धीरज और सहनशीलता रखो

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बील पॉर्टर 1932 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में मस्तिष्क पक्षाघात के साथ पैदा हुआ था। वह अजीब तरह से बात करता था, उसकी पीठ टेढ़ी हुई थी, और उसके दाहिने हाथ और पांवों में समस्या थी। उच्च विद्यालय से ग्रेजुएट होने के बाद, उसने नौकरी ढूंढ़ी, लेकिन किसी कंपनी ने भी उसे काम पर नहीं रखा।

घरेलू उत्पादों को बेचने वाली वाटकिंस लिमिटेड कंपनी पहले उसे न लेनेवाली थी। मगर पॉर्टर ने कंपनी को उसे ऐसे सबसे दुर्गम स्थान में भेजने के लिए राजी किया जहां दूसरे कर्मचारियों को काम करना पसंद नहीं है, इसलिए आखिर कंपनी ने उसे एक विक्रेता के रूप में ले लिया। चाहे बरसात गिरे या हिम गिरे, वह हर रोज अपना भारी बैग उठाकर 11 किलोमीटर तक पैदल चलता था। यद्यपि लोग उसका अपमान और तिरस्कार करते थे, फिर भी वह उसे बेहतर उत्पाद के साथ फिर से वापस आने का निवेदन समझते हुए करीब 20 वर्ष तक लोगों के दरवाजों को खटखटाता रहा।

इस पर, लोग प्रभावित होकर अपना मन खोलने लगे और उत्पाद खरीदने लगे। आखिर में वह कंपनी में एक सबसे उत्तम विक्रेता बन गया जिसने सबसे ज्यादा उत्पाद बेचे थे। रिकॉर्ड जो उसने वाटकिंस लिमिटेड कंपनी में छोड़ा, वह अब तक तोड़ा नहीं गया है।

सामर्थ्य जिससे वह अंत तक अपने मार्ग पर चल सका, वह यह था, धीरज। उसने धीरज से सभी प्रतिकूल परिस्थितियों पर जय प्राप्त की।

“अंत तक धीरज और सहनशीलता रखो।” बील पॉर्टर