एक पेंगुइन उड़ता है

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एक छोटे पेंगुइन ने एक बार एक स्कुआ पक्षी को उड़ते हुए देखा, और गहरे विचार में डूब गया कि,

‘मैं उस पक्षी के समान उड़ना चाहता हूं। मैं इस प्रकार डगमगाते हुए चलना नहीं चाहता। यह हास्यास्पद दिखाई देता है। मेरे पास भी पंख हैं। यदि मैं मेहनत से अभ्यास करूं, तो क्या मैं भी उड़ सकूंगा?’

उस समय से, उस छोटे पेंगुइन ने उड़ने के लिए बहुत प्रयास किए। लेकिन, चाहे उसने कितने भी जोर से अपने पंख फड़फड़ाए, वह नहीं उड़ सका। जब वह बार बार की असफलता से निराश हो गया था, तब उसकी मां पेंगुइन आकर उसे एक ऊंची बर्फ की दीवार पर ले गई। उसने नीचे देखा और उसे चक्कर आ गया।

“डरो मत। चिंता मत करो, और बस नीचे कूदो। तुम उड़ सकते हो!”

छोटे पेंगुइन को डर लग रहा था, लेकिन अपनी मां के शब्दों पर वह हिम्मत बांधकर बर्फ की दीवार से नीचे कूद गया। हालांकि, उड़ने की बात तो दूर रही, वह सिर के बल समुद्र में गिर गया। लेकिन जिस क्षण वह समुद्र में गिरा, एक आश्चर्यजनक बात हुई। वह उड़ रहा था, ठीक जैसे उसकी मां पेंगुइन ने उससे कहा था। जिस प्रकार एक पक्षी हवा में उड़ता है, छोटा पेंगुइन विशाल समुद्र में उड़ने लगा, और उसने अपने ही आसमान में खुशी मनाई।