हम न्यायियों के सातवें अध्याय में वह दृश्य देख सकते हैं जहां गिदोन के 300 योद्धाओं ने मिद्यानियों के 1,35,000 सैनिकों को पराजित किया था। जब परमेश्वर अपने योद्धाओं को चुनने पर थे, उस समय शुरुआत में तो 32,000 पुरुष युद्ध करने के लिए इकट्ठे हुए थे। चाहे उन सब को मिद्यानियों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए बुलाया गया था, पर केवल 300 पुरुष ऐसे थे जिन्होंने परमेश्वर की सभी परीक्षाओं को पार किया और जो अंत तक परमेश्वर के योद्धा बने रहे। वे ऐसे लोग थे जो परमेश्वर की सेना का योद्धा होने का मूल्य जानते थे।
यदि उन्होंने परमेश्वर के चुने हुए योद्धा होने का मूल्य न जाना होता, तो वे उस युद्धभूमि में जाने के लिए इतनी मेहनत न की होती जहां वे मारे जा सकते थे। 300 चुने हुए पुरुष जानते थे कि क्या सच में मूल्यवान है; वे सभी इस्राएलियों में सबसे ज्यादा मूल्यवान लोग थे।
आज, हमें सत्य का मूल्य जानना चाहिए, ताकि हम स्त्री की शेष सन्तान के रूप में अंत तक सिय्योन और यरूशलेम में रह सकें। सत्य का मूल्य जाननेवाले व्यक्ति और सत्य का मूल्य न जानकर केवल दूसरों की नकल करनेवाले व्यक्ति में बहुत ज्यादा अंतर है। यीशु ने पहले वाले की तुलना उस व्यक्ति से की है जो अपने विश्वास का घर चट्टान पर बनाता है और बाद वाले की तुलना उस व्यक्ति से की है जो अपना घर बालू पर बनाता है।
किसी चीज का मूल्य जानना कितना ज्यादा जरूरी है, यह समझने के लिए एक कहानी है। किसी गांव में, एक बूढ़ा व्यक्ति था जो अकेलेपन और गरीबी में जीता था; उसकी सभी सन्तान उसे छोड़कर चली गई थीं और अमेरिका में अच्छे से जी रही थी। एक दिन, उसी गांव के एक नवयुवक को उस बूढ़े व्यक्ति पर तरस आया, और वह उसका हालचाल जानने के लिए उसके घर गया। और उसने उससे पूछा कि वह क्या कर रहा है। तब उस बूढे. व्यक्ति ने उसे 100 डालर के नोट दिखाए जो उसने दरवाजों और दीवारों पर लगाए गए थे, और कहा कि वह हर महीने अमेरिका में रहनेवाली अपनी सन्तानों से इन छोटे कागज के टुकड़ों के साथ पत्र पाता है। उसकी सन्तान अपने पिता को महीने में एक बार कई सौ डालर भेजती थीं, लेकिन वह डालर का मूल्य नहीं जानता था। उसके लिए, वे नोट सिर्फ कागज के टुकड़े ही थे, जिनका उसने विन्डो–पेपर, वाल–पेपर और यहां तक कि सुलगाने की जलाऊ चीज के रूप में प्रयोग किया था।
अब, हमें अपने आप को देखकर यह जांचना चाहिए कि क्या हम परमेश्वर की सन्तान होने का मूल्य न जानते हुए और हमें प्रतिज्ञा की गई स्वर्ग की मीरास का मूल्य न जानते हुए, परमेश्वर के प्रचुर अनुग्रह को तुच्छ समझ रहे हैं या नहीं। उस बूढ़े व्यक्ति की तरह जिसने 100 डालर के नोट को केवल कागज का एक टुकड़ा माना था, लोग जो मूल्य नहीं समझते, वे उन आशीर्वादों को भी नहीं समझ सकते जो उन्होंने पहले से पाए हैं, और अंत में वे परेशानी में पड़ जाते हैं।
हमें, जो सत्य में रहते हैं, हमें दिए गए आशीर्वादों का मूल्य समझना चाहिए और अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए। यदि हम सत्य का और प्रतिज्ञा की गई स्वर्गीय मीरास का मूल्य नहीं समझते, तो हम स्वर्ग के प्रति अपनी आशा को खो देंगे और यहां तक कि सत्य में हमारा विश्वास भी शैतान के द्वारा छीन लिया जाएगा।
एक बार मैंने ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जहां लोगों ने गुब्बारों में अपनी कामनाएं रखकर उन्हें आकाश में उड़ाया था। “एक–दो–तीन” करके गिनने के बाद, जैसे ही सभी हिस्सा लेनेवालों ने गुब्बारों को छोड़ा, हवा से भी हल्की गैस से भरे गुब्बारे आकाश की ओर ऊपर उठने लगे। हालांकि, उनमें से कुछ ऊपर नहीं चढे., लेकिन नीचली हवा में तैरने लगे, और कुछ जो ऊपर उठे थे, तुरन्त ही जमीन पर आ गिरे; वे आकाश में उड़ने के बजाय जमीन पर लुढ़कने लगे।
यहां तक कि कुछ लोगों ने उन गुब्बारों को ऊपर उठाने के लिए अपने हाथों को हिला–हिलाकर हवा दी, तो भी गुब्बारे ऊपर नहीं उठे लेकिन जमीन पर ही रहे। उस समय, एक व्यक्ति ने दस न उड़ सकने वाले गुब्बारों को एक पूरी तरह से हीलियम गैस से भरे गुब्बारे से बांधा। तब वह गैस से भरा हुआ गुब्बारा दूसरे दस गुब्बारों को साथ में लेकर शालीनता से हवा में ऊपर उड़ गया।
कई प्रकार के गुब्बारों को हवा में ऊपर उड़ते हुए देखकर, मैंने हमारे विश्वास के बारे में विचार किया और अंतिम दिन में हम सब के स्वर्ग की ओर ऊपर उड़ने की कल्पना की। मैंने पहले सोचा था कि हीलियम गैस से भरे सभी गुब्बारे जब हवा में छोड़े जाएंगे तब बिना किसी चूक के सब आकाश में ऊपर चढ़ सकेंगे, लेकिन मेरी अपेक्षा के विपरीत, मैंने कुछ गुब्बारों को न उड़ते हुए देखा। तो मैंने सोचा कि जो विश्वास से पूर्ण रूप से भरे हुए नहीं हैं वे उन गुब्बारों की तरह हैं जो आकाश में ऊपर नहीं उड़ते। उस गुब्बारे ने, जो दूसरे दस गुब्बारों के साथ ऊपर उठ रहा था, मुझे उन अगुवे सदस्यों की याद दिलाई जो हमारे भाइयों और बहनों को स्वर्ग की ओर ले जाने के लिए मेहनत करते हैं।
जो विश्वास से भरपूर हैं वे हीलियम गैस से भरपूर गुब्बारे की तरह अंतिम दिन में सीधे स्वर्ग में चढ़ जाएंगे, लेकिन जिनके विश्वास में कमी है वे आधे भरे हुए गुब्बारे की तरह मुश्किल से ऊपर उठेंगे। यदि हम स्वर्ग की ओर दौड़ नहीं सकते, तो इसका कारण है कि हम विश्वास से भरपूर नहीं हैं, और यदि हम विश्वास से भरपूर नहीं हैं, तो यह साबित करता है कि हम स्वर्गीय राज्य का मूल्य और हमारे परमेश्वर की सन्तान होने का मूल्य पूरी तरह से नहीं जानते।
हमें सब बातों का मूल्य जानना चाहिए – परमेश्वर के राज्य का मूल्य, हमारे परमेश्वर की सन्तान होने का मूल्य, और सत्य का मूल्य। क्या हमें इन सब बातों का मूल्य जानकर, अपने आपको विश्वास से भर नहीं देना चाहिए, ताकि हम भी उन गुब्बारों की तरह जो छोड़ने पर तुरन्त आकाश में ऊपर उड़ने लगे थे, स्वर्ग की ओर सीधे उड़ सकें? जब तक हम सिय्योन, सत्य और स्वर्ग के राज्य का मूल्य पूर्ण रूप से नहीं समझ लेते, हमें परमेश्वर के वचनों का अध्ययन करते रहना चाहिए।
प्रेरित पौलुस ने कहा था कि वह इस संसार की किसी भी वस्तु के बदले परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार नहीं बेचेगा। क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार कितना महान था।
इसलिये हे भाइयो, हम शरीर के कर्ज़दार नहीं कि शरीर के अनुसार दिन काटें, क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे तो जीवित रहोगे। इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा केचलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं। क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि फिर भयभीत हो, परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं। आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं; और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएं तो उसके साथ महिमा भी पाएं। क्योंकि मैं समझता हूं कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। रो 8:12–18
जो स्वर्ग के राज्य का मूल्य जानते हैं वे सब बातों पर संयम रखते हैं। चूंकि वे परमेश्वर के राज्य का मूल्य जानते हैं, तो वे कैसे उसे सांसारिक चीजों के बदले छोड़ सकते हैं? इसलिए बाइबल कहती है कि जो परमेश्वर के राज्य का मूल्य जानते हैं वे आत्मा से देह की क्रियाओं को मारते हैं।
प्रेरित पौलुस परमेश्वर के राज्य का, परमेश्वर की सन्तान होने का, और उस स्वर्गीय मीरास का जिसे वह बाद में पाने वाला था, मूल्य जानता था। इसी कारण से उसने अपनी पीड़ाओं को कुछ भी नहीं समझा। जब हम कोई काम बिना उसका मूल्य जाने करते हैं, तो वह हमारे लिए मुश्किल और दुखदायक बन जाता है, लेकिन यदि हम उसका मूल्य जानते हैं, तो कुछ भी हमें परेशानी या तकलीफ में नहीं डालेगा।
चाहे पौलुस अपनी प्रचार की यात्रा में अनगिनत पीड़ाओं से गुजरा था, चाहे उसे कोड़े मारे गए और बुरी तरह से पीटा गया, तो भी उसने उन सभी मुश्किलों को सहन किया और अंत तक अपना कार्य करता रहा। यह इसलिए था क्योंकि वह परमेश्वर के राज्य का मूल्य जानता था। क्या वह हर प्रकार की तकलीफों और रुकावटों को इसलिए पार नहीं कर सका क्योंकि उसने यह महसूस कर लिया था कि स्वर्ग ऐसी जगह है जहां हर प्रकार की पीड़ाओं और दुखों के बावजूद उसे जाना ही होगा?
किसी बात का मूल्य जानना एक आत्मिक समझ है। जब हम परमप्रधान परमेश्वर का, महिमामय स्वर्ग के राज्य का, सिय्योन का, और सत्य का मूल्य जान लेंगे, तो हम विश्वास से भर जाएंगे, और जैसे हीलियम गैस से भरा गुब्बारा सीधा ऊपर की ओर उठता है, वैसे ही हम भी अनन्त स्वर्ग के राज्य में जाएंगे।
आइए हम उन सब बातों के मूल्य के बारे में सोचें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। सिय्योन कितना ज्यादा महिमामय है! परमेश्वर की प्रत्येक आज्ञा कितनी बहुमूल्य है! पिता और माता को महसूस करना, इसका मूल्य कितना महान है! सत्य का मूल्य कितना अनमोल है! हमें हर रोज इन सब के मूल्यों को जानकर विश्वास के मार्ग पर चलना चाहिए।
हम अक्सर बुजुर्ग लोगों से यह सुनते हैं कि कोरिया के इतिहास में एक ऐसा समय था जब कोई शक्तिशाली पुरुष समाज के सबसे महान लोगों में से एक समझा जाता था, और जब भी लोग इकट्ठे होते थे तो वे ऐसे किसी शक्तिशाली पुरुष के साथी होने के बारे में डींग मारते थे।
दुनिया के लोग किसी शक्तिशाली व्यक्ति को जानने पर डींग मारते हैं। हालांकि, हम डींग मारते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ हैं। क्या इससे ज्यादा डींग मारने योग्य कोई बात है?
2,000 साल पहले, प्रेरितों ने यीशु के नाम के मूल्य पर विश्वास किया था, और इसी कारण उन्होंने उस नाम की बड़ाई करने के लिए बहुत प्रयास किए। जब लोगों ने सवाल किया कि, “उद्धार पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?” तो उन्होंने उत्तर दिया कि, “यीशु मसीह पर विश्वास करो।” वे मसीह के नाम की घोषणा बड़ी हिम्मत के साथ करते थे। उन दिनों में ज्यादातर लोगों ने यीशु को परमेश्वर के रूप में नहीं, लेकिन सिर्फ एक बढ़ई के पुत्र के रूप में देखा था। हालांकि, प्रेरित यीशु के नाम का मूल्य जानते थे और सभी बातों के लिए उनके नाम पर भरोसा रखते थे: “यीशु के नाम से पापों की क्षमा पाओ।” “यीशु के नाम में पश्चाताप करो।” “यीशु के नाम पर निर्भर रहकर उद्धार पाओ।” इस तरह से उन्होंने यीशु के नाम को सामर्थ्य वान समझा और बड़े ही मूल्य के साथ उनके नाम की घोषणा की।
अब, हमें भी यह समझना चाहिए कि हमारे परमेश्वर कितने ऊंचे और महान हैं, और उनके नाम की पूरे संसार में साहस के साथ घोषणा करनी चाहिए।
दारोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर… तब वह दीया मंगवाकर भीतर लपका, और कांपता हुआ पौलुस और सीलास के आगे गिरा; और उन्हें बाहर लाकर कहा, “हे सज्जनो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं?” उन्होंने कहा, “प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा…” प्रे 16:27–34
आज, यदि हम परमेश्वर का मूल्य समझते हैं, तो हमें भी पौलुस और सीलास के समान किसी भी परिस्थिति में लोगों को विश्वास के साथ कहना चाहिए कि, “आत्मा और दुल्हिन पर विश्वास करो।” यदि हम सिय्योन के लोगों ने परमेश्वर की महान महिमा को महसूस किया है, तो हमें सब लोगों को अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की साहस के साथ घोषणा करनी चाहिए।
प्रथम चर्च के समय में, जब संत लोगों को यीशु पर विश्वास करने के लिए कहते थे, तो लोग ऐसा कहते हुए उनकी हंसी उड़ाते थे कि, “वे तो नई मदिरा के नशे में चूर हैं।” उस समय, ऐसी आम धारणा प्रचलित थी कि परमेश्वर कभी भी मनुष्य बनकर नहीं आ सकते। ऐसी परिस्थिति में भी, जिन्होंने मसीह के मूल्य को समझा उन्होंने बंजर भूमि को सुधारा और निर्जन स्थानों में रास्ते बनाए।
अब हम भी वैसी ही परिस्थिति में हैं। पवित्र आत्मा के युग के पथप्रदर्शक और नबी होने के नाते, हम प्रचार कर रहे हैं कि परमेश्वर पृथ्वी पर आ चुके हैं। यदि हम सच्चा मूल्य समझते हैं, तो हमें नई वाचा के सत्य को बहुमूल्य समझना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए, और सभी जातियों में स्वर्ग के राज्य के मूल्य की घोषणा करनी चाहिए और पूरे संसार में आत्मा और दुल्हिन के रूप में आए परमेश्वर की महिमा को प्रकट करना चाहिए।
स्वर्ग के राज्य का मूल्य जाने बिना, हम विश्वास नहीं रख सकते। विश्वास न होने पर, हम उस कम हीलियम गैस वाले गुब्बारे के समान उड़ नहीं सकेंगे। हमें सबसे पहले सब आत्मिक चीजों का मूल्य समझना चाहिए, ताकि हमारे पास इतना ज्यादा विश्वास हो सके कि हम दूसरों से मार्गदर्शन लेने के बजाय, स्वयं दूसरों का स्वर्ग तक मार्गदर्शन कर सकें।
यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।” मत 28:18–20
परमेश्वर ने हमें सुसमाचार प्रचार करने का कार्य सौंपा है कि हम इस संसार में सबसे बहुमूल्य कार्य कर सकें। उन्होंने हमें महान मिशन दिया है कि हम सामरिया और पृथ्वी की छोर तक जाएं और सभी छह अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करें। यह दिखाता है कि परमेश्वर हमें कितना मूल्यवान समझते हैं।
हमारे भाइयों में से एक ने एक बार मुझ से कहा था कि जब वह रास्ते में ऐसे बहुत से लोगों को देखता है, जो आईएमएफ आर्थिक संकट के कारण नौकरी खोने के बाद बेघर हो गए हैं, तो वह परमेश्वर को नौकरी देने के लिए तह दिल से धन्यवाद देता है। यदि परमेश्वर किसी व्यक्ति को कुछ कार्य देते हैं, तो उसका मतलब है कि वह उसे वह कार्य करने के योग्य समझते हैं।
यदि हम परमेश्वर के वचनों का मूल्य समझे बिना उनका प्रचार करें, तो हम परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले फल पैदा नहीं कर सकते। परमेश्वर ने हमें उनका कार्य करने के लिए परिस्थितियां दी हैं। यह दिखाता है कि परमेश्वर हमें कितना ज्यादा योग्य समझते हैं। इस बात को मन में रखते हुए, हमें उसका मूल्य समझकर प्रचार करना चाहिए और सुसमाचार के कार्य का नेतृत्व करना चाहिए।
इन दिनों मासिक तनख्वाह पाने वाले बहुत से लोग लाटरी में रुचि लगाते हैं। वे ऐसे गुलाबी सपने का पीछा करते हैं कि यदि एक बार वे जीत जाए्ं, तो वे अपना बाकी जीवन बिना नौकरी किए ही आराम से गुजार सकेंगे। जब भी वे आपस में मिलते हैं, लाटरी के बारे में बातें करते हैं।
कृपया ऐसा न सोचिए कि मैं जुआ खेल की तरफदारी करते हुए लाटरी का उदाहरण दे रहा हूं। मैं आशा करता हूं कि हमारे सिय्योन के सभी सदस्य जैसा अभी करते हैं वैसे ही परमेश्वर में एक ईमानदार जीवन जीना जारी रखें। उत्पत्ति की पुस्तक में परमेश्वर ने पहले से बताया है कि मनुष्य को अपने माथे के पसीने की रोटी खानी चाहिए। बिना काम किए प्राप्त धन हमारी नैतिकता को नष्ट कर देता है। हवा से गिरे फल की आशा रखते हुए, हो सकता है कि हम जीवन का सही मूल्य न समझ सकें।
लाटरी के प्रति उनके उत्साह को देखकर, मैं मानता हूं कि जब भी हम प्रचार करते हैं, तो हमें सत्य के मूल्य को स्पष्ट और साहस भरी आवाज से घोषित करना चाहिए। क्या सत्य के मूल्य की तुलना किसी लाटरी के मूल्य से की जा सकती है? यदि कोई मनुष्य लाटरी जीतता है, तो वह इस पृथ्वी पर कुछ समय के लिए कुछ चीजों का भोग कर सकता है। हालांकि, यदि वह सत्य को स्वीकार करे और परमेश्वर की सन्तान बने, तो क्या होगा? वह स्वर्ग में उसके लिए तैयार किए गए अपने इनाम को पाएगा और सदा सर्वदा तक उसको भोगेगा। सचमुच, उस आत्मिक दुनिया के पास जिसे परमेश्वर ने हमें दिखाया है, सच्चा अर्थ और मूल्य है।
हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशलेम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी। वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा… क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है, वही हमारा उद्धार करेगा… कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लोग उसमें बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा। यश 33:20–24
परमेश्वर ने सिय्योन में, जहां परमेश्वर के नियत पर्वों को मनाया जाता है, रहने वाले लोगों को उद्धार की प्रतिज्ञा दी है। वह केवल सिय्योन ही है जहां हम पापों की क्षमा पा सकते हैं और उस प्रतिज्ञा किए हुए आशीर्वाद को पा सकते हैं जिससे हम अनन्त स्वर्ग के राज्य में लौट सकते हैं। सिय्योन के मूल्य की तुलना कैसे इस संसार की किसी भी वस्तु से हो सकती है?
सिय्योन वह जगह है जहां परमेश्वर हमारे साथ हैं। इसी वजह से वह बहुत ज्यादा बहुमूल्य है। परमेश्वर के नियत पर्वों के नगर, सिय्योन में परमेश्वर हमारे उद्धार के लिए कार्य कर रहे हैं। वह हमें सिखाते हैं कि आत्मिक दुनिया की अदृश्य चीजें इस शारीरिक दुनिया की दृश्य चीजों से कहीं अधिक मूल्यवान हैं। परमेश्वर की इस शिक्षा को मन में रखते हुए, आइए हम संसार के लोगों में सच में मूल्यवान चीजों की घोषणा करें।
हम ने परमेश्वर से अनमोल चीजें प्राप्त की हैं, जिनकी इस पृथ्वी की किसी भी वस्तु से तुलना नहीं की जा सकती; जैसे कि परमेश्वर की आज्ञाएं जो शुद्ध सोने से भी बहुमूल्य हैं, हमारे पिता जो पवित्र आत्मा के रूप में इस पृथ्वी पर आए हैं, स्वर्गीय यरूशलेम हमारी माता जो पवित्र आत्मा की दुल्हिन बनकर आई हैं, परमेश्वर के पर्वों के नगर, सिय्योन में हमारे भाई और बहनें इत्यादि। आइए हम अपने आपको जांचें कि इन सबसे मूल्यवान चीजों का प्रचार करते समय हमारी आवाज कहीं कमजोर और अस्पष्ट तो नहीं है। सुसमाचार के प्रचारक के तौर पर, आइए हम इन चीजों का मूल्य जानें और संसार के लोगों को सबसे मूल्यवान चीजों की जोर से घोषणा करें, ताकि हम पिता और माता को महिमान्वित कर सकें और सब लोगों की स्वर्ग की ओर अगुआई कर सकें।