बाइबल में हम अक्सर “मुहर” शब्द देख सकते हैं। तब मुहर क्या है और इसका हमारे साथ क्या संबंध है?

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“मुहर” एक छाप है जिस पर एक व्यक्ति या संगठन का नाम उत्कीर्ण है और जिसका पहचान के प्रमाणीकरण के उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है। परमेश्वर की मुहर का मतलब परमेश्वर की छाप है।

सभी युगों में परमेश्वर उन पर अपनी मुहर लगाते हैं जो धर्मी माने जाते हैं। परमेश्वर की इस इच्छा के अनुसार प्रेरित होने की छाप भी है और विश्वास की धार्मिकता की छाप भी है। पवित्र आत्मा भी बयाने के रूप में एक छाप है (1कुर 9:2, रो 4:11, 2कुर 1:22)।

परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य इस युग में भी घटित होता है। लेकिन यह पहले की तुलना में अलग है। परमेश्वर की मुहर जो हमें प्राप्त करनी चाहिए, वह छुटकारे का चिन्ह है जिससे हम अन्तिम विपत्ति से बच सकते हैं।

परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य

इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे। वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी या समुद्र या किसी पेड़ पर हवा न चले। फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।” प्रक 7:1–3

बाइबल में हवा युद्ध को दर्शाती है(यिर्म 4:11)। चार स्वर्गदूतों ने जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया है, पृथ्वी की चारों हवाओं को थाम लिया है। ये चारों हवाएं विश्व युद्ध को दर्शाती हैं जो पृथ्वी के चारों कोनों में, यानी पूरे विश्व में छिड़ जाएगा।

परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को आज्ञा दी कि वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थाम लें और अपने लोगों के माथे पर मुहर लगा दें, ताकि वह अपने लोगों को इस पृथ्वी पर आने वाली बड़ी भयंकर विपत्ति से बचा सकें। जब परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य समाप्त हो जाएगा, तब पृथ्वी की चारों हवाएं जिन्हें स्वर्गदूतों ने पृथ्वी के चारों कोनों पर खड़े होकर थाम लिया है, छोड़ी जाएंगी, और जिन लोगों के पास परमेश्वर की मुहर नहीं है, वे पृथ्वी और समुद्र को हानि पहुंचाने वाली विपत्ति से नहीं बच पाएंगे।

मुहर लगाने के कार्य की शुरुआत

मानव इतिहास में दो बार विश्व युद्ध हुए। उनमें वो हवाएं जिनकी प्रकाशितवाक्य के 7वें अध्याय में भविष्यवाणी की गई थी, द्वितीय विश्व युद्ध है। यह उस घटना की भविष्यवाणी से साबित होता है जो स्वर्गदूतों के चारों हवाएं थामने से पहले, यानी चारों हवाओं के चलने के दौरान घटित हुई।

जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा कि एक बड़ा भूकंप हुआ, और सूर्य कम्बल के समान काला और पूरा चंद्रमा लहू के समान हो गया। आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आंधी से हिलकर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं। प्रक 6:12–13

आकाश के तारे और अंजीर के फल इस्राएलियों को दर्शाते हैं(उत 15:5, लूक 13:7)।

“आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आंधी से हिलकर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं,” इस भविष्यवाणी का मतलब है कि बड़ी संख्या में यहूदी लोग एक बड़े युद्ध में मारे जाएंगे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी के द्वारा 60 लाख यहूदियों की हत्या की गई।

परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य स्वर्गदूतों के चारों हवाएं थामने के बाद ही शुरू होना चाहिए। वास्तव में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, अर्थात् 1945 के बाद मुहर लगाने का कार्य शुरू हुआ। हम ऐसे बहुत ही महत्वपूर्ण युग में जी रहे हैं जब हमें अन्तिम विपत्ति से बचने के लिए अवश्य ही परमेश्वर की मुहर प्राप्त करनी चाहिए।

परमेश्वर की मुहर हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

परमेश्वर की मुहर एक विशेष तरीके से हमें दी जाती है।

नाशवान् भोजन के लिए परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिए जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने उसी पर छाप लगाई है। यूह 6:27

परमेश्वर ने यीशु के शरीर को अपनी मुहर बनाया। परमेश्वर की मुहर प्राप्त करने के लिए यीशु जो परमेश्वर की मुहर है, उनके साथ हमें एक देह होना चाहिए।

यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में।” यूह 6:53–56

जो यीशु का मांस खाता और उनका लहू पीता है, वह यीशु में स्थिर बना रहता है और यीशु उसमें। यदि हम यीशु के साथ एक देह बनें, तो हम सहज ही परमेश्वर की मुहर को पाएंगे जो यीशु ने प्राप्त की। वह यीशु का मांस और लहू जो हमें परमेश्वर की मुहर प्राप्त करने के लिए खाना चाहिए और पीना चाहिए, फसह की रोटी और दाखमधु के द्वारा हमें दिए जाते हैं।

अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिए फसह खाने की तैयारी करें? उसने कहा, “नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, ‘गुरु कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहां पर्व मनाऊंगा’।” अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया… जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” मत 26:17–19, 26–28

उन लोगों ने परमेश्वर की मुहर प्राप्त की है जिन्होंने फसह की रोटी जो यीशु का मांस है, खाई है और दाखमधु जो यीशु का लहू है, पिया है। इसलिए फसह का पर्व ही परमेश्वर की मुहर है जिससे हम अन्तिम विपत्ति से बच सकते हैं।

परमेश्वर की मुहर, फसह का पर्व जिसके द्वारा विपत्ति हमें छोड़कर गुजर जाती है

“फसह” का अक्षरश: अर्थ है, “किसी चीज से पार होना।” जैसे कि हम इस पर्व के नाम के द्वारा जान सकते हैं, परमेश्वर ने फसह का पर्व इसलिए स्थापित किया ताकि हम विपत्ति से पार हो सकें।

तुम्हारा मेम्ना निर्दोष और एक वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से। और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन गोधूलि के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें। तब वे उसके लहू में से कुछ लेकर जिन घरों में मेम्ने को खाएंगे उनके द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएं… और उसके खाने की यह विधि है: कमर बांधे, पांव में जूती पहिने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का पर्व होगा। क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में होकर जाऊंगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूंगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा; मैं यहोवा हूं। और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे। और वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए। निर्ग 12:5–14

मूसा के समय में जब सब पहिलौठों को मारने वाली बड़ी विपत्ति पूरे मिस्र पर उण्डेली गई, इस्राएल के लोग जिन्होंने फसह का पर्व मनाया, विपत्ति से बच सके, लेकिन मिस्र के लोगों ने जिन्होंने फसह का पर्व नहीं मनाया, विपत्ति झेली।

ऐसा ठीक परमेश्वर के वादे के अनुसार हुआ; परमेश्वर ने वादा किया था कि उनके लिए फसह के मेम्ने का लहू एक चिन्ह ठहरेगा और वह उस लहू को देखकर उन्हें छोड़ जाएंगे कि विपत्ति उन पर न पड़े। फसह के पर्व में निहित परमेश्वर का यह वादा केवल निर्गमन के समय में ही नहीं, बल्कि हर युग में लागू किया गया(2इत 30:1, 2रा 19:30–35)।

पुराने नियम के फसह के मेम्ने की असलियत यीशु है(1कुर 5:7)। जैसे फसह के मेम्ने का लहू इस्राएलियों के लिए एक चिन्ह होता था जिससे वे विपत्ति से बच सकते थे, वैसे ही यीशु का लहू जो उन्होंने फसह के मेम्ने के रूप में आकर क्रूस पर बहाया, परमेश्वर के लोगों के लिए एक चिन्ह बनता है जिससे वे इस युग में विपत्ति से बच सकते हैं।

क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हारा निकम्मा चाल–चलन जो बापदादों से चला आता है उससे तुम्हारा छुटकारा चान्दी–सोने अर्थात् नाशवान वस्तुओं के द्वारा नहीं हुआ; पर निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात् मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ। 1पत 1:18–19

परमेश्वर की मुहर जिसका पूरी दुनिया इंतजार करती है

बाइबल में जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गई हैं(रो 15:4)। इस्राएल के लोग मिस्र में फसह का पर्व मनाकर विपत्ति से बच गए थे और उसके बाद भी वे फसह का पर्व मनाने के द्वारा बचाए गए। यह इतिहास हमें दिखाता है कि जब पृथ्वी की चारों हवाएं छोड़ी जाएंगी, उस वक्त भी हम फसह मनाने के द्वारा बचाए जा सकेंगे। जिनके पास वह छुटकारे का चिन्ह है जिसे विपत्ति के समय नष्ट करने वाला स्वर्गदूत देख सकता है, वे लोग हैं जिन्होंने फसह का पर्व मनाकर परमेश्वर की मुहर प्राप्त की है।

और यहोवा ने उससे कहा, “इस यरूशलेम नगर के भीतर इधर उधर जाकर जितने मनुष्य उन सब घृणित कामों के कारण जो उसमें किए जाते हैं, सांसें भरते और दु:ख के मारे चिल्लाते हैं, उनके माथों पर चिन्ह लगा दे।” तब उसने मेरे सुनते हुए दूसरों से कहा, “नगर में उनके पीछे पीछे चलकर मारते जाओ; किसी पर दया न करना और न कोमलता से काम करना। बूढ़े, युवा, कुंवारी, बालबच्चे, स्त्रियां, सब को मारकर नष्ट करो, परन्तु जिस किसी मनुष्य के माथे पर वह चिन्ह हो, उसके निकट न जाना। और मेरे पवित्रस्थान ही से आरम्भ करो।” अत: उन्होंने उन पुरनियों से आरम्भ किया जो भवन के सामने थे। यहेज 9:4–6

विपत्ति को दूर करने वाले चिन्ह, यानी परमेश्वर की मुहर को प्राप्त किए बिना कोई भी विपत्ति से नहीं बच सकता।

अब परमेश्वर अपने लोगों को अंतिम विपत्ति से बचाने के लिए उन पर अपनी मुहर लगाने की जल्दबाजी में हैं। इस अत्यंत महत्वपूर्ण समय में आइए हम फसह का पर्व मनाकर परमेश्वर की मुहर प्राप्त करें और विपत्तियों के डर से कांप रहे लोगों को इस उद्धार का समाचार जल्दी सुनाएं।