माता के बहुमूल्य गहने खोजते हुए

सियोल, कोरिया से होंग जंग-उन

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तीन बार शॉर्ट टर्म मिशन के माध्यम से दक्षिण अफ्रीका में स्वर्गीय माता का प्रचार करने की सुखद यादों को लेकर, इस बार मैंने अफ्रीका के दक्षिण मध्य भाग में स्थित जाम्बिया के लिए उड़ान भरी।

मैंने तीन बार हवाई जहाज बदला और 24 घंटे की उड़ान के बाद, मैं आखिरकार जाम्बिया की राजधानी शहर, लुसाका के हवाई अड्डे पर पहुंच गई। यह हवाई अड्डे कोरिया के छोटे शहर में बस टर्मिनल के समान दिख रहा था। वहां हवाई अड्डे की कोई सुरक्षा नहीं थी और नेटवर्क सेवाएं भी खराब थीं। सड़क की हालत और भी खराब थी; जैसे ही मैं हवाई अड्डे के क्षेत्र से बाहर निकली, कच्ची सड़कें अंतहीन रूप से फैल रही थीं।

लंबी धुल भरी सड़कों से गुजरते हुए, हम लुसाका के हाउस चर्च में पहुंच गए। विशाल भूमि वाले जाम्बिया के अधिकांश घरों के समान, हमारे हाउस चर्च के बगीचे में भी आम, नींबु और एवोकैडो जैसे उष्णकटिबंधीय फल के पेड़ थे। हर पेड़ पर लगे स्वादिष्ट फलों को देखकर, हमने बहुतायत में आत्मिक फल उत्पन्न करने की आशा की।

जाम्बिया की जनसंख्या लगभग 1 करोड़ 60 लाख है, जो कोरिया के सियोल के समान है, लेकिन राज्यक्षेत्र कोरिया से तीन गुणा बड़ा है, यहां कम जनसंख्या घनत्व है। हमें मिशन की छोटी अवधि के दौरान एक और आत्मा को जल्दी से प्रचार करना था। सूखे मौसम में, धूप बहुत तेज थी जिससे हमारे बाल जलने लगे और रंग बदलने लगे। लंबी आस्तीन के कपड़े और टोपियों की जरूरत थी। कई कच्ची सड़कों के कारण, दूरी चलने से पैर और कमर में दर्द होता था। रात के समय, मच्छरों और हानिकारक कीड़ों के हमले के कारण हम कई दिन आरामदायक नहीं सो पाए। हालांकि, जिसने हमें परेशान किया वह खराब बाहरी परिस्थिति नहीं था बल्कि वह परमेश्वर के वचनों के सुनने की भूख-प्यास के कारण आत्मिक रूप से बंजर वातावरण था।

आबादी के लगभग 97% लोग ईसाई थे और उन्हें अपने विश्वास पर गर्व था, कई लोग वचन सुनने की कोशिश करने के बजाय विवाद करना चाहते थे। उनमें से कुछ सहमत थे कि उनका चर्च गलत है, लेकिन वे कहते थे कि लोगों के साथ संबंध होने के कारण वे चर्च नहीं छोड़ सकते। हम इसके लिए बहुत खेदित थे। हमें लगा कि यदि हम परमेश्वर के वचनों से पूरी तरह सशस्त्र न हों, तो सच्चाई में उनकी अगुवाई करने में सक्षम नहीं होंगे। भले ही हम अपने दिन को समाप्त करने पर थके हुए थे, हमने बाइबल खोली। हमें पिता की घिसी हुई बाइबल बहुत याद आई थी जो हाथों की त्वचा से निकलने वाले तेल से भीगी और फुली हुई थी। जिसने हमें आश्चर्यचकित किया वह था अफ्रीका के सदस्यों की बाइबल बिलकुल पिता की बाइबल के समान दिख रही थीं।

जब हम स्थानीय सदस्यों के साथ गर्मी से लड़ते हुए प्रचार कर रहे थे, मेरी बाइबल भी पसीने से भीग गई और धूप से झुलस गई, तो यह पिता की बाइबल के समान होने लगी। जैसे-जैसे बाइबल फटती गई, स्वर्गीय पिता का प्रेम प्रतिदिन हमारे हृदय पर उत्कीर्ण होता गया, और जाम्बिया के स्वर्गीय परिवार के सदस्य दुनिया में सबसे बहुमूल्य गहनों के रूप में सुंदर लग रहे थे। मुझे वह याद आया कि हमारे जाम्बिया आने से पहले माता ने क्या कहा था।

“अगर मैं वहां के सदस्यों से मिल सकूं, मैं हर एक के हाथों को थामते हुए कहना चाहती हूं, ‘आइए हम बिना हार माने स्वर्ग चलें’।”

हमने माता की मजबूत आवाज को पहुंचाने का दृढ़ निश्चय किया, जो दूर देश जाम्बिया में रह रही अपनी संतानों को याद करती हैं। लेकिन एक व्यक्ति से भी मिलना मुश्किल था। जो मैं कर सकती थी, वह सिर्फ परमेश्वर से प्रार्थना करना था।

‘मैं नहीं जानती कि परमेश्वर की संतान कौन हैं और कहां हैं। कृपया चाहे मैं उन्हें नहीं पहचानती उन्हें पहले मेरे पास आने दीजिए।’

कुछ समय के बाद, आश्चर्यजनक रूप से एक अधेड़ आयु का आदमी हमारे पास आया और यह कहते हुए अपनी दिलचस्पी दिखाई कि “आप क्या कर रहे हैं? आप मुझे क्यों नहीं बताते?” यह सामान्य मामला नहीं था, इसलिए हमने उससे उसका फोन नंबर लिया और अगले दिन उससे संपर्क किया। लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। मैंने अपने आप से कहा, “मैं यह जानती थी,” और उससे संपर्क न करने का निश्चय किया। लेकिन मेरी नोटबुक में उसका नंबर अक्सर नजर आता रहा, तो मैंने उससे फिर से फोन किया। उसने जवाब दिया और सिय्योन आए। वह धीरे-धीरे परमेश्वर की इच्छा को महसूस करने लगा। पहले, वह सब्त मनाने के बाद भी रविवार की आराधना में गया, जिससे हमें बड़ी चिंता हुई। लेकिन, बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करने के बाद वह झूठ में से सत्य को पहचान सका और परमेश्वर की संतान के रूप में फिर से जन्म लिया। वह भाई क्रिसी है। सफाई और सदस्यों के लिए गाड़ी चलाने जैसे कुछ भी जिनकी सिय्योन को आवश्यकता था वह वे काम करने में आगे रहा, और वह नम्र स्वभाव का था कि वह अपने बच्चों की आयु के युवा वयस्कों के साथ भी विनम्रता और आदर से व्यवहार करता है। इस तरह, वह सदस्यों के लिए अच्छा उदाहरण दिखा रहा था। सत्य ग्रहण करने के बाद, उसने सुसमाचार के कार्य के लिए अपने परिवार और जान-पहचान वालों को निरंतर प्रचार करने द्वारा अपना सर्वोत्तम प्रयास किया। परमेश्वर ने मेरी प्राथना के जवाब के रूप में मुझे ऐसी बहुमूल्य आत्मा से मिलने दिया। लेकिन यदि मैंने इसलिए ऐसी बहुमूल्य आत्मा को त्याग दिया होता क्योंकि मैं सिर्फ एक बार उससे संपर्क नहीं कर सकी, क्या हुआ होता? इसके बारे में सोचकर ही, मुझे अब भी स्वर्गीय पिता और माता के प्रति खेद होता है।

सभी स्वर्गीय परिवार के सदस्यों में से जो इस शॉर्ट टर्म मिशन की यात्रा के दौरान खोजे गए थे, जाम्बिया विश्वविद्यालय का एक छात्र, भाई चिलुकुटु है, वह नम्र और अनुग्रहमय है। वह सिय्योन में छोटा ईनाम प्राप्त करने पर यह कहते हुए एक बच्चे के समान खुश होता है कि, यह परमेश्वर के द्वारा दिया गया है। उसने पर्वों के दौरान जब वह स्कूल में व्यस्थ था, भोर की आराधना में भाग लिया। भाई को यह बताते हुए देखकर कि उसने कैसे अपने साथ रहने वाले व्यक्ति को प्रचार किया, मैं विश्वास नहीं कर सकती थी कि उसने हाल ही में अपने विश्वास का जीवन शुरू किया है। माता उससे कितना खुश होंगी, इस विचार से मेरे चेहरे पर अपने-आप मुस्कान आ जाती है।

जरा इस पर सोचें, भले ही मैं स्वर्गीय माता का प्रेम पहुंचाने जाम्बिया गई थी, लेकिन वह मैं थी जिसने बहुतायत से प्रेम प्राप्त किया। अध्यक्ष की पत्नी ऐसी सामग्रियों से जिन्हें पाना मुश्किल था कोरियाई खाना बनाती थी, और सदस्य हमेशा कहते थे, “आपका धन्यवाद,” और माता के वचनों को खुशी के साथ पालन करते थे। उन्हें देखकर, मेरी आत्मा जो पुरानी आदतों में फंसकर धन्यवाद और प्रेम भी भूल गई थी, नई हो गई।

मैंने जाम्बिया में सिर्फ दो महीनों के लिए प्रचार किया था। लेकिन सदस्य अभी भी प्रतिकूल वातावरण के बावजूद माता के बहुमूल्य गहनों को खोजने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं। जल्द, जाम्बिया में तेज गर्मी शुरू होगी। लेकिन उन्हें कोई चिंता नहीं है क्योंकि माता का प्रेम हमेशा उनके साथ है। धूप जितनी तेज होगी, गहने जिनमें माता का प्रेम है, उतने ही सुंदरता से चमकेंगे। वे आत्माएं कितनी सुंदर होंगी जो उस प्रकाश को देखकर वापस सिय्योन में आएंगी !इसके बारे में सोचने से ही मेरा हृदय धड़कता है।