मैं कई महीनों तक बीमार रही। मैंने फार्मेसी से सभी विभिन्न तरह की दवाइयों को खरीदा और घरेलू उपचार सहित सभी प्रकार के उपचारों के जरिए स्वयं को स्वस्थ रखने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी बेहतर नहीं हो रहा था। जब मैं इस हद तक कमजोर हो गई कि मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ सकती थी, तब मैं अपने एक जान-पहचान वाले डॉक्टर के पास गई।
डॉक्टर ने मेरे साथ परामर्श करने के बाद, मेरे इलाज के लिए एक सप्ताह की दवाई लिख दी, और उन्होंने दृढ़ता से मुझसे कहा कि उस दवाई का सेवन करने के दौरान मुझे चीनी के सेवन से बचे रहना चाहिए, क्योंकि चीनी मेरे इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाती है और मेरी सेहत में सुधार लाने में देरी करती है।
अपनी व्यंजन सूची से चीनी को हटाना आसान नहीं था। ज्यादातर स्वादिष्ट पकवानों में चीनी होती है और फलों या पेयों में भी चीनी होती है।
पहले तीन दिन उससे बचे रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। जब कभी मैं भोजन करती थी, मेरा बहुत जी चाहता था कि मैं कुछ मीठा खाऊं। नाश्ता भी मेरे लिए एक प्रलोभन था जिसे दूर करना मेरे लिए अति कठिन था। लेकिन मैंने अपनी सेहत के लिए दृढ़ संकल्प किया कि मैं उन मीठी खाद्य पदार्थों को न तो देखूंगी और न ही सोचूंगी।
मेरे लिए सबसे कठिन पल वह था जब कॉफी ठीक मेरे सामने थी। कॉफी पीने का मुझे बहुत शौक था, इसलिए मीठी कॉफी पीने की अभिलाषा को दबाते-दबाते मेरे दिल में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था।
जब कभी मेरे सामने कॉफी पीने का प्रलोभन आता था, तब मैं एक से लेकर दस तक की गिनती गिनती थी या उस जगह से चली जाती थी। मैंने मन-ही-मन बहुत बार कहा कि मुझे अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। मेरे पास कोई और उपाय नहीं था, क्योंकि यदि मैं बीमारी से ठीक न होती, तो सुसमाचार का प्रचार करना तो दूर, मैं आराधना में भी ध्यान नहीं दे सकती थी। सौभाग्य से, चूंकि मैंने अपनी सेहत पर अधिक ध्यान दिया, मेरा स्वास्थ्य थोड़ा-थोड़ा ठीक होने लगा।
उस समय के दौरान मुझे बहुत सी चीजों का एहसास हुआ। उन मीठी खाद्य पदार्थों से अत्यधिक चौकस रहते हुए मुझे माता का यह वचन बहुत याद आया, “परमेश्वर की संतानों को वह नहीं करना है जो उन्हें नहीं करना चाहिए, और वह नहीं देखना है जो उन्हें नहीं देखना चाहिए।”
जब कभी माता का यह वचन मुझे याद आता था, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं कितनी गंभीर पापी हूं। माता हमेशा हमें सिखाती हैं कि हमें उन सभी बुरी आदतों से बचना चाहिए जो हमारी आत्माओं को नुकसान पहुंचाती हैं, और हमें परमेश्वर के वचनों के द्वारा शुद्ध होना चाहिए। लेकिन मैंने माता के वचनों को अभ्यास में लाने के बजाय अक्सर अपने पापी स्वभाव के अनुसार मूर्ख बर्ताव किया। मेरे कमजोर मन को खटखटाने वाले सभी प्रकार के प्रलोभनों के सामने मैं अक्सर हार जाती थी।
अपनी आत्मा की सेहत के लिए, पर्व के दौरान मैंने परमेश्वर के सामने अपने सभी पापों का अंगीकार किया और बड़ी उत्सुकता से प्रार्थना की कि अपनी सभी पापमय और सांसारिक आदतों को निकाल फेंकने में मेरी मदद करें। पर्व की आशीष के द्वारा परमेश्वर ने मेरी आत्मा को शुद्ध किया।
जब मैं पाप में रहती हूं, तब एक भारी बैग उठाने जैसा महसूस होता है। चूंकि परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा मेरा पाप क्षमा किया गया है और मेरी आत्मा हल्की हो गई है, इसलिए मैं अपनी आत्मा को फिर से भारी बनाना नहीं चाहती। जैसे बाइबल कहती है, “सब प्रकार की बुराई से बचे रहो(1थिस 5:22),” मैं सभी बुरी आदतों को निकाल फेंकूंगी और हल्के कदमों के साथ अपनी पूरी शक्ति लगाकर स्वर्ग की ओर दौड़ूंगी।