
चीन के अन्हुई प्रांत में रहनेवाला गुओ शिजुन नामक एक बीस वर्षीय युवक है। उसकी मां कुछ वर्ष पहले दिमागी बुखार से पीड़ित होने के बाद किसी की मदद के बिना अकेले नहीं जी सकती। सबसे बदतर बात यह हुई कि उसके पिता भी एक दुर्घटना से घायल हो गए और उनकी कमर से नीचे के हिस्से को लकवा मार गया। घर की स्थिति इतनी दयनीय और गरीब होने के बावजूद वह स्कूल में सर्वाधिक अंक लाने वाला एक अच्छा विद्यार्थी था।
लेकिन यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने से पहले उसके सामने एक बड़ी समस्या आई। भले ही यूनिवर्सिटी ने उसका स्वागत किया, उसे शिक्षा शुल्क के भुगतान करने से छूट दी और छात्रवृत्ति देने का वादा किया, और उसके दादा ने उसकी मां की देखभाल करने का वादा किया, लेकिन उसके पास अकेले रह गए अपने पिता की देखभाल करने के लिए कोई नहीं था। इसलिए उसने यूनिवर्सिटी के पास एक कमरा लिया और अपने पिता की देखभाल करते हुए यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। हर भोजन के समय वह पूरे दिल से अपने पिता के लिए भोजन बनाता था और उन्हें खिलाता था और उनकी पीठ में घाव न बनने देने के लिए वह बार–बार उनके शरीर को पलटता था। उसके पिता के सो जाने के बाद, वह टेबल लैंप को चालू करता और बिस्तर के विपरीत दिशा में ध्यानपूर्वक चुपचाप पढ़ाई करता था।
शिजुन ने कहा, “मैं नहीं कह सकता कि जीवन आसान है लेकिन कड़ी मेहनत ही समस्या से निकलने का एकमात्र मार्ग है। इसलिए मैं शिकायत नहीं कर रहा हूं।”
उस नवयुवक की बातें सुनकर जो जवानी का आनंद लेना न चाहते हुए अपने संतानोचित कर्तव्य को पूरा करने के लिए हर प्रयास कर रहा है, हमारे मन में यह विचार आता है कि “कड़ी मेहनत” क्या होती है।