परमेश्वर की स्तुति करो

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बाइबल में यह वचन है कि “सर्वदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना करो, प्रत्येक परिस्थिति में धन्यवाद दो क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है”। एक बार माता ने ऊपर के बाइबल के वचन पर जोर देकर कहा कि पिता उसे बहुत आशीषित करेगा जो परमेश्वर को बहुत सा धन्यवाद देता है।

मैं विश्वास करता हूं कि सिय्योन में भाई और बहनें माता के वचन के अनुसार परमेश्वर को हमेशा धन्यवाद और महिमा देते हैं। सब कुछ परमेश्वर के हाथ में हैं, और परमेश्वर अपनी योजना के अनुसार सुसमाचार का कार्य पूरा करता है। जब हम इस पर विश्वास करते हुए प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर को धन्यवाद, महिमा और स्तुति देते हैं, तब परमेश्वर खोए हुए स्वर्ग के भाई और बहनों को बहुत ही जल्दी सिय्योन में लाएगा। सुसमाचार का कार्य मनुष्य की सामर्थ से बिल्कुल पूरा नहीं होता। मैं आशा करता हूं कि आप इसे महसूस करें और हमेशा धन्यवादी व खुश मन से प्रार्थना करने में लगे रह कर सुसमाचार का कार्य भली प्रकार पूरा करें।

संचालक और छड़ी

गायन प्रतियोगिता में एक संगीतकार को बड़े गायक–दल का संचालन करने का मौका मिला। उसे बहुत लोगों के सामने प्रस्तुत करना था। इसलिए प्रतियोगिता से पहले, वह गायकों व गायिकों को बुला कर अभ्यास करने में जुटता था। प्रतियोगिता से एक दिन पहले, पूर्वाभ्यास करने के लिए सब इकट्ठे हुए थे। सब ने स्वर–संगति के साथ गाना गाया। उनकी लय में बहुत सौंदर्य था। इससे संगीतकार का मन बहुत संतुष्ट हुआ। संगीतकार ने छड़ी को नीचे रखा और थोड़ी देर का आराम करने के लिए कुर्सी पर बैठा।

तब छड़ी एक तरफ खड़खड़ा गई, और उस छड़ी ने प्रदर्शन–मंच से कहा,

“हे मंच, मंच! क्या आज तुमने मुझे इशारा करते देखा? मैं कितना समर्थ हूं।”

इसे अजीब मान कर मंच ने जवाब दिया,

“मैंने तुम्हें इशारा करते कभी नहीं देखा। तुमने कब किया है?”

“क्या तुमने थोड़ी देर पहले गायक–दल की लय को नहीं सुना? उनकी लय कितनी मधुर और विशाल थी! और मैंने ही इसे सरल और तीव्र करके गतिशील बनाया है।”

छड़ी ने इस तरह डींग मारते हुए कहा। इस पर मंच हंसने लगा, और कहा,

“तुम्हारे इशारों पर उन्होंने नहीं गाया। सिर्फ इशारे देने के उपकरण के रूप में, संगीतकार ने थोड़ी देर के लिए तुम्हारा प्रयोग किया।”

मंच की बात पर छड़ी का गुस्सा फूट पड़ा।

“तुम क्या बात करते हों? मेरे घूमने के अनुसार ही लय चल रही थी। क्या तुमने इसे नहीं देखा? मैंने ही चलाया है।”

इस तरह दोनों लड़ रहे थे। इसके बीच में आराम पूरा करने के बाद संगीतकार कुर्सी से उठा, और आखिरी बार अभ्यास के लिए छड़ी को ढूंढ़ा, पर इधर–उधर देखने पर भी उसे नहीं मिली। इस पर उसने स्वरलिपि के काग़ज़ को गोल–गोल घुमाया, और इससे इशारे देने लगा। जो लय छड़ी के बिना चली, वह पहले से ज्यादा अच्छी बन कर गूंज गई।

जब वह संगीत खत्म हुआ, मंच छड़ी के कानों में फुसफुसाया,

“आह क्या तुमने यह सुना? तुम केवल संगीतकार के हाथ में पकड़ाए जाकर चलाए गए थे। देखो, तुमने कुछ भी नहीं किया है।”

परमेश्वर जो सब कार्यों का संचालन करता है

सुसमाचार का प्रचार करते समय, जो हमें अवश्य ही जानना चाहिए है वह यह है कि, यदि हम नई वाचा के सेवक के रूप में छड़ी हों, तब इस छड़ी का संचालक परमेश्वर है जो अपने हाथ में इसे चलाकर उद्धार के कार्य को पूरा करता है।

“मैं अन्त की बात आदि से और जो बातें अब तक नहीं हुईं उन्हें प्राचीनकाल से बताता आया हूं। मैं कहता हूं कि मेरी योजना स्थिर रहेगी और मैं अपनी भली इच्छा पूरी करूंगा। मैं पूर्व दिशा से एक उकाब को, अर्थात् दूर देश से अपनी योजना को पूरी करनेवाले एक पुरुष को बुलाता हूं। निश्चय मैंने यह कहा है और मैं ही इसे पूरा करूंगा। मैंने ही यह योजना बनाई है और निश्चय ही इसे पूरी करूंगा।” यश 46:10

परमेश्वर सब कार्यों की योजना बना कर उनका संचालन करता है। आज तक परमेश्वर हमें पकड़ कर इन कार्यों के लिए हमारा प्रयोग करता आया है और हमें आवश्यक योग्यता दी है। इसी कारण से हम वह बनें हैं जो आज के हम हैं। हम न तो अपनी बोलने की शक्ति और प्रतिभा योग्यता के कारण, जो संसार लोगों से ऊंची है, बचाए जाते हैं और न ही परमेश्वर से बुलाए गए हैं।

“परन्तु अब, हे याकूब, तेरा सृष्टिकर्ता– हे इस्राएल, तेरा सृजनहार यहोवा यों कहता है, “मत डर, क्योंकि मैंने तुझे छुड़ा लिया है, मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा ही है! जब तू जल में से होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा, और जब तू नदियों में से होकर चले, वे तुझे न डुबाएंगी। जब तू अग्नि में से होकर चले तो वह तुझे न झुलसाएगी, न ही उसकी लौ तुझे जलाने पाएगी। क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, इस्राएल का पवित्र, तेरा उद्धारकर्ता हूं…।” यश 43:1–3

“…सिय्योन से उद्धारकर्ता आएगा, वह याकूब से अभक्ति दूर करेगा, और उनके साथ यही मेरी वाचा है, जब मैं उनके पापों को दूर कर दूंगा।” रो 11:25–27

परमेश्वर सिय्योन में हमारा उद्धारकर्ता है, और हम बहुत आशीषित लोग हैं, क्योंकि परमेश्वर ने प्रयोग करने के लिए हमें अपने हाथ में रखा है। इसलिए परमेश्वर जिसने हमें उद्धार दिया है, उसके अनुग्रह के लिए हमें युगानुयुग महिमा और प्रशंसा देनी चाहिए। हम ऐसे पापी थे जो दूसरों को भी और खुद को भी नहीं बचा सकते थे। परन्तु परमेश्वर ने हमें बचाया और हमें उद्धार के कार्य में शामिल होने की अनुमति दी है, ताकि हम उद्धार के शुभ समाचार को सुना कर लोगों को बचा सकें। इसलिए हमें हमेशा परमेश्वर को, जो सुसमाचार के उपकरण के रूप में हमारा प्रयोग करता है, निरंतर धन्यवाद और प्रशंसा देनी चाहिए।

हम सुसमाचार के उपकरण हैं जिनका प्रयोग परमेश्वर करता है

परमेश्वर के उपकरण के रूप में, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने के द्वारा उसकी महिमा प्रकट करना हमारे लिए बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण बात है। यदि परमेश्वर हमारा प्रयोग करता है, तो हम ऐसे उत्तम हो जाएंगे जो सारी पृथ्वी से कीर्ति व प्रशंसा पाते हैं।(सपन 3:14–20 संदर्भ) जब हम बढ़िया उपकरण के रूप में परमेश्वर के हाथ के द्वारा चलाए जाएं, तब हम भी प्रेरित पौलुस और पतरस के जैसे सफल कार्य कर सकेंगे।

यदि आपने छड़ी के समान ऐसा सोचा हो, “मैं समर्थ हूं, तो सब कुछ मेरे द्वारा किया गया है”, तब इसी समय से अपना विचार बदलना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हमारे अच्छे करने के द्वारा हमने उद्धार पाया है और फल उत्पन्न किया है।

हम संचालक से चलाई जाती छड़ी के समान हैं, और जो इसे पकड़ कर प्रयोग करता है, वह परमेश्वर है। अनुग्रहपूर्ण और मधुर लय बनाने की सामर्थ्य केवल परमेश्वर के पास है जो हमारा संचालक है। फिर भी यदि छड़ी यह कहकर गर्व करे कि “मैंने किया है” और वह प्रशंसा छीन ले जो परमेश्वर को लेनी चाहिए, तो यह अत्यन्त गलत होगा। छड़ी के बजाय परमेश्वर स्वरलिपि के काग़ज़ को गोल–गोल घुमा कर काम में ला सकता है। परमेश्वर को किसी की जरूरत नहीं है। वह पत्थरों से इब्राहीम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है,(लूक 3:8) और पत्थरों से अपना कार्य पूरा कर सकता है।(लूक 19:40) हम इसे न भूलें और परमेश्वर को और अधिक प्रशंसा और धन्यवाद चढ़ाएं।

“फिर, यह उस मनुष्य के समान है जो यात्रा पर जाने को था और जिसने अपने दासों को बुलाकर अपनी सम्पत्ति उनको सौंप दी। उसने एक को पांच तोड़े, दूसरे को दो, और तीसरे को एक, अर्थात् प्रत्येक को उसकी योग्यता के अनुसार दिया, और यात्रा पर चला गया। जिसे पांच तोड़े मिले थे, उसने तुरन्त जाकर उनसे व्यापार किया और पांच तोड़े और कमाए…।” मत 25:14–17

बाइबल हमें सिखाती है कि सब कुछ जो हमारे पास हैं, वह परमेश्वर से पाया गया है। हमारी सामर्थ्य, चाहे छोटी सी हो, व्यक्तिगत चीज नहीं है। परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति को सामर्थ्य प्रदान करता है, ताकि वे सुसमाचार के कार्य के लिए भली प्रकार व अनुग्रहपूर्ण रीति से इसका प्रयोग कर सकें।

कभी–कभी मामूली भक्त ऐसा मुश्किल काम कर लेता है जो सिय्योन का अध्यक्ष भी नहीं कर पाता, और कभी–कभी नया सदस्य, जिसे सत्य में आए बहुत थोड़ा समय बीता है, परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए मेहनत से सुसमाचार का प्रचार करने के द्वारा, पुराने सदस्य से ज्यादा फल पैदा करता है। जब इसे देखते हैं, तब हम जान सकते हैं कि एक व्यक्ति का सुसमाचार का कार्य सफल होना इस बात पर निर्भर करता है कि परमेश्वर से उसका कितना प्रयोग किया जाता है। यह न तो इस पर निर्भर है कि वह चर्च में कितने उंचे पद पर है और न ही इस पर निर्भर है कि उसे सत्य में आए कितना समय बीत गया है। परमेश्वर ने कहा है कि उसके काम के अनुसार उसको बदला दो। इसलिए इससे कोई मतलब नहीं है कि वह किस पद पर और किस स्थिति में है। यदि सुसमाचार के कार्य के लिए जरूरी काम हो, तो हमें छोेटे काम में भी लापरवाही बरतनी नहीं चाहिए और सारा काम ईमानदारी से करना चाहिए।

स्वर्ग में रहने वालों का रवैया और भाव

जैसे संचालक छड़ी को चलाने के द्वारा अपनी सारी सामर्थ्य प्रकट करता है, वैसे ही परमेश्वर हमें चलाने के द्वारा सुसमाचार का कार्य पूरा करता है। केवल परमेश्वर सारी महिमा पाने के योग्य है, लेकिन परमेश्वर उस महिमा को हमें देता है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि वह महिमा हमारी है।

अनन्त स्वर्ग जाने के लिए हमें परमेश्वर के स्थान पर स्वयं को महिमा देने की मूर्ख आदत का त्याग करना चाहिए। जब हम प्रकाशितवाक्य के वर्णन को देखते हैं, प्राचीन और आत्मिक प्राणी परमेश्वर को, जो युगानुयुग जीवित है, निरन्तर महिमा दे रहे हैं।

“इन चारों प्राणियों में से प्रत्येक…वे दिन–रात यह कहते नहीं थकते: “पवित्र, पवित्र, पवित्र, प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान है, जो था, और जो है, और जो आने वाला है।” जब जब ये प्राणी उसकी जो सिंहासन पर विराजमान और युगानुयुग जीवित है, महिमा, आदर और धन्यवाद करते, तब तब ये चौबीसों प्राचीन, उसके सामने जो सिंहासन पर बैठा है, गिर पड़ते और उसकी जो युगानुयुग जीवित है, वन्दना करते और यह कहते हुए अपने अपने मुकुट सिंहासन के सामने डाल दिया करते हैं: ‘हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा, आदर और सामर्थ्य के योग्य है…” प्रक 4:8–11

“ओह, परमेश्वर! मैं आपके उद्धार के लिए बहुत अभारी हू, तो मेरे लिए यह मुकुट, ऐसी महिमा बहुत है। सब आप ले लीजिए। मैं इसे लेने के योग्य नहीं हूं”– ऐसे भाव से, प्राचीन अपने मुकुट सिंहासन के सामने डाल कर परमेश्वर को महिमा लौटा देते हैं। यही स्वर्ग जाने वालों का रवैया और भाव है।

परमेश्वर हमारा उद्धारकर्ता है जो युगानुयुग महिमा पाने के योग्य है।(रो 9:5) केवल परमेश्वर ही महिमा और आदर के योग्य है।

विश्वास के जीवन में प्रतिदिन स्तुति करे

सिय्योन में हम बहुत आशीषित लोग हैं, क्योंकि परमेश्वर ने उपयोगी उपकरण के रूप में हमें अपने हाथ में रखा है, और हमें छड़ी की भूमिका सौपी है, ताकि हम पूरे ब्रह्माण्ड का संचालन कर सकें। इस पर हमें परमेश्वर को और अधिक धन्यवाद देना चाहिए। आइए हम परमेश्वर की सृजनात्मक शक्ति की स्तुति करें, जिससे पूरा ब्रह्माण्ड और सारी रचनाएं सृजी गई हैं, और आइए हम परमेश्वर के अनुग्रह की स्तुति करें, जिससे हमने उद्धार पाया है। जब हम सोचते हैं कि परमेश्वर ने हमारे लिए सब कुछ सृजा है और तैयार किया है, तो सदा सर्वदा स्तुति देते हुए भी यह अधिक कम पड़ेगी।

“हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता परमेश्वर धन्य हो, जिसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशिषों से आशीषित किया है। उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पूर्व मसीह में चुन लिया कि हम उसके समक्ष प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। उसने हमें अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार पहिले से ही अपने लिए यीशु मसीह के द्वारा लेपालक पुत्र होने के लिए ठहराया, कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो जिसे उसने हमें उस अति प्रिय में सेंतमेंत दिया।” इफ 1:3–6

प्रेरितों ने इस तथ्य को महसूस किया है, इसलिए उन्होंने परमेश्वर को निरन्तर धन्यवाद व स्तुति देते हुए खुशी के साथ सुसमाचार का प्रचार किया। प्रथम चर्च के यही आदर्श को आज हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।

मैं विश्वास करता हूं कि सिय्योन के सदस्य प्रतिदिन हंसमुख चेहरे से इस वचन का अभ्यास कर रहे हैं कि “सर्वदा आनन्दित रहो!”। आज से आइए हम प्रतिदिन यह सोचते हुए हंसें कि किसने मुझे यह हंसी दी है, और परमेश्वर की स्तुति करें। तब हमारी स्तुति और अधिक अनुग्रहमय होगी। यदि हमेशा हम में स्तुति और हंसी बनी रहती है, तब परमेश्वर जिसने हमें हंसी, खुशी और आनन्द दिया है, उसके प्रबन्ध को हम और गहराई से समझ सकेंगे। और मुझे विश्वास है कि यदि हम ऐसा ही करें, तब परमेश्वर को हमें उद्धार देने पर कोई खेद नहीं, बल्कि संतोष होगा। आइए हम ऐसे नई वाचा के सेवक बनें जो सब संचालन परमेश्वर के हाथ में सौंप देते हैं और परमेश्वर के उपयोगी उपकरण के रूप में सुसमाचार का प्रचार पूरे विश्व में प्रसारित करते हैं।

परमेश्वर को महिमा देने के द्वारा उपजता सुसमाचार का फल

एक बार, वर्ष 2003 में जब देगु मेट्रो की दुर्भाग्य घटना घटी थी, सिय्योन के सदस्यों ने तम्बू लगाकर मुफ्त भोजन परोसा था और मृतकों के परिजनों को ढाढ़स बंधाया था। उस स्वेच्छिक सेवा के बाद, अनुग्रहपूर्ण समाचार सुनाई दिया था। उस समय सिर्फ मृतकों के परिजन नहीं, पर अन्य ईसाई समुदाय के लोग भी जिन्होंने हमारे पास तम्बू लगाकर सेवा की थी, हम से बेहद भावुक हो गए, और उन्होंने हमारी प्रशंसा की। उनका कहना था कि दूसरे लोग छोटा सा काम करने के बाद भी एक दूसरे से स्वयं को महिमा देने का दावा करते हैं, लेकिन चर्च ऑफ गॉड का हरेक सदस्य केवल परमेश्वर को महिमा देता है, यदि किसी भी सदस्य से मिल कर बात करे, तो सब ऐसा कहते हैं कि “परमेश्वर ने हमें ऐसा करने की शिक्षा दी है और मैं परमेश्वर को सेवा करने का मौका देने के लिए सारी महिमा देता हूं”।

यदि परमेश्वर की शिक्षा न दी गई होती, तो आज हम भी और आज का चर्च ऑफ गॉड भी मौजूद न होता। हमें केवल इसका धन्यवाद करना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें अपनी सन्तान के रूप में माना है, और इस पर हमेशा महिमा व प्रशंसा देनी चाहिए कि परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है जिससे आज हम मौजूद हैं।

गायक–दल की मधुर लय का स्तुतिगान छड़ी के संचालन के कारण नहीं हुआ। वह संचालक की सामर्थ्य के कारण था। हमारा संचालक परमेश्वर है। वह हम सिय्योन के सदस्यों को उपकरण के रूप में प्रयोग करता है और आत्मिक दुनिया का संगति बनाते हुए संचालन करता है। यदि हम प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर को महिमा व प्रशंसा लौटाएं, तब परमेश्वर के उद्धार का कार्य बहुत ही जल्दी पूरा हो जाएगा।

सुसामाचार सामरिया और पृथ्वी के छोर तक प्रसारित किए जाने के लिए, यह अति आवश्यक है कि हम परमेश्वर के हाथ में पकड़ाए जाएं और परमेश्वर के द्वारा चलाए जाएं। क्योंकि चाहे छड़ी सोने से बनी हो, यह संचालक के हाथ में पकड़ाए जाए बिना, नाकाम रहती है। मैं सिय्योन के भाई और बहनों से उत्सुकता से निवेदन करता हूं कि आप परमेश्वर के हाथ में पकड़ाए जाकर सुन्दर लय और ताल बनाएं और सुन्दर फल पैदा करें।

परमेश्वर उसका सब से ज्यादा प्रयोग करेगा जो परमेश्वर को सब से ज्यादा महिमा लौटाता है। आइए हम परमेश्वर से याचना करें कि आशीष पाने के काम में वह अधिक बार हमारा प्रयोग करे। मैं आशा करता हूं कि सिय्योन के भाई और बहनें हमेशा परमेश्वर को प्रशंसा व महिमा लौटाते हुए पूरे विश्व में सुसमाचार का प्रचार करने में खास भूमिका निभाएं।