उद्धार के आनन्द के साथ

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मान लीजिए, एक व्यक्ति है जिसकी जान को खतरा है, लेकिन यदि वह किसी की सहायता से बचाया जाए, तो उसे इस बात से बहुत राहत मिलेगी कि उसका एकमात्र जीवन बचाया गया है, और वह खुशी के मारे फूला नहीं समाएगा। उद्धार के आनन्द के साथ जो भावना उसके अन्दर एकाएक उभर आएगी, वह उसके प्रति धन्यवाद की भावना है जिसने उसे बचाया है।

उस समय यह कहा जाएगा, “देखो, हमारा परमेश्वर यही है, हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उससे उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।” यश 25:9

जब हम पापों के दलदल में फंसकर तड़प रहे थे, और जब हमारे पास मरने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, परमेश्वर ने हमारी आत्माओं को बचाया।

यद्यपि हमारे जीवन में बहुत सारी दुख-तकलीफें हैं, लेकिन हम उद्धार देनेवाले परमेश्वर के कारण बेहद खुश और आनन्दित रहते हैं। हम उनके आभारी रहते हैं।

यदि आपके मन से खुशी गायब हो जाती और धन्यवाद की भावना के बजाय आपके मन में शिकायत की भावना उठ जाती है, तो याद कीजिए कि परमेश्वर से मिलने से पहले आपकी आत्मा की हालत कैसी थी, और सोचिए कि यदि आप स्वर्गीय पिता और माता से न मिले होते तो आपकी आत्मा के साथ क्या होता। तब आपके मन में फिर से उद्धार का आनंद छाएगा और धन्यवाद भरपूर रहेगा।