परमेश्वर ने हम से कहा, “सदा आनन्दित रहो, निरंतर प्रार्थना में लगे रहो, और हर बात में धन्यवाद करो”(1थिस 5:16-18)। “हर बात में धन्यवाद करो।” इसका अर्थ है कि हमें हमेशा आभारी रहना चाहिए चाहे परिस्थिति कैसी भी हो – अच्छी या बुरी, आसान या मुश्किल।
जब परमेश्वर हम से हर बात में धन्यवाद करने को कहते हैं, तो धन्यवादी होने का कारण होना चाहिए। हम हमेशा परमेश्वर से प्रचुर प्रेम पा रहे हैं। वास्तव में, हमारी बुद्धि और प्रतिभा से लेकर परमेश्वर के प्रति हमारे विश्वास तक सब कुछ जो हमारे पास है, परमेश्वर से है। सिय्योन के लोगों के रूप में, हमें अपने भविष्य के लिए सब कुछ प्रदान करने के लिए हर दिन परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देनी चाहिए।
जब कभी मैं कुछ करता हूं, मुझे एक कहानी की याद आती है। एक दिन, जब आखिरकार वैज्ञानिक विकास से मनुष्य का प्रतिरूपण करना संभव हो गया, एक वैज्ञानिक ने परमेश्वर को चुनौती दी, “जैसे आपने किया, मैं भी मनुष्य की सृष्टि कर सकता हूं।” तब परमेश्वर ने कहा, “एक बार करके मुझे दिखाओ।” जब वह अहंकार से फुलकर एक मनुष्य की नकल बनाने पर था, तब परमेश्वर ने कहा।
“यह मेरी मिट्टी है। तुम खुदकी मिट्टी का प्रयोग करो।”
मनुष्य शून्य से किसी चीज की भी सृष्टि नहीं कर सकता। भले ही बड़े पैमाने पर विज्ञान का विकास हुआ है, यदि परमेश्वर हमसे कहें कि हम अपनी चीजों से कुछ करें, न कि परमेश्वर की चीजों से, तब हम कुछ भी नहीं कर सकते।
क्योंकि तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया? और जब कि तू ने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानो नहीं पाया? 1कुर 4:7
दुनिया में अधिकार वाले, धनवान, विद्वान आदि जैसे बहुत से प्रभावशाली लोग हैं। किसने उन्हें वह सारा अधिकार, धन, बुद्धि और ज्ञान दिया है? परमेश्वर ने उन्हें वे सारी चीजें दी हैं। वे बस परमेश्वर से सब कुछ लेकर उपयोग ही करते हैं। हमें इस तथ्य का एहसास करते हुए, अपनी बुद्धि या धन या शक्ति की नहीं, पर केवल परमेश्वर की बड़ाई करनी चाहिए, जिन्होंने हमें सब कुछ दिया है(यिर्म 9:23-24)।
फिर परमेश्ववर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं। उत 1:29
परमेश्वर द्वारा बनाए गए कई अनाज और फल जैसे खाद्य पदार्थ खाने से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है, इसलिए हम चल फिर सकते हैं और सोच सकते हैं। यदि परमेश्वर ऐसा न कहते, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं,” तब कैसे प्राणी का जीवित रहना संभव होता? परमेश्वर हमें ऐसा अद्भुत अनुग्रह देते हैं। जिस पल हम परमेश्वर के अनुग्रह से कट जाते हैं, तब हम कुछ भी नहीं कर सकते। जिस तरह एक डाली तब तक काम नहीं कर सकती जब तक कि वह दाखलता में बनी न रहती, हम तब तक ठीक से कार्य नहीं कर सकते जब तक हम परमेश्वर में बने नहीं रहते(यूह 15:1-8)।
परमेश्वर से कुछ भी प्राप्त किए बिना, हम अपने जीवन को बनाए नहीं रख सकते। हमें उन चीजों को महत्व देने की आवश्यकता है जो हमने परमेश्वर से प्राप्त की है, और नम्रता में अपने आपको नीचा करना, परमेश्वर में आनंदित रहना और हर समय धन्यवाद करना चाहिए।
बाइबल कई दृश्य प्रस्तुत करती है जहां परमेश्वर कहते हैं, “मैं तुम्हें देता हूं…” आइए देखें कि जब हम परमेश्वर से कुछ प्राप्त करते हैं तो किस तरह के बदलाव आएंगे।
और अब, हे मेरे परमेश्वनर यहोवा! तू ने अपने दास को मेरे पिता दाऊद के स्थान पर राजा किया है… बहुत से लोगों के मध्य में है, जिनकी गिनती बहुतायत के मारे नहीं हो सकती। तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये समझने की ऐसी शक्ति् दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूं : क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?” इस बात से प्रभु प्रसन्न हुआ कि सुलैमान ने ऐसा वरदान मांगा है। तब परमेश्व र ने उससे कहा, “… मैं तेरे वचन के अनुसार करता हूं, तुझे बुद्धि और विवेक से भरा मन देता हूं; यहां तक कि तेरे समान न तो तुझ से पहले कोई कभी हुआ, और न बाद में कोई कभी होगा। फिर जो तू ने नहीं मांगा, अर्थात् धन और महिमा, वह भी मैं तुझे यहां तक देता हूं, कि तेरे जीवन भर कोई राजा तेरे तुल्य न होगा। फिर यदि तू अपने पिता दाऊद के समान मेरे मार्गों में चलता हुआ, मेरी विधियों और आज्ञाओं को मानता रहेगा तो मैं तेरी आयु को बढ़ाऊंगा।” 1रा 3:7-14
सुलैमान पहले प्रतिष्ठित नहीं था, लेकिन परमेश्वर से बुद्धि और समझ प्राप्त करने के बाद, वह संसार को आश्चर्यचकित करने के लिए काफी महान बना। उसने महान बुद्धि के साथ-साथ धन और सम्मान भी पाए। उसकी प्रसिद्धि आसपास के पूरे राष्ट्र में फैल गई। यहां तक कि शीबा की रानी भी सुलैमान की बुद्धि सुनने के लिए अनगिनत खजाने के साथ उससे मिलने आई।
बाइबल के इतिहास में, केवल सुलैमान ही नहीं, बल्कि उन सब ने भी जिन्होंने परमेश्वर से कुछ प्राप्त किया था, परमेश्वर के दिए हुए क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रतिभाएं दिखाईं, और बहुत से लोगों पर महान प्रभाव डालने में उत्कृष्ट बने। जब परमेश्वर ने किसी से कहा, “मैं तुम्हें बुद्धि देता हूं,” तब वह अति बुद्धिमान बन गया; जब परमेश्वर ने किसी अन्य व्यक्ति से कहा, “मैं तुम्हें विश्वास देता हूं,” तब वह महान विश्वास का एक व्यक्ति बन गया; और जब परमेश्वर ने किसी और से कहा, “मैं तुम्हें प्रचार के लिए उत्साह देता हूं,” तब वह प्रचार करने में उत्साही बन गया। एक मुर्ख और महत्वहीन व्यक्ति महान और श्रेष्ठ बन गया, और डरपोक व्यक्ति जो एक शब्द भी न बोल पाता था, एक साहसी योद्धा बन गया।
यदि हम परमेश्वर द्वारा दी गई प्रतिभाओं का परमेश्वर की महिमा प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल करें, महिमा और भी महान हो जाएगी। विश्वास के पूर्वजों के समान, हम जहां कहीं भी हों, परमेश्वर द्वारा दी गई हमारी प्रतिभाओं का पूरी तरह से उपयोग करके उनकी महिमा को उज्ज्वलता से प्रदर्शित करें।
आइए हम उन आशीषों के बारे में सोचें जो हम ने इस युग में जीने के दौरान पाई हैं। हम एहसास करेंगे कि परमेश्वर ने हमें कितनी चीजें दी हैं और वे कितने महान और अद्भुत हैं।
… “मैं ने तुम से कह दिया पर तुम विश्वावस करते ही नहीं। जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूं वे ही मेरे गवाह हैं, परन्तु तुम इसलिये विश्वा स नहीं करते क्योंकि मेरी भेड़ों में से नहीं हो। मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं; और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं। वे कभी नष्टस न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” यूह 10:24-28
सुलैमान को बुद्धि दी गई थी, लेकिन हमें सिय्योन में परमेश्वर से अनन्त जीवन की आशीष मिली है। कोई व्यक्ति चाहे कितना भी धनवान हो और कितना भी बड़ा अधिकार हो, वह इस पृथ्वी पर हमेशा के लिए उसका आनंद नहीं ले सकता। परन्तु, जिसने परमेश्वर से अनन्त जीवन प्राप्त किया है, उसके पास कोई सीमा नहीं। चूंकि परमेश्वर ने कहा कि वे युगानयुग उसके अधिकारी बने रहेंगे, पूरे ब्रह्मांड में इससे बड़ा कोई आशीष नहीं है(दान 7:18)।
मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ कि एक दूसरे से प्रेम रखो; जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यूह 13:34
परमेश्वर हम से इतना प्रेम रखते हैं कि उन्होंने हमें अनन्त जीवन और एक नई आज्ञा भी दी है। परमेश्वर कहते हैं, “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं।” एक नई आज्ञा का अर्थ है एक नई वाचा। यीशु के इस पृथ्वी पर आने से लगभग 600 वर्ष पहले, परमेश्वर ने एक नबी के माध्यम से वादा किया था कि वह एक नई वाचा स्थापित करेंगे। यह परमेश्वर द्वारा हमें दिया गया एक बहुमूल्य उपहार है।
“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा… परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्व र ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा ।” यिर्म 31:31-34
यीशु ने, जो मूल रूप से परमेश्वर हैं, नई वाचा को स्थापित करने की भविष्यवाणी को पूरा किया(लूक 22:7–20)। वे सभी लोग, जिन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के माध्यम से नई वाचा के सत्य को ग्रहण किया, परमेश्वर की प्रजा बनकर अनन्त जीवन और पापों की क्षमा प्राप्त करते हैं। परमेश्वर ने कहा है कि वह नई वाचा के द्वारा हमारे सभी अपराधों और पापों को दूर कर देंगे और क्षमा कर देंगे। यह कितना महान आशीष और अनुग्रह है!
हमें परमेश्वर के इस आशीष की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। जिन्होंने नई वाचा अर्थात् नई आज्ञा नहीं पाई है उन्हें उन सभी पापों के लिए क्षमा नहीं किया जा सकता जो उन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी पर किए थे। परमेश्वर ने कहा है वह उनके परमेश्वर होंगे जो नई वाचा का पालन करते हैं। उन्होंने उन सब से अनन्त स्वर्गीय विरासत प्रदान करने की प्रतिज्ञा भी की है जो सिय्योन में निवास करते हैं और नई वाचा के सत्य के साथ-साथ आत्मा और दुल्हिन पर विश्वास करते हैं।
हमें यह देखने के लिए अपने आप पर विचार करना होगा कि हमने इस अनमोल उपहार के लिए स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता को अपने दिल की गहराई से कितनी बार धन्यवाद दिया है। जब हम एहसास करें कि परमेश्वर ने हमें कितना बड़ा और अद्भुत आशीष दिया है, तब हम स्वभाविक रूप से परमेश्वर का धन्यवाद और प्रशंसा करने लगेंगे।
आत्मिक दुनिया को ध्यान से देखें। बाइबल की 66 पुस्तकों में सबसे धन्य लोग कौन हैं? परमेश्वर का अनुग्रह किसको सबसे अधिक दिया गया है? वह आज हम हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें इस पृथ्वी पर रहने की अनुमति दी गई है, और हम ने पापों की क्षमा और अनन्त जीवन पाया है और स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता को ग्रहण करने की आशीष पाई है। हमें सुलैमान, दाऊद, पतरस, यूहन्ना और पौलुस की ईर्ष्या करने की आवश्यकता नहीं है। बाइबल के किरदारों में से हम सबसे ईर्ष्या किए जानेवाले लोग हैं, और हम सबसे ईर्ष्या की जानेवाली परिस्थिति में विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं। कृपया इसे जरूर याद रखें।
जब हम अपना अनन्त घर, स्वर्ग वापस जाएं, तब हम सब कुछ पाएंगे जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने हम से की है। जैसे परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें अनन्त जीवन देता हूं,” हम अनन्त जीवन की महान आशीष प्राप्त करेंगे, और जैसे परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें स्वर्ग का राज्य विरासत में देता हूं,” हम स्वर्गीय विरासत भी प्राप्त करेंगे। परमेश्वर सुसमाचार के लिए हमारे सभी प्रयत्नों का प्रतिफल देंगे और हमें राज-पदधारी याजक बनाएंगे। तो, इससे महान महिमा और अधिकार कहीं नहीं है, है न?
इस पृथ्वी पर, हमें यह विचार करने की आवश्यकता नहीं है कि हम सामाजिक स्थिति में उच्च या निम्न हैं, हम धनवान हैं या नहीं और हमारी परिस्थितियां अनुकूल हैं या प्रतिकूल। जब हमें एक कठिन परिस्थिति में रखा जाता है, कुछ लाभकारी भी होता है कि हमें निर्मल कर सकता और हमें विकसित होने में मदद कर सकता है। सिय्योन के लोगों के रूप में, हमें न तो भौतिक दुनिया में लिप्त होना और न ही आत्मिक दुनिया को भूलना चाहिए, लेकिन हमारी आशा पृथ्वी पर की चीजों पर रखने के बजाय जिन्हें हम बहुत जल्द ही छोड़ने वाले हैं, अनन्त स्वर्ग के राज्य पर रखनी चाहिए जहां हम जा रहे हैं।
परमेश्वर का हर एक वचन यथार्थतः पूरा होता है; एक मात्रा या एक बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। जब कठिनाइयां हमारे मार्ग पर आती हैं और हमें परेशान करती हैं, तो हमें स्मरण रखना चाहिए कि उसमें परमेश्वर की पूर्व योजना होती है जो हमें स्वर्ग में राज-पदधारी याजकों के रूप में नियुक्त करना चाहते हैं। हमें हर किसी के लिए जो हमारे साथ है, और हमारी बुद्धि, प्रतिभा और आदि परमेश्वर द्वारा दिए गए हर चीज के लिए आभारी होना चाहिए। तभी हम “हर बात में धन्यवाद करने” की परमेश्वर की आज्ञा का पालन कर सकते हैं।
सब कुछ जो परमेश्वर हमें देते हैं, मूल्यवान उपहार है; किसी चीज का भी अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। जब परमेश्वर कहते हैं, “मैं तुम्हें कुछ देता हूं,” तब हमें “आमीन!” कहते हुए उसे स्वीकार करना चाहिए। हमें उसे लेने से नहीं झिझकना है। जब हम केवल परमेश्वर के वचन में बने रहते हैं, तब हम कुछ ऐसा अनुभव कर सकते हैं जो दुनिया भर के सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर देगा।
यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र था कहा, “मेरा दास मूसा मर गया है; इसलिये अब तू उठ, कमर बांध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार होकर उस देश को जा जिसे मैं उनको अर्थात् इस्राएलियों को देता हूं। उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्थात् जिस जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हें दे देता हूं… न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोड़ूंगा। इसलिये हियाव बांधकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा। इतना हो कि तू हियाव बांधकर और बहुत दृढ़ होकर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बाएं, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा… यहो 1:1-8
परमेश्वर ने कहा कि वह अपने लोगों को जिस जिस स्थान पर वे पांव धरेंगे, वह सब उन्हें दे देंगे और जो कुछ वे करेंगे उसमें उन्हें सफल बनाएंगे। परमेश्वर ने यह प्रतिज्ञा यहोशू के समय में की थी, परन्तु यह हमारे लिए भी लागू होती है, जो आज नई वाचा की व्यवस्था का पालन करते हैं। चूंकि परमेश्वर ने कहा, “विश्वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है,” हमें इस प्रतिज्ञा पर विश्वास करना और सामरिया और पृथ्वी की छोर तक सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए।
परमेश्वर ने उनसे जो बहुत सी आत्माओं को नई वाचा के सुसमाचार का प्रचार करते हैं, अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा की है, ताकि वे नष्ट न हो जाएं। यह कार्य कुछ ऐसा नहीं है जिसे उन लोगों द्वारा किया जाना है जो विशेष रूप से चुने गए हैं। हम सब वे हैं जिन्होंने यहोशू का मिशन पाया है। परमेश्वर उन्हें जो मेहनत से कार्य करते हैं, सामर्थ्य देते हैं, और उन्हें जो मांगते हैं, पवित्र आत्मा देते हैं(लूक 11:13)। आइए हम बिना किसी हिचकिचाहट के आगे बढ़ें और लोगों को जागृत करें, जो अभी तक परमेश्वर द्वारा मानवजाति को मुफ्त में प्रदान किए जाने वाले उपहारों का मूल्य नहीं जानते।
परमेश्वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, प्रेरित पौलुस को प्रचार करने की सामर्थ्य दी, दूसरे को विश्वास दिया, और किस अन्य को परमेश्वर की इच्छा को पूरी तरह से पहुंचाने के लिए एक धाराप्रवाह बोलने की योग्यता दी। गर्व से सोचने के बजाय कि सारी शक्ति हमारी है, हमें मसीह के अंगों के रूप में अपनी भूमिका निभाना और परमेश्वर द्वारा दिए गए उपहारों का उपयोग करके परमेश्वर की महिमा को प्रदर्शित करना चाहिए।
सब कुछ जो हमने परमेश्वर से पाया है, मूल्यवान है। हम ने नई आज्ञा, नई वाचा, अनन्त जीवन, बुद्धि और विश्वास पाया है, जो हमारे लिए मूल्यवान हैं। यदि परमेश्वर कहते कि उद्धार प्राप्त करने के लिए हमें परमेश्वर की चीजों का नहीं परन्तु केवल अपनी चीजों का उपयोग करना चाहिए, तो हम स्वर्ग की ओर एक कदम भी आगे बढ़ा नहीं पाते। परन्तु, परमेश्वर ने हमें अपनी चीजें देकर उनके साथ आने को कहा है। इसलिए, यदि हम उन्हें थामे रहें तो हम अनन्त स्वर्ग के राज्य तक पहुंच सकते हैं।
हमने स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता को ग्रहण किया है और हम विश्वास के पूर्वजों द्वारा सबसे अधिक ईर्ष्या किए जाने वाले युग में विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं। आइए हम सबसे आशीषित किए गए लोगों के रूप में, परमेश्वर से प्राप्त हुई आशीषों के मूल्य का एहसास करें और इन्हें अंत तक थामे रहें और एलोहीम परमेश्वर को अधिक धन्यवाद और महिमा दें।