परमेश्वर जो कुचले हुए सरकण्डे को नहीं तोड़ते

चियोंगजु, कोरिया से किम थे ही

9,047 बार देखा गया

बहुत ही मुश्किल समय में मैं परमेश्वर से मिली। यदि परमेश्वर ने मेरा हाथ न थाम लिया होता, तो मेरी आत्मा के साथ क्या हुआ होता? इसके बारे में सोचकर ही मेरे दिल में सिहरन पैदा होती है।

मैं आभारी थी कि मैं परमेश्वर से मिलने के बाद फिर से हंस सकी। लेकिन मनुष्य का मन बहुत धूर्त है। संसार के प्रलोभनों और सांसारिक कठिनाइयों से परेशान होने के कारण मुझ में जल्दी ही नई शक्ति कम होने लगी, जो मैंने स्वर्गीय पिता और माता की आशीष के द्वारा पाई थी।

जिसने मेरी मरती हुई आत्मा को बचाया, वह परमेश्वर का वचन था जो दिखता है कि परमेश्वर का प्रेम कितना महान है।

“वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा, और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक वह न्याय को प्रबल न कराए।” मत 12:20

“अह! मैं कुचला हुआ सरकण्डा थी! मैं धूआं देती हुई बत्ती थी!”

सरकण्डे की तरह, मेरी आत्मा इधर–उधर डगमगाते हुए बुरी तरह से कुचली हुई थी। मानो धूआं देती हुई बत्ती की तरह यदि मेरी आत्मा को अकेला छोड़ दिया गया, तो मेरे जीवन की ज्वाला बुझ गई होती। लेकिन परमेश्वर आखिरी क्षण तक मेरी आत्मा की रक्षा कर रहे थे! ऊपर के वचन को पढ़कर मैंने मार्मिक प्रेम के साथ मुझे थामे रखनेवाले परमेश्वर के प्रति आभार और खेद महसूस किया और इसके साथ मैं परमेश्वर के व्याकुल हृदय और अनुग्रह का भी एहसास कर सकी।

जैसे परमेश्वर ने मुझसे हार नहीं मान ली और मेरी रक्षा की, वैसे ही मैं भी अन्त तक पिता और माता के साथ रहते हुए उन्हें थोड़ी सी भी शक्ति और सांत्वना देना चाहती हूं।