“पिता, मैं कितने समय तक अंडे में था?”
“तुम दो महीने अंडे में थे।”
“तो मेरे बाहर निकलने तक आप क्या कर रहे थे?”
“मैं उस अंडे को गर्म रखने के लिए अपने पैरों के ऊपर रख रहा था जिसके अंदर तुम लिपटे हुए थे।”
“क्या दो महीने के लिए बिना आराम किए? और बिना कुछ खाए पीए?”
“बेशक। यदि मैं थोड़ी देर के लिए भी अंडे को सेना बंद कर दूं, तो वह इस सर्द जाड़ों में जल्द ही जम जाएगा। कभी-कभी यह समुद्री पक्षियों का शिकार बन जाता है जो अंडे पर अपनी नजर बनाए रखते हैं या अन्य पेंगुइन आकर इसे छीन सकते हैं।”
“वाह! वह तो कमाल है। पिता, जब मैं आपकी तरह बड़ा हो जाऊंगा, तो मैं आपकी रक्षा करूंगा!”
“हाहाहा, हां! तुम्हारी बात सुनकर ही मैं आभारी हूं!”
पिता सम्राट पेंगुइन ने जो संतुष्ट होकर मुस्कुराए, अपने मन में कहा,
‘लेकिन उस समय में, तुम अपने अंडे की रखवाली करने में व्यस्त रहोगे।’