चर्च ऑफ गॉड सब्त और फसह जैसे पर्वों पर ज्यादा महत्व देता है, जो अन्य चर्च नहीं मनाते। इसका कोई विशेष कारण है?

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वह परमेश्वर हैं जिन्होंने पर्वों को स्थापित करके हमें मनाने की आज्ञा दी है। परमेश्वर के द्वारा दी गई व्यवस्थाओं में से कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिसका हमारे उद्धार से कोई लेना–देना नहीं है और कोई मतलब नहीं है। बाइबल में दर्ज किए गए पर्व हमारे उद्धार से निकट रूप से संबंधित है।

परमेश्वर के पर्वों को स्थापित करने का कारण

हम सब पापी हैं जिन्होंने स्वर्ग में पाप किया और इस पृथ्वी पर नीचे गिरा दिए गए। जो कोई इस संसार में पैदा होता है, वह मृत्यु के दंड से नहीं बच सकता जो पाप की मजदूरी है।

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। रो 6:23

उन पापियों को जिन्हें स्वर्ग में किए गए पापों के कारण मरना पड़ता है, बचाने के लिए परमेश्वर ने क्रूस पर अपने बहुमूल्य लहू बहाए और पापियों के बदले मृत्यु सह ली। ऐसा करके परमेश्वर ने उनके प्रति अपना महान प्रेम और अपनी बड़ी शक्ति प्रकट की। परमेश्वर के पर्वों में ऐसा महत्वपूर्ण अर्थ समाया हुआ है, जिसके द्वारा हम मसीह के बलिदान और प्रेम को याद कर सकते हैं और उन परमेश्वर की शक्ति को स्मरण कर सकते हैं जो हमारी अनन्त स्वर्ग की ओर अगुआई करते हैं।

परमेश्वर ने पर्वों को इसलिए स्थापित किया कि वह संसार के लोगों को, जो अपने मूल को जाने बिना ही जी रहे हैं, आत्मिक सिद्धांत को समझाएं और उद्धार के मार्ग की ओर उनकी अगुआई करें।

परमेश्वर के पर्व

परमेश्वर के पर्वों में साप्ताहिक पर्व है, वह सातवां दिन सब्त है। और वार्षिक पर्व भी होते हैं, जैसे फसह का पर्व, अख़मीरी रोटी का पर्व, पुनरुत्थान का दिन(प्रथम फल का पर्व), पिन्तेकुस्त का दिन(सप्ताहों का पर्व), नरसिंगों का पर्व, प्रायश्चित्त का दिन, झोपड़ियों का पर्व। ये सात पर्व तीन भागों में बंट गए हैं। इसलिए ये तीन बार में सात पर्व कहलाते हैं।(लैव्यव्यवस्था का 23वां अध्याय)

तीन बार में सात पर्व मूसा के कार्य से उत्पन्न हुए। जब इस्राएली मिस्र देश की गुलामी में रहे, तब परमेश्वर ने मूसा को नेता के रूप में नियुक्त किया और इस्राएलियों को गुलामी से मुक्त करके कनान देश तक उनकी अगुआई की। मिस्र से निकलने के समय से लेकर लगभग 1 वर्ष तक मूसा के द्वारा किए गए कार्यों से प्रत्येक पर्व की शुरुआत हुई। मूसा के कार्य के द्वारा, परमेश्वर ने पहले से उस उद्धार के कार्य को दिखाया जिसे बाद में उद्धारकर्ता के रूप में आने वाले यीशु मसीह अपने लोगों को इस पापमय संसार से मुक्त करके स्वर्गीय कनान में पहुंचाने तक करेंगे।(इब्र 3:2–6)

आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करके पर्व मनाना

पुराने नियम के समय में इस्राएली पर्वों की विधि के अनुसार मेमने, बैल जैसे पशुओं को वध करके बलिदान चढ़ाते थे और उनका लहू वेदी पर छिड़कते थे। नए नियम के समय में यीशु ने नई वाचा के पर्वों को स्थापित किया जो आत्मिक बलिदान हैं। इसलिए हम आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करके पर्व मनाते हैं।(यूह 4:24)

तब अखमीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा: “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।”… उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया और फसह तैयार किया। जब घड़ी आ पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”…फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।” लूक 22:7–20

फिर वह नासरत में आया, जहां पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। लूक 4:16

यीशु ने स्वयं नई वाचा के पर्वों को मनाने का उदाहरण दिखाया। हम यीशु मसीह की शिक्षा के अनुसार आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना कर रहे हैं, इसलिए हम वो आशीषें पा सकते हैं जो परमेश्वर ने पर्व मनाने वालों को देने की प्रतिज्ञा की है।

हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशेलम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी। वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा… कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लोग उसमें बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा। यश 33:20–24

ज्यादातर ईसाई स्वयं परमेश्वर के लोग होने का दावा करते हैं, लेकिन परमेश्वर पर्व के माध्यम से बचाए जाने वाले अपने लोगों को अलग करते हैं।

वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर के आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा: “मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान(पर्व) चढ़ाकर मुझ से वाचा बांधी है!” भज 50:4–5

पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं। प्रक 14:12

केवल परमेश्वर के पर्व मनाने वाले लोग परमेश्वर के लोग कहलाते हैं। इसलिए परमेश्वर के पर्व मनाए बिना कोई नहीं बचाया जा सकता। हमें रविवार की आराधना, क्रिसमस इत्यादि जैसे मनुष्य के नियम नहीं, परन्तु वे पर्व मनाने चाहिए जिन्हें मनाने की परमेश्वर ने आज्ञा दी है। तभी हम उद्धार पा सकते हैं। इसी कारण से हम परमेश्वर के पर्वों को बहुमूल्य मानते हैं और उन्हें मनाते हैं।