प्रेम के द्वारा हम जयवन्त से भी बढ़कर हैं

कोर्डोबा, अर्जेंटीना से पीटर एंटोनिओ ऐझुसिन वेलेंसिय

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जीवन में, ऐसे समय आते हैं जब हम अनपेक्षित परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे समय होते हैं जब मैं परमेश्वर के बारे में सोचते हुए, उन पर विजयी होता हूं, लेकिन कभी-कभी मैं हिम्मत हार जाता हूं और बस नीचे जमीन पर बैठ जाना चाहता हूं।

मेरा शरीर और मन थक गया था, और यह सोचता था कि, “परिस्थिति क्यों ठीक नहीं होती?” उस क्षण, परमेश्वर ने बाइबल के वचन के द्वारा मुझे ढाढ़स और हिम्मत दी।

“कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, “तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होनेवाली भेड़ों के समान गिने गए हैं।” परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।” रो 8:35–37

जैसे ही मैंने बाइबल के इस वचन को पढ़ा, मेरी आंखों से आंसू बह निकले। वह पश्चाताप और पछतावा के आंसू थे।

“स्वर्गीय पिता ने मुझ से इतना ज्यादा प्रेम किया कि उन्होंने क्रस पर दुखों को सह लिया, और वह मेरे संग हैं।” जिस क्षण मेरे मन में यह विचार आया, मेरी व्यथा अचानक से कृतज्ञता में बदल गई।

प्रथम चर्च के प्रेरित सताए जाने पर भी नहीं डरते थे इसका कारण यह था कि परमेश्वर ऐसे पीड़ामय मार्ग पर चले थे जिसकी तुलना उनकी पीड़ाओ से नहीं की जा सकती थी। परमेश्वर को ठट्ठा, अपमान, कोड़े से मारे जाने, और क्रस पर चढ़ाए जाने जैसी पीड़ाओं को सहना नहीं चाहिए था। हम, पापियों को, उस अवस्था में होना चाहिए था। चूंकि प्रेरितों ने परमेश्वर से ऐसा महान प्रेम पाया जिसका बदला देना असंभव है, वे मृत्यु से भी नहीं डरते थे और इस बात से आश्वासित थे कि “जयवन्त से भी बढ़कर हैं।”

परमेश्वर का बलिदान दो हजार साल पहले समाप्त नहीं हुआ है। स्वर्गीय पिता और माता हमारे लिए खोए हुए सत्य को पुन:स्थापित करने के लिए फिर से इस पृथ्वी पर आए। उन्होंने उन सभी ठट्ठा, अपमान, अत्याचार, और दण्ड को सह लिया जिन्हें हम, पापियों को, उठाना चाहिए था।

‘हमारे पापों के कारण, स्वर्गीय पिता एक बहुत लंबे समय तक बलिदान के मार्ग पर चले, और स्वर्गीय माता आज भी दिन-रात हमारे लिए प्रार्थना कर रही हैं। माता ने कहा है कि, “आप मेरे जीवन का सब कुछ है।” उस कंटीले मार्ग की तुलना में जिस पर पिता और माता चले हैं, यह मुश्किल सच में कुछ भी नहीं है।’

अब तक, मैं सुसमाचार का कर्य करते समय जब चीजों अच्छे से नहीं होती थीं, तो मैं अपनी परिस्थितियों पर शिकायत करता था। मैं उन तकलीफों और मुश्किलों के बारे में भूल गया था जिन्हें पिता और माता ने मुझ जैसे पापी के लिए सहा था, और अब तक मैंने केवल अपनी ही पीड़ा के बारे में सोचा था। मुझे बहुत खेद है कि मैं कुछ समय पिता और माता के प्रेम को भूल गया था। मुझे शर्म आती है कि मैं परमेश्वर के प्रेम को भूलकर हिम्मत हार गया था और थक गया था।

हमारे उद्धार के लिए पिता और माता ने आंसूओं के साथ प्रार्थना करते हुए हर रोज पीड़ा और थकान को सहा है। यहां तक कि ठंडा या गर्म मोसम होने पर भी, पिता और माता ने एक और आत्मा को बचाने के लिए आराम नहीं किया। अब से, मैं हमेशा परमेश्वर के महान प्रेम को याद करूंगा।

परमेश्वर का प्रेम मेरे जीवन के लिए प्रेरक बल है। भविष्य में, चाहे मैं मुश्किलों का सामना करूं, मैं पिता और माता को सोचते हुए, जयवन्त से भी बढ़कर बनूंगा।

एलोहीम परमेश्वर, मैं आपके बलिदान और प्रेम के बारे में सोचते हुए जिन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, हमारे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने तक सात अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करूंगा। आज भी हम पर अपना प्रेम बहुतायत से देने के लिए मैं सच्चे मन से धन्यवाद करता हूं।