मसीह का दोषपत्र: “यह यहूदियों का राजा यीशु है”

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हम सब, जो सत्य में रहनेवाले परमेश्वर के लोग हैं, अच्छे से जानते हैं कि स्वर्ग में किए गए हमारे पापों को क्षमा करने के लिए, यीशु छुड़ौती के रूप में क्रूस पर बलिदान हुए।

तब, स्वर्ग के राज्य में हमने किस प्रकार का पाप किया? आइए हम यीशु के छुड़ौती बलिदान के द्वारा देखें कि हमारे पाप क्या थे, जिनके कारण हमें स्वर्ग से निकाल दिया गया।

जब यीशु को क्रूस पर लटकाया गया, एक दोषपत्र उनके सिर के ऊपर लगाया गया, जिसमें लिखा था, “यहूदियों का राजा।”

और उसका दोषपत्र उसके सिर के ऊपर लगाया, कि “यह यहूदियों का राजा यीशु है।” मत 27:37

जब यीशु का जन्म हुआ, तब यहूदिया रोमन साम्राज्य के द्वारा नियुक्त किए गए हेरोदेस राजा के नियंत्रण में था। हालांकि, जब यीशु सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे, यहूदिया पर एक हाकिम का शासन था जिसे रोम से भेजा गया था। इसलिए, रोमन सम्राट कैसर के अलावा कोई राजा नहीं हो सकता था। उन दिनों में यदि कोई व्यक्ति राजा होने का दावा करता, तो ऐसा माना जाता था कि उसने रोमन सम्राट के विरुद्ध राजद्रोह किया है।

दरअसल, जब महायाजक और प्राचीन यीशु पर दोष लगाने की कोशिश करते थे, वे अच्छी तरह से जानते थे कि वे धार्मिक कारणों से यीशु पर दोष नहीं लगा सकते। इसलिए एक दिन उन्होंने यीशु पर राजद्रोह का दोष लगाने के लिए साजिश रची, और उन्होंने यह कहकर यीशु को फंदे में फंसाने का मौका ढूंढ़ा, “यहूदियों का राजा होने का दावा करते हुए, वह दंगे भड़कवा रहा है।” इसी कारण यीशु की परीक्षा लेने की कोशिश करते समय, उन्होंने हेरोदियों को अपने चेलों के साथ यीशु के पास भेजा।

तब फरीसियों ने जाकर आपस में विचार किया कि उसको किस प्रकार बातों में फंसाएं। अत: उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा… कैसर(रोमन सम्राट) को कर देना उचित है कि नहीं। मत 22:15–17

यहूदियों ने ऐसा इस उद्देश्य से कहा: यदि यीशु उनसे रोमन सम्राट को कर देने के लिए कहते, तो वे यीशु पर रोमन सम्राट का जासूस होने का दोष लगा सकते थे, और यदि यीशु उनसे रोमन सम्राट को कर न देने के लिए कहते, तो वे हेरोदियों की साक्षी के द्वारा यीशु पर रोम के विरुद्ध राजद्रोह करने का दोष लगा सकते थे। परन्तु यीशु को उनकी दुष्टता पता थी, इसलिए उन्होंने इस प्रकार कहा:

यीशु ने उनकी दुष्टता जानकर कहा, “हे कपटियो; मुझे क्यों परखते हो? कर का सिक्का मुझे दिखाओ।” तब वे उसके पास एक दीनार ले आए। उसने उनसे पूछा, “यह छाप और नाम किसका है?” उन्होंने उससे कहा, “कैसर का।” तब उसने उनसे कहा, “जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” यह सुनकर उन्होंने अचम्भा किया, और उसे छोड़कर चले गए। मत 22:18–22

रोमन हाकिम, पिलातुस ने भी जब यीशु को उसके सामने लाया गया, यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है।

तब पिलातुस फिर किले के भीतर गया, और यीशु को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” यूह 18:33

यीशु से पूछताछ करने के बाद, पिलातुस को उन पर दोष लगाने का कोई आधार न मिला। परन्तु उसे राजनीतिक जोखिम के बारे में सोचना पड़ा जो उसे यीशु को दंडित न करने पर भुगतनी पड़ेगी।

इस पर पिलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा, परन्तु यहूदियों ने चिल्ला–चिल्लाकर कहा, “यदि तू इस को छोड़ देगा, तो तेरी भक्ति कैसर की ओर नहीं। जो कोई अपने आप को राजा बनाता है वह कैसर का सामना करता है।” ये बातें सुनकर पिलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था जो इब्रानी में ‘गब्बता’ कहलाता है, और वहां न्याय–आसन पर बैठा। यूह 19:12–13

पिलातुस जानता था कि यदि वह यीशु को दंड नहीं देगा, तो यहूदी निश्चित रूप से यह अफवाह फैला देंगे: ‘हाकिम ने एक राजद्रोही को पनाह दी है।’ चूंकि वह जानता था कि यदि यह अफवाह पूरे रोमन साम्राज्य में फैलेगी तो उसका राजनीतिक जीवन खतरे में आ जाएगा, इसलिए उसने यहूदियों की मांग को पूरा करने का फैसला किया।

अन्त में, यीशु को यहूदियों के द्वारा रोम के विरुद्ध राजद्रोह करने का झूठा दोष लगाया गया और मृत्यु की सजा सुनाई गई। इसी कारण यीशु के सिर के ऊपर एक दोषपत्र लगाया गया: “यह यहूदियों का राजा यीशु है।” यीशु को रोमन सैनिकों के द्वारा इसलिए नहीं मारा गया कि मसीह के पास शक्ति नहीं थी। यीशु ने सभी पीड़ाओं को इसलिए सहा ताकि बाइबल में उनके विषय में लिखी गई हर एक भविष्यवाणी पूरी हो सके।

क्या तू नहीं जानता कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा? परन्तु पवित्रशास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, कैसे पूरी होंगी? मत 26:53–54

यीशु क्रूस पर चढ़ाए जाने का दंड पाकर मर गए, जो रोम में मृत्यु देने का सबसे भयानक तरीका था। उन पर राजद्रोह का दोष लगाया गया, और हमारे पापों के कारण उन्हें क्रूस पर चढ़ाए जाने की सजा सुनाई गई। यह हमें दिखाता है कि इस पृथ्वी पर गिराए जाने से पहले हमने स्वर्ग में किस प्रकार के पाप किए थे।

चूंकि हम स्वर्ग में राजद्रोह करने के बाद इस पृथ्वी पर आए, इसलिए यीशु ने भी राजद्रोह के दोष से मृत्यु पाकर हम अधर्मियों को बचाया। इसलिए हमारे पापों का वर्णन इस प्रकार किया गया है: “मृत्युदंड पाने के योग्य पाप।” परमेश्वर ने हमारे उन पापों को क्षमा किया है, जो मृत्युदंड पाने के योग्य थे, तो हमें परमेश्वर को कितना अधिक धन्यवाद देना चाहिए?

निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा–कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएं। हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया। यश 53:4–6