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नए नियम के पिन्तेकुस्त के दिन को पुराने नियम में “सप्ताहों का पर्व” कहा जाता था। 2,000 वर्ष पहले, यीशु के पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद, इस दिन परमेश्वर ने अपने लोगों पर पवित्र आत्मा की सामर्थ्य उंडेली, ताकि वे यीशु मसीह के बारे में गवाही दे सकें। उन्होंने संसार की सभी जातियों को स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया, जो यीशु ने उन्हें सिखाया था।
मसीह ने स्वर्गारोहण के दिन पर विश्व सुसमाचार का मिशन घोषित किया। यह पिन्तेकुस्त का दिन था जो विश्व सुसमाचार की आग को प्रज्वलित कराने के लिए एक चिंगारी बना। पिन्तेकुस्त के दिन पर चेलों पर उंडेला गया पवित्र आत्मा प्रथम चर्च के सुसमाचार के विकास के लिए प्रेरक शक्ति बन गया। चेले पवित्र आत्मा से भर गए और उन्होंने साहसपूर्वक मसीह की गवाही दी। उसके परिणामस्वरूप, सुसमाचार पूरे विश्व में तेजी से फैलने लगा।
हम, जो इन अंतिम दिनों में यानी पवित्र आत्मा के युग में जी रहे परमेश्वर के लोग हैं, हमारे पास एलोहीम परमेश्वर की गवाही देकर दुनिया भर में अपने खोए हुए भाइयों और बहनों की सत्य में अगुवाई करने का मिशन है। आइए हम पिन्तेकुस्त के दिन का उद्भव और अर्थ देखें और समझें कि हमें अपने विश्वास के जीवन में किस तरह के मार्ग पर चलना चाहिए।
इस्राएलियों के लाल समुद्र को पार करने के बाद 40वें दिन, परमेश्वर ने सीनै पर्वत पर मूसा को बुलाया था। परमेश्वर के वचन सुनने के बाद, मूसा पर्वत से नीचे आया और उसने लोगों को वह वचन सुनाया। तीन दिन बाद, परमेश्वर बड़ी गर्जन, बिजली, घने बादल और तुरही की आवाज में होकर सीनै पर्वत पर उतर आए और उन्होंने अपनी वाचा को घोषित किया। परमेश्वर ने मूसा को फिर से सीनै पर्वत पर चढ़ने की आज्ञा देते हुए कहा कि वह उसे पत्थर की पटियाएं और अपनी लिखी हुई व्यवस्था और आज्ञा देंगे।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, “पहाड़ पर मेरे पास चढ़ आ, और वहीं रह; और मैं तुझे पत्थर की पटियाएं, और अपनी लिखी हुई व्यवस्था और आज्ञा दूंगा कि तू उनको सिखाए।”… तब मूसा पर्वत पर चढ़ गया, और बादल ने पर्वत को छा लिया। तब यहोवा के तेज ने सीनै पर्वत पर निवास किया, और वह बादल उस पर छ: दिन तक छाया रहा; और सातवें दिन उसने मूसा को बादल के बीच में से पुकारा। इस्राएलियों की दृष्टि में यहोवा का तेज पर्वत की चोटी पर प्रचण्ड आग के समान दिखाई पड़ता था। तब मूसा बादल के बीच में प्रवेश करके पर्वत पर चढ़ गया। और मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा। निर्ग 24:12-18
लाल समुद्र को पार करने के 50वें दिन, मूसा सीनै पर्वत पर चढ़ गया। पर्वत पर 40 दिनों के लिए रहने के दौरान, वह परमेश्वर से मिला और उसने परमेश्वर से पत्थर की पटियाएं प्राप्त कीं, जिन पर व्यवस्था और आज्ञा लिखी हुई थीं। जिस दिन मूसा दस आज्ञाओं को प्राप्त करने के लिए सीनै पर्वत पर चढ़ा, परमेश्वर ने उस दिन को सप्ताहों के पर्व के रूप में नियुक्त किया और अपने लोगों को इसे मनाने की आज्ञा दी।
फिर उस विश्रामदिन के दूसरे दिन से, अर्थात् जिस दिन तुम हिलाई जानेवाली भेंट के पूले को लाओगे, उस दिन से पूरे सात विश्रामदिन गिन लेना; सातवें विश्रामदिन के दूसरे दिन तक पचास दिन गिनना, और पचासवें दिन यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाना… लैव 23:15-18
“जिस दिन तुम हिलाई जानेवाली भेंट के पूले को लाओगे,” यह प्रथम फल के पर्व को संकेत करता है। यह वह दिन है जब याजक ने पहले फलों का एक पूला यहोवा के सामने हिलाई जाने वाली भेंट के रूप में चढ़ाया था। सप्ताहों का पर्व एक ऐसा पर्व है जब नया अन्नबलि प्रथम फल के पर्व के सात सब्त के अगले दिन परमेश्वर को चढ़ाया जाता था। चूंकि सप्ताहों का पर्व प्रथम फल के पर्व(पुनरुत्थान का दिन) के बाद 50वां दिन है, इसलिए नए नियम में इसे पिन्तेकुस्त का दिन कहा जाता है, जिसका अर्थ पचासवां दिन है।
मूसा के समय से की गई विधियां जो छाया हैं, स्वर्गीय पवित्रस्थान में यीशु मसीह के कार्यों की भविष्यवाणी हैं। अखमीरी रोटी के पर्व के बाद पहले सब्त के अगले दिन(रविवार) याजक ने गेहूं की उपज के पहले फलों का एक पूला हिलाई जाने वाली भेंट के रूप में चढ़ाया और उसी दिन के बाद सातवें सब्त के अगले दिन यानी 50वें दिन परमेश्वर को नया अन्नबलि चढ़ाया। यह पर्व भी एक भविष्यवाणी है जो भविष्य में होने वाली बातों को दिखाती है।
फसह के पर्व पर यीशु ने नई वाचा को स्थापित किया; अगले दिन, अखमीरी रोटी के पर्व में, वह क्रूस पर मर गए। प्रथम फल के पर्व, वह ‘सोए हुओं में से पहले फल’ के रूप में मृतकों में से जी उठे। अपने पुनरुत्थान के 40 दिन बाद, यीशु पिन्तेकुस्त के दिन पर स्वर्ग में उठा लिए गए और अपने पुनरुत्थान के 50वें दिन उन्होंने स्वर्गीय परम पवित्रस्थान में प्रवेश किया और अपने चेलों पर पवित्र आत्मा उंडेला।
जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे। आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे। जब यह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं। वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे, “देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं? तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म भूमि की भाषा सुनता है?… अपनी-अपनी भाषा में उनसे परमेश्वर के बड़े-बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।”… प्रे 2:1-12
तब पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, “हे यहूदियो और हे यरूशलेम के सब रहनेवालो, यह जान लो, और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। जैसा तुम समझ रहे हो, ये लोग नशे में नहीं हैं, क्योंकि अभी तो पहर ही दिन चढ़ा है। परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई थी : ‘परमेश्वर कहता है, कि अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा… और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।’ ” प्रे 2:14-21
प्रेरित पिन्तेकुस्त के दिन परमेश्वर के उंडेले गए पवित्र आत्मा से भर गए और अन्य अन्य भाषाओं में प्रचार करने लगे। उन्होंने 15 देशों के लोगों के सामने जो यरूशलेम में एकत्रित हुए थे, साहसपूर्वक पुत्र के युग के उद्धारकर्ता, यीशु का प्रचार किया। लोग अपनी मूल भाषाओं में सुसमाचार सुनकर चकित हुए, और उन्होंने कान लगाकर प्रेरितों की बात सुनी।
यदि सुसमाचार केवल यहूदा देश में प्रचार किया जाना होता, तो उनके लिए अन्य भाषाओं में बोलना आवश्यक नहीं होता। परमेश्वर ने उन्हें अन्य भाषाओं में बोलने का उपहार दिया, क्योंकि वह चाहते थे कि वे पूरी दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करें, जैसे यीशु ने कहा कि “परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे(प्रे 1:8)।”
जैसा कि चेलों ने यीशु के क्रूस की पीड़ा और मृत्यु को देखा, वे निराशा और शोक में डूब गए थे। लेकिन, तीन दिन बाद, यीशु ने उन्हें अपने पुनरुत्थान की महान सामर्थ्य दिखाई, और उन्हें यह एहसास कराया कि वह सच्चे परमेश्वर हैं जो जीवन और मृत्यु को नियंत्रित करते हैं। चेलों ने देखा कि यीशु जो मृत्यु से जी उठे महिमा में स्वर्ग में उठा लिए गए, और वे मसीह पर सच्चा विश्वास और स्वर्गारोहण की आशा रखने लगे। उस दिन से, उन्होंने दस दिनों तक ईमानदारी से प्रार्थना की, और पिन्तेकुस्त के दिन में पवित्र आत्मा उन पर उंडेला गया। इस घटना के माध्यम से, प्रथम चर्च शक्ति पाकर मसीह के गवाह के रूप में अपने मिशन को पूरा करने में आगे रहा।
पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर पतरस ने पुराने नियम के द्वारा यह बताया कि यीशु ही मसीह हैं जो परमेश्वर का पुत्र और मानव जाति के उद्धारकर्ता हैं।
उसी यीशु को, जो परमेश्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तुम ने अधर्मियों के हाथ से क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला। परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया; क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता। क्योंकि दाऊद उसके विषय में कहता है, ‘मैं प्रभु को सर्वदा अपने सामने देखता रहा क्योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊं। इसी कारण मेरा मन आनन्दित हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई; वरन् मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा। क्योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा; और न अपने पवित्र जन को सड़ने ही देगा।’… “परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।” तब सुननेवालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, “हे भाइयो, हम क्या करें?” पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे”… अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हज़ार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए… वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर-घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे, और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उनसे प्रसन्न थे : और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था। प्रे 2:23-47
जब यीशु इस पृथ्वी पर थे, उन्होंने अपने चेलों से कहा था कि किसी से भी यह न बताना कि वह मसीह हैं। परन्तु, जब वह स्वर्ग में उठा लिए गए, तो उन्होंने उन्हें अपने गवाह होने के लिए कहा। उस समय बहुत से लोगों ने सोचा था कि यीशु केवल एक बढ़ई का पुत्र या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक हैं, लेकिन, पिन्तेकुस्त के दिन में पवित्र आत्मा प्राप्त करने के बाद, चेलों ने साहसपूर्वक यीशु की गवाही दी कि वही मसीह हैं। 3,500 साल पहले परमेश्वर द्वारा दस आज्ञाओं को दिए जाने से पहले, व्यवस्था को लिखा नहीं गया था। लेकिन, परमेश्वर ने व्यवस्था को संहिताबद्ध किया, और जिस दिन उन्होंने इसे संहिताबद्ध किया वह पिन्तेकुस्त के दिन का उद्भव बन गया। 2,000 साल पहले, चेलों ने पिन्तेकुस्त के दिन से, यीशु के बारे में सार्वजनिक रूप से प्रचार करना शुरू किया।
जब वे लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। क्योंकि वे बहुत क्रोधित हुए कि वे लोगों को सिखाते थे और यीशु का उदाहरण दे देकर मरे हुओं के जी उठने का प्रचार करते थे। उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्ध्या हो गई थी। परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उनकी गिनती पांच हज़ार पुरुषों के लगभग हो गई। प्रे 4:1-4
प्रेरितों ने यीशु का इनकार किया था और वे मृत्यु के डर से भाग गए थे, लेकिन पिन्तेकुस्त के दिन में पहली वर्षा का पवित्र आत्मा प्राप्त करने के बाद, वे अब मृत्यु से नहीं डरे; इसके बजाय, उन्होंने साहसपूर्वक यीशु का प्रचार किया। इस तरह, परमेश्वर के द्वारा दिए गए पवित्र आत्मा में लोगों को बदलने की अद्भुत शक्ति है। परमेश्वर के लोगों ने पवित्र आत्मा प्राप्त किया था और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, उसी प्रकार उन्होंने बात की और कार्य किया। उन्होंने यत्न से प्रार्थना की, परमेश्वर के वचन का अध्ययन किया, और सुसमाचार का प्रचार किया। जैसा कि उन्होंने एक-दूसरे की देखभाल करते हुए आत्मविश्वास के साथ मसीह का प्रचार किया, कुछ अद्भुत घटना घटित हुई; एक दिन में तीन हजार लोगों, यहां तक कि पांच हजार लोगों को बपतिस्मा दिया गया और बचाया गया।
मूसा सीनै पर्वत पर चढ़ गया और दस आज्ञाओं को प्राप्त करने के बाद पर्वत से उतर आया। यह इसे दर्शाता है कि यीशु स्वर्गीय परम पवित्रस्थान में प्रवेश करेंगे और अपने चेलों पर पवित्र आत्मा उंडेलेंगे। लेकिन, जैसा चर्च धर्मनिरपेक्ष बन गया, पहली वर्षा का पवित्र आत्मा जो पिन्तेकुस्त के दिन चर्च पर उंडेला गया था वापस ले लिया गया। यह भी मूसा के कार्य में भविष्यसूचक रूप से दिखाया गया।
जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे होकर कहने लगे, “अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?”… हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांकी से गढ़ा। तब लोग कहने लगे, “हे इस्राएल, तेरा ईश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है।”… तब यहोवा ने मूसा से कहा, “नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, वे बिगड़ गए हैं… तब मूसा मुड़कर साक्षी की दोनों तख़्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया। उन तख़्तियों के इधर और उधर दोनों ओर लिखा हुआ था, और वे तख़्तियां परमेश्वर की बनाई हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था… छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना दिखाई पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख़्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। निर्ग 32:1-19
मूसा 40 दिनों तक सीनै पर्वत पर रहा, इसलिए इस्राएलियों ने सोचा कि वह मर गया था। अंत में, उन्होंने सोने के बछड़े की एक मूर्ति बनाई, और उसकी एक ऐसे देवता के रूप में पूजा की जो उनका नेतृत्व करेगा। वे बिगड़ गए और उन्होंने दस आज्ञाओं का उल्लंघन किया, परिणामस्वरूप परमेश्वर बहुत क्रोधित हुए। मूसा पहाड़ से उतर आया और उसने लोगों को मूर्ति की पूजा करते हुए देखा; यह देखकर वह भी क्रोधित हो गया और उसने पत्थर की दो तख़्तियों को जिन पर दस आज्ञाएं लिखी गई थीं, अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। मूसा ने लोगों के लिए परमेश्वर से दया मांगी।
यह भविष्यवाणी प्रेरितों की मृत्यु के बाद पूरी हुई, जब चर्च ने परमेश्वर के सत्य को छोड़ दिया और भ्रष्ट और धर्मनिरपेक्ष होकर, गुप्त रूप से अधर्म को अपनाने लगा जो बाइबल के खिलाफ है, और परिणामस्वरूप परमेश्वर ने चर्च से पवित्र आत्मा वापस ले लिया।
प्रेरितों का प्रचार जिन्होंने पिन्तेकुस्त के दिन में पहली वर्षा का पवित्र आत्मा प्राप्त किया था, हमारे लिए एक उदाहरण के रूप में कार्य करता है जिन्होंने इस युग में पिछली वर्षा का पवित्र आत्मा प्राप्त किया है। जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है, उन्हें परमेश्वर के गवाह की भूमिका निभानी है। भले ही लोगों ने रुकावट डाली और उनका अपमान किया था, प्रथम चर्च पवित्र आत्मा की विस्फोटक शक्ति का अनुभव करने में सक्षम था क्योंकि संतों ने मसीह का साहसपूर्वक प्रचार किया था।
उन्होंने उन्हें लाकर महासभा के सामने खड़ा कर दिया; तब महायाजक ने उनसे पूछा, “क्या हम ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।” तब पतरस और अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है। हमारे बापदादों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था। उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर अपने दाहिने हाथ पर उच्च कर दिया… हम इन बातों के गवाह हैं और वैसे ही पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है जो उसकी आज्ञा मानते हैं।” यह सुनकर वे जल गए… और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आदेश देकर छोड़ दिया कि यीशु के नाम से फिर कोई बात न करना। वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये अपमानित होने के योग्य तो ठहरे। वे प्रतिदिन मन्दिर में और घर-घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से कि यीशु ही मसीह है न रुके। प्रे 5:27-42
उन्होंने कभी यह सिखाना और प्रचार करना बंद नहीं किया कि यीशु ही मसीह हैं। आज, हमें इस पवित्र आत्मा के युग के उद्धारकर्ता, मसीह आन सांग होंग, जो यीशु के नए नाम से आए हैं, और नई यरूशलेम स्वर्गीय माता का पूरी दुनिया में प्रचार करने का मिशन पूरा करना चाहिए। इस महान मिशन को पूरा करने में सक्षम होने के लिए, परमेश्वर ने हमें पिछली वर्षा का पवित्र आत्मा देने का वादा किया है जो यीशु के प्रथम आगमन में दिए गए पहली वर्षा के पवित्र आत्मा की तुलना में सात गुना अधिक शक्तिशाली है।
“आओ, हम ज्ञान ढूंढ़ें, वरन् यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चित है; वह वर्षा के समान हमारे ऊपर आएगा, वरन् बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिस से भूमि सिंचती है।” हो 6:3
उस समय यहोवा अपनी प्रजा के लोगों का घाव बांधेगा और उनकी चोट को चंगा करेगा; तब चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य का सा, और सूर्य का प्रकाश सातगुना होगा, अर्थात् सप्ताह भर का प्रकाश एक दिन में होगा। यश 30:26
परमेश्वर प्रत्येक को उसकी जरूरत के अनुसार उचित पवित्र आत्मा का उपहार देते हैं। कई प्रकार के पवित्र आत्मा के वरदान हैं, लेकिन सभी वरदानों का उपयोग एक ही उद्देश्य के लिए यानी सुसमाचार का प्रचार करके आत्माओं को बचाने के लिए किया जाता है।
वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है; और सेवा भी कई प्रकार की हैं, परन्तु प्रभु एक ही है; और प्रभावशाली कार्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमेश्वर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है। किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है। क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैं, और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें। किसी को उसी आत्मा से विश्वास, और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है। फिर किसी को सामर्थ्य के काम करने की शक्ति, और किसी को भविष्यद्वाणी की, और किसी को आत्माओं की परख, और किसी को अनेक प्रकार की भाषा, और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना। परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा कराता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है… 1कुर 12:4-13
यदि हम पवित्र आत्मा का उपयोग नहीं करते जो हमें प्राप्त हुआ है, तो हम तोड़ों के दृष्टांत में उस मनुष्य से अलग नहीं हैं जिसने अपने एक तोड़े को मिट्टी में छिपा दिया था। हम सुसमाचार का प्रचार करते समय परमेश्वर से प्राप्त वरदान का अनुभव कर सकते हैं। प्रथम चर्च के इतिहास में, प्रेरितों ने पवित्र आत्मा को प्राप्त करने के तुरंत बाद प्रचार करना शुरू कर दिया था। प्रतिदिन, उन्होंने कभी भी यह सिखाना और प्रचार करना बंद नहीं किया कि यीशु ही मसीह हैं। इसके द्वारा, वे और अधिक पवित्र आत्मा की शक्ति प्राप्त करते रहे।
अब, आइए हम बिना देर किए मेहनत से सभी लोगों को सुसमाचार का प्रचार करें। पवित्र आत्मा की शक्ति प्रचार के माध्यम से काम करती है। पवित्र आत्मा के अनुग्रह से परिपूर्ण होकर, हमें दृढ़ विश्वास के साथ एलोहीम परमेश्वर का प्रचार करना चाहिए। आइए हम पूरे संसार में बिखरे हुए अपने स्वर्गीय परिवार के सदस्यों की अगुवाई जल्द से जल्द नई यरूशलेम माता की बांहों में करें।
जब हम अधिक फल उत्पन्न करते हैं, तो हमारे पिता की महिमा होती है(यूह 15:5-8)। क्या ज्यादा फल उत्पन्न करके स्वर्गीय पिता और माता को महिमा देना सबसे मूल्यवान जीवन नहीं है? मैं सिय्योन के हमारे सभी सदस्यों से कहना चाहता हूं कि आप प्रचार करके यह सबूत दिखाएं कि आपने पवित्र आत्मा प्राप्त किया है ताकि दुनिया भर के सभी लोग उद्धार का शुभ समाचार सुन सकें।