
जब मुझे वर्ष 2020 से पहले भारत के मुंबई में एक शॉर्ट टर्म मिशन पर जाने के लिए नियुक्त किया गया था, तो मैं आधा उत्साहित थी और आधा चिंतित थी। यह उस दबाव के कारण था कि मुझे हिंदी सीखनी पड़ेगी। यह सोचते हुए कि क्या मुझे वास्तव में हिंदी सीखनी पड़ेगी, मैंने कुछ सदस्यों से पूछा कि यदि मैं सिर्फ अंग्रेजी बोलूं तो क्या होगा। लेकिन, उन सभी ने मुझे उत्तर दिया कि जब तक मुझे हिंदी समझ नहीं आती, मुझे मुश्किल हो सकती है। आखिरकार, मुझे हिंदी सीखनी पड़ी, लेकिन हिंदी वर्णमाला एक चित्रकारी की तरह लग रही थी, जो मुझे उलझा रही थी।
हिंदी में सीखने के लिए बहुत से कठिन व्याकरणिक तत्व हैं, जैसे कि पुल्लिंग संज्ञा, स्त्रीलिंग संज्ञा, और एकवचन और बहुवचन का भेद। इसके अलावा, कोरियाई भाषा के विपरीत, जिसमें 14 व्यंजन हैं, हिंदी में 31 व्यंजन हैं, जिनमें वे ध्वनियां शामिल हैं जो कोरियाई भाषा में नहीं पाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, चार हिंदी व्यंजन हैं जिनका उच्चारण कोरियाई व्यंजन ‘ㄷ(d),’ के समान हैं, लेकिन चूंकि ध्वनियां थोड़ी अलग हैं, इसलिए केवल सुनने के द्वारा सही हिंदी व्यंजन चुनना मुश्किल है। यह सीखने के लिए बिल्कुल भी आसान भाषा नहीं थी। “नमस्ते,” “परमेश्वर आपको आशीष दें,” और “आपका धन्यवाद” जैसे सरल शब्दों को सीखने के बाद मैं विमान में बैठ गई। इसने मुझे और बोझ महसूस कराया।
जब हम मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंचे और प्रवेश प्रक्रिया से गुजरे, तो यह लगभग सुबह के 3 बजे का समय था। हम थके-हारे हवाई अड्डे से निकल रहे थे। फिर, टीम के सदस्यों में से एक ने हवाई अड्डे के बाहर देखा और एक उत्साहित आवाज के साथ चिल्लाया।
“यहां बहुत सारे सदस्य हैं!”
हम सब चौंक गए। भोर के समय में स्थानीय सदस्य कैसे हमारे लिए एक साथ आ सकते हैं? चूंकि हमारे चेक-इन में देरी हो रही थी, इसलिए उन्हें उम्मीद से दो घंटे ज्यादा इंतजार करना पड़ा।
“वी लव यू!”
“वेलकम टू इंडिया!”
भले ही हम एक-दूसरे से बहुत दूर रहते थे, पर हम निश्चित रूप से एक परिवार थे। नहीं तो हमारी पहली मुलाकात कैसे इस तरह प्रभावित हो सकती थी? जिस बैनर को उन्होंने दिल से बनाया था और प्रोत्साहन के संदेश के साथ पोस्टकार्ड को पाने के लिए हम बहुत खुश थे। अचानक एक सदस्य ने आकर कहा,
“आने के लिए धन्यवाद।”
“एक्सक्यूज मी? धन्यवाद?”
मैं समझ नहीं पा रही थी कि स्थानीय सदस्य हमारी टीम के प्रत्येक सदस्यों से आंखें मिलाकर और उनको पकड़कर क्या कह रहे थे। मेरे द्वारा समझे गए शब्दों को दोहराते हुए मैं मुस्कुराई, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि क्या यह सही है। मैंने उनसे अंग्रेजी में बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन अचानक खामोशी छा गई और सदस्य उलझन में दिखे। तभी मुझे पछतावा हुआ।
‘मुझे कोरिया में कठिन अध्ययन करना चाहिए था। मैं और अधिक अध्ययन किए बिना विमान में क्यों सो गई?’
मुझे बार-बार पछतावा हुआ। एक धुंधली आशा के साथ कि मेरी हिंदी बोलने की क्षमता यहां रहकर सुधार हो सकती है, मैंने एक उज्जवल सुबह की प्रतीक्षा की।
सौभाग्य से, कुछ सदस्य जिनके साथ मैं प्रचार कर रही थी अंग्रेजी बोल सकते थे। मेरी खराब हिंदी के कारण अंग्रेजी के माध्यम से, हम बाइबल के वचनों को एक साथ प्रचार कर सके। इसलिए मुझे यह सोचकर थोड़ी राहत मिली कि, कोई समस्या नहीं होगी अगर सभी चीजें इस तरह से चलेंगी। लेकिन, सब्त के दिन मेरी राहत टुकड़ों में टूट गई। जैसा कि आराधना हिंदी में आयोजित की गई थी, मैं न तो प्रार्थना और उपदेश को समझ सकी थी और न ही बाइबल खोल सकी। जब स्थानीय सदस्यों ने आराधनाओं के बीच हिंदी में मुझे अभिवादन किया, तो जो मैं कह सकती थी वह केवल यह था “पिता माता, धन्यवाद,” और “परमेश्वर आपको आशीष दें।”
तब मैंने उत्सुकता से महसूस किया कि मुझे हिंदी क्यों सीखनी है। भाषा संचार के लिए एक प्रणाली है। भले ही मेरे पास उन्हें बताने के लिए बहुत सारे शब्द थे, जिनमें माता के आशीष के वचन, मेरे शॉर्ट टर्म मिशन के लिए तैयारी करने के समय का अहसास, और दिल को सुकून देने वाले शब्द शामिल थे, मैं परमेश्वर के उस अनुग्रह को जो मुझे प्राप्त हुआ था, आगे बांट नहीं सकी जिसके लिए मुझे उनके लिए बहुत खेद था।
‘अब मैं क्या कर रही हूं? मैं यहां माता का प्रेम पहुंचाने के लिए आई थी।’
यह विचार मेरे दिमाग पर भारी पड़ने लगे। कम से कम अब से हिंदी में परमेश्वर का प्रेम पहुंचाने की शुरुआत करने के संकल्प के साथ, मैंने हिंदी की पाठ्यपुस्तक खोली, जो मेरे बैग में थी। जब मुझे कुछ समझ में नहीं आया, तो मैंने कोरियाई सदस्य से पूछा, जो भारत में लॉन्ग टर्म मिशन को अंजाम दे रही थी। मैं अपनी सोच के विपरीत बोलने में तेजी से सुधार कर पाया था।
“आज हम अच्छा फल प्राप्त करें!”
“हमारे साथ स्वर्ग के राज्य में जाएं!”
यद्यपि मैंने हकलाते हुए एक शब्द कहा, सदस्यों को यह बहुत पसंद आया। वे आश्चर्य से अपनी आंखें खोलते हुए, मुझे देखकर मुस्कुराए, ताली बजाई, और अंगूठा उठाते हुए कहा, “बहुत बढ़िया!” आखिरकार मैं वह बोल सकती थी जो वास्तव में मैं उनसे कहना चाहती थी।
“माता परमेश्वर आप से बहुत प्रेम करती हैं।”
मैं जो बोल रही थी, और सुनने वाले सदस्य दोनों की आंखों में आंसू थे। मेरी भाषा की क्षमता में कमी थी, लेकिन मुझे मेरे मन को व्यक्त करने में कोई समस्या नहीं थी।
भाषा की समस्या से जूझने के दौरान, शॉर्ट टर्म मिशन यात्रा में भाग लेने वाले स्थानीय सदस्य बहुत शानदार दिख रहे थे। भारत में 15 आधिकारिक भाषाएं हैं। मुझे इसके बारे में सोचकर ही चक्कर आ रहा है, लेकिन मुंबई में सदस्य हिंदी को अपनी मूल भाषा के रूप में बोलते हैं और अंग्रेजी, गुजराती, तमिल, मराठी, बंगाली और तेलुगु भी बोलते हैं। जब वे प्रचार करने जाते हैं, तो वे सुनने वाले लोगों की भाषा में बाइबल के वचन सुनाते हैं। पहले, मुझे लगा कि वे भारत में लंबे समय तक रहने के कारण अन्य भाषाओं में स्वाभाविक रूप से बोल सकते हैं। हिंदी का अध्ययन करने के बाद ही मैं यह महसूस कर सकती थी कि कुछ भी अपने आप नहीं होता। सभी सदस्यों ने ऐसा करने के लिए कितना प्रयास किया होगा, यह जानकर मेरा गला भर आया।
इसके अलावा, मैंने इस बारे में भी सोचा कि पूरे संसार में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए कितने सदस्यों ने प्रयास और बलिदान किए होंगे। इसके लिए धन्यवाद, अब हम अच्छे मार्ग पर चलते हुए जल्दी और खुशी से प्रचार करने में सक्षम हैं। परमेश्वर की मदद और सदस्यों के प्रयासों के लिए धन्यवाद, हमारी शॉर्ट टर्म मिशन टीम हमारे खराब भाषा कौशल के बावजूद भी अनमोल फल उत्पन्न कर सकी।
स्वर्गीय पिता अपनी संतानों को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए और सुसमाचार के रहस्य का उन शब्दों में प्रचार किया जिन्हें हम समझ सकते थे। स्वर्गीय माता भी, कोरिया में आए विदेशी मुलाकाती दल के प्रत्येक सदस्यों को उनकी भाषा में आशीष के वचन देती हैं, और उन्हें बताती हैं कि वह उनसे प्रेम करती हैं। भारत में सदस्य और अधिक आत्माओं को बचाने के लिए ईमानदारी के साथ सभी को उद्धार का समाचार पहुंचाने के लिए मामूली भाषा सीखकर परमेश्वर के उन कदमों का अनुसरण कर रहे थे।
परमेश्वर ने मुझे परमेश्वर की आवाज को सुनने की अनुमति दी, जो पृथ्वी के पूर्व की छोर के देश, कोरिया में आए, और परमेश्वर के वचनों को पूरी तरह से समझने की आशीष दी। कम से कम अब से, मैं दुनिया भर में बिखरे हुए हमारे सभी स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को मुझे मिले प्रेम और अनुग्रह को पहुंचाने के लिए विदेशी भाषाओं का कठिन अध्ययन करूंगी। बेशक, मुझे सिर्फ अपने भाषा कौशल में सुधार नहीं करना चाहिए। पूरी लगन से बाइबल का अध्ययन करते हुए, मैं परमेश्वर के प्रेम का एहसास करूंगी और उसे अभ्यास में लाऊंगी। पृथ्वी की सारी जातियों के हमारे प्रचार सुनने और सत्य में आने का कारण हमारी भाषा का कौशल नहीं है, बल्कि उस संदेश में निहित परमेश्वर का प्रेम है।