जब दो जनों में से एक दर्द में हो
गिमजे, कोरिया से किम सांग सन

हाल ही में, मैं कठिन समय से गुजरी; मेरे पेट में दर्द था और तेज बुखार था, और मैंने उलटी भी की। आखिरकार, मुझे अस्पताल में आपातकालीन कक्ष में भर्ती कराया गया, और मेरी कई विभिन्न तरह की जांच की गई। एक जांच के लिए भी बहुत लंबा समय लगा। चूंकि मेरी बीमारी की पहिचान नहीं हो रही थी, तो मैं रोगी कक्ष में नहीं जा सकती थी। इससे बदतर यह था, मुझे डॉक्टर का कई घंटों तक इंतजार करना पड़ा। ऐसे में, मैं दोनों शारीरिक और आत्मिक रूप से थक गई।
जब मैं ऐसे कठिन समय में थी, तब एक व्यक्ति हमेशा मेरे साथ था। वह मेरे पति थे। चार दिन आपातकालीन कक्ष में मेरे साथ रहते हुए वह मेरा हाथ और पांव बने। वहां संरक्षक के लिए सिर्फ एक कुर्सी रखी हुई थी। उस छोटी कुर्सी पर थोड़ी नींद लेकर, वह दिन और रात मेरी देखभाल करते हुए अच्छे से भोजन नहीं कर सके। वह मेरे लिए इतने विचारशील थे कि उन्होंने मेरे सामने पानी का घूंट भी नहीं पिया क्योंकि मैं पानी नहीं पी सकती थी। उन्होंने मुझे हर समय जांचा कि क्या मुझे बुखार है या नहीं। भले ही मैं लगातार उलटी करती थी, लेकिन उनके चेहरे पर थोड़ी सी भी नाखुशी नहीं दिखती थी।
उस समय, मैंने नहीं पहिचाना कि मेरे पति के लिए वह कितना कठिन था। उस समय चूंकि मेरी बीमारी ही मेरी चिंता की पहली बात थी, मैं यह नहीं सोच सकी कि वह मेरी सेवा करते हुए कितने थके होंगे। मैंने बस उनकी सेवा को हल्के से लिया क्योंकि मैं उनकी पत्नी हूं और मैं बीमार थी। जब मैं स्वस्थ हुई, तब मैं उनके प्रति आभारी थी और उनके लिए मुझे खेद था। यदि उन्होंने इतने समर्पण से मेरी देखभाल नहीं की होती, तो मैं अपरिचित आपातकालीन कक्ष में चार दिन सहन नहीं कर सकी होती।
कठिन समय से गुजरते हुए, मैं अपने परिवार का महत्व महसूस कर सकी। जो कोई भी बीमार है, वह उसके परिवार को सबसे महत्वपूर्ण मानेगा। परमेश्वर ने हव्वा को आदम की पसली निकालकर बनाया; मैं मानती हूं कि उनका मतलब था कि जब दो जनों में से एक बीमार हो या संकट में हो, तो दूसरे को अपने समान उसकी देखभाल करनी चाहिए। मैं पिता और माता परमेश्वर को मुझे अपने परिवार का महत्व महसूस करने देने और मेरे स्वास्थ्य को अच्छा होने देने के लिए धन्यवाद देती हूं।