एक आनंदपूर्ण कार्य

उइजंगबु, कोरिया से ग्वन संग उन

3,592 बार देखा गया

मैं चाहती थी कि मिडल स्कूल में पढ़ रहे मेरे बेटे के पास उसकी छुट्टियां समाप्त होने से पहले एक अर्थपूर्ण याद हो। मैंने सोचा कि उसे अपने पिता के काम का अनुभव करना चाहिए। मेरे पति जो वितरण व्यवसाय में लगे हुए हैं, प्रतिदिन 18 किलोग्राम तेल के सैकड़ों टीनों को पहुंचाते हैं। चूंकि यह मुश्किल काम है, मेरे पति ने संकोच किया, लेकिन वह बाद में सहमत हो गए। और मेरा बेटा भी अपने पिता का हाथ बटाने के लिए तैयार था।

उसके लिए अपने पिता के काम का अनुभव करने का दिन आ गया। अपने पिता को भारी तेल के टीनों को उठाते हुए देखकर उसने कहा, “पिताजी, आप ताकतवर मर्द हैं। आपकी भुजाओं की मांसपेशियां फाड़कर निकली आ रही हैं।” और फिर वह दो तेल के टीनों को उठाने के बाद अपनी भुजाओं और हाथों को देखने लगा। उसने पूछा, “मां, क्या मैं अच्छा दिखूंगा अगर मेरे पास पिताजी की तरह मजबूत भुजाएं हों?” यह सुनकर मैंने सोचा, ‘खैर, पिताजी की कड़ी मेहनत के बजाय उसे अपने बाहरी रूप में अधिक रुचि है। वह आज कब तक सहन कर सकेगा?’ मुझे बस यह उम्मीद थी कि यह उसके लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव होगा।

जब वे उस दुकान पर पहुंचे जहां मेरे पति तेल पहुंचाते हैं, तो मेरे पति पहले कार से बाहर आ गए। मेरा बेटा दस्ताने पहनकर कार से उतरा और उसने पूछा, “उन्हें यहां कितने टीनों की आवश्यकता है?” और अपने पिता की मदद करने के लिए तेल के टीनों को उठाया। टीनों का वजन भारी है और उनके हैंडल इतने पतले होते हैं कि सिर्फ कुछ टीनों को उठाने से भी आपकी उंगलियों को चोट लग सकती है। यदि कोई ग्राहक दूसरी या तीसरी मंजिल पर है, तो तेल के टीन पहुंचाने के बाद आपके पैर कांपने लगेंगे। काम शुरू करने के बाद जब चार घंटे बीत गए, मेरा बेटा मुझसे बातें करने लगा,

“यह सच में थका देने वाला काम है। मेरी बांहें लगभग गिरने पर हैं। मेरे कंधों में भी दर्द हो रहा है। उफ!”

“यदि तुम थक गए हो, तो रुक सकते हो। इसे ज्यादा मत करो।”

मुझे लगा कि यह उसके लिए हार मान लेने का समय था। लेकिन मेरा अनुमान गलत निकला।

“मुझे पिताजी को उनके काम को आधा करने में मदद करनी चाहिए।”

थोड़ी सी भी नाराजगी न दिखाते हुए वह मुस्कुराया। उसके परिपक्व आचरण से मैं आश्चर्यचकित थी, क्योंकि वह अभी भी मुझे तीन साल के बच्चे के जैसा ही लगता था। मेरे पति ने यह कहते हुए कि, “जब तुम कल खाना खाओगे तो तुम चम्मच भी नहीं पकड़ पाओगे। तुम अब रुक सकते हो,” उसे रोकने की कोशिश की। लेकिन मेरे बेटे ने कहा, “पिताजी, अगर मैं अपना चम्मच गिरा देता हूं, तो आप मुझे खिला देना,” और वह फिर से मुस्कुराया। ग्राहक भी इस बात पर चकित थे कि वह अपने पिताजी की मदद कर रहा था। उन्होंने उसकी प्रशंसा की, यह कहते हुए कि, “आपका बेटा आजकल के बच्चों के जैसा नहीं है। आपको उस पर गर्व होना चाहिए,” और उसे कोल्ड ड्रिंक पीने को दिया।

उस दिन मेरे बेटे ने बीच में हार नहीं मानी और काम समाप्त होने तक उसने बारह घंटे अपने पिता की मदद की। जब वे दोनों घर लौट आए, मेरे बेटे ने मुझसे कहा जब उसके पिता थोड़ा दूर थे।

“मां! क्या आपको पता है? मुझे एहसास हुआ है कि मेरे पास जो भी चीज है वह मेरे पिता के परिश्रम से प्राप्त हुई है। पहले, मुझे लगता था कि मैं आसानी से जो भी चाहूं उसे प्राप्त कर सकता हूं जैसे कि भोजन, कपड़े और जेब–खर्च। अब मुझे पता है कि मुझे जो कुछ मिलता है वह मेरे पिता की कड़ी मेहनत का फल है। यहां तक कि हम समाचार में कुछ ऐसे माता–पिता देखते हैं जो अपने बच्चों को छोड़ देते हैं। इस तरह मुझे अच्छे से बड़ा करने के लिए मैं बस आभारी हूं। पिताजी कहते हैं कि उन्हें सबसे बड़ी खुशी और संतुष्टि तब मिलती है जब वह मुझे अच्छी तरह से खाते, अच्छी तरह से सोते और अच्छी तरह से पढ़ाई करते हुए देखते हैं। मैं इस बात को भी समझ सकता हूं कि क्यों आप मुझे हर सुबह जितना हो सके उतना खाना खिलाने की कोशिश करती हैं। मैं आपका और पिताजी का बहुत आभारी हूं।”

उस दिन से जब उसके पिता काम के लिए जाने पर होते हैं, मेरा बेटा उत्साहजनक शब्द कहता है और अक्सर उन्हें फोन करता है और हास्य शब्दों से उन्हें हंसाता है। अपने बेटे को देखकर मुझे ऐसा लग रहा है कि वह अपने पिता के कठिन परिश्रम का अनुभव करने के बाद बहुत बड़ा हो गया है, और मेरे मन में यह विचार आया कि एक बच्चे को बड़ा करना एक आनंदपूर्ण कार्य है। भले ही उसे बड़ा करते हुए मैं कभी–कभी कठिन समय से गुजरी, परन्तु संसार की किसी भी चीज की तुलना में वह मुझे सबसे ज्यादा खुश और प्रेरित करता है। मुझे यह आनंदपूर्ण कार्य देने के लिए मैं परमेश्वर का धन्यवाद करती हूं। इस आनंदपूर्ण कार्य के द्वारा मेरा बच्चा और मैं एक साथ बढ़ रहे हैं।