स्वास्थ्य, खुशी के लिए पहली शर्त!

स्वास्थ्य सबसे बड़ी संपत्ति है। दैहिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य है।

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वर्धमान वातावरण प्रदूषण, खाने की बुरी आदतें, अनुचित आहार, सुविधाजनक परिवहन और काम के कंप्यूटरीकरण से व्यायाम की कमी इत्यादि के कारण आधुनिक लोगों के स्वास्थ्य के विरुद्ध चेतावनी के चिह्न हैं। चिकित्सा कौशल में सुधार जारी है, परन्तु अभूतपूर्व रोग और उत्परिवर्ती वायरस का प्रकट होना भी स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाले बहुत से कारकों में से एक है।

इसीलिए लोग आजकल स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देते हैं। लगभग हर कोई पूरक आहार और स्वस्थ भोजन लेता है, नियमित चेकअप करवाता है, जैविक उत्पादों को पसंद करता और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक वस्तु की खरीदारी करता है। बहुत सी पुस्तकें स्वस्थ रहने के रहस्यों का परिचय देती हैं, और ऑनलाइन पर बहुत सारी स्वस्थ संबंधी जानकारियां हैं।

ऐसा क्यों है कि लोगों की रुचि स्वास्थ्य पर है और वे इस पर उदारतापूर्वक निवेश करते हैं? यह इसलिए क्योंकि वे खुश रहना चाहते हैं। ब्रिटिश कवि फ्रांसिस थॉम्पसन ने कहा, “स्वास्थ्य खुशी की माता है,” और फ्रांसीसी दार्शनिक मान्तेन ने कहा, “स्वास्थ्य के बिना धन, प्रतिष्ठा, ज्ञान, नैतिक सद्गुण और प्रेम पुराने और लुप्त हो जाते हैं।”

आप तब खुश रह सकते हैं जब आप स्वस्थ होते हैं। जब माता-पिता बीमार पड़ जाते हैं, तब बच्चों को चैन नहीं आता, और जब बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, तब माता-पिता और अधिक बीमार पड़ जाते हैं। जिस तरह शरीर के अंग को चोट लगने पर पूरा शरीर पीड़ित होता है, उसी तरह जब एक सदस्य बिमार पड़ जाता है, तब पूरा परिवार पीड़ित हो जाता है, क्योंकि परिवार का एक साथ रहना भाग्य में लिखा है।

स्वस्थ रहने का अर्थ

तब स्वस्थ रहने का अर्थ क्या है? क्या हम कह सकते हैं कि एक आदमी तब तक स्वस्थ है जब तक उसके हाथ-पैरों में कोई गड़बड़ नहीं है और उसे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है? व्यवाहारिक रूप से हां, लेकिन स्वस्थ होने का मतलब केवल यह नहीं है कि शरीर में कुछ भी समस्या और कोई शारीरिक दर्द नहीं है। चूंकि अधिक से अधिक लोग तनाव और मानसिक रोग से पीड़ित हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने स्वास्थ्य को “केवल बीमारी या दुर्बलता का अभाव नहीं, परन्तु पूर्ण दैहिक, मानसिक और सामाजिक सुख की दशा” के रूप में परिभाषित किया।

यद्यपि कोई व्यक्ति दैहिक तौर पर स्वस्थ हो, लेकिन यदि वह जीने का कारण न जानते हुए विषादपूर्वक जीवन जीए, तो क्या हम कह सकते हैं कि वह स्वस्थ है? क्या होगा यदि कोई व्यक्ति, जो शातिर है, दूसरों को धोखा देकर लाभ प्राप्त करने के लिए हर प्रयास करता है और लोगों को दुर्भाग्य में डाल देता है? WHO के स्वास्थ्य की परिभाषा के अनुसार ऐसे व्यक्ति को स्वस्थ व्यक्ति के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइज़नहावर और जॉन एफ. केनेडी रोगी थे जब वे पद पर थे, परन्तु वे स्वयं को रोगी नहीं मानते थे। महान रूसी साहित्यकार दोस्तोयेव्स्की ने अपनी दीर्घकालिक मिर्गी के बावजूद भी महान उपन्यास लिखे, और बीथोवेन ने सिरोसिस, पीलिया, श्रवण विकलांगता, आदि जैसे अपनी बीमारियों के बावजूद भी उत्कृष्ट कृति छोड़ दी। प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग, जो 21वीं सदी में सर्वश्रेष्ठ भौतिक विज्ञानियों में से एक माना जाता था, उसे 21 वर्ष की आयु में जीने का एक सीमित समय दिया गया था, क्योंकि वह मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित था, जो पूरे शरीर के मांसपेशियों में ऐंठन होती थी, परन्तु वह पचास से अधिक वर्षों तक शोध में सक्रिय था।

लोग, जिन्होंने मजबूत मानसिक स्वास्थ्य से शारीरिक सीमाओं को पार किया है, बताते हैं कि सब कुछ मानसिकता पर निर्भर करता है। एक कहावत है कि, “स्वस्थ होना सुंदर होने से बेहतर है, और स्वस्थ होने की तुलना में एक सही मानसिकता होना बेहतर है।” यह सच है कि एक बीमारी या विकलांगता के दर्द से हमारी मानसिक दुनिया उथल-पुथल हो जाती है। लेकिन हमारी मानसिक दुनिया में इससे जय पाने की सामर्थ्य भी है।

भले ही कोई व्यक्ति बीमारी के कारण अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रखता, यदि वह संतुष्ट है और एक आभारी और सार्थक जीवन जीता है, तो क्या वह स्वस्थ शरीर वाले किसी व्यक्ति की तुलना में जो हर दिन शिकायत करता और बड़बड़ाता है, अधिक स्वस्थ और खुश नहीं?

अच्छे दिल और हंसते मुख के साथ स्वास्थ्य को बढ़ावा दें

हम नल से पानी लेते हैं और जब तक पानी काटा नहीं जाता तब तक हम महसूस नहीं करते कि पानी कितना मूल्यवान है। इसी तरह, जब तक हम बीमार नहीं पड़ते तब तक हम स्वस्थ होने के लिए वास्तव में धन्यवाद महसूस नहीं करते। यहां तक कि जो लोग आत्मविश्वास से कहते हैं कि वे स्वस्थ हैं, एक बार गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाने के बाद स्वास्थ्य के महत्व को उत्सुकता से महसूस करते हैं।

जब हम अभी भी स्वस्थ हैं तो हमें स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। यदि आप मानसिक और दैहिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आपको शारीरिक फिटनेस को हल्के से नहीं लेना चाहिए। शारीरिक फिटनेस का आधार शरीर के लिए शराब पीने और धूम्रपान करने जैसे हानिकारक आदतों से छुटकारा पाना है, और पर्याप्त कसरत करना और सोना और नियमित रूप से खाना है। लेकिन, भले ही कोई दैहिक बल विकसित करने की कोशिश करता है और सभी स्वस्थ खाद्य पदार्थ लेता है, परन्तु यदि वह आसानी से तुच्छ मामलों पर क्रोधित हो जाए और नकारात्मक विचारों से भर जाए, तो यह टूटे हुए घड़े में पानी डालने से अलग नहीं।

आंतरिक चिकित्सा के एक प्राध्यापक डॉ. अर्नोल्ड फॉक्स कहता है, “मरीजों को पता नहीं है कि हर नकारात्मक विचार जो वे सोचते हैं, एक शारीरिक रोगाणु के जैसा खतरनाक है।” उदासी, चिंता, निराशा, घृणा और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाएं पेट को नुकसान पहुंचाती हैं, और जो लोग चिड़चिड़े हैं या नकारात्मक सोचते हैं उन्हें स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है।

लोग कहते हैं कि तनाव सभी बीमारियों का स्रोत है। 75% दिल की बीमारियां तनाव से संबंधित हैं, और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, संवेदनशील आंत्र संलक्षण, निद्रा विकार, न्यूरोडर्माटाइटिस और कैंसर जैसे कई रोग भी तनाव से गहराई से संबंधित हैं। हमें स्वस्थ रहने के लिए अन्य लोगों के साथ अच्छा संबंध रखने की आवश्यकता है। एक शोध के अनुसार, उन लोगों में, जो दूसरों के साथ कम संबंध रखते हैं और अकेलापन महसूस करते हैं, उन लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम अधिक होता है, जो वैसा नहीं करते।

सारांश में, जो लोग सकारात्मक सोच से अपने मन को नियंत्रित करते हैं और अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, वे दैहिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। अकेलापन जहर है। चाहे एक परिवार एक ही घर में रहता है, लेकिन जब तक वे एक-दूसरे से संवाद न करें और एक-दूसरे को न समझें, वे अकेलापन महसूस करते हैं। अपने परिवार के सदस्यों के प्रति ध्यान दें और प्रेम और देखभाल से अपनी भावनाओं का उनके साथ साझा करें, ताकि वे अकेला महसूस न करें। प्रेम और विचारशीलता बीमारियों के प्रतिरोध को बढ़ावा देने में मदद करती है, और हंसी जो उनमें खिलती है, सबसे अच्छी दवा है।

जब आप बीमार पड़ जाते हैं तो परिवार सर्वोत्तम है

जब लोग बीमार पड़ जाते हैं, तो वे आमतौर पर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते; वे छोटी-छोटी बातों पर भी अपने आस-पास के लोगों को अपना क्रोध दिखाते हैं और आसानी से उनका गला भर आता है। जब वे लंबे समय तक बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़े रहते हैं, तो वे चिंता और अवसाद से त्रस्त हो सकते हैं, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आती है। ऐसा कहा जाता है कि एक बीमार व्यक्ति छोटे बच्चे की तरह बन जाता है। जब वे दैहिक या मानसिक रूप से बीमार पड़ जाते हैं, तब वे किसी पर टेक लगाकर दिलासा पाना चाहते हैं। तब परिवार के लोगों का सहारा उन्हें बहुत हिम्मत देता है। एक रोगी होना बहुत बुरा है, लेकिन यह एक महान आशीष है कि वह परिवार से हार्दिक देखभाल और ध्यान प्राप्त कर सकता है।

जब आपके परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है, तो आप रोगी सदस्य को सांत्वना देकर और उसके दर्द को साझा करके अपने बच्चे को परिवार के महत्व के विषय में सीखा सकते हैं। मां के बीमार होने पर, पिता मां का काम करते हैं, मां बीमार पिता की बहुत देखभाल करती है। बच्चों को अपने बीमार भाई-बहन के लिए पानी लाने देना या उनकी बीमार दादी के लिए एक चित्र बनाने देना संतानोचित कर्तव्य और भाईचारे के प्रेम को मजबूत करने का अच्छा तरीका है; वे इस विचार से बहुत अच्छा महसूस कर सकते हैं कि वे भी उनकी देखभाल करने में सहभागी हुए हैं। यदि माता-पिता अपने रोगी परिवार के सदस्यों की अच्छी देखभाल न करें, तो उनके बच्चे भी अपने परिवार के सदस्य बीमार पड़ जाने पर उनसे दूर रहेंगे।

यह देखने से ज्यादा निराशाजनक कुछ नहीं है कि जब आप बीमार पड़ जाते हैं या कठिन समय से गुजरते हैं तो आपका परिवार उदासीन होता है। लोगों के अलग-अलग गठन और प्रतिरक्षा प्रणाली हैं, इसलिए एक ही भोजन खाने पर भी कुछ लोगों को पेट में दर्द होता है और कुछ लोग ठीक-ठाक होते हैं। इसके अलावा, लोगों की मस्तिष्क की संरचनाएं अलग-अलग होती हैं, इसलिए दर्द की मात्रा जो वे महसूस करते हैं, अलग-अलग होती है; कुछ लोग आसानी से उत्तेजना को सहन करते हैं, जबकि कुछ लोग उसी उत्तेजना को सहन करते हुए कठिन समय से गुजरते हैं। इसलिए, जब आपके परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है, तो आपको उदासीनता से यह नहीं कहना चाहिए, “आप केवल एक डरपोक हैं,” या “आप डॉक्टर से मिलने क्यों नहीं जाते?” लेकिन आपको स्नेही प्रेम और चिंता के साथ अपने बीमार परिवार के सदस्य की देखभाल करने की आवश्यकता है।

यदि परिवार का कोई सदस्य अक्सर बीमार हो जाता है या लंबे समय तक बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़ा रहता है, तो रोगी और रोगी के परिवार के सदस्य थक जाते हैं। फिर भी उन्हें रोगी को चिड़चिड़ापन और थकान के लक्षण नहीं दिखाने चाहिए या उसे यह महसूस करने देना नहीं चाहिए कि वह उसके परिवार के लिए बोझ है।

जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ कठिन समय से गुजर रहे होते हैं तब पारिवारिक एकजुटता मजबूत हो जाती है। जब कोई बीमार पड़ जाता है, तो तुच्छ मामलों में भी उसे आसानी से चोट लगती है, लेकिन वह आसानी से द्रवित भी हो जाता है; वह एक कटोरी गर्म दलिया, या हस्तलिखित वाक्यांश से द्रवित हो जाता है। बीमारी को दुर्भाग्य माना जा सकता है, लेकिन दुख बांट लेने से दुख आधा रह जाता है। जब परिवार के सदस्य बीमार सदस्यों को सकारात्मक शब्दों से दिलासा और प्रोत्साहन देते हैं और बीमार व्यक्ति को सांत्वना और मुस्कान दी जा सकती है, तो वह परिवार कभी भी दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है।

किसी ने कहा, “सबसे बड़ी गलतियों में से एक जो लोग करते हैं, वह है कि पैसे कमाने के लिए स्वास्थ्य खो देना और स्वास्थ्य फिर से हासिल करने के लिए पैसे गंवाना।” वे भाग्यशाली होंगे यदि वे अपने पैसे खर्च करके स्वास्थ्य को पुन: प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन कई मामलों में चाहे वे कितने भी पैसे खर्च करें, वे अपने स्वास्थ्य को पुन: प्राप्त नहीं कर सकते। अधिक पैसे कमाकर आपके परिवार को खुश करने से अधिक आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

यदि आपका परिवार दैहिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ है, तो आपको यह जानना चाहिए कि आप सबसे बड़ी खुशी का आनंद ले रहे हैं। भले ही आपके परिवार में कोई बीमार हो, यदि आपके परिवार के सभी सदस्य एक मन से बीमार व्यक्ति का समर्थन करते हैं और एक साथ उससे पारित हो जाते हैं, तो आपका परिवार खुश हो सकता है। सकारात्मक बातचीत करते हुए और एक साथ हंसी-खुशी का साझा करके एक दूसरे के स्वास्थ्य का ख्याल रखें। जब तक आप स्वस्थ हैं तब तक खुशी हमेशा आपके पीछे-पीछे चलती है।