मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है

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सब के लिए यह खुशी और बहुमूल्य बात होती है, यदि वे उसके द्वारा बुलाए जाते हों, जो उन्हें समझता और पहचानता है। यदि अधिकारी राजाओं की बुलाहट पर राज्य और जाति के हित में खुद को अर्पित करने का मौका पाए, तो यह सबसे प्रमुख बात होगी। और यदि कोई एक देश के राष्ट्रपति का पद ले, तो यह भी अत्यंत खुशी की घटना होगी।

लेकिन जो राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, और जिसने खुद संसार की सृष्टि की, उस परमेश्वर ने हमें सन्तान के रूप में बुलाया है। तो यह सच में बहुमूल्य आशीष है जिसे हम संसार में किसी से भी नहीं बदल सकते। आइए हम परमेश्वर के हमारा नाम लेकर बुलाने की इच्छा और बुलाहट की आशीष के बारे में देखें।

बाइबल में परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए व्यक्ति

“अपने अभिषिक्त कुस्रू से, जिसका दाहिना हाथ मैंने थाम लिया है कि उसके सामने जातियों को पराजित करूं और राजाओं की कटि को ढीला करूं और उसके आगे नगरद्वारों को ऐसे खोल दूं कि द्वार बन्द न होने पाएं, मैं यहोवा यों कहता हूं: मैं तेरे आगे आगे चलूंगा और ऊबड़-खाबड़ स्थानों को चौरस करूंगा। मैं कांसे के फाटकों को टुकड़े टुकड़े करूंगा और लोहे के बेंड़ों को तोड़ डालूंगा। मैं तुझे अन्धकार में छिपा हुआ ख़जाना और गुप्त स्थानों में का गड़ा हुआ धन दूंगा, जिससे कि तू जान ले कि मैं यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर हूं, जो तुझे तेरा नाम लेकर बुलाता हूं। अपने दास याकूब और अपने चुने हुए इस्राएल के कारण ही मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है। यद्यपि तू मुझे नहीं जानता था, फिर भी मैंने तुझे उपाधि दी है।”यश 45:1-4

जिसने फारस का राजा, कुस्रू का नाम लेकर बुलाया, वह परमेश्वर था। कुस्रू ने परमेश्वर को नहीं जाना था, पर परमेश्वर ने उसे कुस्रू नाम और राजा की उपाधि दी। इस तरह परमेश्वर ने पहले से उसके लिए योजना बनाई थी, और कुस्रू के विजय के लिए सभी मार्गों को खोल दिया था। परमेश्वर ने उसके आगे आगे चल कर बन्द नगरद्वारों को खोल दिया, लोहे के बेंड़ों को तोड़ डाला और कांसे के फाटकों के टुकड़े टुकड़े किए, जिससे कि कुस्रू सभी जातियों को पराजित कर सके। परमेश्वर ने उसके जन्म से पहले, बाइबल में उसका नाम लिख दिया था और भविष्यवाणी की थी कि वह बेबीलोन को गिराएगा। कुस्रू को यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ और उसने यह कहते हुए अंगीकार किया कि वह सच्चा परमेश्वर है।(एज्रा 1:1-4 संदर्भ)

“ …“गर्भ में तेरी रचना करने से पूर्व मैं तुझे जानता था, और तेरे उत्पन्न होने से पहले मैंने तेरा अभिषेक किया। मैंने तुझे जाति जाति के लिए नबी नियुक्त किया है।” …“मत कह कि मैं बालक हूं, क्योंकि जहां कहीं मैं तुझे भेजूं, वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूं, वही तू कहेगा। तू उनसे भयभीत न हो, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिए मैं तेरे साथ हूं,” यहोवा की यही वाणी है।”यिर्म 1:4-8

परमेश्वर ने यिर्मयाह नबी के बारे में भी साक्षी दी; यिर्मयाह की शारीरिक आकृति सृजी जाने से पहले, परमेश्वर ने उसे जाना था और उसके इस धरती पर उत्पन्न होने से पहले, परमेश्वर ने उसका अभिषेक करके जाति जाति के लिए नबी नियुक्त किया था। जब यिर्मयाह ने परमेश्वर से अपनी योग्यता और वाकपटुता की कमी को कहा, तब परमेश्वर ने ऐसा कहते हुए, “मैं तुम्हारे साथ हूं, जहां कहीं मैं तुझे भेजूं, वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूं, वही तू कहेगा।” उसकी शक्ति बढ़ाई।

नबी जो बुलाहट पर विश्वास के साथ गए

जैसे परमेश्वर ने बेबीलोन को गिराने के लिए फारस के राजा, कुस्रू का नाम लेकर बुलाया और सारी जातियों को अपने वचन की घोषणा करने के लिए यिर्मयाह का नाम लेकर बुलाया, उसी तरह से परमेश्वर ने सामरिया और पृथ्वी के छोर तक सुसमाचार का प्रचार करने के लिए चेलों को बुलाया।

“उस समय से यीशु ने यह प्रचार करना और कहना आरम्भ किया: “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” गलील की झील के किनारे चलते हुए उसने दो भाइयों को अर्थात् शमौन जो पतरस कहलाता था तथा उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; वे तो मछुए थे। उसने उनसे कहा, “मेरे पीछे चलो। मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊंगा।” वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे चल पड़े।”मत 4:17-20

जब परमेश्वर ने चेलों को एक एक करके बुलाया, तब उन्होंने थोड़ा भी हिचके बिना आज्ञा का पालन किया। इसी प्रकार यदि परमेश्वर ने हमें सुसमाचार के ज़रीए के रूप में चुन कर बुलाया, तो इस परमेश्वर की बुलाहट पर, हमें सक्रिय रूप से और विश्वास के साथ सुसमाचार के कार्य में सहभागी होना चाहिए।

“विश्वास के बिना उसे प्रसन्न करना असम्भव है, क्योंकि जो कोई परमेश्वर के पास आता है, उसके लिए यह विश्वास करना आवश्यक है कि वह है, और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है। विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय तक दिखाई नहीं देती थीं, चेतावनी पाकर भय के साथ अपने परिवार के बचाव के लिए जहाज़ बनाया। इस प्रकार उसने संसार को दोषी ठहराया, और उस धार्मिकता का उत्तराधिकारी हुआ जो विश्वास के अनुसार है। विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसे स्थान को चला गया जो उसे उत्तराधिकार में मिलने वाला था। वह नहीं जानता था कि मैं कहां जा रहा हूं, फिर भी चला गया। …ये सब विश्वास की दशा में मरे। इन्होंने प्रतिज्ञा की गई बातों को प्राप्त नहीं किया, परन्तु उन्हें दूर ही से देख कर उनका अभिवादन किया और मान लिया कि हम पृथ्वी पर परदेशी और पराए हैं। जो ऐसा कहते हैं वे यह स्पष्ट कर देते हैं कि वे तो अपने निज देश की खोज में हैं। यदि वे उस देश के विषय सोचते जिस से वे निकले थे तो उन्हें लौट जाने का अवसर होता। पर वे एक उत्तम अर्थात् स्वर्गिक देश के अभिलाषी हैं।”इब्र 11:6-16

लोग जो परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए, उन सब ने सम्पूर्ण रूप से परमेश्वर पर भरोसा किया। विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना असम्भव है। जब हम केवल परमेश्वर पर सम्पूर्ण विश्वास करते हैं, तब हम पौलुस और पतरस के जैसे महान नबी बन सकेंगे।

और लोग जो परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए, उन्होंने अपनी शारीरिक परिस्थिति के अनुसार परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया। इस ज़माने में भी जहाज़ का निर्माण करना आसान नहीं है। लेकिन नूह ने, जिसमें जहाज़ बनाने की कोई कुशलता नहीं थी, बहुत विशाल जहाज़ बनाया जिसकी लम्बाई 135 मीटर, चौड़ाई 22 मीटर और ऊंचाई 13 मीटर थी। उसे यह कोई समस्या नहीं हुई कि कितना दाम और परिश्रम जहाज़ बनाने में लगाना पड़ेगा। क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर सब कुछ दे भी सकता और उससे ले भी सकता है। इसलिए नूह ने विश्वास के साथ जहाज़ तैयार किया। इसके परिणाम-स्वरूप वह अपने परिवार को बचा सका।

जब इब्राहीम बुलाया गया, वह नहीं जानता था कि मैं कहां जा रहा हूं, फिर भी वह आज्ञा मान कर चला गया। वह परमेश्वर से अपनी बुलाहट का कारण पूछ कर नहीं चला गया था। उसने सिर्फ ऐसा विश्वास किया कि परमेश्वर मेरे साथ है, और वह परमेश्वर के वचन का पालन करने से खुश था। वचन का पालन करने में, उसे निश्चय बहुत सी कठिनाइयां और असफलताएं होती थीं। फिर भी जैसे परमेश्वर आज्ञा देता था, वैसे ही वह विश्वास के साथ आज्ञापालन करता था, जिससे उसे कोई भी काम असम्भव नहीं लगा।

जिन्होंने परमेश्वर की बुलाहट ली, उनकी एक समानता यह है कि उन्होंने सम्पूर्ण रूप से परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। वे अच्छी तरह से जानते थे कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने से अवश्य ही आत्मिक आशीष मिलती है। इसलिए आज्ञापालन के द्वारा, इब्राहीम ने कनान देश में, जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती थीं, जाने की आशीष पाई, और जब संसार का न्याय जलप्रलय के द्वारा किया गया, नूह, जिसने आज्ञा मान कर जहाज़ तैयार किया, और उसका परिवार बचाया गया। परमेश्वर ने उनके परिश्रम को कभी व्यर्थ नहीं किया।

हम सत्य के पहरेदार के रूप में बुलाए गए

इस अन्तिम युग में, परमेश्वर ने हमें अपनी ओर से संसार को जगाने वाले पहरेदार के रूप में बुलाया है। 2 हज़ार वर्ष पहले, जिसने गलील की झील के किनारे चेलों को मनुष्यों के मछुओं के रूप में बुलाया था, उस परमेश्वर ने ही आज, हमें सारे लोगों को उद्धार देने के लिए बुलाया है। इसके बाद हम छोटे लोग नहीं हैं, और हम यहां संयोग से नहीं आए।

“हे मनुष्य के सन्तान, मैंने तुझे इस्राएल के घराने का पहरेदार नियुक्त किया है। जब भी तू मेरे मुख का वचन सुने तो उन्हें मेरी ओर से चेतावनी देना।”यहेज 3:17

कोई शायद ऐसा सोच सकता है कि मैं किसी के प्रचार के द्वारा आया हूं। लेकिन वास्तव में परमेश्वर ने जगत की उत्पत्ति से पूर्व हमें चुन लिया था और अन्तिम दिन में हम सब को एकत्रित किया है। परमेश्वर ने ऐसी बड़ी इच्छा से हमें चुन कर बुलाया कि संसार में सारे लोग मन फिराएं और स्वर्ग में उनकी अगुवाई की जाए। इसके लिए हम लोगों को परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहे हैं।

परमेश्वर हम से चाहता है कि हम परमेश्वर की ओर से संसार के लोगों को जगाएं। तब आइए हम देखें कि सामरिया और पृथ्वी के छोर तक जाकर हमें क्या सुनाना चाहिए।

“किसी की पुकार सुनाई दे रही है: “जंगल में यहोवा के लिए मार्ग सुधारो; हमारे परमेश्वर के लिए मरुस्थल में राजमार्ग चौरस करो। प्रत्येक घाटी भर दी जाए और प्रत्येक पर्वत तथा पहाड़ी गिरा दी जाए; जो ऊबड़-खाबड़ है वह समतल और ऊंचा-नीचा है वह चौरस किया जाए; तब यहोवा का तेज प्रकट होगा और सब प्राणी उसको एक साथ देखेंगे, क्योंकि यहोवा ने ही यह कहा है।” एक वाणी सुनाई देती है; “प्रचार कर।” उस से पूछा गया, “मैं क्या प्रचार करूं?” “प्रत्येक प्राणी घास है, और उसकी सारी शोभा मैदान के फूल के समान है। जब यहोवा का श्वास उस पर पड़ता है तो घास सूख जाती और फूल मुर्झा जाता है। निश्चय ही प्रजा घास है। घास तो सूख जाती और फूल मुर्झा जाता है, परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदा अटल रहेगा।” हे शुभ समाचार सुनानेवाली सिय्योन, ऊंचे पर्वत पर चढ़ जा! हे शुभ समाचार सुनानेवाली यरूशलेम, अत्यन्त ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर! यहूदा के नगरों से कहो, “तेरा परमेश्वर यहां है! … ”यश 40:3-9

हमें यह बात सुनानी चाहिए कि मनुष्य का जीवन फूल के समान व्यर्थ है, और उसकी सारी शोभा भी और उसका युवा भी सिर्फ थोड़े क्षण के लिए है, सब कुछ तत्क्षण चला जाता है, लेकिन जो परमेश्वर के अनन्त वचन के अनुसार चलता है, वह स्वर्ग में युगानुयुग अनन्त जीवन और आशीष पाएगा। और आज, हमें लोगों को यह सुनाना चाहिए कि परमेश्वर की इच्छा, नई वाचा मना कर विपत्ति से बच जाएं, और उद्धार पाकर अनन्त स्वर्ग जाएं। इस तरह से हमें पहरेदार की भूमिका निभानी चाहिए।

परमेश्वर पहले से जानता है कि हम भयभीत होंगे और हिचक जाएंगे। इसलिए उसने हम से कहा, “मत डर! ऊंचे शब्द से सुना, ‘सिय्योन में आकर परमेश्वर को देखो!’ और सारे संसार में पवित्र आत्मा और दुल्हिन परमेश्वर के बारे में सुना।”

परमेश्वर हमारे प्रयास और परिश्रम को, जो परमेश्वर की बुलाहट पर सुसमाचार के लिए उत्साहपूर्वक किया जाता है, बेकार नहीं बनाता। परमेश्वर अवश्य ही फलदार परिणाम देता है। इसमें हमारा पसीना और जोश लगाना योग्य है। चाहे कड़ी चुनौती, अत्याचार और बोझ आता हो, तो भी विश्वास के साथ कार्य करने वाले नूह और इब्राहीम के जैसे, हम अन्त में आशीष पाएंगे।

“निश्चय ही तेरी सहायता करूंगा”

आज इस युग में परमेश्वर ने सुसमाचार के लिए हमारे नाम लेकर बुलाया, और हमारे सामने पड़ी सभी बाधाओं को पहले से तोड़ दिया। फिर भी हम असफलता का अनुभव करते हैं, क्योंकि हम परमेश्वर की योजना पर सम्पूर्ण विश्वास नहीं करते और परमेश्वर की सामर्थ्य को नहीं समझते। परमेश्वर के ऐसा कहने पर भी, “मैं तेरी सहायता करूंगा, मैं तेरे संग संग रहूंगा”, शारीरिक विचार के बंधन में पड़कर, हम कभी-कभी असावधानी से परमेश्वर की बुलाहट की उपेक्षा किया करते हैं, और नकारात्मक ढंग से सुसमाचार का कार्य किया करते हैं। लेकिन यदि हम उसकी बुलाहट पर सम्पूर्ण विश्वास करके आगे बढ़ें, तो परमेश्वर सभी रुकावटों को तोड़ डालेगा।

सुसमाचार का प्रचार करते समय, हम में से कोई अपनी बहुत उम्र या कम उम्र की चिन्ता करता है और बोलने की योग्यता की कमी से चिन्तित है। यिर्मयाह, मूसा और गिदोन भी ऐसा विचार करते थे। लेकिन हमारे लिए परमेश्वर है जो कहता है, “निश्चय ही तेरी सहायता करूंगा”

हम कभी-कभी लोगों से इस बात से सलाह पाना चाहते हैं कि प्रचार क्या है, प्रचार करने का तरीका क्या है और कैसे प्रचार करने से अच्छा फल पैदा कर सकते हैं? ऐसे, हम मनुष्य के अनुभव पर कान लगाते हैं। लेकिन ऐसा करना जरूरी नहीं है। जैसे परमेश्वर ने आज्ञा दी कि जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओ, हमें इस वचन से आश्वस्त होकर सिर्फ परमेश्वर की साक्षी लोगों को देनी चाहिए। एक दिन, पतरस, अन्द्रियास, यूहन्ना और याकूब, जो जीवन भर मछुए थे, रात भर झील में जाल डालते हुए भी एक मछली भी नहीं पकड़ पाए थे। उन्हें यीशु ने आज्ञा दी कि नाव को गहरे पानी में ले चल और मछली पकड़ने के लिए अपने जाल डालो, यह आज्ञा मान कर उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में मछलियां घेर लाए कि उनके जाल फटने लगे। यदि सुसमाचार के कुशल व्यक्ति हो, तो वह मनुष्य के विचार पर नहीं, वरन् अवश्य परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखके पालन करता है। परमेश्वर हमारे आगे जाकर सब कुछ करता है, और उसने अपना वचन हमारे मुंह पर डाला है, इसलिए उसने हम से यही कहा कि तुम सिर्फ आज्ञा का पालन करके संसार में लोगों को वचन सुनाओ। परमेश्वर ने पहले से सब को तैयार किया है, इसलिए यदि हम सिर्फ वचन सुनाएंगे, तो वे जीवन पाकर उद्धार पाएंगे।

अब विश्व में पिता और माता के बारे में सुसमाचार बहुत तेज रफ्तार से फैलाया जा रहा है। क्योंकि बाइबल में इसकी भविष्यवाणी पहले से की गई थी। हमारे विचार से हमें लगता था कि यह असंभव और मुश्किल हो सकता है। लेकिन हम ने भविष्यवाणी पर विश्वास करके निडरता से सिय्योन में ठहरे परमेश्वर के बारे में सुनाया है, जिससे सिय्योन के बहुत सारे भाई-बहनें जल्दी वापस आए। वह जिसका संसार के लोग उत्सुकता से इन्तजार कर रहे हैं, परमेश्वर ही है, न कि कोई नियम या आज्ञा।

एलोहीम परमेश्वर जिसने हमारे नाम लेकर बुलाया

स्वर्ग का राज्य सोचते हुए, हमें आत्मिक बातों से और अधिक खुश रहना है। यदि हम संसारी लोगों का सामन्य विचार और सामन्य उद्देश्य लेते हुए जीवन व्यतीत करते हैं, तब हम न तो परमेश्वर से बुलाए गए लोग होंगे, और न ही हमारे स्वर्ग के राज्य में जाने का कुछ विशेष कारण होगा। संसार पृथ्वी पर की बातों पर मन लगाता है, लेकिन हम लोग स्वर्ग की बातों को बहुमूल्य मानते हैं। इसलिए संसारी लोगों का अन्त और हमारा अन्त स्पष्ट रूप से अलग हैं।

हम एलोहीम परमेश्वर पर विश्वास करने वाले हैं, और एलोहीम परमेश्वर की साक्षी देने के लिए गवाह के रूप में बुलाए गए हैं। हमें बिना हिचके सामरिया और पृथ्वी के छोर तक जाना चाहिए। परमेश्वर ने उद्धार के कार्य के प्रति एक रूपरेखा उत्पत्ति अध्याय 1 में दिया। आइए हम इसमें एलोहीम परमेश्वर से मिलें जिन्होंने हमारी आत्माओं को रचा, और हमें जीवन और श्वास दिया।

“फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं। और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलू पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगनेवाले जन्तु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें।” और परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में सृजा। अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसको सृजा। उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की। परमेश्वर ने उन्हें आशिष दी, और उनसे कहा, “फूलो–फलो और पृथ्वी में भर जाओ और उसे अपने वश में कर लो, और समुद्र की मछलियों तथा आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर चलने–फिरने वाले प्रत्येक जीव-जन्तु पर अधिकार रखो।” ”उत 1:26-27

यहां पर ‘हम’ बहुवचन हैं। परमेश्वर ने, जो एक से ज़्यादा हैं, अपने स्वरूप के अनुसार मनुष्य की सृष्टि की, जिसके द्वारा नर और नारी सृजे गए। परमेश्वर ने स्वर्गदूत के रूप या किसी और रूप को उधार नहीं लिया था, पर अपने रूप के अनुसार मनुष्य बनाया था, जिसके द्वारा नर और नारी सृजे गए। इस बात के द्वारा, हम सरलता से जान सकते हैं कि परमेश्वर के स्वरूप में नर स्वरूप और नारी स्वरूप हैं। नर स्वरूप का परमेश्वर पिता कहलाता है, तो नारी स्वरूप के परमेश्वर को अवश्य ही माता कहलाना चाहिए।

इसका मतलब है कि वह जिसने हमारी सृष्टि की, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर है। मनुष्य की सृष्टि के बाद, सब से सम्पूर्ण मनुष्य बनाने के लिए, अभी पिता और माता साथ काम कर रहे हैं। इसलिए जो परमेश्वर पर विश्वास करता है, यदि वह माता का इनकार करते हुए केवल पिता पर विश्वास करे, तो वह आत्मिक सम्पूर्ण मनुष्य नहीं हो सकेगा। आधे परमेश्वर पर विश्वास करके, क्या वह परमेश्वर के सम्पूर्ण उद्धार की आशा कर सकेगा?

एलोहीस्ट जो एलोहीम परमेश्वर की महिमा फैलाते हैं

हम एलोहीस्ट हैं जो एलोहीम परमेश्वर, यानी पिता और माता परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। बाइबल ने भविष्यवाणी की कि अन्तिम युग में एलोहीम परमेश्वर खुद इस पृथ्वी पर आकर एलोहीस्ट होने वालों को बुलाएंगे।

“फिर मैंने दृष्टि की, और देखो, वह मेमना सिय्योन पर्वत पर खड़ा था, और उसके साथ एक लाख चवालीस हज़ार व्यक्ति थे जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा था। … ये वे हैं जिन्होंने अपने आप को स्त्रियों के साथ भ्रष्ट नहीं किया क्योंकि वे कुंवारे हैं। ये वे ही हैं जो मेमने के पीछे पीछे जहां कहीं वह जाता है चलते हैं। ये परमेश्वर और मेमने के लिए प्रथम फल होने को मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं।”प्रक 14:1-4

उद्धार के कार्य के समय, 6 हज़ार वर्षों के अन्दर, अनेक लोग, जो परमेश्वर पर विश्वास करते थे, विश्वास की दशा में मरे थे, लेकिन इन्होंने प्रतिज्ञा की गई बातों को प्राप्त नहीं किया। लेकिन इस अन्तिम युग में, जो हमें प्रतिज्ञा की सन्तान के रूप में जन्म देती है और अनन्त जीवन का स्रोत है, वह माता परमेश्वर प्रकट होती है। इसलिए बाइबल कहती है कि लोग जो पिता और माता के द्वारा सृजे जाते हैं, वे सम्पूर्ण और प्रथम फल होंगे, और उन्हें अत्यंत बड़ी आशीष मिलेगी।

एलोहीम परमेश्वर ने वादा किया कि वे अपने द्वारा सृजी हुई सन्तानों को स्वर्ग के राज्य में राजकीय याजक का पद और सारी सृष्टि और ब्रहमाण्ड पर प्रभुता करने का अधिकार देंगे। धरती को वश में कर लेने और सारे ब्रहमाण्ड पर प्रभुता करने का अधिकार सिर्फ एलोहीम परमेश्वर की सन्तानों को दिया जाता है। इस युग में हम बहुत आशीषित लोग हैं, क्योंकि हम एलोहीम परमेश्वर को निकट से देख सकते हैं जिन्होंने हमें जगत की सृष्टि से पहले चुन कर बुलाया।

2 हज़ार वर्ष पहले, यीशु ने मरियम की तारीफ़ की, जो यीशु का वचन सुनने के लिए बहुत इच्छुक थी और जिसे यीशु को देखने का शौक होता था। हम भी, जब परमेश्वर निकट है, ऐसी बुद्धि लें कि ज़्यादा से ज़्यादा परमेश्वर से अनुग्रहमय वचन सुन लें और परमेश्वर से आशीष मांग लें, जिससे हम सुसमाचार के द्वारा संसार के लोगों के पूरे दिल में परमेश्वर की कृपा रख सकेंगे और उन्हें आशीष दिला सकेंगे, तथा पिता और माता परमेश्वर का नाम पूरे संसार में भर जाएगा। चाहे शैतान कोई भी रुकावट डालता हो, फिर भी भविष्यवाणी अवश्य ही पूरी होगी।

पिता और माता की इच्छानुसार पूरी हो रही भविष्यवाणी को देखते हुए, आइए हम पूरे संसार में परमेश्वर का प्रेम और नई वाचा सुनाएं और लोगों को यह जानने दें कि पिता और माता का बलिदान और परिश्रम क्या है। प्रत्येक लोग, जिन्हें परमेश्वर ने चुन कर बुलाया है, परमेश्वर पर सम्पूर्ण विश्वास रखते थे, जिससे उन्होंने बहुत सारी आशीष पाई। नबियों के जैसा, जो किसी से भी न डरते थे और आसपास की परिस्थितियों या अनुभव पर नहीं, लेकिन परमेश्वर के वचन पर भरोसा करते थे, आइए हम एलोहीम परमेश्वर के बारे में, जो हमारे साथ हैं, साहसपूर्वक सुनाएं। आशा है कि आप इस पर अधिक गर्व और गौरव महसूस करें कि आप एलोहीम परमेश्वर की सम्पूर्ण सृष्टि, एलोहीस्ट बने हैं।

बाइबल के वचन के जैसा, मनुष्य का जीवनकाल बहुत थोड़ा है। उसकी शोभा भी थोड़े क्षण तक बनी रहती है। युवावस्था भी समय गुजरते हुए चला जाता है। सिय्योन में परमेश्वर की आंखों के तारे, आप से प्रार्थना है कि सुसमाचार के कार्य में अधिक प्रयास और मन लगाएं कि स्वर्ग के राज्य में, जहां हम सदैव रहेंगे, प्रचुर आशीष जमा कर सकें।