
यीशु नाव पर चढ़कर समुद्र के तट पर भीड़ को परमेश्वर के वचन की शिक्षा दे रहे थे। शाम होने पर, उन्होंने अपने चेलों से कहा कि झील के उस पार चलो। चेलों ने यीशु को नाव पर चढ़ाया, और अन्य नावें उसके पीछे चलीं।
उस समय, एक बड़ी आंधी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं कि वह पानी से भरी जाती थी। डरे हुए चेले यीशु के पास आए, जो नाव के पिछले भाग में सो रहे थे, और उन्होंने यीशु को जगाया।
“हे गुरु, क्या तुझे चिन्ता नहीं कि हम नष्ट हुए जाते हैं?”
तब यीशु ने उठकर आंधी को डांटा, और पानी से कहा, “शान्त रह, थम जा!” और आंधी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
“तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?”
यीशु की डांट से वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले,
“यह कौन है कि आंधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं?”
चेले यीशु को पूरी तरह से नहीं जानते थे, जिनकी आज्ञा आंधी और लहरें भी मानती हैं। उन्होंने उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नहीं पहचाना जो उनके साथ थे, इसलिए जब हवाएं और लहरें उठीं तो वे डर से कांपने लगे जो उन्हें तुरंत निगल सकती थीं।
परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया और उन पर शासन करते हैं। यदि आप यह सोचते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपके साथ हैं, तो चाहे आपको अचानक उठने वाली हवाओं और लहरों का सामना करना पड़े, फिर भी आपको किसी भी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। आइए हम विश्वास रखें! ऐसा विश्वास कि वह परमेश्वर, जो हवा से डगमगाते समुद्र और हमारे जीवन की प्रचंड हवाओं को शांत करते हैं, सदा हमारे साथ हैं!