:
इसलिये तुम उनके सहभागी न हो। क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, अत: ज्योति की सन्तान के समान चलो। इफ 5:7–8
तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा?… तुम जगत की ज्योति हो… और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें। मत 5:13–16
परमेश्वर हमें जगत की ज्योति और नमक कहते हैं। आइए हम ज्योति और नमक की भूमिका के बारे में सोचें। ज्योति की भूमिका है कि अंधकार को भगाए और अंधकार में क्या छिपा है, यह पहचानने के लिए लोगों की मदद करे, और नमक की भूमिका है कि किसी चीज को सड़ने से बचाए और गंदगी को साफ करे। आत्मिक रूप से जो वैसा काम करता है, वह ऐसा माना जा सकता है कि वह ज्योति और नमक का मिशन निभाता है।
इस मिशन को सही तरह से पूरा करने के लिए, हमें पहले लोगों को झूठ और सत्य में अंतर पहचानना सिखाना चाहिए। अंधकार में हम कुछ भी नहीं देख सकते; भले ही सारी चीजें टेढ़ी और गंदी हैं, फिर भी हम उसे महसूस नहीं कर सकते। इसलिए हमें, जिन्हें स्वर्गीय पिता और माता से ज्योति का मिशन मिला है, अंधकार की सभी जगहों पर जाकर सत्य की ज्योति चमकानी चाहिए। अगर हम अंधकार में ज्योति चमकाएंगे, तो सब कुछ जो गलत और विकृत है, प्रकट होगा और ठीक किया जाएगा।
जैसे सिय्योन के लोग सुसमाचार की बंजर भूमि पर जाते हैं और सत्य की ज्योति चमकाते हैं, बहुत आत्माएं सत्य से प्रेरित होती हैं और उद्धार की ओर आती हैं। जब बाइबल की 66 पुस्तकों में दर्ज परमेश्वर के वचनों की उज्ज्वल ज्योति उन लोगों के मनों में चमकाई जाती है, जो परमेश्वर के वचनों से बहुत दूर रहते हैं, तब वे पहचानते हैं कि क्या गलत है और क्या विकृत है, और सुसमाचार ग्रहण करते हैं।
वे अभी भी परमेश्वर के वचन के लिए भूखे और प्यासे हैं। इसलिए वे आत्मिक भोजन और जीवन के जल, यानी परमेश्वर के वचनों का अध्ययन करने में बहुत खुशी महसूस करते हैं और लगातार अपने मिशनरियों से और अधिक बाइबल का सत्य सिखाने के लिए बार–बार अनुरोध करते हैं। जब मैं ऐसे विदेशी सदस्यों का शुभ समाचार सुनता हूं या उनमें से किसी को स्वयं देखता हूं, तब मैं जल्दी ही अंधेरी जगह जाकर गलत चीज को सही और अशुद्ध चीज को शुद्ध करने का ज्योति और नमक का कार्य ईमानदारी से करने को उत्सुक हो जाता हूं। यदि हम उनसे स्पष्ट रूप से कहें कि क्या गलत है और क्या परमेश्वर चाहते हैं कि उनके लोग करें, तब बहुत लोग परमेश्वर की इच्छा को महसूस करेंगे और सिय्योन की ओर उमड़ आएंगे।
इसी प्रकार यदि निर्जीव वस्तुएं भी जिनसे ध्वनि निकलती है, जैसे बांसुरी या बीन, यदि उनके स्वरों में भेद न हो तो जो फूंका या बजाया जाता है, वह कैसे पहिचाना जाएगा? और यदि तुरही का शब्द साफ न हो, तो कौन लड़ाई के लिये तैयारी करेगा? ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ–साफ बातें न कहो, तो जो कुछ कहा जाता है वह कैसे समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करनेवाले ठहरोगे। 1कुर 14:7–9
जब हम परमेश्वर के वचन का प्रचार करते हैं, हमें इस तरह अस्पष्ट ध्वनि में नहीं बोलना चाहिए, जैसे कोई नहीं पता लगा पाए कि क्या यह बांसुरी की ध्वनि हो या फिर सारंगी की ध्वनि हो। सुसमाचार की तुरही की ध्वनि साफ होनी चाहिए। अगर हमारे सुसमाचार का संदेश साफ न हो, तो सुननेवाले नहीं समझ सकते कि हम क्या कह रहे हैं; उन्हें सब्त का दिन मनाना चाहिए कि नहीं, या उन्हें सब्त का दिन रविवार को मनाना चाहिए या शनिवार को, लोग यह नहीं जानेंगे और अंधेरे में भटकते रहेंगे। जिन्हें ज्योति और नमक का मिशन सौंपा गया है, उन्हें लोगों को आत्मिक चीजों में अंतर पहचानना सिखाना चाहिए। इसके लिए, हमें परमेश्वर के पक्के वचनों की ज्योति अपने साथ लेना चाहिए और उससे अंधकार को भगाना चाहिए।
क्योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करनेवाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरनेवाले हैं। यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। इसलिए यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कोई बड़ी बात नहीं, परन्तु उनका अन्त उनके कामों के अनुसार होगा। 2कुर 11:13–15
बाइबल कहती है कि शैतान के सेवक मसीह के चेलों का रूप धारण करके प्रकट होंगे। गहरे आत्मिक अंधकार में “हे प्रभु, हे प्रभु,” कहनेवाले सभी लोग परमेश्वर पर विश्वास करनेवाले लोग जैसे दिखते हैं। लेकिन अगर सत्य की उज्ज्वल ज्योति अंधेरे में चमकेगी, तो लोग देख सकेंगे कि क्या वे सच्चे नबी हैं या झूठे नबी, और क्या उनका विश्वास सच्चा है या व्यर्थ।
कोई फर्क नहीं पड़ता, चाहे शैतान के सेवक बड़ी चतुराई से ज्योतिर्मय स्वर्गदूतों का रूप या धर्म के सेवकों का सा रूप धारण करें। वे शैतान का कार्य ही करेंगे। शैतान ने मृत्यु की व्यवस्था बनाई है, ताकि वह पूरे संसार को भरमाकर सारे लोगों की अगुवाई मृत्यु की ओर कर सके। परमेश्वर ने जीवन की व्यवस्था बनाई है, ताकि वह पूरे संसार के लोगों की प्रायश्चित्त और स्वर्ग के राज्य की ओर अगुवाई कर सकें। इसलिए शैतान के सेवक हर संभव तरीके से शैतान की व्यवस्था को फैलाने की कोशिश करेंगे, जबकि परमेश्वर के सेवक परमेश्वर की व्यवस्था का प्रचार करने का लगातार प्रयास करेंगे। हमें परमेश्वर के सेवकों के रूप में लोगों को साफ–साफ बताना चाहिए कि जीवन की व्यवस्था क्या है और मृत्यु की व्यवस्था क्या है।
और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन् साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे। दान 7:25
परमेश्वर का विरोध करने वाले शैतान ने पवित्र लोगों को, जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और उनका भय मानते हैं, पीस डाला और परमेश्वर की व्यवस्था को अपनी व्यवस्था में बदल दिया। परमेश्वर उन्हें सख्त फटकार लगाते हैं, जो परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़कर शैतान की व्यवस्था का पालन करते हैं।
मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो… गल 1:6–10
… ‘ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझ से दूर रहता है। ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ क्योंकि तुम परमेश्वर की आज्ञा को टालकर मनुष्यों की रीतियों को मानते हो। उसने उनसे कहा, “तुम अपनी परम्पराओं को मानने के लिये परमेश्वर की आज्ञा कैसी अच्छी तरह टाल देते हो! मर 7:6–9
देखने में शैतान के सेवक परमेश्वर के सेवकों की तरह लगते हैं, जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। लेकिन अगर परमेश्वर की ज्योति उन पर चमकती है, तो आसानी से उनके बीच अंतर साफ–साफ पहचाना जाएगा। जब अंधकार में सत्य की ज्योति चमकती है, तब यह प्रकट होता है कि लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, वे भले ही होंठों से परमेश्वर का आदर करते हैं, लेकिन परमेश्वर की व्यवस्था का नहीं, पर शैतान की व्यवस्था का पालन करते हैं। बाइबल वर्णन करती है कि जिसका वे पालन करते हैं, वह “दूसरा सुसमाचार” या “मनुष्यों की आज्ञा” है।
… तब वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना सांप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए। प्रक 12:7–9
शैतान और उसके दूतों ने, जिन्हें पृथ्वी पर गिरा दिया गया था, सत्य की ज्योति को पूरी तरह लोगों से छिपाया और चालाकी से उन्हें भरमाया। इसलिए संसार के लोगों ने बिना किसी अपराध–भाव के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ दिया और शैतान की उस व्यवस्था का पालन किया, जो चतुराई से बदली गई।(प्रक 13:1–8) हालांकि, जैसे ही परमेश्वर की महिमा की ज्योति अंधेरे में चमकी, यह पता चला कि बड़ा बेबीलोन, जिसे परमेश्वर का मंदिर माना गया, दरअसल दुष्टात्माओं का निवास स्थान है। परमेश्वर अपने लोगों से जल्दी उसमें से बाहर निकलने को कहते हैं, ताकि वे उसके पापों में भागी न हों, और उसकी विपत्तियों में से कोई उन पर आ न पड़े।(प्रक 18:1–5)
सत्य की व्यवस्था, जिसे परमेश्वर ने स्थापित किया, शैतान के सेवकों की पहचान को उजागर करने वाली ज्योति के रूप में कार्य करती है और साबित करती है कि हम परमेश्वर की संतान हैं। परमेश्वर उन्हें, जो परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करते हैं, “मेरी संतान” कहते हैं।
तब अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष संतान से, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानती और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, लड़ने को गया। और वह समुद्र के बालू पर जा खड़ा हुआ। प्रक 12:17
पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं। प्रक 14:12
जिनका शैतान सबसे ज्यादा विरोध करता है, वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन करनेवाले हैं। संसार में हर कोई जब तक परमेश्वर की व्यवस्था का पालन नहीं करता, तब तक अनिवार्य रूप से शैतान की व्यवस्था का पालन करता है। लेकिन परमेश्वर के लोग पूरे विश्वास के साथ परमेश्वर की आज्ञा, यानी परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करते हैं और उसका प्रचार करते हैं।
परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी है कि हम सभी लोगों को परमेश्वर की ओर से चिताएं। हमें दुनिया के सभी देशों में सुसमाचार की उज्ज्वल ज्योति को चमकाना चाहिए। किसी के उन्हें प्रचार किए बिना वे कैसे सुन सकते हैं? वे तभी झूठ और सत्य में फर्क कर सकते हैं और सच्चा विश्वास रख सकते हैं जब कोई उन्हें सत्य का प्रचार करे। (रो 10:14–15)
हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशलेम को देखेगा… वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा… क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है, वही हमारा उद्धार करेगा… और जो लोग उसमें बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा। यश 33:20–24
सिय्योन में, जहां परमेश्वर के नियत पर्व मनाए जाते हैं, परमेश्वर ने नई वाचा, यानी परमेश्वर की व्यवस्था की घोषणा की है और उस व्यवस्था के द्वारा सिय्योन में रहनेवाले लोगों पर पापों की क्षमा का अनुग्रह प्रदान किया है।
“तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना।”(निर्ग 20:8) यह परमेश्वर के द्वारा दी हुई व्यवस्था है। “मैं तेरे यहां फसह मनाऊंगा…”(मत 26:18) ऐसा कहकर, यीशु ने हमें आज्ञा दी, “मेरे स्मरण के लिए यही किया करो।”(लूक 22:19–20) यह भी परमेश्वर के द्वारा दी हुई व्यवस्था है। फिर भी, झूठे प्रेरित परमेश्वर की व्यवस्था से पूरी तरह इनकार करते हैं और परमेश्वर के लोगों का विरोध करते हैं जो परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करते हैं। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, वह कौन है जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने वाले लोगों का विरोध करता है? बाइबल स्पष्ट रूप से झूठे नबियों की पहचान को उजागर करती है।
जो परमेश्वर की व्यवस्था नहीं, पर शैतान की व्यवस्था का पालन करते हैं, वे कभी भी परमेश्वर को नहीं जान सकते। जो लोग सब्त का दिन मनाते हैं, वे सब्त के द्वारा उन सृष्टिकर्ता एलोहीम परमेश्वर को खोज सकते हैं, जिन्होंने सारी चीजें बनाईं और सातवें दिन विश्राम किया। लेकिन जो मनुष्यों की आज्ञाओं का पालन करते हैं, वे परमेश्वर को खोज नहीं सकते। लोग जो नई वाचा का फसह का पर्व मनाते हैं, वे उद्धारकर्ता परमेश्वर को खोज सकते हैं। लेकिन जो नई वाचा की अवहेलना करते हैं, वे छुटकारे का अनुग्रह नहीं पा सकते, जो परमेश्वर फसह के पर्व के द्वारा देते हैं। यह इसलिए है कि परमेश्वर अपनी व्यवस्था के द्वारा अपने लोगों को पवित्र करते हैं।
हमने सिय्योन में एलोहीम परमेश्वर को ग्रहण किया है, और हम परमेश्वर की व्यवस्था, यानी नई वाचा की व्यवस्था, जिसे परमेश्वर ने सिय्योन में घोषित किया, का पालन कर रहे हैं। इसलिए हमें इस तथ्य पर गर्व महसूस करना चाहिए कि हम उस व्यवस्था में हैं जिसे परमेश्वर ने घोषित किया है, और जहां भी हम जाते हैं, हमें साहस के साथ इस तथ्य की गवाही देनी चाहिए।
हमारे स्वर्गीय पिता और माता ने, जो सच्ची ज्योति है, अंधेरे में हम पर सत्य की ज्योति चमकाई है, जिसके द्वारा हम सब कुछ पहचान सकते हैं, और उन्होंने जीवन के मार्ग की ओर हमारी अगुवाई की है। तो आइए हम भी ज्योति की संतान के रूप में सत्य की ज्योति को हर अंधेरी जगह पर चमकाएं। जिन्होंने अभी तक सत्य नहीं सुना है, वे अभी भी अंधकार में हैं। इसलिए वे जहां कहीं भी हैं, हमें उनके पास जाना चाहिए और सत्य की ज्योति उन पर चमकानी चाहिए। दस मोमबत्तियां एक मोमबत्ती से और अधिक उज्ज्वल ज्योति उत्पन्न कर सकती हैं, और एक सौ मोमबत्तियां दस मोमबत्तियों से और अधिक उज्ज्वल ज्योति उत्पन्न कर सकती हैं। इसी प्रकार जब सिय्योन के सभी सदस्य सत्य के दीपक को ऊंचा उठाकर दुनिया की हर जगह पर चमकाएंगे, तब हमारे सभी बिखरे हुए स्वर्गीय परिवार के सदस्य सत्य को पहचानेंगे और परमेश्वर की बांहों में वापस आएंगे।
हमारे प्रति जिन्हें ज्योति और नमक का मिशन सौंपा गया है, यही हमारे स्वर्गीय पिता और माता की इच्छा है कि हम उन लोगों पर सत्य की ज्योति को चमकाएं जो अभी भी अंधकार में रहकर किसी चीज को पहचानने में असमर्थ हैं, ताकि वे झूठ और सत्य को पहचान सकें, और जो भी प्रदूषित और भ्रष्ट है, उसे शुद्ध करें। आइए हम इस ज्योति और नमक के मिशन को पूरे विश्वास के साथ पूरा करें। अभी भी बहुत सारे लोग अंधकार में हैं। मैं आपसे विनती करता हूं कि ज्योति और नमक की तरह जल्दी ही सभी अंधेरी जगहों पर सत्य की ज्योति चमकाइए और अपने सभी खोए हुए भाइयों और बहनों को ढूंढ़कर पिता और माता को महिमा दीजिए।