सर्वोत्तम टीमवर्क के साथ स्वर्ग की ओर

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जंगली हंस अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर वी के आकार में झुंड बनाकर लंबी उड़ान भरते हैं। उनके वी के आकार में झुंड बनाने के पीछे कुछ कारण होता है। जब सबसे आगे रहने वाला हंस अपने पंखों को फड़फड़ाता है, तब हवा में भंवर उत्पन्न उत्पन्न होता है और वह भंवर पीछे जाते–जाते ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसके द्वारा पीछे उड़नेवाले हंस सबसे आगे वाले हंस की तुलना में ज्यादा आसानी से उड़ान भर सकते हैं।

लेकिन वी के आकार को पूरे समय बनाए रखना सबसे आगे वाले लीडर–पक्षी के लिए बहुत मुश्किल काम होता है। जंगली हंस इस समस्या को समझदारी से सुलझाते हैं। एक निश्चित लीडर को नियुक्त करने के बजाय, वे बारी–बारी से लीडर की जगह लेते हैं। बिना थके लंबी दूरी की यात्रा करने का उनका राज सर्वोत्तम टीमवर्क है; टीमवर्क:वे एक दूसरे की मदद करते हैं और प्रोत्साहित करते हैं और अपनी ऊर्जा का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हैं।

अपोलो सिंड्रोम

चूंकि यह आधुनिक समाज जटिल और सूक्ष्मता से खंडित होता जा रहा है, इसलिए ऐसा कोई नहीं है जो किसी समूह या संगठन से न जुड़ा हो। कंपनी में नौकरी करने वाले लोगों को, चाहे उन्हें पसंद हो या न हो, कंपनी नामक अपने समूह में अपने सहकर्मियों के साथ पूरा दिन बिताना होता है।

चाहे आप कहीं भी हों, यदि आपकी टीम अपना लक्ष्य पूरा करे और अच्छा परिणाम उत्पन्न करे, तो आपका जीवन अधिक संतोषजनक होगा। इसलिए आप सोच सकते हैं कि क्षमता रखनेवाले लोगों के साथ काम करना कई मायनों में लाभदायक होगा। लोग जो अपने आसपास के लोगों से अक्सर यह सुनते हैं कि वे बहुत सक्षम व्यक्ति हैं, और लोग जो खुद अपनी क्षमताओं पर अतिविश्वास करते हैं, वे खुद दूसरों का नेता बनकर हर चीज संभालने की चाह रखते हैं। फिर, यदि केवल सक्षम लोग इकट्ठे हों, तो क्या होगा?

अपोलो अंतरिक्ष यान मानव इतिहास में पहली बार चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा। शुरू में जब उसका निर्माण होने वाला था, तब बड़ी संख्या में अत्यंत प्रभावी और सक्षम लोग उस निर्माण कार्य में जुटे थे। यह स्वाभाविक बात है कि एक मुश्किल और जटिल काम के लिए अधिक ज्ञान और क्षमता रखने वाले व्यक्तियों की जरूरत होती है। चूंकि सभी क्षेत्रों से बहुत से प्रतिभाशाली लोग इकट्ठे हुए थे, इसलिए उस समय लोगों को बड़ी उम्मीद थी। लेकिन वह उम्मीद जल्द ही निराशा में बदल गई। परिणाम लोगों की उम्मीदों से ज्यादा परे रहा। इससे “अपोलो सिंड्रोम” शब्द आया।

ब्रिटेन के अर्थशास्त्री डॉ। मेरेडिथ बेलबीन ने टीमों के प्रबंधन में सफल या असफल होने के कारण के बारे में जानकारी देने के लिए एक पुस्तक लिखी। उसने अपनी पुस्तक में लिखा कि अति–प्रतिभाशाली व्यक्ति समूह में रहकर एक साथ काम करें तो अपेक्षा से कम परिणाम मिलेगा, और इस घटना को उसने अपोलो सिंड्रोम कहा। उसने टीम की भूमिकाओं के सिद्धांत के विषय में एक प्रयोग किया। इस प्रयोग में उसने कई टीमों का गठन किया और “अपोलो” नामक एक टीम का भी गठन किया जिसमें केवल बहुत अति–प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उसने हर टीम को एक ही मसला दिया और ध्यान दिया कि कैसे अपोलो टीम ने उस मसले को सुलझाया।

जो उस प्रयोग में शामिल थे, उन सब ने सोचा था कि अन्य टीमों की तुलना में अपोलो टीम के पास मसले को सुलझाने की क्षमता बहुत अधिक होगी। लेकिन अपोलो टीम के सदस्यों ने केवल अपने विचारों को सामने रखते हुए बेकार के वाद–विवादों में ही ज्यादा समय गंवा दिया। उन्हें एक ही समझौते तक पहुंचने के लिए और मसले को सुलझाने के लिए काफी समय लगा।

नाव चलाने के लिए एक चालक की जरूरत होती है। लेकिन यदि हर कोई चालक बनना चाहता है, तो नाव अन्त में गलत दिशा में जाएगी। शुरू में नाव अनिश्चित होकर इधर–उधर हो जाएगी, लेकिन नाव पर सवार सभी लोगों को अलग–अलग दिशाओं के बीच से एक ही दिशा को निकालना चाहिए और उस दिशा की ओर पूरी शक्ति लगाकर पतवार से नाव को चलाना चाहिए। तब नाव सही मार्ग पर जा सकेगी।

टीमवर्क सफलता का शॉर्टकट है

पूरी टीम का मार्गदर्शन करने के लिए हर टीम में एक लीडर की जरूरत होती है, लीडर की क्षमता का टीम पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। लेकिन चूंकि आधुनिक समाज एक संगठित समाज है, लीडर के लिए अकेले अपनी टीम का मार्गदर्शन करना मुश्किल है और इसलिए अधिकतर मामलों में टीम के सभी सदस्यों को एक साथ रहकर परस्पर एक दूसरे की मदद करना जरूरी होता है। दिनों दिन टीमवर्क का महत्व बढ़ रहा है, इसलिए हर समूह अपने सदस्यों को टीमवर्क सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए और अपने टीमवर्क की क्षमता और सामर्थ्य का आकलन करने के लिए विभिन्न प्रयत्न कर रहा है। इन दिनों बहुत से विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपने छात्रों को टीम–कार्यभार देते हैं, और बहुत सी कंपनियां सामूहिक गतिविधियों के द्वारा अपने सभी नए कर्मचारियों का इंटरव्यू लेती हैं। एक कंपनी में “कार्यभारों की अदला–बदली ” नामक एक कार्मिक प्रबंधन पद्धति होती है जो कार्यकर्ताओं को विभिन्न कार्यभारों का अनुभव करवाती है, ताकि वे अलग–अलग विभागों में कार्यकर्ताओं की कठिनाइयों को समझ सकें, उनके साथ मिलकर काम कर सकें और टीम में आपसी तालमेल को बेहतर बना सकें।

इस स्थिति में लीडर जो सदस्यों के विचारों पर ध्यान दिए बिना उन्हें केवल अपने ही ढंग से सिखाने की कोशिश करता है, उसके लिए टीम में कोई जगह नहीं होती। अपने सदस्यों के आगे आदर्श प्रस्तुत करना अच्छी बात है, लेकिन यदि लीडर अपनी टीम के सदस्यों के कार्य से संतुष्ट न हो, हमेशा उनकी गलतियों को निकालते रहे और खुद ही हर चीज को सुलझाने की कोशिश करे, तो यह बहुत ही संभव होगा कि ऐसी टीम ठीक अपोलो टीम की तरह अपेक्षा से कम परिणाम उत्पन्न करे। भले ही वे मेहनत से काम करते हैं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग छोटा नहीं किया जाएगा और इसलिए लीडर और टीम के सदस्य थक जाएंगे।

जंगली हंसों से सीखिए जो बिना किसी कठिनाई के अच्छे टीमवर्क के बल पर लंबी यात्रा करते हैं। एंड्रयू कार्नेगी ने कहा, “टीमवर्क एक ईंधन है जो सामान्य लोगों को असामान्य परिणाम प्राप्त करने की अनुमति देता है।” टीमवर्क टीम की ऊर्जा बढ़ाता है और टीम के लक्ष्य को तेजी से पूरा करने की अनुमति देता है।

सभी सदस्यों के मिलकर काम करने से अच्छा टीमवर्क होता है

सिर्फ लीडर नहीं है जो टीमवर्क के ईंधन की आपूर्ति में बाधा डालता है। एक और चीज है जिस पर टीम के हर एक सदस्य को ध्यान देने की जरूरत है। वह आलस्य है।

एक प्रयोग किया गया जिसमें लोगों को चिल्लाने के लिए कहा गया। सबसे पहले प्रत्येक व्यक्ति की आवाज को मापा गया। और उसके बाद उन्हें दो–दो व्यक्तियों का समूह बनाकर चिल्लाने के लिए कहा गया। जब 2 व्यक्ति एक साथ मिलकर चिल्लाए, तब उनकी आवाज उनकी व्यक्तिगत आवाज के 70 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंची। और जब 6 व्यक्ति एक साथ मिलकर चिल्लाए, तब उनकी आवाज उनकी व्यक्तिगत आवाज के केवल 36 प्रतिशत तक पहुंची। उन्होंने यह सोचकर अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया कि मेरे बदले कोई दूसरा उसे करेगा।

जंगली हंस अलग हैं। आकाश में उड़ रहे जंगली हंसों को देखते हुए हमें एक और चीज पर ध्यान देने की जरूरत है। लीडर के पीछे उड़ने वाले जंगली हंस लगातार आवाज करना जारी रखते हैं। यह लीडर को प्रोत्साहन देने के लिए है ताकि वह थक न जाए। जंगली हंसों में कोई आलस्य या उत्तरदायित्व की भावना की कमी नहीं पाई जाती।

कुछ सोच सकते हैं कि वे असमर्थ होने के कारण टीम के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। लेकिन सिर्फ अपनी टीम के सदस्यों के साथ रहने से टीमवर्क के लिए मददगार होता है। साइक्लिंग एक अच्छा उदाहरण है; समूह में रहकर साइकिल चलाने वाला खिलाड़ी अकेले साइकिल चलाने वाले से ज्यादा तेजी से दौड़ सकता है। सर्वोत्तम टीमवर्क उस टीम से होता है जहां प्रत्येक सदस्य अपने–अपने कर्तव्य का पालन अच्छी तरह से करता है और लीडर इस तरह से अपने सदस्यों का मार्गदर्शन करते हैं ताकि हर एक सदस्य की क्षमता में संतुलन और सामंजस्य हो सके।

सर्वोत्तम टीमवर्क के साथ स्वर्ग की ओर

परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को, वरन् जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमण्ड न करने पाए। परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा, अर्थात् धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा; ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, “जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।” 1कुर 1:28–31

सुसमाचार के कार्य में जिसका नेतृत्व परमेश्वर कर रहे हैं, कोई अपोलो टीम नहीं है। सिर्फ मनुष्यों के दृष्टिकोण से कोई व्यक्ति ज्यादा समर्थ दिखता है और कोई व्यक्ति कम समर्थ दिखता है। हम लोगों में से किसी के पास ऐसी एक भी चीज नहीं है जिस पर वह परमेश्वर के सामने गर्व कर सकता है। इसलिए चाहे हमारे पास कुछ क्षमता हो या हम दूसरे सदस्यों से आगे हों, फिर भी हमें गर्व नहीं करना चाहिए।

‘मैं कुछ नहीं कर सकता,’ यह सोचते हुए सिर्फ पीछे खड़े रहना या बिना कुछ किए बहुसंख्या में शामिल रहना भी अच्छा नहीं है। परमेश्वर ने हमें सिय्योन में बुलाया है और हमारे लिए अलग–अलग कर्तव्य निर्धारित कर दिए हैं और उन्हें करने की क्षमताएं भी दी हैं। इसलिए हमें अपनी–अपनी परिस्थितियों में अपना सर्वोत्तम प्रयास करना चाहिए और सिय्योन के भाई–बहनों की भावनाओं को समझते हुए और एक दूसरे का आदर करते हुए दूसरों की कमी की भरपाई करनी चाहिए और सुसमाचार के टीमवर्क को प्रोत्साहन देना चाहिए।

ऐसा कहा जाता है कि टीमवर्क तभी अधिक मजबूत हो सकता है जब टीम का एक स्पष्ट लक्ष्य हो जिससे सभी सदस्य सहमत होते हैं और जब सदस्यों की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से विभाजित किया जाए। हमारे पास सर्वोत्तम टीमवर्क बनाने के लिए पर्याप्त परिस्थितियां हैं। हम एक ही लक्ष्य, यानी स्वर्ग के राज्य की ओर दौड़ रहे हैं, और हमारे पास मिशन है जो परमेश्वर ने सुसमाचार के लिए हम में से हर एक को दिया है। भले ही हम संसार में कमजोर और निर्बल दिखें, लेकिन हमारे पास सर्वोत्तम लीडर है जो परमेश्वर हैं, और इसलिए हम में सर्वोत्तम टीमवर्क है। तो हमारे पास अपनी अंतिम मंजिल, यानी स्वर्ग तक पहुंचने के लिए कोई कमी नहीं है।

छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा। यशायाह 60:22