वे जो परमेश्वर पर ध्यान करते थे और वे जो नहीं करते थे

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तब यहोवा ने मूसा से कहा, “वे लोग कब तक मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? और मेरे सब आश्चर्यकर्म देखने पर भी कब तक मुझ पर विश्वास न करेंगे? मैं उन्हें मरी से मारूंगा, और उनके निज भाग से उन्हें निकाल दूंगा, और तुझ से एक जाति उत्पन्न करूंगा जो उनसे बड़ी और बलवन्त होगी।” मूसा ने यहोवा से कहा, “तब तो मिस्री जिनके मध्य में से तू अपनी सामर्थ्य दिखाकर उन लोगों को निकाल ले आया है यह सुनेंगे… यहोवा उन लोगों को उस देश में जिसे उसने उन्हें देने की शपथ खाई थी पहुंचा न सका, इस कारण उसने उन्हें जंगल में घात कर डाला है… जैसे तू मिस्र से लेकर यहां तक क्षमा करता रहा है वैसे ही अब भी क्षमा कर दे।” यहोवा ने कहा, “तेरी विनती के अनुसार मैं क्षमा करता हूं; परन्तु… दस बार मेरी परीक्षा की, और मेरी बातें नहीं मानीं, इसलिये जिस देश के विषय मैं ने उनके पूर्वजों से शपथ खाई, उसको वे कभी देखने न पाएंगे; अर्थात् जितनों ने मेरा अपमान किया है उनमें से कोई भी उसे देखने न पाएगा… तुम्हारे शव इसी जंगल में पड़े रहेंगे; और तुम सब में से बीस वर्ष के या उससे अधिक आयु के जितने गिने गए थे, और मुझ पर बुड़बुड़ाते थे, उनमें से यपुन्ने के पुत्र कालिब और नून के पुत्र यहोशू को छोड़ कोई भी उस देश में न जाने पाएगा, जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है कि तुम को उसमें बसाऊंगा।” गिन 14:11–30

परमेश्वर उन लोगों के प्रति बहुत क्रोधित थे जो उनका अपमान करते थे। क्योंकि दस जासूसों ने लोगों को केवल उस देश की परिस्थितियों के बारे में कहा। उन्होंने इस तथ्य को नहीं बताया कि उस स्थिति में परमेश्वर उनके साथ हैं। उन्होंने सिर्फ अपने आसपास की बाधाओं को देखा, जिससे वे ऊपर की दिशा देखने में विफल हुए जो खुली थी। हां, यह बात सच थी कि सारी दिशाएं बंद थीं, पर यह बात भी सच थी कि ऊपर की दिशा खुली थी। परंतु, यह बात बताने में वे विफल रहे। परमेश्वर ने यह फैसला सुनाया कि परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाने वाले इस्राएली कनान देश में प्रवेश नहीं करेंगे जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।

केवल यहोशू और कालिब ने इस तथ्य को ठीक–ठीक बताया कि परमेश्वर उनके साथ हैं। दस जासूसों के द्वारा देखे गए कनान देश की वास्तविकता उससे पूरी तरह भिन्न थी जो दो पुरुष, यहोशू और कालिब ने देखा था। दस जासूसों ने सिर्फ बाधाओं, यानी दीवारों के बारे में बात की, किन्तु यहोशू और कालिब ने ऊपर खुली हुई छत के बारे में भी बताया।

परमेश्वर ने मूसा के द्वारा 6,00,000 लोगों में से सबसे दृढ विश्वासी और भरोसेमंद बारह लोगों को चुना, परंतु उनमें से केवल दो लोगों ने ही परमेश्वर पर ध्यान किया। यह कितनी दु:खद और दिल टूटने वाली बात है! वे सब जो बाइबल पढ़ते हैं, सोच सकते हैं कि वे यहोशू और कालिब के नक्शेकदम पर चलेंगे। परंतु, यदि वास्तव में वे शीशे के बाक्स में सीमित हैं, उनके लिए ऊपर की ओर देखना आसान नहीं है।

इस युग में यहोशू और कालिब जैसे लोगों की जरूरत है। जो लोग सिर्फ वर्तमान स्थिति के बारे में बात करते हुए परमेश्वर के बारे में बात नहीं करते जो उस स्थिति में उनके साथ होते हैं, यहोशू और कालिब की तरह नहीं हो सकते। हमारी वर्तमान स्थिति जितनी दु:खद और कठिन होती है, और शीशे की दीवारें जितना अधिक हमें सीमित करती हैं, उतना ही अधिक हमें ऊपर की ओर देखना चाहिए, है न?