
जब आप छोटे होते हैं, आप मानते हैं कि यदि आपको जो चाहिए वह आपके पास हो, तो आप खुश होंगे; जब आप एक नौकरी ढूंढ़ते हैं, आप सोचते हैं कि यदि आपको जो चाहिए ऐसी नौकरी मिल जाए, तो आप खुश होंगे; जब आप उस व्यक्ति से मिलते हैं जिससे आप प्रेम करते हैं, आप सोचते हैं कि यदि आप शादी कर लें, तो आप खुश होंगे; और जब आपको एक किराये के मकान से दूसरे में अक्सर बदलना पड़ता है, तो आप सोचते हैं कि यदि आपके पास अपना खुदका मकान हो, तो आप खुश होंगे।
किसी एक भाग पर ध्यान केंद्रित करने और इस पर विश्वास करने को कि जब आप वैसी परिस्थिति हो जाएगी, तो खुश होंग, ‘भ्रम पर फोकस करना‘ कहते हैं। लेकिन यह विचार कि, ‘मैं खुश हो जाऊंगा या मेरा जीवन बदल जाएगा, बस केवल यह हो जाए…’ सच में एक भ्रम है। चाहे आपको जो चाहिए वह मिल जाए, चाहे आपको जो चाहिए वह नौकरी मिल जाए, चाहे आपकी शादी हो जाए, या फिर चाहे आपके पास खुद का मकान हो, आप हमेशा के लिए खुश नहीं रह सकते।
कुछ हासिल करने या पा लेने की खुशी केवल कुछ ही पल के लिए टिकती है। जैसे जैस समय बीतता जाता है, वह खुशी कम हो जाती है। तब आप किसी ओर एक चीज पर ध्यान केंद्रित करेंगे और जब तक आप उसे पाकर संतुष्ट न हो जाएं तब तक खुशियों को स्थगित कर देंगे। जब तक आप अपनी खुशियों पर शर्तें लगाते हैं और सुदूर भविष्य में पाने की वस्तु के लिए अपनी खुशियों को टालते हैं, आप कभी भी उस खुशी को नहीं पा सकते।
इस क्षण की खुशी को महसूस कीजिए! फिर भी यदि आपको भ्रम में रहना पसंद है, तो ऐसा सोचना ज्यादा अच्छा होगा कि, ‘मैं इस समय खुश हूं। अब से मैं खुश रहूंगा।’ क्या आपको भी ऐसा नहीं लगता?