पहरेदार वह है जो किसी वस्तु या व्यक्ति पर पहरा देता है। पहरेदार का कार्य है कि चाहे लोग सोते हों, उसे जागते रहना चाहिए, और सब वस्तुओं पर करीबी नजर रखना चाहिए ताकि यदि किसी शत्रु के आक्रमण या किसी विपत्ति का चिन्ह दिखाई दे तो वह उसके बारे में लोगों को बताकर उन्हें तैयार रहने के लिए मदद कर सके।
परमेश्वर ने सिय्योन की सन्तानों को आत्मिक पहरेदार का कार्य सौंपा है। आत्मिक पहरेदार का कार्य यह है कि चाहे संसार के लोग सुनें या न सुनें, उन्हें विपत्तियों से बचने में मदद करने के लिए और उद्धार की ओर उनकी अगुआई करने के लिए, परमेश्वर के वचनों के द्वारा उन्हें जगाना है।(यहेज 3:11, 17–18)
इन दिनों घटित हो रही बहुत सी विपत्तियां मनुष्य जाति के लिए परमेश्वर की चेतावनी है। इसे ध्यान में रखते हुए, हम आत्मिक पहरेदारों को सिर्फ तमाशा देखने वाले नहीं बनना चाहिए। हमें ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए कि इन वर्तमान परिस्थितियों के लिए बाइबल क्या भविष्यवाणी करती है और जिन अनेक विपत्तियों का आज मनुष्य सामना कर रहे हैं, उनसे वे कैसे बच सकते हैं। परमेश्वर की शिक्षाओं पर और वर्तमान समय के चिन्हों पर करीबी नजर रखते हुए, हमें सब लोगों को उनके बारे में बताना चाहिए।
हाल ही में बहुत सी असाधारण विपत्तियां बहुत ज्यादा फैल गई हैं। बहुत से जनसंपकसाधनों के द्वारा हर रोज विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन और यहां वहां अक्सर हो रही अप्रत्याशित विपत्तियों के बारे में रिपोर्ट किया जा रहा है। उससे बढ़कर, अधिक लगातार भुकम्प होते हैं और ऐसी हानि पहुंचाते हैं जो पहले कभी नहीं हुई थी।
एक जनसंपर्क साधन की विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका में जहां वार्षिक औसत निम्न तापमान 10 डिग्री सेल्सियस(50 डिग्री फारेनहाइट) से ज्यादा रहता था, वहां कुछ लोग ठंड में जम कर मर गए क्योंकि तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस(32 डिग्री फारेनहाइट) से भी नीचे चला गया। और उसके विपरीत, साइबेरिया ने, जो ठंड से जमा हुआ देश है, झुलसा देने वाली गर्मी का सामना किया, जिसके कारण बहुत लोगों की मौत हुई। जब पृथ्वी के एक ओर के लोग अभूतपूर्व सूखे से पीड़ित हैं, वे जो पृथ्वी के दूसरी ओर हैं, भारी वर्षा से पीड़ित हैं; यहां तक कि मरुभूमि में भी मूसलाधार वर्षा हुई, और बहुत से लोग बाढ़ के कारण मारे गए। दक्षिणी ध्रुव की हिमनदी और हिमालय की हिमनदी और किलिमंजरो पर्वत की बर्फ की टोपी बहुत तेजी से और खतरनाक दर से पिघल रही है, और दक्षिणी प्रशांत महासागर के द्वीपों पर स्थित देश समुद्र जल के बढ़ते स्तर के कारण पानी में डूब रहे हैं और वहां रहने वाले बहुत से लोग पास के देशों में चले गए हैं। अब यह दुनिया ऐसी ही एक असाधारण परिस्थिति में चल रही है।
कोरिया भी इसमें अपवाद नहीं है। अब कोरिया की जलवायु भी तेजी से उष्णकटिबंध जलवायु में बदल रही है। उष्णकटिबंधीय फलों की खेती बढ़ रही है जबकि ठंडी जगह वाली उपजों की खेती कम हो रही है। जैसे–जैसे समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, वैसे–वैसे ठंडे पानी में रहने वाली मछलियों की प्रजातियों को पूर्वी समुद्र में पकड़ना जबर्दस्त रूप से कम हो रहा है। चूंकि परिस्थिति इतनी गंभीर है, दुनिया के सभी देश विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास कर रहे हैं, वे किसी प्रत्युपाय की चर्चा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाते हैं और कोई उचित समझौता करते हैं। हालांकि, ऐसे बहुत से देश नहीं हैं जो इन समझौतों में शामिल होते हैं क्योंकि वे अपने देश के हित को आगे लाते हैं। इसलिए ऐसे समझौते बहुत ज्यादा कारगर और प्रतिबंधात्मक नहीं होते।
परमेश्वर ने बाइबल के द्वारा पहले से इस युग में होने वाली विपत्तियों के बारे में भविष्य्वाणी की है और चेतावनी दी है। आइए हम एक एक करके इस विषय से संबंधित बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करें, जो हमें इस वर्तमान समय को पहचानने की बुद्धि देती हैं।
सुनो, यहोवा पृथ्वी को निर्जन और सुनसान करने पर है, वह उसको उलटकर उसके रहनेवालों को तितर बितर करेगा। और जैसी यजमान की वैसी याजक की; जैसी दास की वैसी स्वामी की… सभों की एक ही दशा होगी। पृथ्वी शून्य और उजाड़ हो जाएगी; क्योंकि यहोवा ही ने यह कहा है। पृथ्वी विलाप करेगी और मुर्झाएगी, जगत कुम्हलाएगा और मुर्झा जाएगा; पृथ्वी के महान् लोग भी कुम्हला जाएंगे। पृथ्वी अपने रहनेवालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है। इस कारण पृथ्वी को शाप ग्रसेगा और उस में रहनेवाले दोषी ठहरेंगे; और इसी कारण पृथ्वी के निवासी भस्म होंगे और थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।यश 24:1–6
परमेश्वर कहते हैं कि पृथ्वी निर्जन और सुनसान हो जाएगी क्योंकि उसके रहनेवालों ने परमेश्वर की व्यवस्था का पालन नहीं किया और उनकी वाचा को तोड़ दिया है। यह पीढ़ी जिस प्रकार भविष्यवाणी की गई थी वैसी ही परिस्थिति में जा रही है। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बहुत से जीवों की प्रजातियों का विलुप्त हो जाना, और सूखे और अकाल के कारण मरुभूमि का विस्तार होना – इन सब परेशानियों को देखते हुए हमें बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
… प्रभु यहोवा यों कहता है: विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है! देखो, वह आती है। अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरुद्ध जागा है। देखो, वह आता है। हे देश के निवासी, तेरे लिये चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ों पर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा। अब थोड़े दिनों में मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर भड़काऊंगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूंगा और तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा। तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे भुगताऊंगा। मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोमलता करूंगा। मैं तेरी चालचलन का फल तुझे भुगताऊंगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूं। देखो, उस दिन को देखो, वह आता है! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है।यहेज 7:3–10
‘पृथ्वी की छोर लों भी कोलाहल होगा, क्योंकि सब जातियों से यहोवा का मुक़मा है; वह सब मनुष्यों से वादविवाद करेगा, और दुष्टों को तलवार के वश में कर देगा।’ “सेनाओं का यहोवा यों कहता है: देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आंधी पृथ्वी की छोर से उठेगी! उस समय यहोवा के मारे हुओं के शव पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक पड़े रहेंगे। उनके लिये कोई रोने–पीटनेवाला न रहेगा, और उनके शव न तो बटोरे जाएंगे और न कबरों में रखे जाएंगे; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पड़े रहेंगे।यिर्म 25:31–33
परमेश्वर की भविष्यवाणी रूपी चेतावनियों के अनुसार, आज असाधारण और अभूतपूर्व विपत्तियां हमारे आसपास तेजी से फैल गई हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, कुछ गांव हिमनदियों के पिघलने के कारण पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं, ठंड से जमे हुए देशों में गर्मी की लहर चलती है, अफ्रीका जहां उष्णकटिबंध जलवायु है वहां ठंड की लहर चलती है, और मरुभूमि में बाढ़ आती है। यह सब विपत्तियां नए प्रकार की हैं जिनका मनुष्यों ने कभी अनुभव नहीं किया था और जिनके विषय में सोचा भी नहीं था।
उससे बढ़कर, जैसा कि परमेश्वर ने कहा है कि, “विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी,” आज आनेवाली विपत्तियां हवाई यातायात के विकास के कारण देशों के बीच की सरहदों से परे पूरी दुनिया में फैल रही हैं और सब को प्रभावित कर रही हैं। सासने जो चीन में शुरू हुआ था, एक समय में पूरी दुनिया को डरा दिया था, और अब नए वायरस के कारण होने वाली बहुत सी संक्रामक बीमारियां हैं – एड्स जिसे 20 वीं सदी की महामारी कहा जाता है, बर्ड फ्लू, मैडकाउ रोग, मुंहपका–खुरपका रोग और स्वाइन फ्लू। ये सब अब किसी एक देश की समस्या नहीं रहे, लेकिन वे पहले से ही विश्वव्यापी विपत्तियां बन चुकी हैं।
जैसे सब वस्तुओं के घटित होने के लिए कुछ चिन्ह होते हैं, वैसे ही इन दिनों घटित हो रही सब वस्तुएं चिन्हों के समान हैं जो इस पीढ़ी को जगाते हैं और पहले से बताते हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है।(लूका 12:54–56) 2,000 साल पहले, यीशु ने अपने चेलों को युग के अंत में घटित होने वाली विपत्तियों के चिन्हों के बारे में बताया था।
जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने एकान्त में उसके पास आकर कहा, “हमें बता कि ये बातें कब होंगी? तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?”… “तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।” मत 24:3–8
तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और बडे.–बड़े भूकम्प होंगे, और जगह–जगह अकाल और महामारियां पड़ेंगी, और आकाश से भयंकर बातें और बड़े–बड़े चिन्ह प्रगट होंगे… सूरज, और चांद, और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे; और पृथ्वी पर देश–देश के लोगों को संकट होगा, क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएंगे। भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते–देखते लोगों के जी में जी न रहेगा, क्योंकि आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी।”लूक 21:10–26
जैसे कि यीशु ने बाइबल में चेतावनी दी है, अब असाधारण विपत्तियां दुनिया में हर जगह फैल रही हैं, और हम बहुत से जनसंपर्क साधनों के द्वारा लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनते हैं। आस्ट्रेलिया में आया पिछले हजार सालों का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला सूखा, यह वास्तविकता कि अमेज़न, जो उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्र है, अकाल की वजह से सूख रहा है, और अनगिनत नई–नई संक्रामक बीमारियां जो आज पूरे विश्व में प्रबल हो रही हैं – यह सब भविष्यवाणियें का पूरा होना है।
जैसे कि यीशु के द्वारा की गई भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए हो कि, “सूरज, और चांद, और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे,” वैज्ञानिक चिन्ता कर रहे हैं कि कोई ग्रहिका या धूमकेतु पृथ्वी से टकरा सकता है और ओजोन परत के नष्ट होने के कारण मनुष्य का शरीर सीधे ही हानिकारक पराबैंगनी किरणों के सम्पर्क में आएगा। और जैसे कि यीशु ने कहा कि, “देश–देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएंगे” आज विनाशकारी सुनामियों के कारण लोग भय से थरथराते हैं।
वे सब इतने सामर्थी हैं कि पृथ्वी को निर्जन और सुनसान कर सकें; वे सब किसी एक प्रदेश में आने वाली नहीं लेकिन एक जाति से दूसरी जाति में फैलने वाली वैश्विक तबाहियां हैं जो सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर आती हैं।
इस युग में घटित हो रही विपत्तियों की गंभीरता को देखते हुए, हम यह सोचे बिना नहीं रह सकते कि एक पहरेदार के रूप में हमारा कार्य कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है। बाइबल के द्वारा, हमने पहले से उन चेतावनियों को समझा है जो परमेश्वर ने मनुष्य जाति को दी हैं। इसलिए हमें संसार को जगाने के लिए पहरेदार के रूप में अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह करना चाहिए।
परमेश्वर कहते हैं कि वह समय अब निकट है जब वह बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार सब लोगों का न्याय करेंगे। इस अपरिहार्य परिस्थिति में, हम आत्मिक पहरेदारों को लोगों को उन पर आनेवाली विपत्तियों के बारे में बताना चाहिए और किसी अलार्मवाली घड़ी या अग्नी चेतावनी की घंटी के समान पूरी दुनिया को जगा देना चाहिए। हमें लोगों को विपत्तियों से बचने के उपाय और उद्धार के शरण स्थान के बारे में जल्दी बताना चाहिए जो परमेश्वर ने मनुष्य जाति को बचाने के लिए तैयार किया है। ऐसा करके, हमें बहुत से लोगों को जो विपत्तियों में असुरक्षित छोड़े गए हैं, जल्दी वहां से बाहर निकालना चाहिए।
जैसे नूह के दिनों में जब दुनिया जलप्रलय के कारण नष्ट हुई थी, परमेश्वर ने उद्धार पानेवाले लोगों के लिए एक बड़ा जहाज दिया था, ठीक वैसे ही, उन्होंने आज की आपात स्थितियों में जिनका सामना मनुष्य जाति कर रही है, उद्धार का शरण स्थान बनाया है। वह उद्धार का रास्ता और शरण स्थान क्या है जिसके विषय में परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है? आइए हम इसका उत्तर बाइबल से खोजें।
जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा। मैं यहोवा के विषय कहूंगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।” वह तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा; वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा, उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी। तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है, न उस मरी से जो अन्धेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन–दुपहरी में उजाड़ता है। तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा… हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है, इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा। क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें। भज 91:1–11
बाइबल भविष्यवाणी करती है कि जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में रहते हैं वे विपत्तियों से बचाए जाएंगे। वह उद्धार का शरण स्थान जिसे परमप्रधान परमेश्वर ने स्थापित किया है, “सिय्योन” है।(भज 87:5) अब, आइए हम देखें कि परमेश्वर सिय्योन में, जो उन्होंने स्वयं स्थापित किया है, कैसे हमें सुरक्षित करते हैं और चाहे हजार या दस हजार लोग मर जाएं, कैसे वह किसी भी विपत्ति को हमारे पास नहीं आने देते हैं।
और उसके खाने की यह विधि है: कमर बांधे, पांव में जूती पहिने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का पर्व होगा। क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में होकर जाऊंगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूंगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा; मैं यहोवा हूं। और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे।निर्ग 12:11–13
हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशलेम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी। वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा… क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है, वही हमारा उद्धार करेगा। यश 33:20–22
सिय्योन वह चर्च है जो परमेश्वर के पर्वों को मनाता है। परमेश्वर ने सिय्योन के लोगों को उद्धार की प्रतिज्ञा दी है और फसह के द्वारा, जो उनके पर्वों में से एक है, अपने लोगों पर से विपत्तियों को गुजर जाने देते हैं।
केवल निर्गमन के समय में ही नहीं, लेकिन सभी युगों और समयों में जब लोगों ने परमेश्वर की वाचा, यानी फसह का पर्व मनाया तो वे विपत्तियों से बच सके। यीशु ने भी हमें फसह के पर्व की रोटी और दाखमधु के द्वारा परमेश्वर का मांस और लहू देने के लिए नई वाचा के नियम की स्थापना की, और अपनी सन्तानों पर जो नई वाचा मनाती हैं, उद्धार की मुहर लगाई।(मत 26:17–28; लूक 22:7–20) चाहे विपत्तियां गिर पड़ें जो जाति जाति में फैल जाएं और पृथ्वी को निर्जन और सुनसान किया जाए, लेकिन जैसे कि परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है, वे विपत्तियां उन पर नहीं आ पड़ेंगी जो परमेश्वर के पर्वों के नगर, सिय्योन में फसह मनाते हैं।
प्रबल होती जा रही विपत्तियों के कारण भय और हैरानी से थरथराने वालों को जो हमें शीघ्रता से प्रचार करना चाहिए, वह नई वाचा का फसह का पर्व है। हमें उद्धार की तुरही को जोर से फूंकना चाहिए, और जितना जल्द हो सके उतना जल्द दुनिया के लोगों को सुरक्षित शरण स्थान, सिय्योन में ले आना चाहिए।
यहूदा में प्रचार करो और यरूशलेम में यह सुनाओ: “पूरे देश में नरसिंगा फूंको; गला खोलकर ललकारो और कहो, ‘आओ, हम इकट्ठे हों ओर गढ़वाले नगरों में जाएं!’ सिय्योन के मार्ग में झण्डा खड़ा करो, अपना सामान बटोरके भागो, खड़े मत रहो, क्योंकि मैं उत्तर की दिशा से विपत्ति और सत्यानाश ले आया हूं… तुम्हारे नगरों को ऐसा सुनसान कर दे कि उनमें कोई बसनेवाला न रहने पाए। इसलिये कमर में टाट बांधो, विलाप और हाय हाय करो; क्योंकि यहोवा का भड़का हुआ कोप हम पर से टला नहीं है। उस समय राजा और हाकिमों का कलेजा कांप उठेगा; याजक चकित होंगे और नबी अचम्भित हो जाएंगे,” यहोवा की यह वाणी है।यिर्म 4:5–9
परमेश्वर हमें निकट आ रही विपत्तियों के विषय में चेतावनी देते हैं। इस परिस्थिति में, आइए हम अपना अधिकतम प्रयास लगाकर, चेतावनी की तुरही को जोर से फूंकते हुए, बहुत से लोगों को उद्धार के आश्रय स्थान, सिय्योन की ओर ले आएं।
अब वह समय है जब ऐसे स्वार्थी विचार को छोड़कर कि, ‘मैं तो पहले से बचाया गया हूं, तो इतना ही बहुत है,’ हमें विपत्तियों के भय से थरथराते लोगों की ओर उद्धार का हाथ बढ़ाना चाहिए। और अब वह समय भी है जब उन लोगों को भी जगाया जाए जो इस वर्तमान समय को न पहचानकर अभी भी आत्मिक रूप से गहरी नींद में हैं।
परमेश्वर ने कहा है कि, “सिय्योन की ओर भागो, खड़े मत रहो।” इसलिए हमें लोगों को सिय्योन की ओर ले आने का कार्य विलम्बित नहीं करना चाहिए। सत्य के पहरेदार के रूप में, आइए हम सभी लोगों को, जहां नई वाचा के फसह के पर्व के द्वारा हमें विपत्तियों से बचाने वाले और हमें अनन्त जीवन की आशीष देने वाले एलोहीम परमेश्वर, हमारे पिता और माता रहते हैं वहां, यानी सिय्योन में ले आकर संसार को बचाने की परमेश्वर की आज्ञा का पालन करें, ताकि हम एलोहीम परमेश्वर को उनके अनुग्रह का बदला चुका सकें।