मैंने तेरे लिए विनती की

लूका 22:24-46

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अंतिम फसह के भोज पर चेलों में इस मामले पर वाद-विवाद हुआ, “हम में से कौन बड़ा समझा जाता है?” यीशु दर्द भरे मन से अपने चलों को देख रहे हैं जो थोड़ी देर बाद आनेवाली यीशु की पीड़ा के बारे में कुछ नहीं जानते।

“शमौन, हे शमौन! सुन, तुम सब को गेहूं की तरह फटकने के लिए शैतान ने चुन लिया है। परन्तु मैंने तेरे लिए विनती की कि तेरा विश्वास जाता न रहे, और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।”

उसने उनसे कहा, “हे प्रभु, मैं आपके साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूं।”

यीशु ने कहा, “हे पतरस, मैं तुझ से कहता हूं कि आज मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इनकार न कर लेगा कि तू मुझे नहीं जानता।”

भोज के बाद यीशु अपनी रीति के अनुसार जैतून पहाड़ पर जाते हैं, और चेले उनके पीछे हो लेते हैं।

“प्रार्थना करो कि तुम परीक्षा में न पड़ो।”

यह वचन देकर, वह उनसे थोड़ी सी दूरी पर अपने दो हाथों को जोड़ते हैं। वह इतनी उत्सुकता से प्रार्थना करते हैं कि उनका पसीना मानो लहू की बड़ी बड़ी बूंदों के समान भूमि पर गिर रहा है! जब वह प्रार्थना से उठकर अपने चेलों के पास आते हैं, तब उन्हें सोते हुए पाते हैं। वह उन्हें जगाते हैं। वह उनसे कहते हैं, “क्यों सोते हो? उठो प्रार्थना करो कि परीक्षा में न पड़ो।”

यीशु ने उन पीड़ाओं को जाना जो वह झेलने वाले थे। वह एक अत्यंत दर्द था जिससे वह बचे रहना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उससे बचने से इनकार किया क्योंकि उन्हें अपनी संतानों को बचाने के लिए उससे गुजरना पड़ता था। लेकिन, वह अपने चेलों के लिए जो विश्वास में निर्बल थे, चिंता से मुक्त नहीं हो सकते थे। यीशु ने पतरस के लिए, जिसने यह कहते हुए कि वह मृत्यु तक भी उनके पीछे-पीछे चलेगा, प्रार्थना की, क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें अत्यंत दुख उठाते हुए देखकर उसका विश्वास डगमगाएगा। पतरस जिसने यीशु का तीन बार इनकार किया, मन फिराकर सुसमाचार का प्रचार करने वाला प्रेरित बन सका क्योंकि यीशु ने उससे प्रेम किया और उसके लिए प्रार्थना की थी।

आज भी अपनी संतानों के लिए परमेश्वर की यह प्रार्थना जारी रहती है कि वे परीक्षा में न पड़ें। परमेश्वर की व्याकुल प्रार्थना हमें विश्वास के साथ परीक्षाओं और कष्टों पर जय पाने की शक्ति देती है।